अमित शाह का स्वर्गवास हो जाता है, और यशिका शौर्य से कंपनी मर्जर करने की बात करने के लिए रंधावा के ऑफिस आती है
अब आगे:
यशिका शौर्य के साथ कैब में बैठकर अपने घर की ओर जा रही थी। बारिश थोड़ी हल्की हुई तो यशिका ने विंडो खोली बारिश की बूंदें उसके चेहरे पर गिर रही थीं, और वह मुस्कुरा रही थी।
“आपको बारिश पसंद है “? शौर्य ने पूछा
“ये कैसा सवाल है ? बारिश सबको पसंद होती है ,आपको नहीं पसंद बारिश ? ” यशिका ने कहा और अपना हाथ विंडो से बाहर निकाल दिया
“हाँ पसंद है मुझे बारिश में भीगना मुझे अच्छा लगता है और फिर उसके बाद चाय वो भी पकौड़ों के साथ आहा मज़ा आ जाता है और उस पर अम्मा के हाथ के पकौड़े आपको पता है अम्मा बहुत अच्छे पकौड़े बनती है किसी दिन आप चलना “
यशिका बस मुस्कुरा दी …
कुछ देर बाद वो लोग द क्राउन पहुँच गए कैब गेट के अंदर आ गई थी । अभी बिल्डिंग में बहुत कम लोग थे तो कैब को गेट के अंदर ले जाने में कोई समस्या नहीं थी । यशिका ने शौर्य को थैंक्स कहा और बिल्डिंग के अंदर की तरफ जाने लगी तभी फिर से बारिश होने लगी यशिका ने पलट कर देखा तो शौर्य कैब से बाहर खड़ा हुआ बारिश में भीग रहा था ।
यशिका ने उसे आवाज़ दी” मिस्टर रंधावा” लेकिन बारिश तेज़ थी शौर्य को आवाज़ सुनाई नहीं दी वो आसमान की तरफ देख रहा था उसने अपने दोनों हाथों को फैला रखा था जैसे कि बारिश की महसूस कर रहा हो
यशिका ने अपने माथे पर हाथ रखा और मन में ही बोलो ” अरे ये कौन सा टाइम है भीगने का और ये कौन वाला कहाँ जा रहा है? ये मिस्टर रंधावा भी ना समझ ही नहीं आते कभी कभी मुझे ।
यशिका ने वहाँ खड़े हुए वॉचमेन से पूछा कि छतरी है उनके पास वॉचमेन ने छतरी लाकर उसे दी …यशिका शौर्य की तरफ बढ़ गई और उसके पास जा कर बोली ” मिस्टर रंधावा आप क्या कर रहें है ऐसे शाम के टाइम कोई भीगता है क्या “? ये लीजिए छाता और कैब कहाँ गई “?
शौर्य ने यशिका की आवाज़ सुनकर उसकी तरफ देखा यशिका के चेहरे पर बारिश की कुछ बूंदें थी उसके बाल बारिश से थोड़ा सा भीग गए थे शौर्य ने उसके हाथ में पकड़े हुए छाते को पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींचा , छाते के साथ यशिका भी शौर्य की तरफ दो कदम आगे हो गई । शौर्य मुस्कुराया तो यशिका ने थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा ” मिस्टर रंधावा ये कोई समय है भीगने है अरे आप बीमार हो जायेंगे”
“तो कोई बात नहीं आप मुझे मेडिसन दे देना ” शौर्य ने कहा
“और कैब कहाँ गई आपकी “
“उसे मैने भेज दिया “
” अरे !! पहले आप चलें यहाँ से चलिए कह कर यशिका ने उसका हाथ पकड़ा और उसे बिल्डिंग के अंदर ले आई उसने वॉचमैन को छतरी वापस की और बोली “आप चलिए मेरे साथ इतना भीग गए है “
यशिका शौर्य को अपने साथ रूम में ले आई थी
शौर्य बस उसे देख रहा था “अरे आप देख रहे है ये टॉवेल ले “
यशिका शौर्य को टॉवेल देखकर खुद अंदर चली गई
थोड़ी देर में यशिका बाहर आई तो उसके हाथ में एक ट्राउजर और टी शर्ट थी वो शौर्य को देते हुए बोली “आप चेंज कर लो वरना ठंड लग जाएगी आपको “
“आप ये सब भी रखती है “?मतलब बॉयज के कपड़े “? शौर्य ने कपड़ों को देखते हुए पूछा
“नहीं मै क्यों रखूंगी ये तो देविका है उसे बॉयज के कपड़े अच्छे लगते है” शौर्य ने यशिका की तरफ देखा “मतलब ढीले
ढाले कपड़े वो घर में ये ही पहनती है और ये नए है “
शौर्य ने कपड़े लिए और बोला ” यहाँ तो चेंज नहीं करूंगा मैं वैसे मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है “
यशिका ने मुंह बनाया और इशारे से वॉशरूम दिखाया शौर्य वॉशरूम में चला गया
यशिका किचेन में गई और चाय बनाने के लिए रख दी । उसने शौर्य की बात को याद करते हुए पकौड़े भी बनाने की तैयारी कर ली ।
उधर अभिमन्यु ऑफिस से निकलने की तैयारी में था कि यश का फोन आया
“भाई आप निकले क्या “?
