सुषमा अपने पति राकेश और बेटे के साथ सुबह नाश्ता कर रही थी। पराठे का एक टुकड़ा खाते ही उसने बुरा सा मुंह बनाकर अपने बेटे रोहित से कहा—
“कितने बेस्वाद परांठे बनाए हैं तेरी पत्नी राधा ने! न इनमें नमक है, न मिर्च। मुझसे तो ऐसे परांठे बिल्कुल भी नहीं खाए जाते। पता नहीं इसकी मम्मी ने इसे कुछ सिखाया भी है या ऐसे ही हमारे पल्ले में दे दी। मैं तो दुखी हो गई इस घर में ऐसी बहू पाकर। तू इसे समझाता क्यों नहीं कि ऐसा खाना मत बनाया करे।”
यह सुनकर रोहित बोला—
“मम्मी, मैंने तो इसे बहुत बार समझाया है कि जैसा आप खाना पसंद करती हैं वैसा ही बनाया करे। परंतु मेरी बार-बार समझाने पर भी इससे गलती हो ही जाती है। मैं परेशान हो गया हूं रोज-रोज की शिकायतें सुनते-सुनते। जिस दिन से शादी हुई है, एक दिन भी ऐसा नहीं गया जब आपने इसकी शिकायत न की हो। कभी आपको इसके हाथ का खाना पसंद नहीं आता, कभी इसके हाथ से धुले कपड़े पसंद नहीं आते। अब मैं करूं तो क्या करूं?”
पति की बातें सुनकर राधा की आंखों में आंसू आ गए। एक महीने पहले ही उसका विवाह धूमधाम से रोहित के साथ हुआ था। शादी से पहले ही उसने अपनी मम्मी से खाना बनाना अच्छी तरह सीख लिया था। घर के कार्यों में वह पूरी तरह निपुण थी। वह पूरी कोशिश करती थी कि खाना स्वादिष्ट बने, परंतु फिर भी सास उसके बनाए खाने में कुछ न कुछ कमी निकाल ही देती थी। इससे उसे बेहद दुख होता था। अक्सर वह सास की बातें सुनकर मुस्कुरा देती थी, परंतु आज पति की बात सुनकर उसकी आंखें भर आईं।
यह देखकर उसके ससुर उससे बोले—
“मैं देख रहा हूं, जिस दिन से बहू आई है तुमने घर के काम को हाथ लगाना बिल्कुल बंद कर दिया। यदि तुम्हें बहू के हाथ का खाना पसंद नहीं आता तो तुम खुद अपनी पसंद का खाना बनाकर दिखाओ, तभी उसे पता चलेगा कि तुम्हें किस तरह का खाना पसंद है। इस तरह बहू की शिकायत करने से तो बहू के दिल में तुम्हारे लिए सम्मान ही कम होगा। अपना समय भूल गई हो तुम। जब तुम नई-नई आई थी, तुम्हें तो खाना बनाना बिल्कुल भी नहीं आता था। तब मम्मी ने मुझसे तुम्हारी शिकायत करने की बजाय तुम्हें खाना बनाना सिखाया था। हर बहू परफेक्ट नहीं होती। उसे परफेक्ट बनाने के लिए उसके साथ रहकर सिखाना पड़ता है, जैसे मम्मी ने तुम्हें परफेक्ट बनाया था। सास बनते ही तुम अपना वक्त भूल गई। शर्म नहीं आती तुम्हें रोज-रोज बेटे से बहू की शिकायत करते हुए। देखो, तुम्हारी शिकायतों से बहू की आंखें भर आई हैं। बहू का दिल दुखाकर तुम्हें क्या मिला?”
पति की बातें सुनकर सुषमा शर्मिंदा हो गई। वह राधा से बोली—
“माफ कर दे बहू। आज के बाद मैं तेरी किसी से शिकायत नहीं करूंगी, बल्कि तेरे साथ मिलकर खाना बनाया करूंगी ताकि तुझे हमारी पसंद का पता चल जाए।”
सास की बातें सुनकर राधा मुस्कुराते हुए बोली—
“मम्मी जी, माफी मांगकर मुझे शर्मिंदा मत कीजिए। आपको अपनी गलती का एहसास हो गया है, यही मेरे लिए काफी है।”
राधा की बात सुनकर सुषमा ने खुशी से उसे गले से लगा लिया।