माही ! चल कल मूवी देखने चलते हैं…. पूरे एक महीने से मैं कोई मूवी देखने बाहर नहीं गई ।
पर सृष्टि, कल तो बुआजी की बड़ी बेटी राधा दीदी तुमसे मिलने आ रही है …..
मुझसे मिलने ? पर अभी महीना भर पहले सभी रिश्तेदार मिले तो थे शादी में ।
नहीं…. राधा दीदी की सास उन दिनों बहुत बीमार थी फिर तुम हनीमून पर चली गई…. तो मम्मी सुबह ही मुझे बता रही थी कि कल राधा सृष्टि को देखने आएगी ।
माही ने अपनी बेस्ट फ़्रेंड सृष्टि से कहा जो महीना भर पहले ही उसकी भाभी बनी थी । इतना कहकर माही वहाँ से चली गई । माही की बात सुनकर सृष्टि तुरंत सास के पास गई और उनके हाथों को पकड़ कर बड़े प्यार से बोली —
मम्मी, मेरी एक बात मानोगी?
क्या बात है बेटा ? मानने वाली होगी तो क्यों नहीं मानूँगी? पहले बता तो सही ।
नहीं… पहले प्रामिस कीजिए कि जो मैं कहूँगी आप मानोगी ।
अरे बता तो सही …. ऐसे कैसे प्रामिस कर दूँ ?
इसका मतलब आप मुझ पर विश्वास नहीं करती । मैं ऐसी बात मनवाना चाहती हूँ जो आपके बाएँ हाथ की चीज़ है… मान जाओ ना मम्मी…. प्लीज़… प्लीज़
सृष्टि ने अपनी सास अंजना के चेहरे को हाथों में लेकर बड़े प्यार से कहा । उसकी मासूमियत देखकर अंजना ने हँसते हुए कहा—-
अच्छा भई , प्रामिस, पक्का प्रामिस…. बता …. क्या बात है?
राधा दीदी को कल की जगह किसी ओर दिन आने के लिए कह दें , कल मुझे और माही को मूवी देखने जाना है….बहुत दिन हो गए हम दोनों सहेलियाँ बाहर नहीं गई ।
बताओ…. पागल लड़की । मैंने सोचा , पता नहीं क्या बात है? खोदा पहाड़ और निकली चुहिया । चल कोई बात नहीं.. राधा तो अपने घर की बेटी है , परसों आ जाएगी । तुम चिंता मत करो मैं उसे फ़ोन कर लूँगी ।
सास की बात सुनकर सृष्टि खुश हो गई तथा उसने उसी समय माही के पास जाकर मूवी की टिकट बुक कर ली ।
अभी मुश्किल से दस- बारह दिन ही बीते थे कि वंश आकर अपनी माँ से बोला—
मम्मी! आपने सृष्टि को कहा है कि शादी के तीन महीने पूरे होने की ख़ुशी में मैं उसे गोवा घुमाने ले जाऊँगा ।
अरे बेटा ….. उसकी बड़ी इच्छा है गोवा जाने की, बता इतने प्यार से मनाने लगी तो मैं क्या कहती ?
मम्मी…. इतनी जल्दी- जल्दी छुट्टियाँ लेनी बहुत मुश्किल है । शादी की और फिर हनीमून की इतनी छुट्टियाँ हो चुकी हैं कि अब तो बॉस से इस बारे में बात करने की भी हिम्मत नहीं है ।
बेटे के चेहरे पर चिंता की लकीरें देखकर अंजना को अपनी गलती का अहसास हुआ कि बेटे से बात किए बिना उसे सृष्टि की बात नहीं माननी चाहिए थी ।
अब वंश को गोवा जाने के लिए कुछ पैसे खर्च करके अपना झूठा मेडिकल बनवाना पड़ा क्योंकि वह सृष्टि के सामने माँ की बात का मान रखना चाहता था ।
बीते दिनों में अंजना ने गौर किया कि सृष्टि को जब भी अपनी कोई इच्छा पूरी करवानी होती थी तो वह सास को अपने विश्वास में लेकर अपनी ज़िद पूरी करवा लेती थी । वैसे ऐसा नहीं था कि वह बदतमीज़ थी या घर का काम नहीं करती थी । अपना काम और बड़ों की इज़्ज़त का खूब ख़्याल रखती थी और माही तो उसकी पक्की सहेली थी ही ।
हफ़्ते में दो- तीन बार अपनी मम्मी के घर चली जाती थी और फिर वंश को वहाँ आने के लिए मजबूर कर देती थी ।
वंश , शाम को आते समय सृष्टि को भी आदर्श नगर से लेते आना …. अरे बेटा , अच्छा नहीं लगता कि अकेली कैब से आएगी । अभी दिन ही कितने हुए हैं शादी को ?
