तुमसा नहीं देखा भाग – 18 – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

शौर्य को किसी का मेसेज आता है और वो चला जाता है, कमला जी सबसे शौर्य की शादी की बात करती है।

अब आगे :

ज्ञानचंद के चले जाने के बाद सब ये ही डिसाइड करते है कि शाह ग्रुप में जाकर मैटेरियल  सप्लाई की बात करते है ।

ज्ञानचंद को ये बात बता देते है और अगले दिन ज्ञानचंद  शाह ग्रुप में जाने का डिसाइड करता है ।

अगला दिन शाह ग्रुप के ऑफिस में

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दिनेश यशिका को बताता है कि ज्ञानचंद मिलने आए है , यशिका के लिए ये नाम नया था , दिनेश बताता है कि ज्ञानचंद पहले अमितशाह के साथ काम किया करते थे फिर उन्होंने अपना कंस्ट्रक्शन कंपनी खोल ली ,और अलग हो गया , कुछ और लोग भी है इनके साथ ।

“ये मुझसे मिलने क्यों आए है ?.” यशिका ने पूछा

शायद कुछ काम के सिलसिले में या फिर हम रंधावा के साथ काम कर रहे हैं,और इनको भी साथ में ले लें इसलिए ।

“ह्म्म , ठीक है भेज दें आप उनको और आप भी यहीं रहे क्योंकि मूल्य ज़्यादा पता नहीं है इनके बारे में ।”

ठीक है कह कर दिनेश ज्ञानचंद को बुला कर ले आया ।

ज्ञानचंद ने अंदर आते ही दोनों हाथ जोड़कर यशिका को बोला

“नमस्ते मैडम जी “

यशिका ने भी हाथ जोड़ कर नमस्ते किया और उनकी बैठने का इशारा किया

” हमें तो पता ही नहीं था कि अमित जी ऑफिस में नहीं मिलेंगे आप मिलेंगी  “? ज्ञानचंद ने कहा

“हाँ.. वो बाहर गए हुए है इसलिए “

वैसे आपको देख कर लगता नहीं कि वो आप है जिन्होंने रंधावा को शाह  ग्रुप के साथ काम करने मजबूर दिया “

” वो तो अमित सर का डिसीजन था , इसमें मेरा कोई रोल नहीं था “

“हाँ..लेकिन ये चमत्कार तो आपकी ही वजह से हुआ है न वरना रंधावा तो कभी किसी के साथ काम नहीं करते ।”

यशिका बस मुस्कुरा दी और बोली ” वैसे आप यहां कैसे “?

“ये दिनेश जी ने बता तो दिया ही होगा हमारे बारे में ..बस उसी सिलसिले में आएं है , हम चाहते है कि आपका जो प्रोजेक्ट रंधावा के साथ चल रहा है तो आपको मैटेरियल हम सप्लाई करें,।”

“लेकिन वो तो सब मैटेरियल रंधावा ग्रुप  पहले से ही जिनसे लेते है उनसे ले ही रहे है “

” वहीं तो ….हम ये चाहते है कि आप हमारे लिए बात करें हमसे ले मैटेरियल हम आपको सप्लाई करेंगे वो भी कम रेट में “

” देखिए ज्ञानचंद जी  मैटेरियल के बारे में आपको रंधावा ग्रुप में ही बात करनी पड़ेगी क्योंकि वो कर रहे इस पर

काम “

“वो हमें पता है” ज्ञानचंद ने बीच में यशिका को रोकते हुए बोला ” हम करेंगे बात तो वो हमें कभी भी मैटेरियल सप्लाई नहीं करने देंगे , लेकिन आप करेंगी तो ,”

“सॉरी सर इस मामले में आपकी कोई मदद नहीं कर सकती “

ज्ञानचंद को थोड़ा गुस्सा आ गया वो बोला ” ये आप दोनों अच्छा नहीं कर रहे हो “?

