शिक्षक – ऋतु गुप्ता खुर्जा  : Moral Stories in Hindi

शहर का फुलवारी नाम का बड़ा सा हॉल आज तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा जब एक बड़ी आईटी कंपनी के मालिक देव ने नामी यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड शिक्षक मित्तल सर द्वारा सम्मान प्राप्त किया।मित्तल सर ने जब देव को पहचानने की कोशिश की तो देव ने पुरानी यादों से उन्हें रूबरू कराया। उसने बताया कि उसकी मां ममता आपके घर काम करके अपने बेटे और बेटी का भरण पोषण करती थी।

उसने बताया कि उसके मां-बाप गांव के रहने वाले थे और जब कम पढ़ा लिखा होने के कारण उनके अपनों ने ही उनसे उनकी जमीन गलत जगह साइन कराकर अपने नाम कर ली तो वे दोनों अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा खातिर वे गांव छोड़कर नोएडा आकर रहने लगे। उसके पिता मुकेश को नोएडा में ही कहीं रात की शिफ्ट में चपरासी की ड्यूटी करने की जॉब मिली। उसे आज भी याद है वो दिन जब वह अपने मां बाप के साथ अपना गांव नरैला छोड़कर नोएडा आ गया था । तब उसकी बहन तो काफी छोटी थी और वो थोड़ा सा समझदार था ।

उसके माता-पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे बस थोड़ा बहुत हस्ताक्षर करना भर उन्हें आता था और कुछ मोटा-मोटा रूपए पैसे का हिसाब समझ भर लेते थे। 

गांव से आने के बाद उसके माता-पिता को कोई काम नहीं मिला। उसके पिता अच्छी नौकरी के लिए इधर-उधर भटकते रहे पर हर नौकरी के लिए कम से कम 12वीं तक की शिक्षा बहुत जरूरी थी। 

ले देकर उसके पिता को रात की शिफ्ट में चपरासी की नौकरी करनी पड़ी। तनख्वाह थोड़ी ठीक थी तो घर का खर्चा पानी निकलने लगा। पर उसकी मां ममता के दिल में एक ही कसक थी कि वह अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर एक सफल इंसान बनना चाहती थी। बहुत कोशिशों के बाद उसकी मां ममता ने भी आसपास की सोसाइटी के दो घरों में कुछ काम अपने लिए पकड़ लिया। वह खाना अच्छा बना लेती थी और साफ सफाई का काम भी साथ-साथ करने लगी। 

उस समय उसकी छोटी बहन चौथी कक्षा में थी और वह छठी कक्षा में था धीरे-धीरे समय बढ़ने लगा वह भी एक दो क्लास आगे आ गए जब वह नवमी कक्षा में था तो उसकी मां ने उसका एडमिशन वही एक दूसरे सरकारी स्कूल में करा दिया, जिसमें फीस तो ज्यादा नहीं थी पर पढ़ाई थोड़ी ठीक ठाक थी।उसकी मां चाहती थी कि उसके दोनों बच्चे अच्छे से पढ़े लिखे और अपने पैरों पर खड़े हो जाएं। 

पर प्राइवेट स्कूलों के लिए उसके पास ना कोई पैसा था ना ही कोचिंग ट्यूशन के लिए उसके पास कोई व्यवस्था थी। वह दिन रात चिंता में रहती कि किस तरह अपने बेटे को उच्च शिक्षा दिला पाएगी। 

एक दिन उसकी मां ममता जब गुप्ता जी के घर काम कर रही थी, तो वहीं मित्तल सर आप आए और आपको मेरी मां के हाथ का नाश्ता बहुत अच्छा लगा। आप तो फिजिक्स की कोचिंग देते ही थे। आपको मेरी मां ने जब चाय नाश्ता सर्व किया तो आपने प्रसन्नता से मेरी मां को अपने घर पर भी काम के लिए बोला।

