हर रिश्ते की अपनी गरिमा है और ये एक दूसरे के साथ विश्वास पर ही टिकते है और यदि थोड़ा झुक जाए तो शायद ये टूटते टूटते भी बच जाते है। ये कहानी है अनुराग और आशा की अनुराग एक मध्यमवर्गीय लड़का जिसके परिवार में माता पिता आनंद और शकुन्तला,बड़ा भाई गौरव उसकी पत्नी पूजा और एक बहन माला थे।
कुल मिला कर एक खुशहाल परिवार था पिताजी ने एक अच्छा घर बनवा दिया था।बड़ा भाई गौरव ऑफिस में था और उसकी पत्नी पूजा घर में रह कर सास ससुर की सेवा करती और सिलाई का काम करती उसका काम अच्छा चलता था।सास शकुन्तला भी उसकी सहायता करती।माला कॉलेज में पढ़ रही थी और अनुराग लॉ कर रहा था।
घर में सब ठीक था आनंद बिजली विभाग से रिटायर होने वाले थे इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी में ही गांव की आधी जमीन बेच कर शहर में घर बना लिया था ताकि बच्चों को परेशानी ना हो सब एक साथ नीचे रहते थे जहां पर 5 बड़े कमरे हॉल रसोई और पूजा घर था और ऊपर के पोर्शन में भी एक हॉल और तीन कमरे और किचेन था।
बाकी जमीन उन्होंने आड़े वक्त और बेटी की शादी के लिए रख छोड़ी थी कि बेटों का अपना परिवार होगा तो उन पर कोई बोझ ना पड़े।पर यह बात उन्होंने सिर्फ अपनी पत्नी शकुन्तला को बताई थी बेटों को नहीं।
अनुराग पढ़ने में जाहिंन था उसकी इंटर्नशिप के दौरान उसे एक केस में वकालत करते शहर के सबसे बड़े वकील रमेश चंद ने देखा वो उसके तर्कों और दलीलों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अनुराग को अपनी लॉ फर्म ज्वाइन करने का ऑफर दे दिया।अनुराग ने उनकी फर्म का पहला केस जीता और सब तरफ रमेश चंद की तारीफ हुई।
कई बार केस के सिलसिले में अनुराग का रमेश चंद के घर जाना हुआ।उनके परिवार में मां शांति, पत्नी सरिता दो बेटे विवेक और महेश और लाडली बेटी आशा थी।विवेक अपने पिता की फर्म में ही था ।पर छोटे बेटे महेश को वकालत में कोई रुचि नहीं थी इसलिए उसने मैकेनिकल इंजीनियर की और वो बैंगलोर में बहुत बड़ी कंपनी में सीईओ लेवल पर था।
वो अपने परिवार के साथ वही स्थायिक था पर हर 15 दिन में सब एक साथ मिलने अपने माता पिता के पास दिल्ली आते।विवेक की पत्नी कल्याणी एक बड़े बिजनेस मैन आदित्य सहाय की बेटी थी।आशा सब की जान थी आशा थी भी सरल स्वभाव की जहां उसकी मां सरिता और भाभी कल्याणी दिखावे में जीती वही वो बिल्कुल सरल थी।
उसकी इसी सरलता पर अनुराग फिदा हो गया था पर वो कुछ बोल नहीं सकता था।इधर आशा का झुकाव भी अनुराग के प्रति था जिसे रमेश चंद की पारखी नज़रे भाप गई थी।उन्होंने दोनो का रिश्ता पक्का करने की सोची और घर में शनिवार को जब छोटा बेटा महेश भी परिवार के साथ आया हुआ था
यह विषय छेड़ा।सरिता बिफर गई मेरी बेटी ऐसे किसी से ब्याह दोगे इसकी शादी तो मिसिज शर्मा के बेटे मोंटी से करवाते है। मिस्टर शर्मा का कितना बड़ा हीरो का व्यापार है बेटी ऐश करेगी कल्याणी ने भी सास की बात का समर्थन किया।
