तुमसा नहीं देखा भाग – 20 – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा :

देविका की जॉब शाह ग्रुप में लग जाती है , शौर्य यशिका को कंपनी के मर्जर की बात करता है ।

अब आगे :

अमित शाह का घर

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दिनेश  अमित शाह से मिलने उनके घर आता है और उनको ज्ञानचंद और ऑफिस की सारी रिपोर्ट देता है ,अमित शाह उसकी को सुनकर यशिका की बात का समर्थन करते है ।

अमित शाह दिनेश को बोलते है कि उन्होंने पेपर्स देख लिए है और वो विल बन दे जैसा उन्होंने बोला है वैसा ।

दिनेश हाँ में सिर हिलाता है और चुप चाप बैठ जाता है

“क्या हुआ ” ? अमित शाह ने पूछा

“कुछ नहीं सर “

“फिर चुप क्यों हो “?

“सर मैं सोच रहा था कि आप यशिका मैम से मिल कर उन्हें बता दें कि आप अब नहीं आयेंगे ,वो रोज मुझसे पूछती है और मुझे फिर झूठ बोलना पड़ता है “

“हाँ बस ये विल बन जाए फिर मै बात करता हूँ यशिका से , दिनेश मैं चाहता हूँ कि तुम उसका साथ देना जैसे मेरा दिया “

“जी सर ये आपको कहने की ज़रूरत नहीं है “

“तुम्हें ऐसा तो नहीं लगता कि मेरा डिसीज़न गलत है “

“नहीं सर यशिका मैम से बेहतर इस कंपनी को कोई नहीं संभाल सकता वो बिल्कुल ऐसे कंपनी देखती है जैसे उनकी ही हो ,

अमित शाह मुस्कुरा दिए” मेरा डिसीज़न सही है “उन्होंने मन में ही बोल “

“सर मै चलता हूँ और प्रकाश जी को बोल देता हूँ कि वो विल बन दें “

“ठीक है “

दिनेश बात करके चला गया

कुछ दिन सब ठीक चलता रहा  ,  देविका ने शाह ग्रुप ज्वाइन कर लिया था वो यशिका के साथ ही ऑफिस आ जाती थी और उसी के साथ जाती थी

शौर्य कभी- कभी यशिका को मेसेज कर देता था कभी यशिका जवाब देती कभी नहीं दोनों के बीच नोक – झोंक चल रही थी

शाह ग्रुप के ऑफिस में

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देविका ने यशिका के केबिन में नॉक किया और अंदर चली गयी

यशिका ने उसे देखा तो पूछा” क्या हुआ “

“यशी ये बिल्डिंग का जो डिज़ाइन है ना मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा” कहते हुए उसने ब्लू प्रिंट को पास वाली टेबल पर फैला दिया

“क्यों क्या हुआ इसमें “?

देविका ने यशिका को  प्रॉब्लम बताई तो यशिका ने कहा” देविका ये ब्लू प्रिंट रंधावा ग्रुप के आर्किटेक्ट्स ने बनाया है , तो सही ही होगा “

“हाँ ठीक है उन्होंने बनाया है और मुझे पता है वो लोग एक्सपर्ट है लेकिन मुझे भी इस फील्ड में काम करते हुए बहुत टाइम हो गया है और मुझे ये लगता है कि एक बार इस ब्लू प्रिंट को दोबारा से देखना चाहिए ।”

“मै दिनेश जी को बुलाती हूँ “

दिनेश केबिन में आया तो देविका ने उसे अपनी बात कही दिनेश ने कहा” आप एक बात शौर्य सर या अभिमन्यु सर से बात कर लें ,वो उनके आर्किटेक्ट्स ने बनाया है तो वो ही हैंडल कर लेंगे “