अंजना को जब भी मौक़ा मिलता था वह हमेशा सृष्टि को घर गृहस्थी की बातें समझाती , पति- पत्नी के बीच के रिश्ते को मज़बूत बनाने के बारे में बातें करती । कभी-कभी माही को भी कहती कि सृष्टि को समझाए कि वंश से हर छोटी- छोटी बात मनवाने के लिए इस तरह मम्मी को बीच में ना लाएँ बल्कि पति की ना के पीछे के कारणों को समझने का प्रयास करें । पापा रिटायर हो चुके हैं, वंश की अकेली कमाई से पूरा घर चलता है । अभी शादी में कितना खर्च हुआ है, आदि-आदि
पर सृष्टि पर इन बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था वह सास की कही बात का कभी उल्टा जवाब नहीं देती थी । माही के समझाने पर ज़रूर कहती थी—-
क्या यार माही …. यही तो दिन हैं घूमने-फिरने के । आदमियों की आदत होती है खर्च के नाम पर चीं-चीं करने की…. छोड़ ना , अच्छा पैकेज है वंश का…. हो जाएगा सब । तू भी क्या बुढ़ियों की तरह बातें करने लगी है?
एक दिन सृष्टि फ़ोन देखने में व्यस्त थी तभी अचानक उसने वंश को फ़ोन दिखाते हुए कहा ——-
देखो , कितनी प्यारी रिंग है । तुम्हें याद है ना , अगले महीने हमारी शादी को पूरे छह महीने पूरे होने वाले हैं ।
उस समय वंश केवल मुस्करा दिया पर वह सृष्टि की बात सुनकर समझ गया कि अगले महीने सृष्टि मम्मी के माध्यम से यही डायमंड रिंग ख़रीदने की योजना बना रही है ।
उसने मन ही मन कुछ सोचा और अगले ही दिन वंश ने थोड़ी होशियारी से काम लेते हुए सृष्टि से कहा—-
यार सृष्टि…. कल जो रिंग तुम मुझे दिखा रही थी ना …. क्यों ना मैं वही हमारी सिक्स मंथस वेडिंग डे पर तुम्हें गिफ़्ट कर दूँ पर सुनो ….. तुम मम्मी से कुछ मत बताना । इस बार मैं भी उन्हें सरप्राइज़ देकर बताना चाहता हूँ कि मैं भी अपनी वाइफ़ को बहुत प्यार करता हूँ ।
सच में ?
