तुम सा नहीं देखा भाग – 14 – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

अमित शाह  एक लॉयर को बुलाते है और उस से विल बनाने के लिए बोलते है….यश के क्लाइंट यू की बात समझ जाते है … शौर्य अभिमन्यु को सब बात बता देता है को भी उसकी यशिका के साथ हुयी।

अब आगे :

शाह ग्रुप के ऑफिस में

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“मैम ये इनविटेशन आया है “? दिनेश ने यशिका को एक कार्ड देते हुए कहा

“किसका इनविटेशन है ? “यशिका ने कार्ड लेते हुए पूछा

” वो रंधावा मेंशन में पूजा है उन्होंने बुलाया है , और आपको जाना होगा “

यशिका ने एक पल को सोचा और बोली ” ठीक है अब सर जब तक नहीं है तो मुझे ही जाना है ” वैसे सर का कोई फोन या मेसेज आया ?

“जी नहीं … उनका फोन स्विच ऑफ है आयेगा तो मै आपको जरूर बता दूंगा “

” दिनेश जी मै सोच रही थी कि बाकी के जो भी पेंडिंग वर्क उनकी फाइल्स भी आप मुझे दिखाए और जो भी हमारा काम कही भी चल रहा है वो सब मुझे बताएं “

” मै अभी कुछ देर में आपको सब बताता हूँ ” कह कर दिनेश केबिन से बाहर आ गया

यशिका इनविटेशन कार्ड को हाथ में ले कर देख रही थी उसने मन में  सोचा “एक बार फिर उस शौर्य का सामना करना पड़ेगा , क्या है ये ?  मै जितना दूर जाना चाह रही हूँ ,नहीं मिलना चाहती हूँ , ना ही उसके सामने जाना चाहती हूँ , कुछ न कुछ ऐसा हो ही रहा है कि मुझे उस के सामने जाना पड़ रहा है।”

कुछ देर में दिनेश आया और उसने यशिका को जो भी उसने कहा था सब बताया । यशिका बहुत ध्यान से सब देख और समझ रही थी ।उसने दिनेश के साथ कुछ देर डिस्कस किया और फिर अपने काम में लग गयी।

उत्सव के ऑफिस में

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यश काफी खुश था और  अपनी टीम के साथ बैठा हुआ उस नए मिले हुए ऑर्डर के बारे में बात कर रहा था  , उसने कुछ इंस्ट्रक्शन दिए , और सब मीटिंग ख़त्म करने के बाद चले गए और आप ए आप ए काम में लग गए ।

शाम को सब ऑफिस से निकल गए यश भी जाने के एक  केबिन से बाहर आया तो उसने देखा कि गुंजन अभी गयी नहीं है, वो सामने टेबल पर रखे हुए  पेपर को देख रही थी उसने पेंसिल ली और पेपर पर कुछ बनाने लगी , फिर उसे कट किया और पेपर डस्टबिन में फेक दिया , यश बिना कुछ आहट किए उसेके पीछे से खड़े हुए उसे देख रहा था । गुंजन ने दोबारा से स्केच बनाया और उसे देखने लगी

” ये थोड़ा नीचे से होगा तो अच्छा लगेगा “यश ने कहा

“ह्म्म” गुंजन ने सोचते हुए कहा फिर अचानक उसने घूम कर पर हे देखा

वो हड़बड़ा कर बोली ” आप “

“आप गयी नहीं ,? सब चले गए” यश ने पूछा

“हाँ बस जा रही थी एक डिजाइन आया था दिमाग में वही बना रही थी “

“ओके , वैसे मै आपको पर्सनली थैंक्स बोलना चाहता था उस दिन आपने जिस तरह क्लाइंट को समझाया उसके लिए “

“थैंक्स की क्या बात है सर हमारा भी तो काम खराब होता और आपको तो ये फर्स्ट ऑर्डर मिला है  , अगर इसमें कमी होती मार्केट में पता चलता की ये  हमने किया है तो फिर कोई हमें ऑर्डर देने के लिए सोचता “

यश मुस्कुरा दिया ,” बोला ह्म्म बात तो सही है “

गुंजन अपना बैग पैक करने लगी और बोली ”  मै चलती हूँ “

“ह्म्म   “यश ने कहा

गुंजन जा रही थी यश उसे जाते हुए मुस्कुरा कर देख रहा था ।

श्रीनिवास अपार्टमेंट

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यशिका घर आयी तो उसने देखा कि देविका पहले से ही घर पर है

उसने अपने हाथ धोते हुए पूछा “क्या बात है ?आज मैडम घर पर वो भी इतनी जल्दी ?”

“यशी मैने जॉब छोड़ दी “

“क्या “? क्यों ? क्या हुआ ?

“बस वो पागल बुड्ढा योगराज उसे मेरे हर काम को गलत ही साबित करना है मै काफी दिनों से परेशान थी … लेकिन आज तो उसने हद ही कर दी जो काम मैने किया वो क्लाइंट को पसंद आया लेकिन सारा क्रेडिट करन सर के सामने वो लगाया और सर के सामने बोलने लगा कि मैने करवाया है मेरा आइडिया है मुझे कुछ बोलने ही नहीं दे रहा था मैने बाद में पूछा अपने ऐसा क्यों किया तो बोला कि हम टीम है और मै लीडर तो ये मेरा ही आइडिया हुआ ना और करन सर तो उसी की सुनते है

“अच्छा अच्छा तुम शांत हो जाओ देखते है कही और मिल जाएगी जॉब “

तब तक गुंजन भी आ गयी…. उसने देखा देविका की है गुस्से में है तो उसने पूछा ” क्या हुआ दी “?