“हाँ ऐसा करो  शौर्य सर को फोन करो ” देविका ने कहा

“कौन मैं करूं फोन “?  यशिका ने पूछा

“और कौन करेगा तुम बॉस हो इस कंपनी की “

“दिनेश जी आप के दीजिए फोन “

“मैम फोन आपको करना चाहिए ” दिनेश ने कहा

“कर लो ना ” देविका ने थोड़ा जोर देते हुए कहा

यशिका ने बुरा सा मुंह बनाया और अपनी टेबल पर रखे हुए फोन से शौर्य का  नंबर डायल कर दिया

शौर्य मीटिंग में बिज़ी था उसका फोन बजा तो उसने एक नज़र फोन को देखा

यशिका का नाम। देख कर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी, पास में बैठे हुए अभिमन्यु ने उसे देखा तो वो मन में सोचने लगा ” इतना सीरियस टॉपिक चल रहा है और ये मुस्कुरा क्यों रहा है “

उसने अपनी आइब्रो ऊंची करके शौर्य से पूछा “कि क्या

हुआ “?

शौर्य खड़ा हुआ और बोला ” आप लोग कंटिन्यू करे मै अभी आता हूँ अर्जेंट कॉल है”

सब ने एक दूसरे की तरफ हैरानी से  देखा क्योंकि आजतक कभी शौर्य ऐसे मीटिंग के बीच में से उठ कर नहीं गया था

अभिमन्यु ने बात को संभालते हुए कहा ” तो हम आगे बढ़ते  हैं क्या कह रहे थे आप सक्सैना सर “

शौर्य ने फोन पिक किया और बोला

” हैलो.. आखिर आपको मेरी याद आ ही गयी”

“हैलो मिस्टर रंधावा आप दो मिनट फ्री है मै आपसे बात कर सकती हूँ”

“आपके लिए तो मै हमेशा फ्री हूँ बताएं”

” इसलिए मैं बात नहीं करती हूँ इनसे “उसने मन में सोचा फिर कहा “आप शाह ग्रुप आ सकते है “?

“आप बुलाएं और हम ना आएं ऐसा तो हो ही नहीं सकता बिल्कुल आ सकते है , आपका मन कर रहा है मिलने का “

“मिस्टर रंधावा हम जिस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे है उसके बारे में बात करनी है “

“अरे छोड़िए प्रोजेक्ट वो सब हो जाएगा कभी आप हमारे बारे में भी बात कीजिए “

” देखिए मिस्टर रंधावा अभी जो हम प्रोजेक्ट साथ में कर रहे है उसके डिजाइन को लेकर देविका को कुछ बात करनी है , तो प्लीज़ आप ये बेकार की बातें करके समय खराब ना करें, और आप कितनी देर में आ रहे है ये बताएं “?

“बस मैं कुछ देर में आता हूँ अभी एक मीटिंग में हूँ  “

“ठीक है आप लंच टाइम तक आ जाएंगे ?”

“आप लंच के लिए इनवाइट कर रहीं है तो क्या आज हम लंच साथ में करें “?

यशिका ने एक पल के लिए अपनी आँखों को बंद किया और फिर बोली ” ठीक है ,आप आएं ।

ओके बाय …

बाय यशिका ने फोन रखा और देविका को बताया कि शौर्य मीटिंग में है और लंच टाइम तक आ जाएंगे  ।

यशिका से बात करके शौर्य वापस मीटिंग रूम में आ गया , शौर्य अभिमन्यु के पास वापस से  बैठ गया अभिमन्यु ने उस से इशारे में  पूछा किसका फोन था तो शौर्य ने उसे कॉल लॉग  दिखा दिया अभिमन्यु हल्के से मुस्कुरा दिया

मीटिंग ख़त्म हुई शौर्य ने अभिमन्यु को सब बात बताई और उसके साथ शाह ग्रुप की पहुँच गया ।

लंच टाइम था तो शाह ग्रुप के लगभग  सभी लोग कैफेटेरिया में थे , देविका अभी यशिका के साथ ही थी और कुछ पॉइंट्स को लेकर बात कर रही थी शौर्य ने यशिका के केबिन में नॉक किया