“हाँ बस निकल ही रहा हूँ “
,”तो मै भी चलता हूँ मेरा भी काम ख़तम हो गया है “
ठीक है तुम पार्किंग में मिलो कह कर अभिमन्यु ऑफिस से बाहर आया और पार्किंग में आया और यश का वेट करने लगा वो अपना फोन स्क्रॉल कर रहा था तभी उसकी नज़र देविका के नाम पर रुक गई उसने देविका को कॉल किया
देविका ने कॉल पिक किया और बोला
“हैलो”
“देविका कहाँ हो आप “?
मैं ऑफिस के बाहर हूँ क्या हुआ ?
” कुछ नहीं कैसे जा रही हो आप ?
“देख रही रही हूँ कैब लेकिन मिल नहीं रही है कुछ काम था आपको “?
“नहीं… हाँ …वो मैं सोच रहा था कि आप रुको मैं पिक कर लेता हूँ आपको मै बस निकल ही रहा हूँ “
“नहीं सर मिल जाएगी कैब डोंट वरी “
“बारिश तेज़ है देविका और आपका ऑफिस ज़्यादा दूर नहीं है आप रुको मैं आता हूँ “
“ठीक है सर ” देविका ने कहा
तभी अभिमन्यु को यश आता हुआ दिखाई दिया उसके साथ गुंजन भी थी ।
यश अभिमन्यु के पास आया और बोला ” भाई इनको भी घर ड्रॉप कर देंगे बारिश है और इनके पास ये सब सामान भी है , सब लोग जल्दी चले गए तो मै इनको ले आया “
गुंजन ने अभिमन्यु को देख कर “हैलो “बोला तो अभिमन्यु बोला “हाँ ठीक है बैठो हमको देविका को भी पिक करना है….”
” दी को पिक करना है मतलब ” गुंजन ने पूछा
“अरे वो कैब नहीं मिल रही है उनको तो मैने बोला मैं पिक कर लेता हूँ अभिमन्यु ने गाड़ी में बैठते हुए बोला “
यश अभिमन्यु के साथ गाड़ी में बैठ गया और गुंजन पीछे बैठ गई कुछ देर में वो सब शाह ग्रुप के ऑफिस के बाहर थे …. अभिमन्यु ने गाड़ी साइड में लगाई और गाड़ी से उतर के दरवाज़ा खोला देविका के हाथ में कुछ फाइल्स और पेपर थे …अभिमन्यु ने उसके हाथ से सब लेकर उसको बैठने के लिए बोला अंदर देविका ने गुंजन को देखा तो बोली
“गुन्नू तुम “
“वो सर ने बोला मेरे साथ चलो वो छोड़ देंगे तो इसलिए “
“आप लोग बातें गाड़ी में कर लेना अभी बैठो ” अभिमन्यु ने कहा
देविका गुंजन के साथ बैठ गई
“ये गुन्नू नाम बड़ा अच्छा है ” यश ने कहा
गुंजन ने देविका की तरफ देखा तो देविका मुस्कुरा दी गुंजन ने धीरे से कहा ” दी आपको ये नाम लेना ज़रूरी था “
“अरे अच्छा नाम है उसमें क्या है , ये तो ऐसे ही बोल रहा है , वैसे मैने सुना किसी ने यश को भी नाम दिया है “मोटी बुद्धि “अभिमन्यु ने कहा और यश की तरफ देख कर मुस्कुरा दिया “
“भाई आप ड्राइव करें नहीं तो मै कर लेता हूँ आप ये सब बातें कर लें “
“यश की बात सुनकर देविका और गुंजन हँस दी “