पहले प्रामिस करो … मम्मी को कुछ नहीं बताओगी ।
नहीं बताऊँगी…. पर तुम आज ये भी प्रामिस करो कि शादी की फ़र्स्ट एनीवर्सरी ग्रैंड होगी और हम अपनी फ़र्स्ट एनीवर्सरी यूरोप जाकर सेलीब्रेट करेंगे ।
हाँ-हाँ…. जैसा तुम कहोगी वैसा ही होगा ।
अंजना भी मन ही मन सोच रही थी कि सृष्टि की शादी के छह महीने पूरे होने में केवल पंद्रह दिन रह गए पर उसने अभी तक प्लानिंग नहीं की । इस बार उनके पति ने अंजना को सावधान करते हुए पहले ही कह दिया था—-
देखो अंजना ! ये उनका आपसी मामला है । तुम सृष्टि की बातों में फँसकर कोई प्रामिस मत कर बैठना…. अब तक तो वंश तुम्हारे कहने पर उसकी हर फ़रमाइश पूरी करता आ रहा है पर कहीं ऐसा ना हो कि वह तुम्हें किसी बात के लिए साफ़ इंकार कर दे , फिर क्या इज़्ज़त रहेगी? हर रिश्ते की मर्यादा होती है । उस मर्यादा को ना तो तुम लाँघो और सृष्टि को भी यही समझाओ । तुम वंश का स्वभाव अच्छी तरह जानती हो , उसे फ़िज़ूल खर्ची बिलकुल पसंद नहीं है । वंश को अपने तरीक़े से सृष्टि को समझाने दो ।कल को माही की शादी के लिए भी पैसे की ज़रूरत पड़ेगी ।
देखते ही देखते सृष्टि और वंश की शादी के छह महीने पूरे होने वाला दिन आ पहुँचा । अंजना को हैरानी थी कि सृष्टि को अचानक क्या हो गया…. उसने कोई बात नहीं मनवाई ।
ख़ैर उसने सुबह ही बेटे- बहू को आशीर्वाद दिया और वंश को ऑफिस जाते समय जल्दी लौटने की बात याद दिलाई । अंजना ने बहू को भी कहा कि शाम को अपने मम्मी- पापा और भाई को इधर ही बुला ले , मिलजुल कर इस दिन को सेलिब्रेट करेंगे ।
शाम के लिए माही और सृष्टि ने मिलकर वंश के कमरे को सजाया और अंजना ने बहू- बेटी के साथ मिलकर खाने- पीने की सारी तैयारी कर ली । ऑफिस से आते समय वंश केक और सृष्टि के लिए एक प्यारा सा बुके लेकर आया ।
पर सृष्टि तो उस समय का इंतज़ार कर रही थी कि कब वंश उसे उसकी डायमंड रिंग गिफ़्ट करेगा ? लेकिन उसे तो गिफ़्ट नज़र ही नहीं आ रहा था । केक भी कट गया, सबने खाना भी खा लिया । तभी माही ने कहा —
भैया! सृष्टि के लिए क्या गिफ़्ट लाए हो … हमें भी तो दिखाइए।
वंश कुछ कहता कि उससे पहले सृष्टि के पापा बोले —-
पूरे परिवार ने साथ मिलकर दोनों बच्चों को इतना सारा आशीर्वाद दिया , बढ़िया खाना खाया इससे बड़ा कोई गिफ़्ट हो ही नहीं सकता । क्यों सृष्टि…. बोलो बेटा ।
अब सृष्टि बेचारी क्या बोले । वह सबके सामने चुप रही । तभी वंश एक छोटा सा पैकेट लेकर आया और उसे खोलकर माही को दिखाते हुए बोला —- देख माही , तेरी सहेली को गिफ़्ट में देने के लिए मोगरे के फूलों का गजरा लाया हूँ ।
इतना सुनना था कि सृष्टि का तो मुँह ही उतर गया पर वह सबके सामने कुछ नहीं कह सकी और माही के कहने पर वंश के हाथों से उसे बालों में गजरा भी लगवाना पड़ा । लेकिन कई दिनों तक उसने वंश से बात नहीं की ।
इस घटना को तक़रीबन एक महीना ही बीता था कि उसने अंजना को कहना शुरू कर दिया ।
मम्मी…. प्रामिस करो ना कि आप वंश को कहेगी कि मुझे फ़र्स्ट एनीवर्सरी मनाने के लिए यूरोप घुमाने ले जाए । अभी से टिकट बुक करवाएँगे ना तो सस्ती पड़ेगी ।
सृष्टि बेटा , हम मिडिल क्लास लोग हैं । साल में इतनी बार घूमने जाना … कैसे चलेगा?