रमेश चंद बोले जो मेरी पारखी नज़रे देख रही है ना वो तुम नहीं समझ सकती।अनुराग हीरा है साधा परिवार है कभी भी आशा का दिल नहीं दुखेगा।फिर हम चाहे तो बेटी को अपने घर में अनुराग के साथ रख सकते है।विवेक और अनुराग मिलकर इस फर्म को ऊंचाई पर ले जाएंगे।अगर ये
लड़का हाथ से निकला ना तो कुछ सालों में ये हमसे बड़ी फर्म खड़ी करने का जज्बा रखता है।सरिता चाहती तो नहीं थी पर रमेश चंद के खिलाफ कोई उस घर में नहीं जा सकता था।सब लोग अनुराग के घर आए घर बहुत सुंदर सजाया हुआ था हर चीज में करीना झलक रहा था।
नाश्ता आया तो सरिता बोली सॉरी वी डोंट ईट ऑयली एंड फ्राइड फूड वी ओनली इट बेक्ड फूड.पर रमेश चंद ने समोसे खाए जो पूजा ने बनाए थे उन्हें हर चीज पसंद आई। आशा और अनुराग की शादी तय हो गई।सरिता को तो घर बार पसंद आया ही नहीं था तो वो इस घर के बसने से पहले ही उसे
उजाड़ना चाहती थीं।आशा को उसने शॉपिंग महंगी से महंगी करवाई ।अनुराग का परिवार दहेज के लिए मना कर चुका था।फिर भी कुछ कुछ सामान सरिता ने दिया ।अनुराग को तिलक में एक करोड़ की एफडी दी जिसके लिए अनुराग ने मना भी किया पर वो नहीं माने बहुत धूम धाम से शादी हुई
और आशा अनुराग के जीवन में आ गई ।आशा के दोनों भाइयों ने मिल कर उसे यूरोप का ट्रिप हनीमून गिफ्ट में दिया। अनुराग ने आशा की खुशी के लिए उसे स्वीकार कर लिया दोनो एक महीने तक एक दूसरे में गुम रहे और फिर लौट आए।घर आकर आनंद और शकुन्तला ने आशा से पूछा बेटा तुम नौकरी करना चाहेगी या पूजा बहु की तरह अपना काम करोगी।
आशा बोली अभी कुछ सोचा नहीं ।अनुराग ऑफिस जाने लगा था।आशा उसके जाने के समय उठती फिर एक्सरसाइज वगैरह करती घर में वो जिन कपड़ों में घूमती उसमे गौरव और आनंद कंफर्टेबल फील नहीं करते थे।
यह बात आनंद ने अनुराग से कहीं अनुराग ने आशा को बोला तुम घर में जिम आउटफिट में मत घुमा करो पापा और भैया कंफर्टेबल फील नहीं करते हैं। आशा बोली तो लहंगा पहनकर एक्सरसाइज करूं। Come on be mature कैसी बाते करते हो एक काम करो मुझे ऊपर वाले पोर्शन में
जिम बनवा दो। मैं वहीं पर एक्सरसाइज करके चेंज कर लूंगी। अनुराग बोला ठीक है मैं पापा से बात करता हूं। आनंद जी बोलो ठीक है बेटा हमें कोई फर्क नही पड़ता अगले दिन यही बात आशा ने अपनी मां को बताई तो वह बोली इसीलिए मना करती थी
कि अपने स्टैंडर्डवालों में शादी करो और जाओ छोटे घरों में जिनकी बहु बेटी 5 गज में लिपटी रहती थी उन्हें क्या मॉडर्निटी का पता एनी वेस तुम जिम सेटअप करो। शाम को अनुराग आने के बाद अनुराग और आशा मार्केट गए इक्विपमेंट बहुत महंगे थे जिसके लिए अनुराग ने कहा इससे तो तुम जिम की मेंबरशिप ले लो वो सस्ती है।
आशा बोली नहीं मुझे मेरा पर्सनल जिम चाहिए। अनुराग बोला ये तो बहुत महंगा है। वो घर आ गए।घर पर खाना बना था दोनो खाना खाने बैठे ।आशा बोली प्लीज़ भाभी सब्जी में इतना ऑयल और रोटी पर इतना घी मत लगाया करो नहीं तो मैं मोटी हो जाऊंगी।मुझे सिर्फ एक कटोरी दाल दे दीजिए। दाल भी बड़े ही बेमन से उसने खाई।