“आप लोग सेटल हो गए ना नए घर में ? ” अभिमन्यु ने पूछा
“हाँ सब सेट हो गया है और ये तो ऑफिस के पास है तो कोई प्रॉब्लम भी नहीं है ” देविका ने कहा
बातें करते करते वो लोग “द क्राउन “तक आ गए … अभिमन्यु ने गाड़ी साइड में लगाई और उतर कर देविका की तरफ का दरवाज़ा खोला यश भी गाड़ी से उतर गया था… देविका ने अपना सामान लिया तो अभिमन्यु बोला ” आप रहने दो हम ले चलते हैं ..”यश “उसने पुकारा
“अरे नहीं सर आपने यहाँ तक ड्रॉप कर दिया वही काफी है हम ले जाएंगे कोई प्रॉब्लम नहीं है ” देविका न कहा
“हाँ पता है आप ले जाओगे , फिर भी हम छोड़ देते है “
देविका ने फिर कुछ नही कहा कुछ सामन यश ने लिया और कुछ अभिमन्यु ने लिफ्ट से होते हुए सब रूम के सामने पहुँचे देविका के पास घर की चाबी थी उसने दरवाज़ा खोला तो गुंजन बोली ” आइए ना सर चाय पी कर जाइयेगा” कहते हुए वो अंदर की तरफ जाने लगी ….. अरे नहीं हम चलते हैं ” अभिमन्यु ने कहा यशिका उस वक़्त चाय छान रही थी शौर्य उसके पास ही खड़ा था…. शौर्य ने अभिमन्यु की आवाज सुनी उसने यशिका को बाहर आने के लिए बोला यशिका शौर्य के साथ लिविंग रूम तक आई तो देखा बाहर अभिमन्यु और यश हैं
देविका और गुंजन ने पलट कर देखा शौर्य और यशिका खड़े थे ।
शौर्य ने अभिमन्यु को देख कर कहा “तुम यहाँ “?
अभिमन्यु ने शौर्य को ऊपर से नीचे देखा और थोड़ा सा मुस्कुराते हुए बोला ” और तुम यहाँ वो भी इन कपड़ों में “? कहते हुए वो अंदर आ गया
शौर्य ने ध्यान ही नहीं दिया था कि वो क्या पहने हुए है
अभिमन्यु शौर्य के पास आया और बोला ” क्या माजरा है तुम तो बोल रहे थे कि अभी कुछ नहीं है ऐसा वैसा “?
“चुप करो तुम वो तो मै भीग गया था “शौय ने उसे घूरते हुए कहा
अभिमन्यु और देविका को तो पता था शौर्य और यशिका के बारे में लेकिन यश और गुंजन दोनों को देख रहे थे
गुंजन यशिका के पास गई और बोली ” “दी अपने बताया नहीं कि ये सब .. और ये मिस्टर रंधावा आपके साथ “
यशिका चुप थी उसको कुछ बोलते हुए ना देख कर देविका ने उसे अपनी तरफ खींचा और बोली “गुन्नू ये ना एक दूसरे को पसंद करते है “
“पसंद करते हैं मतलब “?
“अरे बुद्धू लव शव और क्या ” देविका ने कहा
हैं??? गुंजन ने थोड़ा हैरान होते हुए कहा
“हैं वै कुछ नहीं तुम्हारे होने वाले जीजाजी है ये ” अभिमन्यु ने शौर्य को पकड़ते हुए कहा
“क्या मिस्टर रंधावा मेरे जीजाजी … दी ये सब कब हुआ ? …और मुझे नहीं बताया किसी ने “?