“कम इन ” यशिका ने कहा

शौर्य अभिमन्यु के साथ अंदर आ गया

यशिका और देविका को देख कर शौर्य और अभिमन्यु ने दोनों को हैलो बोला यशिका ने सामने रखे हुए साफे पर उनकी बैठने का इशारा किया

शौर्य ने कहा ” पहले हम लंच करेंगे फिर कुछ बात वो क्या है मैने नाश्ता नहीं किया था आज उसके ये कहने पर अभिमन्यु ने उसे देखा और सोचने लगा “कितना झूठ बोलने लगा है ये मेरे साथ ही नाश्ता किया है इसने आज “

शौर्य ने उसकी तरफ देखा और अभिमन्यु को कुछ ना बोलने के लिए इशारे में ही बोला

“देविका ने बोला हाँ ठीक है पहले लंच के लेते है , तो मिस्टर रंधावा आप कहां लंच करना पसंद करेंगे यहीं या कैफेटेरिया में “?

“जहाँ आप चाहे मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है” शौर्य ने यशिका की तरफ देखते हुए कहा

यशिका ने कैफेटेरिया में जाना ही ठीक समझा वो बोली “तो ठीक है हम कैफेटेरिया में ही चलते है “

सब दरवाज़े से बाहर निकलने लगे अभिमन्यु और देविका जैसे ही बाहर गए शौर्य ने यशिका को दरवाज़े के अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर  दिया

यशिका इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी जब शौर्य ने उसका हाथ पकड़ कर खींचा तो वो लड़खड़ाते हुए शौर्य के बिलकुल पास आ गई , यशिका कुछ संभाली उसने शौर्य की तरफ देखा और पीछे हटने लगी ,शौर्य ने उसकी कमर में हाथ डाला और उसे अपने नज़दीक कर लिया ” आप को डर लगता है क्या मुझसे ” शौर्य ने यशिका को देखते हुए पूछा

“न.. नहीं यशिका ने कहा “

“तो आप भागती क्यों है “

यशिका कुछ नहीं बोली उसकी सांसे तेज़ हो गई थी … वो बस शौर्य को देख रही थी

शौर्य ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा ” मुझे पता है मै बहुत हैंडसम हूँ, लेकिन आप ऐसे देखोगी तो मुझे नज़र लग जाएगी “

यशिका ने अपनी पलकों को नीचे किया और उस से दूर जाने की कोशिश करने लगी

“थोड़ा तो पसंद करती हो मुझे “? शौर्य ने वैसे ही पकड़े हुए उसे कहा

“आप मुझे छोड़ेंगे, बाहर देविका  …यशिका ने कहा ही था कि शौर्य ने उसके होंठों पर अपनी उंगली रखे हुए कहा ” संडे को मै आपका वेट करूंगा , वहीं आपकी पसंदीदा जगह पर शाम पांच बजे ” और ये कह कर उसके यशिका को छोड़ दिया ।

यशिका शौर्य से दूर हुई  उसने अपने बालों पर हाथ फेरा और दरवाज़े से बाहर निकल गयी

अभिमन्यु और देविका आपसे में कुछ बात करते हुए चले जा रहे थे , यशिका कुछ पीछे थी शौर्य मुस्कुराता हुआ उसके पीछे आ रहा था , तभी देविका ने पीछे देखा और यशिका के पास आ गई शौर्य उसे क्रॉस करता हुआ अभिमन्यु के पास आ

गया ।

सबने लंच किया और वापस ऑफिस में आ गए। देविका ने शौर्य और अभिमन्यु को उस ब्ल्यू प्रिंट में जो उसे गलत लग रहा था बताया और अपने आर्किटेक्ट से दोबारा उस प्लान को देखने के लिए बोला , जब देविका प्लान के बारे में बता रही थी तब यशिका ने नोटिस किया कि शौर्य काम को लेकर कितना सीरियस है , उसने देविका की सारी बातें ध्यान से सुनी और हर प्वाइंट को लेकर डिस्कस किया ।

