फूल चुभे कांटे बन – भाग 3 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  सीमा के जाने के बाद मधु पुष्पा के साथ घर के अंदर दाखिल हुई हाल में पहुंचकर वह सोफे पर बैठ गई उसके मन में अंतर्द्वंद्व चल रहा था उसने अपनी आंखें बंद कर ली ” भाभी जी क्या आपका सर दर्द हो रहा है लाइए मैं दबा दूं” तभी पुष्पा की आवाज सुनकर मधु ने अपनी आंखें खोली उसने देखा पुष्पा उसके पास खड़ी है तब उसे ध्यान आया कि, उसने पुष्पा को बैठने के लिए कहा ही नहीं 

  ” नहीं मेरे सर में दर्द नहीं हो रहा है मेरे दिमाग़ में कहानी चल रही है उसी के बारे में सोच रही थी तुम खड़ी क्यों हो बैठो दुलारी काकी दो कप चाय बनाकर लाइए”  मधु ने मुस्कुराने की कोशिश करते हुए पुष्पा से कहा

” लाती हूं बिटिया” दुलारी काकी ने रसोई से ही कहा

थोड़ी देर बाद दुलारी काकी चाय के दो प्याले लेकर हाल में आई वहां पुष्पा को बैठा देखकर चौंक गई

  ” अरे पुष्पा तू यहां क्या कर रही है जा अपने काम पर जा नहीं तो सीमा मेमसाहब की सास नाराज़ हो जाएगी ” दुलारी काकी ने समझाते हुए कहा

  ” काकी आज पुष्पा काम करने नहीं जाएगी और आज से पुष्पा हमारे घर में ही रहेगी आपकी सहायता करेगी अब आपसे ज्यादा काम होता नहीं है आप कह रही थी ना इसलिए मैंने पुष्पा को भी काम पर रख लिया है आपको कोई एतराज़ तो नहीं है “? मधु ने मुस्कुराते हुए पूछा

  ” हमे काहे एतराज होगा बिटिया उल्टा हमें आराम ही मिल जायेगा यह तो तुमने अच्छा किया”  दुलारी काकी ने कहा फिर कुछ सोचते हुए बोली “लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि, पुष्पा यहां काम करन के लिए तैयार कैसे हो गई अभी थोड़े दिन पहले हमने इससे कहा था तब तो यह घमंड में मटक कर  बोली थी कि, मैं आपकी मालकिन के घर काम नहीं करूंगी मेरे लिए एक घर ही काफी है मेरा मर्द कहता है कि तुम्हें कई घरों में काम करने की जरूरत नहीं है ज्यादा काम करके तू थक जाएगी आज इसके मर्द ने कैसे इजाजत दे दी क्या अब यह काम करने से नहीं थकेगी, “? दुलारी काकी ने व्यंग्य से हाथ नचाते हुए पूछा 

  ” काकी मेरा घमंड़ मेरे मर्द ने तोड़ दिया” पुष्पा ने रूंधे गले से कहा 

  ” तू क्या कह रही है मुझे समझ नहीं आया “? काकी ने पुष्पा को घूरते हुए पूछा

  ” काकी पुष्पा के आदमी ने इसकी बहन से शादी कर ली और इसे घर से निकाल दिया ” मधु ने गम्भीर लहज़े में बताया

  ” यह तो एक न एक दिन होना ही था मैंने पुष्पा को समझाया भी था पर इसने तो मुझे ही चार बात सुना दी थी ” दुलारी काकी ने मुंह बनाते हुए कहा

  ” आपको यह बात पहले से पता थी काकी ” ?

मधु ने आश्चर्यचकित होकर पूछा

  ” हां इसी के मोहल्ले में मेरी ननद रहती है श्यामा पुष्पा श्यामा को जानती है उसी ने मुझसे कहा था कि, पुष्पा की छोटी बहन और पुष्पा के पति के बीच कुछ चक्कर चल रहा है क्योंकि वह हर दिन दोपहर को घर आता है जब पुष्पा घर पर नहीं होती और दो घंटे बाद चला जाता है पुष्पा की बहन इधर बहुत सजधज कर रहती है कभी कभी वह पुष्पा के मर्द के साथ फिलम देखने भी जाती है यह सब लछन ठीक नहीं है कहीं ऐसा न हो की पुष्पा की बहन एक दिन उसकी सौतन बन जाए ” दुलारी काकी ने बात स्पष्ट की

