यशिका को पता चल गया है कि अमित शाह हॉस्पिटल में एडमिट है … वो उनसे मिलने आती ही और वहाँ पर उसकी मुलाक़ात शौर्य से होती है
अब आगे ..
देविका को पकड़े हुए यशिका बस रोए जा रही थी … शौर्य रूम से बाहर आया उसने एक नर्स को बुलाया था नर्स आयी तो शौर्य ने उसको बोला कि आप रही मैं अभी कुछ देर में आता हूँ नर्स ने हाँ कहा और अंदर चली गयी
शौर्य यशिका और देविका के साथ कैफेटेरिया में आ गया , यशिका थोड़ी शांत हुयी शौर्य ने उसे पानी दिया और चाय ऑर्डर के दी ।
यशिका ने पानी पिया और खाली आँखों से शौर्य की तरफ देखा ” आप परेशान मत हो , अब जो होना है वो हो चुका हैं, डॉक्टर्स भी कोशिश कर रहे है लेकिन आपको तो पता ही है कि .. शौर्य ने आगे कुछ नहीं कहा
“मिस्टर रंधावा सर कब से एडमिट है ? और आप रोज़ आते है यहाँ “? यशिका ने पूछा
“नहीं रोज नहीं …सर तीन दिन पहले एडमिट हुए है वैसे तो वो घर पर ही रहते है एक केयर टेकर है और दिनेश जाता है दोनों टाइम “
“दिनेश जी ने इतने दिनों से कुछ भी नहीं बताया हमें ” देविका ने कहा
“वो कैसे बताते जब सर ने मना कर रखा था ” शौर्य ने कहा
“अभी सर कब तक यहाँ रहेंगे “? यशिका ने पूछा
“वैसे तो वो ठीक है अब बाक़ी डॉक्टर जैसा बोलेंगे “
तभी शौर्य का फोन बजा
“हाँ अभी बोलो “
“शौर्य कहाँ हो तुम “?
“क्या हुआ “
“बारह बजे मीटिंग है याद है ना तुम्हें “?
“हाँ बस मै निकल ही रहा हूँ ” कह कर शौर्य ने फोन रख दिया
तब तक चाय आ गयी थी तीनों ने चाय पी शौर्य ने रिसेप्शन पर बात की और दिनेश को फोन किया । शौर्य यशिका और देविका के साथ हॉस्पिटल से बाहर आ गया और उसने पूछा ” आप को आपको छोड़ दूँ कहीं “?
“मिस्टर रंधावा आप आयेंगे शाम को हॉस्पिटल “? यशिका ने पूछा
“हाँ.. “
“क्या मैं आ सकती हूँ , मै मिलूंगी नहीं बस आना चाहती हूँ”
शौर्य ने ” हाँ ” बोला और कहा” मै ऑफिस तक छोड़ दूँगा आपको ” तब तक ड्राइवर गाड़ी ले कर आया और तीनों उस में बैठ कर ऑफिस के लिए निकल गए ।
शौर्य ने यशिका को शाह ग्रुप तक छोड़ा और फिर अपने ऑफिस के लिए निकल गया ।
दिन भर यशिका का मन ऑफिस में नहीं लगा , उसमें एक दो मीटिंग अटेंड की वो बस शाम होने का इंतजार कर रही थी चार बजते ही यशिका ने अपना बैग उठाया उसने एक मेसेज देविका को किया कि वो हॉस्पिटल जा रही है , देविका ने पूछा साथ चलने के लिए लेकिन यशिका ने मना कर दिया ।
यशिका ने कैब ली और हॉस्पिटल की तरफ जा ही रही थी कि शौर्य का कॉल आया
“हैलो “
“यशिका सर को घर ले जा रहे है आप बोल रहीं ना हॉस्पिटल आने के लिए तो अब मत आना आप “
“लेकिन मै तो निकल गई हूँ वहाँ आने के लिए “और पहुँचने वाली हूँ “
“ठीक है फिर आप आओ मैं दिनेश को उनके साथ भेज देता हूँ फिर आगे देखते है क्या करना है “
“ठीक है ” यशिका ने कहा और फोन कट कर दिया
कुछ देर में वो हॉस्पिटल के बाहर थी वो कैब से बाहर आयी.. कुछ दूरी पर शौर्य अपनी गाड़ी में बैठा हुआ था ड्राइवर ने उसको बोला कि मैम आ गयी है शौर्य ने अपना मास्क लगाया और गाड़ी से उतरा
यशिका इधर – उधर देख रही थी तभी शौर्य ने उसे पुकारा यशिका , यशिका ने उसकी तरफ देखा ,शौर्य ने उसे साथ चलने का इशारा किया और वो उसके साथ गाड़ी में आ के बैठ गयी।
“अब कैसे है सर?”