“कुछ नहीं मैने जॉब छोड़ दी कह कर उसने सारी बात बता दी “

“अरे तो क्या हुआ आप इतनी टैलेंटेड हो  कहीं के ना कहीं आपको जॉब मिल ही जाएगी चिल करो आप “

ह्म्म …

“कल मुझे आने में थोड़ा लेट होगा रंधावा मेंशन में पूजा है वहाँ जाना है ” यशिका ने कहा

“ओके दी वैसे मै कल कल जल्दी आ जाऊंगी कुछ खास काम है नहीं तो  इसलिए “

“अरे देविका दी आप उदास मत हो चलो आपकी फेवरेट कुल्फी मांगा देती हूँ मै “

देविका के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई उसने गुंजन को गले से लगा लिया

कमला सदन

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यश अपने कमरे बैठा कुछ सोच रहा था तभी अभिमन्यु आया और उसने कहा ” यश  ज़रा अपना लैपटॉप देना मेल देखनी है वो ……अभिमन्यु ने देखा यश कही खोया हुआ है

उसने उसके सामने चुटकी बजायी तो यश को होश आया और बोला ” भाई आप क्या हुआ “?

“कुछ नहीं पहले ये बताओ कि तुम क्या सोच  रहे थे”?

“ख़ास की है नहीं कह कर उसने सारी बात अभिमन्यु को बता दी “

“क्या वो जिसने तुम्हे मोटी बुद्धि वाला कहा था वो गुंजन थी यशिका की सिस्टर ” कहकर अभिमन्यु हँसने लगा

“भाई ” यश ने थोड़ा गुस्से से कहा

“अच्छा सॉरी वैसे कुछ भी कहो दोनों बहनें बहुत टैलेंटेड है “

“अरे आप देखते भाई उसने कैसे क्लाइंट को कन्वेंस किया ” वरना हमें उसी के दिए मैटेरियल के साथ काम करना पड़ता “

“इसी को टैलेंट कहते है, तुम्हारी खुशनसीबी की गुंजन जैसी एम्प्लॉय तुम्हें मिली ,और हमर नसीब देखो यशिका हमारे साथ होती और वो प्रोजेक्ट भी अगर एच. आर. डिपार्टमेंट से जरा सी गलती न हुई होती

“हाँ ये बात तो है मेरी टीम बहुत अच्छी है वैसे आप क्या कह रहे थे “?

“लैपटॉप चाहिए था तुम्हारा मेरा चार्ज नहीं है “

“हाँ ये है ले लीजिए आप “

अभिमन्यु ने कुछ देर लैपटॉप पर काम किया और फिर चला गया

जैसे ही अभिमन्यु अपने रूम में पहुँचा तभी सिराज का कॉल आया उसने बोला ” ह्म्म बोलो सिराज “

“सर एक खबर देनी थी , वो अमित शाह हॉस्पिटल में एडमिट है”

“हॉस्पिटल में “?

“वो टाटा मेमोरियल में है तो मुझे लगता है कि “….

“ओह ! कब से हैं”?

“यही कोई दस दिन से “

“अच्छा ठीक है नजर रखो तुम “

“जी सर”कह कर सिराज ने फोन कट कर दिया

“इसीलिए वो मीटिंग यशिका ने ली थी ” ये अमित शाह यशिका को क्यों बोल रहे है मीटिंग लेने के लिए जबकि इनकी कंपनी में दिवाकर , रस्तोगी  जैसे लोग भी है क्या करना चाह रहे है अमित शाह “? अभिमन्यु सोचने लगा

पूजा का दिन

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रंधावा मेंशन में पूजा की सारी तैयारी हो चुकी थी , पंडित जी भी आ चुके थे

सारे गेस्ट के साथ सिद्धार्थ भी आ चुके थे …नीलिमा और श्याम जी को  पूजा पर बैठने के लिए बुलाया गया वो दोनों आ बैठ गए

शौर्य की नजर दरवाज़े पर थी अभिमन्यु उसे देख रहा था वो उसके पास गया और बोला ” क्या हुआ देख रहा हूँ तुम्हारा ध्यान पूजा में नहीं है कोई आने वाला है जो दरवाज़े की तरफ देखे जा रहे हो “

“मै देख रहा हूँ तुम्हारा ध्यान काम में कम और मुझ पर ज़्यादा है “शौर्य ने उसे घूरते हुए कहा

“अब क्या करें दोस्त का ध्यान तो रखना पड़ता है ,वैसे जिसका इंतजार तुम कर रहे हो वो आ गई

शौर्य ने दरवाज़े की तरफ देखा तो यशिका आ रही थी ।

वो उसकी तरफ बढ़ा ही था कि रघुवीर जी जो वहीं खड़े हुए किसी से बात कर रहे थे , उन्होंने यशिका को आते हुए देखा यशिका ने भी उनकी तरफ देखा और उसी तरफ चली गई उसने हाथ जोड़ कर उन्हें नमस्ते की, रघुवर जी ने कमला जी को बुलाया और यशिका को साथ ले जाने के लिए बोला ।

अभिमन्यु को हँसी आ गई वो शौर्य से बोला ” लो अब देखो यशिका को दूर से , तुम्हारी  क़िस्मत इस मामले में तो खराब है , एक तो वो मैडम पहले ही तुमको मौका नहीं देती और जो मिलता भी है उसमें कुछ ना कुछ हो जाता है ।”

“तुम चुप रहोगे “? शौर्य ने उसे गुस्से से देखा और पंडाल की तरफ बढ़ गया ।

क्रमशः

 अगला भाग नीचे है 

स्वरचित

काल्पनिक कहानी

अनु माथुर ©®

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