अब तक आपने पढ़ा :
शौर्य और यशिका के बीच थोड़ी गलतफहमी दूर हुई और सुजीत त्रिपाठी शौर्य से मिलने ऑफिस आते है
अब आगे :
अभिमन्यु अपने घर पहुँचता है तभी सिराज का फोन आता है
“हाँ सिराज बोलो “
” सर जिस गाड़ी की बात आप कर रहे है वो मिल गई है और उसके ड्राइवर को पकड़ लिया है लेकिन उसने बताया कि वो गाड़ी दो दिन के लिए गैरेज में थी उसने बिल भी दिखाए और मैने पता भी किया तो पता चला कि किसी चन्दर नाम के आदमी ने ये गाड़ी ली थी और वो राकेश जी के लिए काम करता है ।
“ह्म्म मतलब ये जान के किया गया है डराने के लिए उसको बस पास से गुजराने को बोला होगा “
“हाँ सर आप कहें तो चंदर को पकड़े “
“नहीं रहने दो …फिलहाल अभी वो कुछ नहीं करेगा लेकिन उस पर नज़र रखने के बोलो “
“ठीक है सर और कुछ “?
“नहीं “
“ओके सर”
” ये ज्ञानचंद को लगता है सबक सिखाना पड़ेगा ” अभिमन्यु ने अपने मन में ही सोचा ।
अभिमन्यु ने शौर्य को फोन केके सब बता दिया।
रंधावा मेंशन
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शौर्य घर आया और डिनर करके अपने रूम में चला गया ,वो आज हुई सुजीत त्रिपाठी से मिलने वाली बात सोच रहा था , उसने कुछ सोचा और श्याम जी के कमरे में जाकर नॉक किया
“आ जाओ ” श्याम जी ने अंदर से कहा
शौर्य अंदर आया तो श्याम जी ने उसे देख कर कहा ” शौर्य “
“पापा आपसे कुछ बात करनी थी आप स्टडी में आयेंगे मै बाउजी को भी बुला लेता हूँ “
“ठीक हैं आता हूँ ” श्याम जी ने कहा
शौर्य रघुवीर जी को बुलाने चला गया
तीनों स्टेडी रूम में आ गए और बैठ गए
“बोलो शौर्य “श्याम जी ने कहा
“पापा आज …. सुजीत अंकल ऑफिस आए थे “
सुजीत का नाम सुनते ही श्याम जी ने एक नज़र शौर्य को देख और अपनी चेयर पर से खड़े हो गए और जाने लगे
“तुम उसकी बात तो सुनो “रघुवीर जी ने कहा
“क्या सुनें यही की उसने कुछ नहीं किया था… पता है ना आपको की क्या हुआ था ….इतना बड़ा धोखा दिया उसने दोस्त मेरा और वो अमित शाह के यहां काम कर रहा था… चलो वो भी कोई बात नहीं ….मेरे से दोस्ती का नाटक करके सारी इन्फोर्मेशन दे दी वो तो बस कुछ ईश्वर की कृपा रही की मैने उसे ज़्यादा कुछ बताया नहीं… वरना मेरी इस दोस्ती की वजह से बाउजी की जिंदगी भर की मेहनत और इस आर .आर. ग्रुप को कोई बचा ही नहीं सकता था .. सड़क पर आ गए होते हम ना ही ये आर आर ग्रुप होता और ना ये सब ” कहते हुए श्याम जी की आवाज़ तेज ही गई थी “
“पापा आप बैठिए प्लीज़” शौर्य ने उठकर श्याम जी को चेयर पर बैठाया और वहाँ रखा हुआ पानी का गिलास उनकी दिया श्याम जी ने एक घूंट पानी पिया और ग्लास वही रख दिया
शौर्य ने शांत हो कर कहा ” पापा वो ये बताने आए थे कि ज्ञानचंद ने कुछ लोगों को अपनी तरफ करके एक टीम बना ली है और वो हमें नुकसान पहुँचा सकता है “
श्याम जी ने उसकी तरफ देखा और बोले ” अच्छा उसको अब हमारे फायदे नुकसान की चिंता होने लगी “
” श्याम तुम एक मिनट शांत रहोगे …शौर्य की पूरी बात सुनो पहले ” रघुवीर जी ने कहा
“बाउजी वो अभी कुछ दिनों पहले यशिका के साथ कह कर शौर्य ने सारी बात उन दोनों को बता दी”
” ये सब हुआ और तुमने हमें बताया नहीं ” श्याम जी नीच गुस्सा होते हुए कहा
“हाँ वो मैं सोच रहा था लेकिन सही समय नहीं मिला “
“तो सुजीत को कैसे पता चला कि ज्ञानचंद ऐसा कुछ कर रहा है ” रघुवीर जी ने पूछा
“ज्ञानचंद की टीम में करतार सिंह भी है उसने बुलाया था उनको ….और यशिका किडनैप करने का प्लान बना रहा है वो “
“क्या यशिका को “?