“ठीक है फिलहाल “
दोनों के बीच ख़ामोशी थी शौर्य ने पूछा “चलें “
यशिका ने कुछ नहीं कहा शौर्य ने ड्राइवर को गाड़ी ले चलने के लिए बोला
“आज आप जल्दी ऑफिस से आ गयी “
“मेरा किसी काम में मन नहीं लग रहा “
“ड्राइवर गाड़ी साइड में लगाओ “शौर्य ने कहा
ड्राइवर ने जगह देख कर गाड़ी साइड में पार्क की और खुद गाड़ी से उतर गया
शौर्य यशिका की तरफ घूमा और बोला ” देखो ऐसा नहीं चलेगा ऐसे आप अपनी तबियत खराब कर लोगी , और सब कर रहे है ना मै हूँ उनके साथ फिक्र करने की ज़रूरत नहीं है “
यशिका बस शौर्य की बात सुन रही थी
“आप मेरे घर चलोगी “?
शौर्य के अचानक पूछे इस सवाल से यशिका ने उसकी तरफ देखा
“वो मम्मी और अम्मा आपको याद कर रहीं थी , तो मैने सोचा कि आपको पूछ लूँ थोड़ा आपको अच्छा लगेगा सबसे
मिलकर , फिर मै छोड़ दूंगा आपको घर तक “
यशिका को कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसने बस हाँ कहा
शौर्य ने ड्राइवर को गाड़ी रंधावा मेंशन के जाने के लिए बोला , कुछ देर में शौर्य रंधावा मेंशन के गेट पर था
शाम का समय था तो रघुवीर जी कमला जी , श्याम जी और नीलिमा सब बैठे हुए चाय पी रहे थे शौर्य को यशिका के साथ आया हुआ कर सब एक दूसरे की तरफ देखने लगे
शौर्य ने सबको देखा और बोला ” क्या हुआ आप सब ऐसे क्या देख रहें हैं “?
“तुम और यशिका साथ में “? रघुवीर जी ने कहा
“अरे बाउजी मैं आज गया था शाह ग्रुप में तो ये आप सबके बारे में पूछने लगी , मैने कहा कि पूछना क्या है आप चलो मेरे साथ मिलवा देता हूँ सबसे ” शौर्य की बात सुनका यशिका ने उसकी तरफ देखा तो शौर्य उसे देख कर मुस्कुरा दिया
“हाँ याद तो हम करते ही है अच्छा हुआ शौर्य तुम ले आए ” नीलिमा ने सोफे पर से उठते हुए कहा वो यशिका के पास आयी
यशिका ने उन्हें और बाक़ी सबको हाथ जोड़कर नमस्ते कहा
नीलिमा यशिका को लेकर आ गयी और उसे सबके साथ बैठा दिया
नीलिमा ने एक नौकर को बोल कर चाय और नाश्ता लाने के लिए बोल दिया
कमला जी यशिका को देख कर मुस्कुरा रहीं थी और मन में न जाने कितने सपने उन्होंने बुन लिए थे
“और बेटा सब ठीक है ऑफिस कैसा चल रहा है ” रघुवीर जी ने पूछा
“जी सब ठीक है “
“अच्छा हुआ जो शौर्य तुम्हें ले आया वैसे भी हम तो मिलना चाह रहे थे तुमसे ” श्याम जी ने कहा
यशिका ने श्याम जी की तरफ देखा और मुस्कुरा दिया
“यशिका तुम्हारे घर में कौन – कौन है “?इस बार कमला जी ने पूछा
“जी सिस्टर है जिस से आप मिले थे उस दिन और मम्मी है पापा बहुत पहले ही हम सबको छोड़ कर चले गए थे “
तब तक नौकर चाय ले कर आ गया
“चलो पहले ये लो ” नीलिमा ने उसकी तरफ मिठाई की प्लेट बढ़ाते हुए कहा
यशिका का मन नहीं था उसने शौर्य की तरफ देखा शौर्य ने उसे पलके झुका कर लेने के लिए बोला यशिका ने प्लेट में से एक मिठाई का पीस उठा लिया
ये सब रघुवीर जी और बाक़ी सबने भी देख लिया