अगले दिन सुबह जल्दी उठ कर आशा भी अनुराग के साथ अपने मायके आ गई।आशा ने अपनी मां को सब बाते बताई वो बोली तू चिंता मत कर चल दोपहर तक आनंद का ऊपर का पोर्शन चेंज हो गया जिम एक किचेन सब सेट था एक कुक जो आशा के लिए रखा गया था।
कल्याणी और सरिता ने सब करवाया वो तो आशा को यह भी बोल गई कि अपना रूम ऊपर शिफ्ट कर लो ।आशा ने कहा ठीक है नीचे प्राइवेसी नहीं है फिर वो मशीन की भी आवाज आती हैं।कल्याणी ने सब बुक करा अगले दिन सुबह 11 बजे का अप्वाइंटमेंट मिल गया
रूम रिनोवेशन का फिर वो दोनों चली गई उन्होंने शकुन्तला और पूजा से बात तक नहीं की।शाम को जब सब घर आए तो बाते होने लगी सबकी चाय बनी पर आशा के लिए ऊपर से कुक ग्रीन टी लेकर आए।
आनंद बोल कौन है और यह ऊपर से क्या लेकर आ रहा है ऊपर तो कोई सेटअप है ही नहीं। आशा बोली पापा जी मम्मी न
आज मेरे लिए जिम और किचन सेट करवा दिया है मै रोज इतना हेवी खाना ऑयली खाना नहीं खा सकती। प्लीज़ तब तक अनुराग भी आ गया बोला भई अच्छी सी चाय पिलाओ और मां आज क्या बनाया है।
पूजा बोली घीया के कोफ्ते और टमाटर प्याज की चटनी।अनुराग बोला वाह मजा आ गया आशा तुम भी खा कर देखना हो मजे का बनाती है भाभी।आशा बोली नो थैंक्स इतना ऑयली और फ्राइड फूड तुम ही खाओ मै तो सलाद ही खाऊंगी।
तभी कुक आया मैडम सलाद रेडी है।आशा बोली अब तुम जाओ सुबह 10 बजे आना और हा एग्स लेते आना फोर फ्रेंच टोस्ट। अनुराग बोला ये कौन है आशा बोलि ये कुक है जो हमारे लिए खाना कूक करेगा।
तुम भी जरा फिट हो जाओ क्या तोंद निकल रही है। अगले दिन सबके जाने पर कल्याणी और सरिता फिर आ धमकी पूरा ऊपर का एक कमरा रेनोवेट करवाया नया फर्नीचर curtains सब था ।4 बजे तक आशा ऊपर शिफ्ट हो गई।
शाम को सब आए तो आशा नहीं थी।आनंद ने पूछा बहु बाहर गई है। शकुन्तला बोली वो ऊपर शिफ्ट हो गई है।ऊपर आनंद बोले ऊपर तो कुछ है ही नहीं।पूजा बोली पापा आशा की मां और भाभी ने सब कुछ सेट करवा दिया है। क्या अनुराग को पता है
इन सब बातों का शकुन्तला बोली मुझे नहीं पता तभी अनुराग आ गया मां जल्दी चाय नाश्ता दो आज बहुत भूख लगी है तब तक मैं फ्रेश होकर आता हूं।अनुराग कमरे में गया अलमारी खाली थी वो बोला मां मेरा सामान कहा है।
आशा नीचे आते हुए बोली हमारा रूम ऊपर शिफ्ट हो गया है।अनुराग बोला ऊपर कैसे ऊपर तो कुछ है नहीं और ऊपर जाने की जरूरत क्या थी इतना बड़ा घर है और सब लोग भी तो नीचे है मुझे इनके साथ नहीं रहना दिन भर वो मशीन की आवाज ,बच्चों का शोर मोहल्ले की औरते छोटी बहु बुलाओ वाह क्या पहनती है दूध सी है क्या गाड़ी है।
आए hate this behaviour. इसलिए मैने अपना कमरा ऊपर करवाया i need privacy. अनुराग बोल एक बार तो मुझसे पूछती तो सही आनंद बोले कोई बात नहीं बेटा सबको प्राइवेसी चाहिए बहु को इस माहौल की आदत नहीं है। अनुराग को बुरा लगा पर कुछ कर नहीं सकता था । अब अनुराग भी ऑफिस से आकर कुछ देर नीचे बैठता पर मजबूरी में उसे ऊपर जाना पड़ता
