तुमसा नहीं देखा भाग – 44 – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

 यशिका का ऑफिस शिफ्ट होंजता है लेकिन उस पर उसी दिन करतारसिंह हमला कर देता है और उसको बचाते हुए शौर्य का हाथ फ्रैक्चर हो जाता है और उसको हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है।

अब आगे :

यशिका शौर्य के पास वेलेंटेबल पर रही हुयी मेडिसन देख रही थी तभी किसी ने नॉक किया यशिका ने देखा तो अभिमन्यु  था यशिका ने उसे चुप रहने का और वो बाहर आ रही है बोला अभिमन्यु उसकी बात समझ कर बाहर चला गया

यशिका धीरे कदमों से चलती हुयी बाहर गयी और बोली ” मै रुकती हूँ आज यहाँ आप लोग जाओ काफी देर हो गयी है”

“लेकिन आपको भी तो रेस्ट की ज़रूरत है ” अभिमन्यु ने कहा

“वो यहीं हो जाएगा कोई प्रॉब्लम नहीं है “

“दी आप ठीक ही ना “?नहीं तो मै भी रुक जाती हूँ ? गुंजन ने कहा

” मै ठीक हूँ कोई प्रॉब्लम नहीं है मिस्टर सिंह क्या आप इन दोनों को घर छोड़ देंगे “

“हाँ बिल्कुल ये भी कहने की बात है ” अभिमन्यु ने कहा

देविका को चुप देखकर यशिका ने उसका हाथ पकड़ कर कहा ” क्या हुआ “? यशिका के इतना कहते हे देविका उसके गले से लगा गयी और उसकी आँखों में आंसू आ गए यशिका ने उसको सहलाते हुए बोला ” कुछ नहीं मै ठीक हूँ “

देविका उस से अलग हुयी और हल्के से मुस्कुराते हुए बोली ” अपना ध्यान रखना “

यशिका ने सिर हिलाकर हाँ कहा और वो चारों यशिका को हॉस्पिटल में छोड़कर चले गए

यशिका वापस रूम में आ गयी शौर्य तब तक सो गया था उसने पास जाकर शौर्य को नज़र भर देखा और कुछ दूर पर जो बेड था उस पर जाकर लेट गयी

कुछ देर में उसको भी नींद आ गयी।

अभिमन्यु ने देविका और गुंजन को घर छोड़ा और अपने घर चले गए । वो घर पहुँचे तो सिद्धार्थ और नीता उनका इंतजार कर रहे थे

“अब कैसा है शौर्य ?” सिद्धार्थ ने पूछा

“ठीक है “

“तुम रुकने वाले थे ना वहाँ”

“हाँ फिर यशिका ने बोला कि वो रुकेंगी वैसे भी उनको डॉक्टर ने एक दिन बोला है रुकने के लिए “

“यशिका की बहन वो ठीक है , फिलहाल तो वो भी अकेली होगी “

“नहीं वो यशिका की फ्रेंड है देविका वो तीनों साथ में ही रहते है “

” अच्छा ,चलो फिर ठीक है , अब तुम भी रेस्ट करो ” नीता ने कहा

“सुबह हम भी चलेंगे तुम्हारे साथ हॉस्पिटल शौर्य को लेने ” सिद्धार्थ ने कहा

“पापा इतने लोगों का जाना ठीक नहीं है आप रंधावा मेंशन आ जाइए वहाँ मिल लेना ” अभिमन्यु ने कहा

“हाँ कह तो तुम ठीक रहे हो , ठीक है फिर हम घर पर ही मिल लेंगे “सिद्धार्थ ने कहा

सब अपने अपने रूम में चले गए

हॉस्पिटल

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सुबह रघुवीर जी अभिमन्यु के साथ शौर्य को लेने के लिए आए थे वो डॉक्टर से मिले और डॉक्टर ने शौर्य के डिस्चार्ज पेपर्स रेडी करने के लिए नर्स को बोला

अभिमन्यु और रघुवीर जी दोनों शौर्य के रूम की तरफ चले गए

नर्स शौर्य को रेडी कर के चली गयी थी  यशिका उसकी मेडिसन रख रही थी शौर्य उसे मुस्करा कर देखे जा रहा था यशिका ने उसकी तरफ देखा और पूछा ” आप इतना मुस्कुरा क्यों रहे है “?

