Moral Stories in Hindi
“भाभी जी मेरे मर्द ने मुझे धोखा दिया यह बात भी मुझे समझ आती है पर मेरी सगी बहन ने ऐसा किया यह बात मेरे दिल में कांटे की तरह चुभ रही है जिस बहन को मैंने अपनी सबसे अच्छी सहेली समझा उसने ही मुझसे मेरा मर्द छिन लिया और मुझी से कहती है कि, मैंने क्यों अपने मर्द को उसके
साथ हंसने बोलने की इजाज़त दी फूस और चिंगारी एक साथ रहेंगे तो आग भड़केंगी ही इसमें मेरा क्या दोष वह अब मुझे ही शिक्षा दे रही है की मैंने अपने मर्द को अपने रुप जाल में बांधकर नहीं रखा भाभी जी क्या अपनो पर विश्वास करना ग़लत है आप ही बताइए” पुष्पा ने मायूसी भरी आवाज़ में पूछा
पुष्पा की किसी भी बात का जबाव न सीमा के पास था और न ही मधु के पास वह दोनों पुष्पा की बात सुनकर स्तब्ध रह गई थीं उनके पास उसके किसी भी सवाल का जबाव नहीं था वह क्या कहें कि, प्यार उम्र के साथ कम हो जाता है जो किसी से सच्चा प्यार करते हैं उनका प्यार कभी कम होता ही नहीं हां
जो जिस्मानी प्यार करते हैं उनका प्यार ज़रूर शरीर के ढलने के साथ ढ़ल जाता है या रिश्तों पर विश्वास करना ग़लत है इन बातों का जबाव उनके पास नहीं तब मधु ने ही बात बदलते हुए कहा ” पुष्पा तुम थोड़ी देर आराम कर लो उसके बाद सोचते हैं कि, हमें क्या करना है”
” हां यही ठीक रहेगा तुम मधु के घर में ही उसके सर्वेंट क्वार्टर में जाकर आराम करो मेरे घर में तो कोई अलग कमरा है नहीं क्यों मधु तुम्हें तो कोई दिक्कत नहीं होगी” सीमा ने पूछा क्योंकि पुष्पा मधु के घर पर काम नहीं करती थी।
” नहीं मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी बल्कि मधु के रहने से दुलारी चाची को आराम मिल जायेगा अब उनसे ज्यादा काम नहीं होता मैं घर के काम के लिए किसी की तलाश कर ही रही थी” मधु ने कुछ सोचते हुए कहा
मधु की बात सुनकर सीमा और पुष्पा के चेहरे पर संतोष दिखाई देने लगा पुष्पा ने लम्बी सांस ली और फीकी मुस्कुराहट के साथ कहा ” भाभी जी अपनों से ज्यादा तो बाहर वाले मन का दर्द समझते हैं फिर लोग अपनों से इतनी उम्मीद क्यों रखते हैं”
” पुष्पा हमें किसी से ज्यादा उम्मीद रखनी ही नहीं चाहिए जब हम किसी से ज़रूरत से ज़्यादा उम्मीदें पाल लेते हैं या उस पर अपने से ज्यादा विश्वास करने लगते हैं तो हमें धोखा मिलता ही है इसलिए दोष धोखा देने वाले का नहीं है बल्कि हमारा है कि, हमने ख़ुद से ज्यादा दूसरो पर भरोसा किया” मधु ने गंभीर लहज़े में कहा
” लेकिन मधु अगर हम अपनो पर विश्वास नहीं करेंगे तो किस पर करेंगे”? सीमा ने आश्चर्य से पूछा
” मैं विश्वास न करने की बात नहीं कर रहीं हूं अंधविश्वास की बात कर रहीं हूं जब हम स्वयं के वज़ूद को भूलाकर दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं तो लोग हमें कमजोर समझने लगते हैं यही सबसे बड़ा कारण बनता है धोखा देने का” मधु ने धीरे से कहा
” हर औरत अपने पति पर विश्वास करती जब पति ही नीचता पर उतर आए पत्नी के साथ विश्वासघात करे तो पत्नी क्या कर सकती है पुरुष होते ही धोखेबाज हैं”? सीमा ने गुस्से में कहा
” इसमें सारा दोष पुरूषों का ही नहीं है औरतें भी धोखा देने में माहिर होती हैं सीमा अगर हर औरत यह ठान ले की वह किसी औरत का बसा बसाया घर नहीं उजाड़ेगी तो पुरुष कुछ नहीं कर पाएगा” मधु ने कठोर शब्दों में कहा सीमा और पुष्पा ने देखा यह कहते हुए उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया था