” यह बात पुष्पा को आपने बताई थी “? मधु ने चौंककर पूछा

  ” हां मैंने पुष्पा से कहा था तब इसने मुझे बहुत बुरा भला कहा और यह भी कहा कि, तुम्हारे पति ने तुम्हें छोड़ दिया है इसलिए आपसे किसी औरत की खुशी देखी नहीं जाती बिटिया हम तो सब की बात सुनकर पेट में रख लेती हूं कुछ कहती नहीं भगवान ने सुनने लायक बनाया है तो सुनेंगे ही मैं तो पुष्पा के भले के लिए कह रही थी जिससे इसका घर आबाद रहे पर जब यह खुद आग और घी को एक साथ रखती थी तो आग लगेगी ही लोग मुझे ताने मारते हैं मैं उन्हें कोई जवाब नहीं देती सिर्फ अपने भगवान से कहती हूं कि,आप ही इसका इंसाफ़ करो मुझे कुछ  कहना सुनना नहीं है ” दुलारी काकी ने दुखी मन से कहा कहते हुए उनकी आंखों में आंसू आ गए 

  मधु दुलारी काकी की बात सुनकर एक बार फिर चौंक गई तो क्या दुलारी काकी के पति ने भी उन्हें धोखा दिया था लेकिन कभी उन्होंने  बताया नहीं फिर खुद पर ही झल्ला गई यह कोई बताने वाली बात तो है नहीं फिर मैंने भी तो कभी उनके पति और बच्चों के विषय में नहीं पूछा।

  ” काकी मुझे माफ़ कर दीजिए मैंने आपका अपमान किया भगवान ने मेरे ही मुंह पर तमाचा जड़ दिया” पुष्पा ने रोते हुए कहा

  ” नहीं रे मैंने तेरी बात का बुरा नहीं माना था मैं तो तुम्हें सचेत करना चाहती थी जिससे मेरी तरह तेरा घर संसार न उजड़े जब मर्द औरत एक साथ रहते हैं तो उनकी जिस्मानी भूंख ऐसे काम करवाती है अगर उन्हें रोक दिया जाए तो अनर्थ टल सकता है और अगर छूट दे दी जाए तो सब कुछ बर्बाद हो जाता है यह जो जिस्मानी आग है न यह सब रिश्ते नाते जलाकर भस्म कर देती है ” 

दुलारी काकी ने दर्द भरी आवाज़ में कहा 

  दुलारी काकी की बात सुनकर पुष्पा फूट फूटकर रोने लगी काकी ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया और उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरने लगी उसकी आंखों से भी गंगा जमुना बह रही थी।

  दुलारी काकी की बात सुनकर मधु के चेहरे पर भी दर्द सिमट आया मधु ने दर्द भरी आवाज़ में पुष्पा से कहा ” अब रोने से कोई फायदा नहीं है पुष्पा जो हो गया उसे बदला नहीं जा सकता हां अगर तू चाहे तो उस पर केस कर सकती है एक पत्नी के रहते दूसरी शादी अवैध मानी जाती है “

  ” भाभी जी केस करके मुझे क्या मिलेगा पैसा मैं पैसे का क्या करुंगी वह तो मैं खुद कमा सकतीं हूं और आप जो कह रहीं हैं कि, मैं उसकी जायज़ पत्नी हूं मेरी बहन नहीं लेकिन भाभी जी हम तो यही जानते हैं पिया जिसे चाहे वही सुहागिन जबरदस्ती करके पैसा लिया जा सकता है प्यार का अधिकार नहीं जहां प्यार नहीं वहां अधिकार मांगने का क्या फ़ायदा मुझे ऐसा अधिकार नहीं चाहिए ” पुष्पा ने गम्भीर लहज़े में जवाब दिया।

  पुष्पा की बात सुनकर मधु स्तब्ध रह गई इस कम पढ़ी लिखी लड़की ने कितनी बड़ी बात कह दी थी की जहां प्यार नहीं वहां अधिकार मांगने का कोई मतलब नहीं है मधु को दिल में चुभन का दर्द महसूस हुआ जैसे उसके दिल में कोई नश्तर चुभो रहा हो वह दर्द से छटपटाने लगी दिल का दर्द उसके चेहरे पर दिखाई देने लगा।

मधु के चेहरे को देखकर दुलारी काकी ने घबराकर पूछा ” का हुआ बिटिया कहीं दर्द हो रहा है का”?

  ” नहीं काकी पुष्पा का दर्द सुनकर मन दुखी हो गया” मधु और क्या बताती की यह दर्द पुष्पा के लिए नहीं है यह दर्द तो उसका अपना है जिसे वह वर्षों से अपने मन में छुपाए हुए थी आज हल्की सी चोट लगते ही फिर से उसमें टिसें उठने लगी मधु से वहां बैठा नहीं जा रहा था उसके सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो गई थी वह उठकर अपने कमरे में चली गई और दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया दरवाजा बंद करते ही उसकी आंखों से आंसूओं की धारा बहने लगी जो उसने अब तक अपने आंसुओं को बहुत मुश्किल से रोक रखा था•••••

क्रमशः

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश 

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