“आपको और कुछ कहना है ” यशिका ने बोला

नहीं … ज्ञानचंद चेयर से उठा और वैसे ही हाथ जोड़ते हुए बाहर चला गया

ज्ञानचंद ने ऑफिस से बाहर निकल के करतार सिंह को फोन लगाया

” करतार “

“जी सेठ “

“घी सीधी उंगली से ना निकले तो उंगली टेढ़ी कर लो “

ठीक है सेठ , कहकर करतार सिंह ने फोन रख दिया ।

“आपने बहुत अच्छा जवाब दिन ज्ञानचंद को ” दिनेश ने कहा

“मैने कुछ नहीं किया मैने तो वही बताया जो सच था “

दिनेश बस मुस्कुरा दिया और केबिन से बाहर चला गया

रंधावा के ऑफिस में

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“शौर्य “अभिमन्यु ने ऑफिस में आते हुए कहा

“हाँ बोलो , “

वो प्रपोजल बनवा लिया है मैने ये पेपर्स हैं तुम देख लेना “

“ठीक है “

“सिराज ने बताया कि अमित शाह ठीक है लेकिन ऑफिस नहीं आ रहे है और उन्होंने वकील को बुलाया “

“ह्म्म” शौर्य ने छोटा सा जवाब दिया

“बस ह्म्म… ये तुम्हारे लिए बड़ी बात नहीं है “?

शौर्य ने पेपर्स देखते हुए बोला ” अब उन्हें जो करना है वो करेंगे हम उसमें क्या कर सकते है “?

” अच्छा तुमने डिजाइन देखा ”  ड्रीम फ्रेम कंस्ट्रक्शन ” वाले प्रोजेक्ट का ?”

“अभी नहीं … तुमने “?

“हाँ एक सरसरी नज़र से देखा था बाकी तुम देख कर बताना या शाम को साथ में देखते है  शौर्य ने एक नज़र फोन की तरफ देखा और फिर आगे बोला अभी मुझे कहीं जाना है “

“ये तुम उस दिन कहीं गए थे , तुमने बताया नहीं “अभिमन्यु ने पूछा

“नहीं वो कुछ ज़्यादा जरूरी नहीं है बता दूंगा “

“शौर्य कुछ हुआ है क्या “?

“अरे नहीं कुछ नहीं सब ठीक है ” कह कर शौर्य ने अपना कोट उठाया और चला गया

“कभी — कभी ना शौर्य मुझे समझ नहीं आता , इसके दिमाग में क्या फितूर चलता रहता है ” अभिमन्यु वही बैठ कर “ड्रीम फ्रेम ” का प्रोजेक्ट देखने लगा ।

श्री निवास अपार्टमेंट

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आज शाह ग्रुप से देविका के इंटरव्यू का रिजल्ट आने वाला था , गुंजन के साथ बैठी हुए देविका उसका इंतजार कर रही थी ।

“अरे दी चिल करो ऐसे बार बार फोन उठा कर देखती रहेगी तो रिजल्ट नहीं आने वाला”

“तुम चुप करो यहां मेरी हार्टबीट बढ़ रही है और तुम अलग बोले जा रही हो “

“ओहो , आप तो ऐसे कर रही हो जैसे आपका हाइस्कूल का रिजल्ट आने वाला है “

“वो तो फिर भी मुझे पता था कि मैं पास तो हो ही जाऊंगी लेकिन यहाँ तो पता नहीं होता ना “

तभी उसके फोन में बीप बजी

उसने देखा और चिल्ला पड़ी आ गया मेल

“अरे ओपन तो करो पहले चिल्ला बाद में लेना “

देविका ने मुंह बनाकर गुंजन को देख और मेल।ओपन किया

“यू आर सिलेक्टेड फॉर दिस जॉब “

देविका ने देखा और वहीं वो कूदने लगी।      यस . यस.यस मिल गयी मुझे जॉब शाह ग्रुप में उसने ऐसा कह कर गुंजन को पकड़ कर घुमा दिया

“अरे छोड़ो दी चक्कर आ जाएगा मुझे ” गुंजन ने देविका को रोकते हुए कहा

“कांग्रेचुलेशंस दी “

“थैंक यू माई डियर , मै यशिका को बता देती हूँ “

दी तो आती ही होंगी आप उन्हें तभी बता देना

“हाँ गुड आइडिया तब तक मैं कुछ बना लेती हूँ , क्या बनाऊं,”

“दी का फेवरेट सूजी का हलवा बना लो वो खुश हों जाएंगी”

“ओके” देविका ये कह कर हलवा बनाने किचेन में चलो गई।

अगले भाग के साथ जल्दी ही मिलूंगी

धन्यवाद

स्वरचित

काल्पनिक कहानी

अनु माथुर ©®

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