“हाँ क्योंकि उनको पता चल गया है कि शाह ग्रुप रंधावा के साथ मिलकर काम कर रहे है और ज्ञानचंद एक दिन गया था यशिका से मिलने , लेकिन तब यशिका ने बोला था कि सब रंधावा देख रहे है तो उनसे ही बात करें “
“और वो हमसे तो बात करेगा नहीं ” श्याम जी ने कहा
“तुमने यशिका की सेफ्टी के लिए “
“वो तो मैने पहले ही कर रखा है उसकी चिंता आप मत कीजिए “
“पापा एक बात और करनी थी आपसे मतलब बतानी है वो….. अमित सर को कैंसर है और उनकी तबियत ठीक नहीं है “
“क्या ये सब कैसे ” ?
शौर्य ने सारी बात श्याम जी को बतायी और ये भी की किस किस को पता है श्याम जी थोड़ा नाराज़ हुए क्योंकि उनके अलावा सबको ही पता था
शौर्य श्याम जी के पास गया और उनके सामने रखी हुई चेयर पर बैठ गया उसने श्याम जी कहा ” पापा सुजीत अंकल ने कुछ नहीं किया था वो सारी इन्फोर्मेशन आपकी कंपनी में काम करने वाले अजय दीवान ने दी थी , उस वक्त सब डिजिटल तो था नहीं वो जो कोटेशन के पेपर्स ले कर गया उसी वक़्त सुजीत अंकल भी वहीं थे वो उनसे टकराया और सारे पेपर्स वहीं बिखर गए , अजय दीवान सुजीत अंकल को देख कर भाग गया सुजीत अंकल ने पेपर्स देखे और उन्हें वापस से फाइल में रख दिया उसी वक़्त आपके आदमी ने जो अजय का पीछा कर रहा था उसने अंकल को पेपर्स के साथ देखा और आपको ये लगा कि अंकल ने उन्हें वहां से निकलवाया है “
श्याम जी ने शौर्य को देखा ” पापा ये ही सच है , अंकल ने कुछ किया ही नहीं और अपने उनसे पूछा भी नहीं “?
“क्या पूछता जब सब सामने था “
“श्याम कभी – कभी जो हम देखते है वो सच नहीं होता “रघुवीर जी ने कहा
“आपको पता था “श्याम जी ने पूछा
“नहीं लेकिन लेकिन मुझे शौर्य की बातों पर भरोसा है “
“पापा वो आज भी आपके दोस्त हैं वरना वो क्यों आते मेरे पास वो दे सकते थे करतार सिंह का साथ “
” ह्म्म ” श्याम जी ने इतना ही कहा और कमरे से बाहर चले गए
“वो ठीक हो जाएगा अब सच पता चला है तो थोड़ा बुरा उसे भी लग रहा होगा, तुम अब जय सो जाओ हम कल बात करेंगे रघुवीर जी ने मुस्कुरा कर शौर्य से कहा और उसके कंधे को थपथपाया।
शौर्य ने हाँ कहा और गुड नाइट कह कर अपने कमरे में चला गया ।
शाह ग्रुप के ऑफिस में
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देवेश ने यशिका को बताया कि दो दिन बाद एक एनवाल मीटिंग होने वाली और उसमें सारी कंपनी के सीईओ आयेंगे , ये बहुत अच्छा मौका है सबसे मिलने का और बिज़नस को बढ़ाने का और उसे जाना चाहिए ।यशिका ने जाने के लिए हाँ बोल दिया ।
उसने पूछा ” बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में से कोई आयेगा “?