“ऐसे ही क्यों मै मुस्कुरा नहीं सकता “

” बिल्कुल मुस्कुरा सकते है “

“इधर आओ शौर्य ने हाथ बढ़ा कर यशिका को अपने पास बुलाया “

यशिका शौर्य के पास गयी तो शौर्य ने उसे अपने पास बैठते हुए कहा ” मै सोच रहा था कि डॉक्टर को बोल कर दो चार दिन यहीं रुक जाऊं”

“क्या दो चार दिन “?क्यों ये हॉस्पिटल क्या आपको इतना पसंद आ गया ये कोई पिकनिक स्पॉट नहीं है जनाब “यशिका ने मुंह बनाते हुए कहा

“हाँ वो मुझे पता है लेकिन देखो न मैं यहाँ हूँ तो आप मेरे साथ हो तो इसके लिए बस ” शौर्य ने थोड़ा सा यशिका की तरफ झुकते हुए कहा

“हाथ में नहीं दिमाग़ में भी चोट लगी है लगता है आपके “

तभी दरवाज़े पर दस्तक हुयी और अभिमन्यु के साथ रघुवीर जी अंदर आ गए यशिका ने रघुवीर जी को आते हुए देखा तो शौर्य के पास से उठ कर पास में खड़ी हो गयी उसने हाथ जोड़ कर उन्हें नमस्ते करा रघुवीर जी ने भी मुस्करा कर उसे जवाब में “खुश रहो “कहा और शौर्य को देख कर बोले” तो कैसा है मेरा शेर बेटा “

” बिल्कुल ठीक बाउजी ,”

” हाँ वो तो लग ही रहा है ” रघुवीर जी ने यशिका की तरफ देखते हुए कहा

“थैंक्स यशिका बेटा आप रुक गयी रात में यहाँ ” रघुवीर जी ने कहा

” मेरी ही वजह से तो इनके साथ ये सब हुआ”

“कोई नहीं ठीक हो जाएगा वैसे भी कुछ ज़्यादा नहीं है एक महीने की ही तो बात है और आप आती रहना इसे देखने अब तो ऑफिस भी एक ही जगह पर है ” अभिमन्यु बस बोल दिया बिना ये सोचे कि रघुवीर जी है वहाँ

अभिमन्यु की बात सुनकर यशिका ने अपना सिर नीचे कर लिया शौर्य ने अभिमन्यु की तरफ देखा तब अभिमन्यु को एहसास हुआ कि उसने किया बोल दिया वो फिर बोला ” अरे मेरा मतलब आप आ सकती हो जब मन हो मेरा मतलब है कि अगर टाइम मिले मतलब “

“बस बहुत मतलब बता दिए तुमने और वो समझ भी गयी है अब इनको ले कर चलें “

“हाँ “अभिमन्यु ने अपना सिर खुजलाते हुआ कहा

“तुम व्हील चेयर पर बैठोगे या ऐसे ही चलोगे “

“सर व्हीलचेयर पर ही ठीक रहेगा काफी लंबा कोरिडोर है और फिर बाहर भी जाना है “

अभिमन्यु ने रूम में लगे हुए फोन से एक व्हील चेयर लाने के लिए बोला

शौर्य को व्हील चेयर पर बैठाकर सब रिसेप्शन तक आए शौर्य और यशिका के डिस्चार्ज पेपर्स ले कर डॉक्टर खुद आए उन्होंने शौर्य को देखा और कुछ दिन रेस्ट करने के बोल कर चले गए ।

शौर्य को लेकर अभिमन्यु गाड़ी तक आ गया जहां देविका देवेश के साथ यशिका का वेट कर रही थी यशिका को आता हुआ देखा कर देविका गाड़ी से उतरी और उसके पास गयी देविका ने रघुवीर जी को नमस्ते किया और शौर्य से उसकी तबियत पूछी ।

“आप हमारे साथ घर नहीं चलेंगी यशिका “?