“और बेटा यहाँ कहाँ रहती हो आप “?श्याम जी ने पूछा
“बस यहाँ से कुछ दूर श्री निवास अपार्टमेंट है ना उसी में ” इस बार शौर्य ने कहा
श्याम जी ने उसकी तरफ देखा और बोले ” अच्छा वैसे मैने यशिका से पूछा था “
श्याम जी की इस बात पर शौर्य थोड़ा सा झेंप गया उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गयी, उसने अपने बालों पर हाथ फेरा और अपनी मुस्कुराहट की दबाने की कोशिश करने
लगा ।
अब तुम आयी हो डिनर करके जाना कमला जी ने कहा
” मै आपको अम्मा बुला सकती हूँ “? यशिका ने पूछा
हाँ क्यों नहीं शौर्य की अम्मा है तो तुम्हारी अम्मा ही हुए ना हम ” कमला जी ने कहा
जी , डिनर के लिए मै फिर कभी रुक जाऊँगी आज रहने दीजिए ” यशिका ने कहा
“ठीक है ” कमला जी ने कहा
सब बातें कर रहे थे कुछ देर बाद यशिका ने कहा ” आप सबसे मिलकर बहुत अच्छा लगा अब मुझे चलना चाहिए काफी देर हो गयी है “
“हमें भी और समय का पता ही नहीं चला ” कमला जी ने कहा
“शौर्य यशिका को घर तक छोड़ कर आओ और वो तुम्हे पता ही है बताने की जरूरत तो नहीं है “रघुवीर जी ने मुस्कुरा कर कहा
शौर्य मुस्कुरा दिया , यशिका सबसे मिलकर गाड़ी में बैठ गयी
सब अंदर आ गए तो रघुवीर जी ने कहा ” मुझे लगता है शौर्य की दुल्हन मिल गयी हमें “
“हाँ चलो अच्छा है अब बात आगे बढ़ाएंगे ” कमला जी ने कहा
“तो नीलिमा बेटा मुंह मीठा कराओ और हाँ आज खीर बनवाओ बढ़िया सी “रघुवीर जी ने कहा
“जी बिल्कुल बाउजी आप जैसा कहे “नीलिमा ने कहा
शौर्य यशिका को लेकर घर पहुंच गया था उसने गाड़ी रोकी तो यशिका ठीक लग रही थी , यशिका ने उसकी तरफ देखा और बोली ” थैंक्स मिस्टर रंधावा “
“शौर्य बस मुस्कुरा दिया “
यशिका गाड़ी में से उतरी तो शौर्य भी उतर गया यशिका जाने लगी तो शौर्य ने पुकारा ” यशिका “
यशिका घूमी तो शौर्य ने उसके पास आ कर कहा ” क्या हम डेट पर चल सकते है “? अगर आप ना भी कहोगी तो भी कोई बात नहीं “
यशिका ने उसकी तरफ देखा और बोली ” मिस्टर रंधावा आज के लिए थैंक्स , लेकिन डेट पर जाने के आप बोलेंगे तो उसके लिए मेरी ना है , अगर आप वैसे ही मिलना चाहते है तो मैं आपसे मिलने के लिए तैयार हूँ .
शौर्य मुस्कुरा दिया उसने अपनी गर्दन हिला कर हाँ कहा और बोला ” मै संडे आपका वेट करूंगा वहीं पहले वाली जगह पर ” कह कर उसने बाय किया और गाड़ी की तरफ बढ़ गया वो गाड़ी में बैठा और चला गया
यशिका घर आयी तब तक गुंजन और देविका भी आ गए थे ,यशिका कुछ रिलैक्स थी , शौर्य के घर जाकर उसे अच्छा लगा , उसने देविका को सब बताया और कुछ देर बात करके वो सो गयी।
शौर्य रंधावा मेंशन वापस आ गया था । वो अपने कमरे में गया और खिड़की पर खड़ा हो कर देखने लगा सूरज ढल चुका था , आज शौर्य को ढलते हुए सूरज में उदासी नहीं एक रोशनी की किरण दिख रही थी जो एक नया उजाला लेकर आएगी ।
क्रमशः
धन्यवाद
स्वरचित
काल्पनिक कहानी
अनु माथुर ©®