“आ सकते है इनविटेशन तो उनकी भी गया है ” दिनेश ने कहा
“आपको चलना होगा मेरे साथ क्योंकि मैं किसी को नहीं जानती “
” जी मैं चलूंगा ”
” ठीक है कितने बजे तक चलना
होगा “
” सात बजे का टाइम है तो उस हिसाब से निकल जाएंगे मै पिक कर लूंगा आपको घर से “
“ठीक है दिनेश” ने कहा
यशिका ने घर आकर देविका और गुंजन को बताया कि वो।दो दिन बाद एनवाल मीटिंग में जाने वाली है । शौर्य ने यशिका को मीटिंग के बारे में बताया और आने के लिए बोला ।
दो दिन बाद एनवाल मीटिंग
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एनवाल मीटिंग मुंबई के फाइव स्टार होटल ” हिलपार्क” में थी दिनेश यशिका के साथ ठीक समय पर वहाँ पहुंच गया था , दिनेश को लोग जानते थे क्योंकि वो अमित शाह साथ रहता था । दिनेश यशिका का इंट्रोडक्शन सबसे करवा रहा था ।
यशिका सबसे मिलकर वहाँ रखी हुई खाली टेबल पर बैठ गई दिनेश भी वहीं बैठ गया वेटर उसे और दिनेश को कोल ड्रिंक सर्व करके चला गया ।
तभी कुछ शोर सा हुआ दिनेश ने देखा और बोला ” शौर्य रंधावा आए होंगे “
” इतना शोर उनके लिए “?
“हाँ नाम है उनका और शौर्य रंधावा का तो अलग ही औरा है “
“ह्म्म इतना कि भारतमाला प्रोजेक्ट में उन्हें शाह ग्रुप के साथ हाथ मिलना पड़ा ” यशिका ने कहा तो दिनेश हँस दिया
शौर्य और अभिमन्यु दोनों ही लोगों में घिरे हुए थे यशिका दोनों को देख रही थी शौर्य कभी किसी से बात करता तो कभी किसी से अभिमन्यु भी बात करने में बिज़ी था तभी शौर्य की नजर सामने गयी जहाँ यशिका बैठी थी वो मुस्कुराया और सामने जा रहे वेटर से एक सॉफ्ट ड्रिंक का गिलास लेकर लोगों को हटा कर यशिका की तरफ बढ़ गया ।
“हैलो “शौर्य ने यशिका को कहा और वहीं टेबल पर बैठ गया ।
दिनेश ने शौर्य को हैलो बोला और वहाँ से उठकर चला गया ।
यशिका ने अपने ग्लास में से एक सिप लिया और बोली ” फ्री हो गए आप “?
“आपके लिए तो मै हमेशा फ्री हूँ “शौर्य ने उसे देखते हुए कहा
यशिका के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई
शौर्य ने कहा ” वो पूछते भी है हाल तो ऐसे जैसे ग़ैर है हम “
यशिका ने शौर्य को देखा तभी किसी ने पुकारा ” मिस्टर रंधावा “
शौर्य ने पीछे मुड़ कर देखा तो ज्ञानचंद खड़े थे
“आप यहाँ है और हम आपको कहाँ कहाँ ढूंढ रहे है , अरे आप भी यहाँ है मिस यशिका गुप्ता “
ज्ञानचंद वहीं टेबल पर बैठ गया ।
क्रमशः
अगले भाग के साथ जल्दी ही मिलूंगी
धन्यवाद
स्वरचित
काल्पनिक कहानी
अनु माथुर ©®