फूल चुभे कांटे बन – भाग 13 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

   मधु के देखते ही देखते सुरेश मधु के कमरे से निकल कर निशा के कमरे में चला गया सुरेश के जाते ही मधु ने उठकर कमरे का दरवाज़ा बंद किया और बिस्तर पर औंधे मुंह गिर कर फूटफूट कर रोने लगी अब तक जो दर्द उसने अपने सीने में छुपा रखा था वह आंसूओं के रास्ते बाहर निकलने लगा

मधु कितनी देर रोती रही उसे पता ही नहीं चला और रोते रोते ही वह नींद की आगोश में समा गई दरवाज़ें पर दस्तक की आवाज सुनकर उसकी नींद खुली उसने देखा पूरा कमरा में अंधेरा है उसने उठकर लाइट जलाई और आगे बढ़कर दरवाज़ा खो दिया तो उसने देखा की कमरे के दरवाज़े पर तारा चाची खड़ी हुई हैं उन्हें देखकर मधु ने फीकी मुस्कुराहट के साथ पूछा ” चाची कोई काम था क्या”?

  ” हां काम है चलो अपनी सौत की सुहागरात के लिए सेज सजा दो इसीलिए बुलाने आई हूं” तारा चाची ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा

  ” चाची यह आप क्या कह रही हैं मैं क्यों उसकी सेज सजाऊंगी”? मधु ने गुस्से में पूछा

  ” क्यों?? क्यों नहीं कर सकतीं शादी के दूसरे काम तो तुमने खुशी खुशी किया है अब सेज भी सजा दो तो गिनीज बुक में तुम्हारा नाम दर्ज़ हो जाएगा” तारा चाची ने मधु को घूरते हुए कहा

  ” चाची आप मेरे जख्मों पर नमक क्यों छिड़क रहीं हैं मैं भी इंसान हूं कोई पत्थर नहीं मुझे भी दुःख होता है पर मैं स्वार्थी नही बन सकती निशा की जिंदगी बचाने के लिए मैंने यह सब किया है” मधु ने दुखी होकर कहा

  ” तुम्हें स्वार्थी बनना पड़ेगा बहूरानी वरना तुम्हारा पति तुम्हें कभी वापस नहीं मिलेगा” तारा चाची ने गुस्से में कहा

  ” चाची आप ऐसा क्यों कह रही हैं क्या कोई बात हुई है”? मधु ने धीरे से पूछा

  ” हां मैं अभी निशा के कमरे के आगे से गुजर रही थी तो कमरे से बेटवा और निशा के हंसने की आवाज सुनाई दे रही थी मुझे यह सभझ नहीं आ रहा है कि,जब बेटवा ने तुम्हारे कहने पर निशा से शादी की है तो वह इतना खुश क्यों हैं उनकी हंसी उनकी खुशी का इजहार कर रही है बहूरानी तुम बेटवा की लगाम खींचकर रखो नहीं तो वह निशा उन्हें अपने खूंटे से बांध लेगी वह तुम्हारी बहन तुम्हारी तरह सीधी नहीं बहुत चालाक है” तारा चाची ने गुस्से में झल्लाकर कहा

  ” चाची सुरेश जी मेरे पति एक इंसान हैं कोई जानवर नहीं जो मैं उन्हें खूंटे में बांधूं या उनको लगाम लगाऊं” मधु ने गम्भीर लहज़े में जबाव दिया।

  ” तुम्हें समझाना अपना ही सर फोड़ना है तुम जानो तुम्हारा काम जाने चलो मालकिन तुम्हें खाना खाने के लिए बुला रहीं हैं” तारा चाची ने गुस्से में कहा और कमरे से बाहर चली गई

  थोड़ी देर बाद जब मधु डाइनिंग हॉल में आई तो निशा और सुरेश वहां पहले ही एक साथ बैठे हुए थे मधु को देखकर निशा ने सुरेश के पास से उठते हुए कहा ” आइए दीदी बैठिए हम आपका ही इंतज़ार कर रहे थे मां जी ने तो खाना खाने से मना कर दिया है आप तो हमारे साथ खाना खाएंगी ना ” ?

  ” तुम लोग खाओ निशा मैं मां जी के साथ उनके कमरे में ही खाना खा लूंगी वह इस समय नाराज़ हैं यहां नहीं आएगी निशा तुम थोड़े दिन मां जी से दूर ही रहना क्योंकि इस समय वह गुस्से में हैं तुम्हें देखकर और नाराज़ हो जाएगी मैं उनके कमरे में जा रही हूं” मधु ने गम्भीर लहज़े में कहा

  ” दीदी मैं भी तो अब उनकी बहू हूं वह अगर मुझसे नाराज़ रहेंगी तो कैसे चलेगा घर में हमेशा तनाव बना रहेगा मां जी को ऐसा नहीं करना चाहिए” निशा ने मुंह बनाकर कहा

  ” इस घर का माहौल मालकिन ने नहीं बिगाड़ा है तुमने इस घर की सुख शांति में आग लगाया है और हिम्मत तो देखो इल्जाम मालकिन पर लगा रही हैं” तारा चाची ने गुस्से में बड़बड़ाते हुए कहा

  ” तारा चाची आप मेरा अपमान कर रही हैं”? निशा ने तारा चाची को घूरते हुए कहा

  ” अपमान उसका होता है जिसका कोई सम्मान होता हो निशा मैंने तुम्हें पहले भी समझाया था कि, तुम्हें तारा को कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है तारा को मैं अपनी छोटी बहन मानती हूं वह तुम्हारी तरह की छोटी बहन नहीं है वह सुरेश के पिताजी को राखी बांधती थी इसलिए उसका अपमान करने वाले को मैं कभी माफ़ नहीं करूंगी और सुरेश तुम भी कान खोलकर सुन लो अगर आज के बाद

तुम्हारी इस नई पत्नी ने तारा का अपमान किया तो मैं तुम दोनों को इस घर से बाहर निकाल दूंगी और मेरा और मधु का खर्चा भी तुम्हें देना होगा तब तुम्हें इस नई पत्नी की ख्वाहिशें पूरी करने के लिए सोचना पड़ेगा यह मेरी कोरी धमकी नहीं है मैं ऐसा करूंगी और तुम अच्छी तरह से जानते हो अगर

मैंने कोर्ट में यह कह दिया कि,एक पत्नी के रहते तुमने दूसरी शादी की है तो तुम्हारी नौकरी भी जा सकती है इसलिए अपनी इस बदतमीज पत्नी को अच्छी तरह समझा दो दोबारा तारा या मधु का अपमान करने की कोशिश भूलकर भी न करें और इसका तो मुझे पता नहीं पर तुम अच्छी तरह मुझे

जानते हो मैं जो कह रही हूं वह कर भी सकतीं हूं इसलिए तुम दोनों ऐसा कोई काम न करना की मेरा दिमाग़ ख़राब हो जाए जो तुम्हारी सेहत के लिए ठीक नहीं होगा” ममता ने डाइनिंग हॉल में आते हुए कठोर शब्दों में कहा

  ममता जी की बात सुनकर निशा का चेहरा सफेद पड़ गया उसने घबराकर कहा ” मां जी मुझे माफ़ कर दीजिए मुझसे गलती हो गई अब ऐसी ग़लती भूलकर भी नहीं होगी” 

  ” हां मां निशा को माफ़ कर दीजिए यह अब तारा चाची को कुछ भी नहीं कहेंगी मैं निशा को अच्छी तरह समझा दूंगा मैं आपसे अलग नहीं रह सकता आप यह अच्छी तरह जानती हैं” सुरेश ने कहा वह भी ममता की धमकी सुनकर घबरा गया था

  ” पर अब मैं तुम्हारे बिना रह सकती हूं क्योंकि मधु और तारा मेरे साथ हैं मुझे तुम्हारे सहारे की जरूरत नहीं है और हां एक बात और बताना है तुम दोनों को आज के बाद तुम दोनों को यहां डाइनिंग हॉल में खाना खाने के लिए आने की जरूरत नहीं है निशा और तुम अपने कमरे में ही खाना खाओगे” ममता ने अपना आदेश सुना दिया।

  ” मां जी यह आप क्या कह रही हैं”?  मधु ने आश्चर्यचकित होकर पूछा

  ” यह मेरा घर है मधु यहां मेरी मर्ज़ी ही चलेगी तुमने अपनी मर्ज़ी की मैंने कुछ नहीं कहा अब मेरे मामले में बोलने की जरूरत नहीं है” ममता ने कठोर शब्दों में मधु को चुप करा दिया।

  ममता जी की बात सुनकर निशा, सुरेश और मधु परेशान हो गए जबकि तारा चाची के चेहरे पर खुशी दिखाई देने लगी मधु कुछ कहती उससे पहले ही ममता जी की आवाज सुनाई दी ” तारा मेरा अपना और मधु का खाना लेकर मेरे कमरे में आ जाओ कल से हम यहीं डाइनिंग टेबल पर ही नाश्ता,लंच और डिनर करेंगे” इतना कहकर ममता अपने कमरे में चली गई

  अपनी सास की बात सुनकर निशा और सुरेश का चेहरा उदास हो गया निशा ने मधु की ओर देखा मधु ने इशारे से समझाया कि,वह सब ठीक कर देगी••••••

क्रमशः

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश 

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