“मुझे भी नहीं” यश ने कहा
“सब बात तुम्हें बतानी ज़रूरी है क्या ?”अभिमन्यु ने उसके सिर पर मारते हुए कहा
यश हँसते हुए अपना सिर सहलाने लगा
यशिका थोड़ा शर्मा रही थी शौर्य मुस्कुरा रहा था देविका ने अपना सामन रखा और बोली ” बैठो आप सब हम लोग चाय ले कर आते है ” चलो मैडम तुम्हें तो हम बाद में देखेंगे “देविका ने कहा और यशिका को लेकर किचन की तरफ चली गई ।
कुछ देर में यशिका के साथ देविका और गुंजन चाय और पकौड़े ले आयी थी ।
सबने बैठ कर चाय और पकौड़े खाए कुछ देर बात करके शौर्य और अभिमन्यु जाने के लिए खड़े हुए तो शौर्य ने जाते वक़्त कहा ” देविका ये आपके कपड़े मै बाद में दे दूँगा”
“कोई बात नहीं सर आप रख लें कोई परेशानी नहीं है “
शौर्य अभिमन्यु और यश के साथ बाहर आ गया
अभिमन्यु ने गाड़ी में बैठ कर शौर्य से पूछा ” क्या शौर्य साहब आप तो बड़े ही फास्ट निकले घर भी पहुँच गए यशिका के और वो भी ये कपड़े चाय पकौड़े क्या बात है “
“अरे मैं नहीं जा रहा था वो तो यशिका ही ले गई “
“अच्छा और आप चले भी गए “
“हाँ तो और क्या करता “
“वैसे आपकी गाड़ी कहाँ है “?
“वो रस्ते में खराब हो गई” कह कर शौर्य ने सारी बात बता दी
“ओह क्या टाइम पर हुआ न सब कुछ ” अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए कहा
“मेरी छोड़ें मुझे तो लाइसेंस मिल गया है आप अपनी बताएं ?, क्यों यश पूछो अपने भाई से क्या चल रहा है देविका के साथ “
“मेरी क्या पूछोगे पहले यश से पूछो ये बड़ा आजकल गुंजन के साथ घूम रहे है , बेटा क्या चल रहा है ये सब ?? उस दिन “द रॉयल्स “में और आज यहाँ ये गुंजन को लेकर आए थे अपने साथ पूछो इनसे क्या चल रहा है ?
“कुछ नहीं चल रहा आप दोनों ना अपना दिमाग़ मत लगाओ ज्यादा कुछ होगा तो मैं बता दूंगा ,पहले आप तो शौर्य भाई की बात का जवाब दो कहीं आप देविका जी को मेरी भाभी बनाने के फेरे में तो नहीं हो “?
“हो सकता है यश , वैसे ये तुम्हारा भाई आजकल काफी बातें करता है देविका से और अक्सर मिलने भी जाता रहता है “शौर्य ने अभिमन्यु को देखते हुए कहा
“अरे वो तो काम के सिलसिले में बस “
“बस काम के सिलसिले में और आज कौन सा काम था ” शौर्य ने पूछा
“काम नहीं था वो तो बारिश हो रही थी तो मैने पूछ लिया अब यशिका तुमसे मिलने आई थी तो मुझे लगा वो अकेली जाएंगी घर तो मैने पूछ लिया “
” अच्छा ये ख़्याल यश के लिए नहीं आया तुम्हें ? देखा यश तुम्हारे भाई को तुम्हारा ख्याल नहीं आया “?
“अरे बस करो तुम यार हाँ अच्छी लगती है मुझे देविका लेकिन ऐसा वैसा कुछ नहीं है “
“हाँ ठीक है तो मैने कब कुछ कहा अच्छी ही लगती हैं ना… यश बस अच्छी लगती है देविका अभी को ” कह कर शौर्य हँस दिया और साथ में अभिमन्यु भी “।
अभिमन्यु ने शौर्य को रंधावा मेंशन छोड़ा और खुद अपने घर की तरफ चला गया ।
क्रमशः
अगले भाग के साथ जल्दी ही मिलूंगी ….
धन्यवाद
स्वरचित
काल्पनिक कहानी
अनु माथुर ©®