सोने का कंगन – उमा वर्मा

मेधा के सोने का कंगन खो गया था ।सब जगह खोज लिया गया ।पर वह नहीं मिलना था सो नहीं मिला ।थक हार कर काम वाली बसंती पर शक गया ।लेकिन बार बार पूछने और डराने धमकाने पर भी कोई असर नहीं हुआ ।उसने अपनी माँ को सूचना दी “मम्मी तुमने जो कंगन मेरी शादी में दिया था वह नहीं मिल रही”जानकी जी भी चिंता में पड़ी रही ।बहुत पुराना इतिहास था उन कंगन का।एक बेटा और एक बेटी थे जानकी जी के ।उनकी शादी में ससुराल के तरफ से भारी जेवर चढ़ाया गया था ।गले का सुन्दर नेकलेस, कान मे झुमके, अंगूठी  , नथ और मांग टीका ।जानकी जी को जेवर पहनने का शौक नहीं था ।बस कान में हल्का सा कर्ण फूल पहन कर बाकी जेवरों को शादी के कुछ दिनों बाद ही उतार दिया था।घर गृहस्थी चलाते हुए समय ने कुछ ऐसा पलटा खाया कि अपने जेवर बेचने पड़े।अफसोस तो बहुत हुआ था तब।लेकिन भारी जेवर को बेचते हुए भी बदल कर एक मोटा सा चैन, अंगूठी और कान के झुमके को बचा लिया ।मन में था कि एक ही तो बेटा बेटी है।एक ही घर में शादी कर देंगे ।लेन देन का कोई झंझट ही नहीं रहेगा ।अगले को जो मन होगा अपनी बेटी को देंगे ।और मै भी अपनी मर्जी से अपनी बेटी को दूँगी ।बस सीधे सादे तरीके से शादी निबट जायेगी ।पर सोचा हुआ कहाँ होता है ।हाँ अपनी बहु को मुँह दिखाई पर कंगन देने की इच्छा जरूर थी।पर बहुत दौड़ धूप किया लेकिन कहीं भी वैसा रिश्ता नहीं मिला ।कभी पैसे की दिक्कत ।कभी बेटी की रंग रूप की वजह ।हालांकि बेटी सुन्दर थी ।रंग थोड़ा हल्का जरूर था।पढ़ी लिखी भी  थी।थोड़ी दुबली पतली थी।लेकिन वर पक्ष के लोग हर बार नकार देते ।उसमें पैसे का लेनदेन मुख्य कारण होता ।इसी बीच बेटे के लिए कन्या पक्ष के लोग आने लगे।जानकी जी का मन तो नहीं था लेकिन पति के इच्छा को सम्मान देते हुए हामी भर दी ।पति ने बहुत समझाया कि ईश्वर के मर्जी से ही हमें चलना होता है ।बेटा सोचेगा बहन के चलते मुझे रोका जा रहा है ।बेटे के साथ कार्य करने वाली ही एक कन्या उसे पसंद आ गई थी ।और उसने जानकी जी से अपनी इच्छा बताई ।पसोपेश में पड़ी जानकी जी ने बेटे का ब्याह तय कर दिया ।घर में सुन्दर और शिक्षित बहू घर आ गई ।जानकी जी ने उनलोगों को कहा कि वह अपनी बेटी को जो देना चाहें वह दे सकते हैं ।कोई विशेष मांग नहीं थी उनकी।कुछ अपने जेवर भी  बहू को दे दिया ।लेकिन सोने के कंगन को बचा लिया बेटी के लिए ।बहू के घर में न जाने कैसे बात फैल गई थी कि सास ने अपने कंगन बहू के लिए रखा है ।खैर बात आई गई हो गई ।फिर बेटी का ब्याह तय हुआ ।ससुराल वालों ने जेवर देने के लिए कहा ।जानकी जी ने अपने सारे बचाये हुए गहने बेटी को चढ़ाया ।मन में संतुष्टि का भाव आ गया ।चलो दोनो के लिए सब सही हो गया ।बेटी अपने घर में सुखी और संतुष्ट थी।अब सिर्फ अपना जीवन यापन किसी तरह कर ही लेंगे ।बच्चे अपनी गृहस्थी में रम गए थे ।जब बच्चे छोटे थे तो तीज त्योहार पर सासू माँ और बड़ी जेठानी हमेशा टोकती और जेवर पहनने को कहती ।पर जानकी जी के पास जेवर था ही कहाँ जो पहनती ।वह बार-बार बहाना कर देती कि मुझे जेवर पहनने का शौक नहीं है ।शायद घर के बड़े लोग कुछ कुछ समझ रहे थे।चुप हो गये ।बेटी जेवर खो जाने से परेशान हो गई थी ।थाने में रिपोर्ट लिखाया पर कोई फायदा नहीं हुआ ।बसंती पर शक तो बहुत था।पर सबूतों का अभाव रहा ।इन्ही दिनो और एक बात सामने आई ।बेटी के घर में एक छोटा नौकर भी  था जो उनके गांव का ही था और जान पहचान से ही था।ससुर जी ने सोचा कि गरीब है चलो रख लेते हैं ।घर के  जरूरी काम कर देगा तो अच्छा रहेगा ।सोहन नाम का वह लड़का बहुत आज्ञाकारी था।तुरंत हर बात चुस्ती फुर्ती से मान लेता।फिर अचानक बेटी के ससुर जी का दिल का दौरा पड़ने से देहान्त हो गया ।सास बेचारी  रोने धोने में लगी रहती ।दामाद जी  बाहर नौकरी करते थे ।अतः पर्व त्योहार पर घर आ जाते।घर में जानकी जी की बेटी और सास ही थी।कोई मिलने आता तो सोहन उसे बाहर से ही भगा देता।”अभी माँ जी की तबियत ठीक नहीं है ।सोई हुई है ” ।आने वाला बाहर से लौट जाता ।अब सोहन अपना काम करता।घर में सभी का विश्वास जीत चुका था ।शक की कोई गुंजाइश नहीं थी।सबके सो जाने के बाद धीरे-धीरे तकिये के नीचे से चाभी उठाता और गायब कर देता।बसंती के नकार जाने पर सोहन पर शक हुआ ।लेकिन वह तो आज्ञाकारी बच्चा बना हुआ था ।आखिर में जानकी जी ने सलाह दी की हमे जांच पड़ताल तो करना ही पड़ेगा न ।सो थाने में सूचना दी गई ।सोहन हाथ पैर जोड़ रहा था लेकिन पुलिस ले गई उसे ।बहुत मार पड़ा ।अंत में उसने स्वीकार कर लिया की जेवर उसने ही गायब किया था ।सारे जेवर पर हाथ की सफाई जानकर सभी लोग दंग हो गये।इतने विश्वास का यह परिणाम? आखिर जेवर के साथ सोने का कंगन मिल ही गया ।जेवर मिल जाने की खुशी मे घर में पूजा और पार्टी रखी गई है ।जानकी जी बेटी के यहाँ जाने की तैयारी में लगी हुई है ।घर में काफी  लोग आयेंगे तो कुछ अच्छा पहनना होगा ।अलमारी खोल कर बैठी है वह।निर्णय नहीं कर पा रही है ।कौन सी साड़ी पहने?—उमा वर्मा ।नोयेडा ।स्वरचित ।मौलिक ।

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