“अभी नहीं सर मै फिर आऊंगी वो घर पर गुंजन है “

“ठीक है अपना ध्यान रखना “

“जी” कह कर  यशिका ने शौर्य को बाय किया और वो देविका के साथ गाड़ी में चली गयी

शौर्य को अभिमन्यु ने आराम से गाड़ी में बैठाया गाड़ी बढ़ा दी

कुछ देर में गाड़ी रंधावा मेंशन के गेट पर थी वॉचमेन ने गेट खोला अभिमन्यु ने गाड़ी घर के दरवाज़े पर पार्क की शौर्य को उसमें से उतारा दरवाज़े पर खड़े हुए सब उसका इंतजार कर रहे थे

कमला जी ने उसकी आरती उतारी और उसे गले से लगा लिया शौर्य एक एक करके सबसे मिला सब उसको ले कर अंदर आ गए

नीलिमा ने सबके लिए चाय नाश्ता रेडी करवा लिया था

“यशिका कैसी है” नीलिमा ने नाश्ता करते हुए पूछा

” ठीक है वो हमने सोचा था वो आयेगी लेकिन उसने कहा उसकी बहन है घर पर तो हमको भी लगा कि उसको अपनी बहन से मिलना ज़्यादा जरूरी है , वैसे आप लोग चले जाना उनसे मिलने “रघुवीर जी ने कहा

“हाँ ये सही कहा आपने नीलिमा कल चलते है हम और कुछ खाने का सामान भी रख लेना “

“जी अम्मा “

“मै भी चलूंगी आपके साथ” नीता ने कहा

“हाँ बिल्कुल क्यों नहीं सब साथ में ही चलेंगे ” नीलिमा ने कहा

सबने नाश्ता किया अभिमन्यु शौर्य को उसके कमरे में ले आया था

“क्या हुआ करतार का  ” शौर्य ने कमरे में पहुँचते ही अभिमन्यु से पूछा

“पुलिस कस्टडी में है उसके खिलाफ जितने सुबूत थे सब दे दिए अटेम्प्ट टू मर्डर का चार्ज लगेगा उस पर तुम ज़रा ठीक हो जाओ तो बुला लेते है लॉयर को “

” मै ठीक हूँ तुम बुलाओ और गार्ड्स को बोलो कि कोई भी चूक हुयी इस बार तो मै खुद उन्हें अपने हाथों से मार दूंगा “

“अरे शांत रहो तुम और थोड़ा स्ट्रेस कम लो “अभिमन्यु ने कहा

“अभी एक ही अंदर हुआ है बाक़ी दो बाहर ही है वो ज्ञानचंद अभी बाहर ही है वो फिर कुछ करेगा “

” उसका तो कोई इंजाम करना होगा चलो देखते है “

“अभी “

“ह्म्म”

“क्या हुआ है “? मै देख रहा हूँ तुम कुछ चुप चुप से हो तुमने देविका से कुछ बात नहीं की वरना तुम तो ,…तुमने उसे मिलने के लिए बुलाया था ना कहीं देविका से कुछ “?

” नहीं ऐसी कोई बात नहीं है देविका से कुछ नहीं है “

“तो फिर “?

“तुम्हारे एक्सीडेंट के बाद देविका ने मुझे हॉस्पिटल में सारी सच्चाई

बतायी “

“कैसी सच्चाई”

“देविका को नहीं पता कि वो कौन है “?

“मतलब “?

“वो अनाथ आश्रम में पली और बड़ी

हुयी है” कहते हुए अभिमन्यु ने उसे सारी बात बता दी

“तो अब तुम उसे पसंद नहीं करते”?

” ऐसी बात नहीं है उसने जब ये सब बताया तब तुम और यशिका दोनों हॉस्पिटल में थे मै उस वक्त कुछ कह नहीं पाया मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो कौन है “?

“तो फिर”?