शौर्य और अभिमन्यु बात करके वापस चले गए।

उत्सव के ऑफिस में

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शाम हो गई थी ,गुंजन काफी देर से कुछ डिजाइंस को लेकर उलझी  हुयी थी वो कभी किसी कपड़े को देखती कभी किसी,  उसने कपड़े को मैनिक्विन पर लगा कर देखा और फिर हटा दिया ऐसे करते करते उसने जितने कपड़े रखे थे लगभग सबको ही खोल दिया था  ,  उसकी एक कलीग ने उस से पूछा “तुम चल रही हो पांच  बज गए बाक़ी कल देख लेना “

हाँ ठीक है तुम चलो मैं ये सब ठीक करके चली जाऊंगी और प्लीज़ जरा बाहर से किसी को भेजदेना वो मेरी हेल्प के लिए ..

ओके कह कर श्वेता बाहर चली गई

गुंजन ने देखा चारों तरफ कपड़े हो कपड़े फैले हुए पड़े है उसने सांस भरी और कपड़े समेटने में लग गई , तभी उसे किसी की आहट हुई उसने बिना पीछे देखे ही कहा”  आ गए आप चलो ये सब समेटने में मेरी मदद करो”

कोई कुछ बोला नहीं तो गुंजन ने पीछे घूम कर देखा तो वहां यश था और कपड़े समेट रहा था

“अरे सर आप रहनें दें मुझे लगा श्वेता ने किसी को भेजा है”

“अभी तो कोई है नहीं बस बाहर एक वॉचमेन है  मै करवा देता हूं आपके साथ वरना काफी टाइम लग जाएगा , वैसे आप क्या कर रहीं थीं इतना कुछ फैला दिया आपने “

“ये डिज़ाइन देखिए सर इसके लिए ही मै मैटेरियल सलेक्ट कर रही थी “

यश ने वो डिज़ाइन देखा और इधर – उधर देखा कुछ सोच कर उन्हीं कपड़ों में उसने एक कपड़ा उठा कर गुंजन को देते हुए कहा ” मुझे लगता है इस  मैटेरियल पर ये फिट बैठेगा ।”

गुंजन  कपड़ा देखने के लिए जैसे ही आगे बढ़ी तो वहीं रखे हुए दूसरे कपड़े में उसका पैर उलझ गया और वो सीधे जाकर यश के ऊपर गिर गई उसके गिरने से यश भी डिसबैलेंस हो गया और गिरते गिरते बचा उसने गुंजन को पकड़ते हुए कहा ” संभल कर “

गुंजन थोड़ा पीछे हुई तो वापस से उसका पैर जिस कपड़े पर पड़ा वो फिर से गिरने लगी तो यश उसका हाथ पकड़ने के लिए आगे बढ़ा लेकिन वो भी स्लिप हो गया और गुंजन को साथ लेकर गिर पड़ा ।

गुंजन को ये देख कर हँसी आ गई , यश ने गुंजन को देखा और मुस्कुरा दिया ।

कुछ देर बाद दोनों उठे और सब जो  फैला हुआ था उसे

समेटा ।

जिस मैटेरियल को यश ने सलेक्ट किया था गुंजन ने उसे साइड में रखा और अपना बैग लेकर जाने लगी

यश ने उसे रोकते हुए कहा ” गुंजन मै आपको कहीं छोड़ दूँ ,।

“नहीं सर मै चली जाऊंगी ,” उसने कहा और जाने लगी तो यश ने फिर कहा  ” मै भी जा ही रहा हूँ तो छोड़ देता हूँ आपको जहाँ आप कहे “

इस बार गुंजन रुक गयी उसने हाँ कहा और यश के साथ पार्किंग में आ गई । यश ने गाड़ी का दरवाज़ा खोला उसे बैठने के लिए बोला और खुद ड्राइविंग सीट पर आ कर बैठ गया । उसने गाड़ी स्टार्ट की और पार्किंग से गाड़ी निकाल कर रोड पर दौड़ा दी ।

क्रमशः

अगले भाग के साथ जल्दी ही मिलूंगी

धन्यवाद

स्वरचित

काल्पनिक कहानी

अनु माथुर ©®

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