पर सुबह का नाश्ता और लंच वह मां और भाभी के हाथ का ही करता। इतना होने पर भी आशा वहां एडजस्ट नहीं हो रही थी उसे कोई ना कोई परेशानी लगी रहती उसने यह बात अपने माता-पिता और भाई भाभी से शेयर की रमेशचंद बोले वो वक्त आ गया है कि अब अनुराग को घर दामाद बनाया जाए ।
वैसे भी एक अहम केस आया है और क्लाइंट चाहते हैं कि उनका केस सिर्फ अनुराग लड़े।सरिता को अब वहां मत जा कल अनुराग भी यही आ जाएगा।अगले दिन सुबह ऑफिस में अनुराग पहुंचा तो रमेश चंद बोले बेटा पहले घर आओ।
अनुराग घर आया तो उसे एक चाबी देते हुए रमेश चंद बोले चलो वो उन्हीं के दो घर छोड़ एक डुप्लेक्स की चाबी थी।घर वाकई बहुत खूबसूरत था।वो बोले ये तुम्हारा और आशा का घर है तुम लोग यही रहो। और घर में एड्जस्ट नहीं कर पा रही है। अनुराग बोला सॉरी सर मैं अपने माता-पिता को नहीं छोड़ सकता यदि आशा को रहना है
तो उसी घर में रहे वरना वो यहां अकेली रह सकती हैं। रमेश चंद बोले याद रखो तुम्हारा करियर भी खत्म हो जाएगा। अनुराग बोल मैं अपना करियर खुद बना सकता हूं। परंतु उसके लिए मैं बिकुंग।नहीं। रमेश चंद्र बोले जब काम नहीं होगा तो सारी अकड़ उतर जाएगी भागते हुए आओगे तुम। अनुराग बोला सर वक्त बताएगा।
अनुराग ने घर आकर सारी बातें बताएं माता-पिता ने उसे समझाया की तुम चले जाओ तुम्हारा घर खराब हो जाएगा। अनुराग बोला आप लोग मेरा घर है और आप ही मेरा परिवार है। अनुराग के पास कोई काम नहीं था वह यहां वहां काम की तलाश में घूम रहा था कि उसे एक ऐसा कैसे मिला जिसे कोई वकील नहीं ले रहा था
क्योंकि उसे केस के अपोनेंट बहुत बड़ा आदमी था। अनुराग ने ना केवल वो केस जीता बल्कि बहुत नाम कमाया और कुछ वर्षों में ही उसकी शहर में अच्छी पहचान हो गई। रमेश चंद ने इस बीच उससे कहीं बार संपर्क साधने की कोशिश की पर सब फिजूल अनुराग किसी कीमत पर भी अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं था आखिरकार आशा अपनी जिद के कारण अच्छे आदमी से हाथ धो बैठी।
मां और भाभी किट्टी में बिजी रहते या घूमने में बिजी रहते हैं शुरू-शुरू में तो आशा भी जाती पर उसकी वह आदतें थी ही नहीं वह घर पर अकेली पड़ी रहती अब उसे पश्चात आप होता क्यों वह अपनी मां और भाभी की बातों में आई और अपना घर खराब कर लिया अगर वह थोड़ा सामंजस दिखाती
तो आज वह अपने परिवार में खुश होती आज वह एक तलाकशुदा जिंदगी ना जी रही होती। मां बेटी को विवाह से पहले ही अलग होने की सीख दें रिश्ते ना निभाने की सीख दें तो ऐसा ही होता है इसीलिए अपने पति और अपने परिवार पर भरोसा रखना चाहिए शादी के बाद असली घर असली परिवार वही है रिश्ते निभाने से ही बनते हैं नहीं तो वह झूठी अकड़ और घमंड में टूट जाते हैं।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी