” क्या कहा तुमने फिर से कहो”? मधु ने आश्चर्यचकित होकर पूछा
” तुमने यह बात कल क्यों नहीं बताई जब मधु तुम्हारी शादी की बात कर रही थी”? ममता जी ने निशा को गहरी नज़रों से देखते हुए पूछा
” हां निशा तुमने कल क्यों नहीं बताया की तुम किसी से प्यार करती हो”? मधु ने भी वही प्रश्न किया
” दीदी मैं जीजाजी के गुस्से को देखकर डर गई थी कहीं वह मेरे प्यार की बात सुनकर और न नाराज़ न हो जाएं” निशा ने धीरे से कहा
” तुम कब से सुरेश से डरने लगी तुम तो हमेशा उसके आगे पीछे घुमती रहती हो तो कल कैसे डर गई” ममता जी ने कठोर शब्दों में पूछा
” मां जी मैं जीजाजी से खुलकर बात करतीं हूं पर प्यार की बात करने से डर रही थी” निशा ने सफाई दी
” मां जी निशा सच में अपने जीजाजी से डर गई होगी क्योंकि प्यार की बात करने में उसे संकोच हो रहा होगा” मधु ने निशा का पक्ष लेते हुए कहा।
” चलो अब इन बातों को हटाओ अब तुम सुरेश से बात करके निशा की शादी उस लड़के से करा दो जिससे यह प्यार करती है मैं भी सुरेश से बात करूंगी” ममता जी ने गम्भीर लहज़े में कहा
” मुझसे आपको क्या बात करनी है मां करिए मैं आ गया हूं” सुरेश ने वहां आते हुए हंसकर कहा और वही सोफे पर बैठ गया
” सुरेश निशा किसी लड़के से प्यार करती है और उससे शादी भी करना चाहती है अब तो शादी की समस्या हल हो गई है तुम उस लड़के से बात करके निशा की शादी पक्की कर दो” ममता जी ने गम्भीर लहज़े में कहा
” यह तो बहुत ख़ुशी की बात है निशा ने तो खुद ही मधु की समस्या का समाधान कर दिया मैं कल ही मधु के साथ जाकर शादी की बात पक्की कर देता हूं अब तो आप लोग खुश हैं” सुरेश ने मुस्कुराते हुए कहा
” जीजाजी कल वहां न जाइए मोहन अभी 6 महीने शादी नहीं करेगा” निशा ने डरते हुए कहा
” ऐसा क्यों” सुरेश ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा
” जीजाजी मोहन की एक चचेरी बहन है उसकी शादी तय हो गई है उसका होने वाला पति छः महीने के लिए अमेरिका गया है जब वह आएगा तभी मोहन की बहन की शादी होगी उसके बाद ही मोहन अपनी शादी करेगा” निशा ने वहां न जाने का कारण बताया
” कोई बात नहीं छः महीने तो चुटकी बजाते बीत जाएंगे हम उसके बाद शादी की बात पक्की कर लेंगे” सुरेश ने कहा
” नहीं शादी की बात अभी पक्की कर दो शादी छः महीने बाद हो जाएगी” ममता जी ने गम्भीर लहज़े में कहा
” यह भी ठीक है शादी पक्की करने में तो मोहन को कोई ऐतराज नहीं होगा”? सुरेश ने निशा की ओर देखते हुए पूछा
” जीजाजी आप मोहन के घर न जाइएगा उसे मैं यहीं लेकर आ जाऊंगी अभी मोहन ने अपनी मां को कुछ नहीं बताया है वह थोड़ा रूढ़िवादी परम्पराओं को मानती हैं हमारी जातियां एक नहीं हैं इसलिए हो सकता है कि,वह इस शादी के लिए तैयार न हो पर मोहन ने मुझसे कहा है कि,बहन की शादी के बाद वह उन्हें मना लेगा” निशा ने गम्भीर लहज़े में बताया।
” ठीक है इस रविवार को तुम मोहन को घर बुला लो हम उससे शादी के विषय में बात कर लेंगे फिर अपनी माताजी को मनाना उसकी जिम्मेदारी होगी क्यों मां यह ठीक रहेगा न” सुरेश ने अपनी मां से पूछा
” हां यह ठीक रहेगा जब लड़का शादी के लिए तैयार है तो मां तो मान ही जाएगी” ममता जी ने भी समर्थन किया।
” आज का दिन तो निशा के जीवन में खुशियों की सौगात लेकर आया है अब बहुत ही जल्दी मेरी बहना दुल्हन बनेंगी और हम लोगों को छोड़कर अपने पी के घर चली जाएगी आज मैं बहुत ही खुश हूं यह खुशखबरी मैं अभी जाकर मां पिताजी को सुनाती हूं” मधु ने ख़ुश होकर कहा
” तुम पागल हो गई हो क्या मधु जो मां पिताजी को बताने जा रही हो वह भी मोहन की मां की ही तरह पुरानी विचार धारा के लोग हैं उन्हें जब पता चलेगा कि, निशा प्रेम विवाह कर रही है वह भी दूसरी जाति के लड़के से तो वह लोग शादी करने से मना भी कर सकते हैं पहले मोहन अपनी मां को मना ले उसके बाद तुम भी अपने मातापिता जी को बता देना वरना तुम बना बनाया काम बिगाड़ दोगी” सुरेश ने मधु को समझाते हुए कहा
” ठीक है आप जैसा कहें वैसा ही ठीक है” मधु ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया
उसके बाद सभी अपने कमरे में चले गए मधु खुशी खुशी रसोई में तारा चाची के साथ खाना बनाने लगी आज उसकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं था उसे खुश देखकर तारा चाची ने छेड़ते हुए कहा ” बहूरानी आप तो ऐसे खुश हो रहीं हैं जैसे शादी आपकी बहन की नहीं आपकी पक्की होने जा रही है”
” चाची निशा मेरी जान है मैं उससे बहुत प्यार करतीं हूं आज जबसे मुझे यह पता चला है कि,वह किसी से प्यार करती है तो मुझे बहुत खुशी हुई जानती हैं चाची मैं इतनी खुश क्यों हूं” निशा ने तारा से कहा
” आप ही बता दीजिए आप इतनी ज्यादा खुश क्यों हैं”? तारा चाची ने मुस्कुराते हुए पूछा
” चाची निशा मुझसे कहती थी कि,मेरा रंग गोरा नहीं है आपकी तरह इसलिए कोई लड़का मुझे पसंद नहीं करेगा क्योंकि लड़कों को तो गोरी लड़कियां पसंद आती हैं आज मेरी बहन को किसी ने पसंद किया है और उससे शादी भी करना चाहता है यह जानकर मैं खुश हूं जब मोहन ने उससे प्यार का इजहार किया होगा तो मेरी बहन कितनी खुश हुई होगी यही सोच सोचकर मैं खुश हो रहीं हूं” मधु ने मुस्कुराते हुए बताया।
” बहू तुम हंसती हुई बहुत प्यारी लगती हो ईश्वर करे की तुम हमेशा ऐसे ही मुस्कुराती रहो किसी की नज़र न लगे तुम्हारी मुस्कराहट को” तारा चाची ने मधु को बहुत प्यार भरी नजरों से देखते हुए कहा
तारा चाची की बात सुनकर मधु खिलखिलाकर हंस पड़ीं और रसोई से बाहर निकल गई तारा चाची मधु की मासूमियत को एकटक निहारती रहीं••••
क्रमशः
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश