फूल चुभे कांटे बन – भाग 14 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  ममता जी के जाने के बाद सुरेश ने मधु से कुछ कहना चाहा पर मधु ने इशारे से उसे चुप करा दिया और आंखों से समझाया की इस विषय पर बाद में बात करेंगे मधु तारा चाची के साथ ममता जी के कमरे में चली गई निशा और सुरेश अकेले डाइनिंग टेबल पर बैठे रह गए निशा का ममता जी की बातें

सुनकर वैसे ही मुड़ ख़राब हो गया था वह गुस्से में उठकर अपने कमरे में चली गई उसके पीछे पीछे सुरेश भी वहां पहुंच गया सुरेश को देखते ही निशा फट पड़ी ” अगर आप जानते थे की आपकी मां मुझे पसंद नहीं करती है तो आपको मुझसे शादी नहीं करनी चाहिए थी अब जीवन भर मुझे आपकी मां और उस नौकरानी की बातें सुनना पड़ेगा आप जानते हैं यह मुझसे नहीं होगा” 

  ” तुम्हें कुछ दिन बर्दाश्त करना होगा अगर मां ने हमें घर से निकाल दिया तो हमारे ऐश का जीवन खत्म हो जाएगा तुम कुछ दिन सब्र रखो मधु सब ठीक कर देगी वह तुम्हें बहुत प्यार करती है तुम्हें दुखी नहीं देख सकती उसने तुम्हारे लिए अपने पति के प्यार और अधिकार को बांट लिया इसलिए धैर्य

रखो मधु मां को मना लेगी ” सुरेश ने निशा को समझाते हुए कहा फिर बहुत प्यार से उसकी तरफ़ देखने लगा सुरेश को अपनी तरफ़ इस तरह देखता पाकर निशा ने बड़ी अदा से कहा “ऐसे क्या देख रहे हो क्या इससे पहले मुझे देखा नहीं है”? 

  ” देखा है पर पत्नी के रूप में पहली बार देख रहा हूं आज हमारी सुहागरात है क्या इरादा है लड़ती ही रहोगी या हमारी बांहों में आओगी अगर तुम्हारा मन न हो तो मैं मधु के पास चला जाऊं” सुरेश ने चिढ़ाते हुए कहा

  ” क्या कहा आपने आगे से ऐसा न कहिएगा मैं दीदी से ज्यादा आपको ख़ुश रख सकतीं हूं” निशा ने सुरेश को बिस्तर पर खींचते हुए कहा

  ” पहले सबूत दो तब हम मानेंगे” सुरेश ने निशा के बालों से खेलते हुए कहा

  निशा ने कमरे की लाइट बंद की और सुरेश को अपनी बाहों में भर लिया दोनों एक दूसरे की बांहों में बंधकर वासना के सागर में गोते लगाने लगे उन्हें इसका भी अहसास नहीं था की वह दोनों एक मासूम औरत के सपनों के महल पर अपनी वासना का महल खड़ा कर रहें हैं।

  समय अपनी गति से आगे बढ़ता रहा निशा के मां बनने का समय नजदीक आ रहा था मधु ने ममता और तारा चाची को समझा बुझाकर कर शांत कर लिया था अब उन दोनों की नाराज़गी कम होने लगी थी निशा और सुरेश अब सभी के साथ डाइनिंग टेबल पर ही खाना खाते थे मधु निशा के खाने पीने का

बहुत ध्यान रखती थी लेकिन इस बीच मधु ने इतना तो महसूस किया कि,अब सुरेश उसके कमरे में नहीं आता था वह निशा के आगे पीछे ही घूमता रहता था जब कभी सुरेश मधु के कमरे में चला जाता तो निशा घबराहट का बहाना बनाकर उसे बुला लेती थी यह बात अब मधु को भी समझ आने लगी की

निशा ने सुरेश को अपनी मुठ्ठी में कर लिया है कभी कभी वह सोचती क्या बच्चा होने के बाद निशा सुरेश को तलाक़ देगी भी या नहीं फिर खुद ही अपने मन को समझाती सुरेश ख़ुद ही निशा को तलाक़ दे देगा उसने मेरे कहने पर निशा से शादी की है और इस समय वह निशा के पास इसलिए रहता है क्योंकि डाक्टर ने बताया है कि, मां का खुश रहना बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

  देखते ही देखते वह दिन भी आ गया जब निशा को अस्पताल में भर्ती कराया गया वहां उसने एक प्यारे से गोल मटोल बच्चे को जन्म दिया नर्स ने जब उस बच्चे को मधु की गोद में यह कहकर डाला की आप इस बच्चे की बड़ी मां हैं इसे गोद में लीजिए और मुझे मेरा नेग दीजिए यह सुनकर मधु के मन में निशा और सुरेश के लिए जो मलाल था वह सब खत्म हो गया।

मधु ने बच्चे के सिर से उतार कर नर्स को पैसे दिए और बच्चे को गोद में लेकर सीने से लगा लिया उसके मन को बहुत सुकून मिला फिर उसने बहुत ध्यान से बच्चे को देखा वह बच्चा उसे सुरेश की कार्बन कॉपी लगा फिर अपनी ही सोच पर वह हंस पड़ी और मन ही मन सोचने लगी की उसे हर व्यक्ति में सुरेश की ही छवि दिखाई देती है लगता है कि, मैं सुरेश के प्यार में पागल हो गई हूं।

  निशा तीन दिन अस्पताल में रही मधु ने निशा और बच्चे की बहुत सेवा की बच्चे के जन्म पर मधु को डर था कहीं सुरेश उस बच्चे को न स्वीकार करे पर ऐसा नहीं हुआ निशा कमरे से बाहर कुछ काम के लिए गई थी उसी समय सुरेश अस्पताल आया उसने बच्चे को अपनी गोद में उठाकर प्यार किया और

निशा से कहा की देखो निशू हमारा बच्चा कितना प्यारा है जब यह सब सुरेश कह रहा था तब मधु दरवाज़े पर ही थी उसने जब यह सुना तो उसके मन में शक का कीड़ा रेंगने लगा तभी निशा की नज़र

मधु पर पड़ी सुरेश ने भी मधु को देख लिया वह जल्दी से बात बदलते हुए मधु से कहने लगा ” मधु मैं निशा से कह रहा था कि,अब से यह बच्चा हमारा है तुम इसकी चिंता न करो मधु सगी मां की तरह इसका लालन पालन करेगी मैंने ठीक कहा न मधु” 

  मधु सुरेश की बात सुनकर बहल गई और उसे लगा मैंने ही कुछ ग़लत सुन लिया होगा यह बात तो सच है कि,अब यह बच्चा हमारा है तो सुरेश ने भी यही बात कही उसने ठीक ही तो कहा मधु के मन का शक दूर हो गया।

   तीसरे दिन मधु बच्चे और निशा के साथ घर आई उसने सबसे पहले बच्चे को ममता की गोद में डाल दिया ममता जी उस बच्चे को गोद में लेना नहीं चाहती थीं पर मधु ने जबरदस्ती बच्चे को उन्हें पकड़ा दिया ममता जी ने जब बच्चे को देखा तो वह चौंक गईं तभी तारा चाची भी वहां आ गई उनकी नज़र भी

जब बच्चे पर पड़ी तो उन्होंने भी आश्चर्यचकित होकर ममता की ओर देखा दोनों एक दूसरे का मुंह देखने लगी उन दोनों के चेहरे पर बच्चे को देखकर गम्भीरता छा गई लेकिन उन दोनों ने किसी से कुछ नहीं कहा।

  मधु बच्चे और निशा को लेकर अन्दर चली गई निशा को तो जैसे खेलने के लिए खिलौना मिल गया था वह दिन रात बच्चे की सेवा में लगी रहती उसे नहलाना, मालिश करना उसकी हर छोटी छोटी चीजों का ध्यान रखना यहां तक कि, बच्चा रात को मधु के पास ही सोता था निशा को दूध नहीं उतर रहा था इसलिए बच्चे को बोलत से दूध पिलाया जाता था।

एक दिन निशा ने मधु से कहा “दीदी यह शैतान मुझे रात भर सोने नहीं देता इनकी भी नींद नहीं पूरी होती यह शैतान आप से बहुत घुल मिल गया है इसे आप अपने पास ही सुलाइए यह मेरा नहीं आपका बेटा है आप इसकी मां हैं” निशा की बात सुनकर मधु खुशी से झूम उठी उसने कहा “ठीक है अब यह

मेरे पास ही रहेगा तुम अब आराम से रात में सोना नींद तुम्हारे लिए बहुत जरूरी है अभी अभी तुमसे बच्चे को जन्म दिया है तुम्हारा शरीर कमजोर हो गया है इसलिए तुम्हें आराम की जरूरत है” इतना कहकर निशा बच्चे को लेकर अपने कमरे में चली गई।

  अब बच्चा तीन महीने का हो गया था वह मधु को ही अपनी मां समझने लगा था एक रात जब सभी सो गए थे बच्चे के रोने के कारण मधु की नींद खुली उसने बच्चे को दूध की बोतल दी बच्चा दूध पाकर चुप हो गया तभी मधु ने देखा बोतल में दूध कम है उसने सोचा मैं थोड़ा और दूध ले आऊं हो सकता है

की बच्चे का पेट इतने दूध में न भरे यह सोचकर मधु और दूध लेने के लिए कमरे से निकल कर रसोई की ओर जाने लगी तभी उसे निशा के कमरे से सुरेश और निशा के हंसने की आवाज सुनाई दी और सुरेश मधु का नाम ले रहा था अपना नाम सुनकर मधु के मन में जिज्ञासा हुई उस से रहा नहीं गया वह निशा के कमरे के दरवाज़े पर जाकर खड़ी हो गई और अन्दर की बात सुनने की कोशिश करने लगी••••••

क्रमशः

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश 

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