“फिर अभी तक मुझे देविका से बात करने का समय नहीं मिला कही वो ये ना सोच रही हो कि उसकी बात सुनकर मैं उस से बात नहीं कर रहा “

“तो तुम उसे मेसेज कर दो या फोन कर लो “

“शौर्य कुछ भी करने से पहले मै एक बार मम्मी पापा की राय इस बारे में जानना चाहता हूँ क्या उन्हें फर्क पड़ता है “

शौर्य ने दो मिनट सोचा फिर बोला “अगर पड़ता होगा तो क्या तुम फिर देविका को छोड़ दोगे “

“नहीं फिर मुझे मजबूरन उनके खिलाफ़ होना पड़ेगा “

“जहाँ तक मुझे लगता सिद्धार्थ अंकल और आंटी दोनों ही इस तरह के तो नहीं है “

“तुम क्या कहते मैं बात करूं ना इस बारे में “?

“अगर तुम्हारे मन में ये बात है तो फिर करनी चाहिए ” शौर्य ने कहा

“ठीक है मै जल्दी ही करूंगा बात  मै चलता हूँ ऑफिस कल तुम्हें ऑफिस के लिए लेने आ जाऊंगा “

“ओके बाय”

“बाय टेक केयर “

अभिमन्यु शौर्य से बात करके नीचे आया और सबसे मिलकर ऑफिस के लिए निकल गया ।

द क्राउन

~~~~~

यशिका अपने घर पहुँच गयी थी दिनेश को उसने जाने के बोला और देविका ने उसे बोला कि वो कुछ देर में ऑफिस आ जाएगी  आज उसने ऑफिस से ऑफ ले लिया था देविका ने घर की डोरबेल बजायी तो गुंजन ने दरवाज़ा खोला और यशिका को देख कर उसे गले से लगा लिया

“दी आप ठीक हो “?

“हाँ ठीक हूँ तुम”

“मै बिल्कुल ठीक हूँ”

गुंजन यशिका को उसके कमरे में ले

गयी और बोली ” दी आप फ्रेश हो जाओ फिर नाश्ता लगा देती हूँ तब तक मैं देविका दी को नाश्ता दे देती हूँ “

यशिका ने हाँ कहा और गुंजन देविका को नाश्ता देने चली गयी

देविका थोड़ा चुप चुप सी थी तो गुंजन ने पूछा ” दी क्या हुआ है यशी दी ठीक है ना “?

“हाँ वो ठीक है क्यों “

“आप ठीक नहीं लग रही हो  कल अपने खाना भी नहीं खाया था और अब ये नाश्ता भी नहीं कर रही हो “

“कल तो मुझे ठीक नहीं लग रहा था और नाश्ता तो कर रही हूँ मैं”

“ठीक है तो फिर जल्दी से खाओ

आप “

यशिका फ्रेश होकर आयी तो उसने देखा उसके फोन पर शौर्य का मेसेज आया था

“मिस यू “

यशिका ने मैसेज देखा और एक इमोजी भेज दिया वो फोन वहीं पर छोड़ कर बाहर नाश्ता करने आ गई।

देविका नाश्ता कर चुकी थी उसने दोनों को बाय बोला और ऑफिस के लिए निकल गयी।

“दी देविका दी को की है हुआ है क्या “?

“नहीं तो क्यों “

“कल से वो चुप चुप सी हैं”

“हाँ लगा तो मुझे भी आयेगी ऑफिस से तब पूछती हूँ “

दोनों ने नाश्ता किया और यशिका कुछ ऑफिस का काम करने लगी

तभी उसका फोन बजा

हैलो

“हैलो बेटा मै नीलिमा बोल रही हूँ

“हैलो आंटी कैसी है आप “?

“मै ठीक हूँ तुम कैसी हो “?

“मै ठीक हूँ आंटी “

“अच्छा हम लोग मतलब मै अम्मा और नीता  तुमसे मिलने आना चाहते थे वो हम सोच रहे की तुम शौर्य के साथ आओगी लेकिन तुम आयी नहीं इसलिए , हमने सोचा हम आ जाते है”

“हाँ आंटी यहां गुंजन भी वेट कर रही थी इसलिए और आप आइए कभी भी “

“तो हम फिर शाम को आयेंगे “

“ठीक है ” यशिका ने कहा और फोन रख दिया

क्रमशः

अगले भाग के साथ जल्दी ही मिलूंगी

धन्यवाद

स्वरचित

काल्पनिक कहानी

अनु माथुर ©®

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