अब मेरी मां की तनख्वाह में थोड़ी और बढ़ोतरी हुई थी। 

पर समय की मार देखो मेरे पिता को वहां दमा की बीमारी हो गई और उनके इलाज में पैसा ज्यादा खर्च होने लगा। मां जब भी आपके यहां कोचिंग में आए बच्चों को देखती उसका मन करता कि उसका देव भी वहां फिजिक्स की कोचिंग करें, क्योंकि उसके देव को फिजिक्स बहुत पसंद था और वह पढ़ने में भी बहुत होशियार था । एक दिन मित्तल सर जब आप अपने छात्रों से कह रहे थे कि बच्चों कल तुम्हारा फिजिक्स का टेस्ट है सब तैयार करके आना तो मेरी मां ने भी हिम्मत करके आपसे कहा कि सर क्या एक बार आप मेरे बेटे का भी टेस्ट ले लेंगे । मां बताती है कि तब आपने बड़ी हैरानी से उसे देखते हुए कहा कि तुम्हारा बेटा कौन सी कक्षा में पढ़ता है उसे एक दिन घर पर लेकर आना। 

मेरी मां ने हाथ जोड़कर आपसे कहा कि सर मैंने सुना है कि आपके पढ़ाए हुए बच्चे कभी गलत रास्ते पर नहीं जाते और उनकी जिंदगी संवर जाती है । एक बार आप मेरे बेटे का भी इम्तिहान ले ले, और उसे कुछ भविष्य के लिए समझा दे तो मुझ पर बड़ी कृपा होगी। 

तब सर आपकी वाइफ और आपने मेरी मां को बहुत हौसला दिया, हिम्मत दी और कहा कि कल अपने बेटे को लेकर जरूर आना और कहना कि टेस्ट की तैयारी करके आए। जब सर आपने मेरा टेस्ट लिया तो आप आश्चर्य चकित थे कि एक कामवाली का बेटा इतना होनहार कैसे हो सकता है। मैं कभी नहीं भूल सकता सर आपकी कही इन दो लाइनों ने मेरा जीवन ही बदल दिया, आपने कहा ममता ईश्वर ज्ञान कभी भी जात-पात और अमीर-गरीब देखकर नहीं देता, ये तो नैसर्गिक गुण होता है और तुम्हारे बेटे को भी ईश्वर ने इस गुण से नवाजा है, बस इसे एक गुरु और मार्गदर्शक की आवश्यकता है , आज से मैं इसे अपना शिष्य मानता हूं अब तुम इसकी चिंता मत करना।आपने तभी से बस मुझे गाइड करना शुरू कर दिया। जब अपनों ने हमें ठगा जा तब आप एक फरिश्ता बनकर हमारी जिंदगी में आए सर।

मेरी मां ने बहुत मना भी किया कि क्योंकि उनके पास मेरी कोचिंग में देने के लायक पैसे नहीं थे पर वो आपका सहयोग ही था जो उस दिन आपने मेरा हाथ पकड़ा था आज उसी का परिणाम है कि मैं कुछ बन सका कुछ कर सका। सच सर तब पता चला कि कभी कभी इन्सानियत के रिश्ते खून से भी बढ़कर होते हैं।

 मेरे पिताजी तो अब नहीं रहे सर, पर मेरी मां आज भी आपका बहुत एहसान मानती है, और जब तब आपको याद करती है। वह कहती है कि एक बच्चे का भविष्य तैयार करने में एक शिक्षक का सबसे बड़ा योगदान होता है। 

मेरी मां बताती है कि तब आपने मेरी कोचिंग की फीस लेने के लिए भी मना कर दिया और कहा कि मैं साधन संपन्न बच्चों को तो बहुत पढ़ाता हूं पर एक होनहार बच्चे का भविष्य बनाने का पुण्य में भी लेना चाहता हूं। आपके इसी साधुवाद ने मेरा जीवन संवार दिया।सर।

मैं आज सच ही कहूंगा सर कि कबीर दास जी ने सही ही लिखा है गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पांव,

 बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दिया बताएं।

 आप तो मेरे लिए सर भगवान से भी बढ़कर हैं यदि आपने उस समय मेरा साथ ना दिया होता तो मैं आज कहीं और ही होता। आपके उस मार्गदर्शन ने और एक सच्चे शिक्षक का जो आपने फर्ज निभाया था आज उसी का परिणाम है कि मैं आज आपके सामने खड़ा हूं। 

तब देव ने वो सम्मान अपने मित्तल सर को समर्पित किया और उनके पांव छू लिए। तब मित्तल सर ने भी आगे बढ़कर उसे गले से लगा लिया । वहां खड़े सभी लोग शिक्षक और छात्र का ऐसा अनोखा मिलन देखकर भाव विभोर हो गए।

ऋतु गुप्ता खुर्जा

खुर्जा बुलन्दशहर 

उत्तर प्रदेश 

#अपनों की पहचान 

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