आजकल सब ऐसे ही करते हैं मम्मी….और फिर पहली एनीवर्सरी, आपको याद है ना कि मैंने तो सिक्स मंथ वेडिंग डे पर भी आपसे कुछ नहीं कहा था ।
हाँ… वो तो ठीक है पर बेटा …. तुम ख़ुद ही अपने पति से बात करो ना …
नहीं मम्मी…मेरी प्यारी मम्मी… मुझे अच्छा नहीं लगता कि आपके होते हुए मैं डायरेक्ट वंश से अपनी फ़रमाइश पूरी करवाऊँ …प्रामिस…. उसके बाद नो डिमांड ।
और सृष्टि इतनी मक्खनबाजी करती कि थकहार कर अंजना को हाँ कहना पड़ा था । पर उसने वंश से कोई बात नहीं की । तीन/ चार दिन इसी तरह गुज़र गए । एक दिन रात के तीन बजे सृष्टि की मम्मी का फ़ोन आया और उन्होंने बताया कि उनके पति को पेट में बहुत तेज दर्द है और उनका बेटा भी उस दिन बाहर गया हुआ था ।
सृष्टि और वंश तुरंत उनके घर गए तथा उन्हें अस्पताल लेकर पहुँचे । जहाँ बहुत से टैस्ट हुए और चौथे दिन उनका एपेंडिसाइटिस का ऑपरेशन हुआ क्योकि शुगर और बी० पी० को कंट्रोल करने में डॉक्टर को इंतज़ार करना पड़ा…..बाद में जब उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली तो दो लाख का बिल देखकर सृष्टि के मम्मी- पापा के होश उड़ गए ।
सृष्टि का भाई अभी पढ़ रहा था और सृष्टि की शादी में हुए खर्चे से वे लोग अभी उभरे भी नहीं थे । ऐसे समय वंश ने यह कहकर बिल चुकाया कि पापाजी के ठीक होने पर बाद में हिसाब कर लेंगे । अंजना ने सृष्टि को भी उसके मायके में भेज दिया क्योंकि वो जानती थी कि इस समय माँ को बेटी की ज़रूरत है और सृष्टि को भी पापा की चिंता नहीं रहेगी ।
हर रोज़ ऑफिस से आते हुए वंश ससुराल जाता और एक दो घंटा वहाँ बैठकर ही वापस आता । तक़रीबन दो हफ़्ते में सृष्टि के पापा एकदम चुस्त दुरुस्त हो गए । सृष्टि भी वंश के साथ वापस लौट आई ।
अंजना ने महसूस किया कि इन पंद्रह- बीस दिनों में पहली वाली सृष्टि कहीं खो गई थी । शायद पिता के साथ घटी आकस्मिक बीमारी ने उसे यथार्थ से जोड़ दिया था । उनकी फ़र्स्ट एनीवर्सरी पास आ रही थी पर सृष्टि तो मानो यूरोप घूमने की बात भूल चुकी थी । अंजना का दिल बहुत उदास हो रहा था…. एक दिन उसने वंश और सृष्टि दोनों से कहा—
भई , तुम दोनों की फ़र्स्ट मैरिज एनीवर्सरी आ रही है तो क्या प्लान है ? सृष्टि ! बताओ बेटा ….
इससे पहले वंश कुछ कहता सृष्टि बोली —-
मम्मी… हम यहीं अपने परिवार के साथ मनाएँगे । आप सबका खूब सारा आशीर्वाद लेंगे । आप कहोगी तो दो/ चार फ्रैंड्स को बुला लेंगे ।
मम्मी…. मैं सोच रहा हूँ कि दो दिन की छुट्टी लेकर हरिद्वार- ऋषिकेश और देहरादून चलते हैं । आउटिंग भी हो जाएगी और घूमना- फिरना भी …. क्यों सृष्टि? पापाजी और मम्मी जी को भी बता देना । थोड़ी बड़ी गाड़ी किराए पर ले चलेंगे ताकि सब एक ही गाड़ी में इंजाय करें ।
वाह ! पापा की इच्छा भी पूरी हो जाएगी, हमेशा कहते रहते हैं कि सृष्टि की शादी के बाद गंगाजी नहाने जाना चाहिए था ।
करुणा मलिक
# रिश्ते की मर्यादा