” मधु भाभी बिल्कुल सही कह रहीं हैं अगर औरत न चाहे तो औरतों का घर कभी बर्बाद नहीं हो सकता मेरी बहन को ही देख लो वह औरत भी है और मेरी सगी बहन भी उसी ने मेरा घर संसार उजाड़ दिया क्या शादी करने के लिए उसे कोई दूसरा मर्द न मिलता फिर भी उसने मेरे ही मर्द को ही शादी करने के लिए चुना एक औरत होकर भी उसने मेरे दर्द को नहीं समझा तो मैं अपने पति को क्या दोष दूं वह तो मर्द है वह औरत के दर्द को क्या समझेगा ” पुष्पा ने रोते हुए कहा
” गलती तेरे ही मर्द की होगी हो सकता है कि, उसने तेरी बहन के साथ जोर जबरदस्ती की हो तब मजबूर होकर तेरी बहन को उसके साथ शादी करनी पड़ी हो तेरे मर्द ने तेरे साथ इतना बड़ा अन्याय किया फिर भी तू उसका पक्ष ले रही है” सीमा ने गुस्से में पुष्पा को घूरते हुए कहा
” भाभी मेरी बहन कोई दूध पीती बच्ची नहीं है जो कोई उसे बहला फुसलाकर अपने बस में कर लेगा उसने खुद ही मेरे मर्द पर डोरे डाले होगें मैं सब समझती हूं वह मुझसे कहती रहती थी आपको तो बहुत ही प्यार करने वाला मर्द मिल गया है क्या मुझे भी इतना प्यार करने वाला मर्द मिलेगा तब मैं नहीं समझी थी कि उसकी नज़र मेरे ही मर्द पर है और मौका मिलते ही उसने उन्हें अपने प्रेम जाल में फंसाकर शादी कर ली” पुष्पा गुस्से में अपनी बहन को बुरा भला कहने लगी
” अच्छा यह बता अगर तेरा पति तूझे लेने आए तो तू उसके साथ चली जाएगी मुझे तो तेरी बातों से ऐसा ही लग रहा है” सीमा ने व्यंग से मुस्कुराते हुए कहा
” नहीं भाभी मैं इतनी बेवकूफ़ भी नहीं हूं की अब उसके पास लौट जाऊं उसने मेरे विश्वास को तोड़ा है अब वह कभी नहीं जुड़ सकता मेरा मर्द सोने का बनकर आ जाए तब भी मैं उसके साथ नहीं रहूंगी अब तो उसके पास जाने से ही मुझे घिन आयेगी” पुष्पा ने कठोर शब्दों में जबाव दिया।
“चल इतनी अकल तो तेरे पास है जो इतना समझ रही हो की जो एक बार धोखा दे सकता है वह बार बार धोखा देगा देखना कुछ दिनों बाद वह तेरी बहन को छोड़कर किसी तीसरी औरत से शादी कर लेगा” सीमा ने कहा
” भाभी वह अब चाहे जो करे मुझे उससे मतलब नहीं है रामय छोडिन अयोध्या जो चाहे सो ले अब मुझे अपने मर्द और बहन से कुछ लेना देना नहीं है” पुष्पा ने घृणा से मुंह बनाकर कहा
मधु बहुत ध्यान से पुष्पा को देख रही थी वह समझ रही थी पुष्पा जितना मजबूत ख़ुद को दिखाने की कोशिश कर रही है उतनी है नहीं उसका दिल अपने पति और बहन के धोखे से घायल हो गया है उस घाव का भरना इतना आसान नहीं है पुष्पा चाहे जितनी भी कोशिश कर ले की वह इतने बड़े धोखे को भूल जाएगी या भूल गई है यह उसकी सबसे बड़ी भूल है यह ऐसा ज़ख्म है जो अब कभी नहीं भरेगा बल्कि नासूर बनकर जीवन पर रिसता रहेगा और जिसका दर्द उसे आजीवन सहना होगा।
” अच्छा मधु मैं चलती हूं तुम पुष्पा को इसके रहने का कमरा दिखा दो “सीमा ने कहा फिर वह मधु का चेहरा ध्यान से देखकर कहने लगी ” मधु क्या बात है तेरे चेहरे पर इतना दर्द क्यों सिमटा हुआ है”?
” कुछ नहीं सीमा भाभी पुष्पा के विषय में सोच रही थी” मधु ने जल्दी से कहा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो
” चल ठीक है मैं चलती हूं” इतना कहकर सीमा वहां से चली गई सीमा के जाने के बाद मधु ने लम्बी सांस ली जैसे वह इस समय सीमा से पीछा छुड़ाना चाहती रही हो••••
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश