मधु तारा चाची की बातों को सुनकर अन्दर तक सहम गई पर उसने खुद को सांत्वना दी रात का खाना किसी ने नहीं खाया दूसरे दिन रविवार था सुबह मधु जल्दी ही उठ गई उसने स्नान कर भगवान के मंदिर में जाकर आरती की उसके बाद सभी को प्रसाद दिया।
सुरेश को प्रसाद देते हुए उसने धीरे से कहा ” शादी आज ही कर लीजिए वरना निशा का मन डरा सहमा रहेगा इसका असर बच्चे पर पड़ेगा यह ठीक नहीं है जो काम करना है उसे करके ख़त्म कीजिए”
” ठीक है जैसा तुम चाहो मैंने तुम्हारे सामने हथियार डाल दिया है जैसा तुम कहोगी मैं करूंगा” सुरेश ने सपाट स्वर में कहा।
तारा चाची सुरेश को अजीब नज़रों से देख रही थीं पर कहा कुछ नहीं अब कुछ भी कहना सुनना बेकार था अब जो होना होगा वह तो होकर ही रहेगा।
मधु ने अपने दिल पर पत्थर रखकर शादी की सभी तैयारियां की दुल्हन को लाल जोड़े में तैयार किया निशा दुल्हन बनी बहुत ही सुन्दर लग रही थी सुरेश ने भी शेरवानी पहनी मधु के मातापिता की खुशी का ठिकाना नहीं था निशा और सुरेश की आंखों में ख़ुशी की चमक दिखाई दे रही थी पर मधु को यह सब देखने या समझने का होश ही कहां था वह तो दिल ❤️ पर पत्थर रखकर अपने ही सुहाग को अपनी बहन के साथ बांटने जा रही थी उसकी मनोदशा को ममता और तारा चाची बखूबी समझ रहीं थीं पर कोई कुछ कर नहीं सकता था क्योंकि मधु ख़ुद ही अपने खुशी संसार में आग लगाने जा रही थी तो दूसरा उसे कैसे बचा सकता था।
निशा और सुरेश तैयार होकर हाल में आ गए वहां ममता जी पहले ही बैठी हुई थीं सुरेश ने अपनी मां के पैरों को छूकर आशीर्वाद लिया निशा भी उनके पैरों में झुक गई ममता जी ने बेमन से दोनों को आशीर्वाद दिया सुरेश ने कहा “मां आप भी हमारे साथ मंदिर चलिए”
” नहीं मैं वहां नहीं जाऊंगी घर पर भी तो स्वागत के लिए किसी का रहना जरूरी है” ममता ने गम्भीर लहज़े में कहा
मधु सभी को लेकर मंदिर के लिए निकल गई जब उनकी गाड़ी गेट से बाहर निकल रही थी तो रीमा भाभी और सलमा बाहर ही खड़ी हुई थी सामने के घर के पाठक जी और वर्मा साहब भी बाहर खड़े थे सभी की नज़र दुल्हन बनी निशा पर पड़ी सभी आश्चर्यचकित होकर एक दूसरे का चेहरा देखने लगे सभी को कुछ कुछ समझ आ रहा था जब मधु की गाड़ी आगे निकल गई तो रीमा ने सलमा से कहा ” देखा सलमा भाभी मैं न कहती थी की सुरेश और निशा में कोई चक्कर चल रहा है और वही सामने आया बेचारी मधु अपनी सीधाई में मारी गई अब जीवन भर सौत के दंस को सहेगी बेचारी मधु” फिर सभी सुरेश, निशा, मधु और ममता के विषय में चर्चा करते रहे जो लोगों की आदत होती है लोगों के जीवन में झांकना और मज़ा लेना कुछ देर बाद सभी पड़ोसी अपने अपने घरों में चले गए।
मंदिर में पहुंचकर मधु ने पंडित जी से शादी करवाने के लिए कहा वह पहले ही पंडित जी से बात कर चुकी थी मंदिर में ज्यादा लोग नहीं थे निशा, सुरेश, मधु, मधु के मातापिता, सुरेश की डाक्टर दोस्त रेखा और मधु की सबसे ख़ास सहेली सीमा मधु ने जब सीमा को बताया की वह निशा की शादी अपने पति से करवा रही है तो उसने मधु को बहुत उल्टा सीधा सुनाया समझाया की वह अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी न मारे पर मधु पर तो त्याग का भूत सवार था वह अपनी छोटी बहन की खुशियों के लिए कुछ भी करने को तैयार थी जब सीमा समझ गई कि, मधु किसी की कुछ नहीं सुनेगी तो वह भी मधु के बुलाने पर लखनऊ आ गई और इस समय मधु के साथ मंदिर में बैठी उसके पति की दूसरी शादी की गवाह बनी हुई थी।
मधु मंदिर में बैठी अपने पति को किसी और का होते देख रही थी जब सुरेश ने निशा के गले में वरमाला पहनाया तो मधु को लगा जैसे उसके दिल को जैसे किसी ने मुठ्ठी में भींच लिया हो वरमाला के बाद फेरे शुरू हुऐ फिर मांग भरने की की रस्म पूरी हुई अब निशा सुरेश की पत्नी बन चुकी थी शादी के बाद सुरेश ने अपने सास ससुर के पैर छूकर आशीर्वाद लिया दोनों की खुशी का ठिकाना नहीं था वह ख़ुशी से पागल हो रहे हैं विशेषकर निशा की मां रेखा और सीमा को यह कुछ अजीब सा लगा सीमा से रहा नहीं गया उसने मधु से कहा “आंटी जी तो इतनी खुश हो रहीं हैं जैसे उन्हें खुशियों का खजाना मिल गया है वह निशा के लिए इतने खुश हैं पर उन्हें तेरा दुख दिखाई ही नहीं दे रहा है जैसे वह तेरी सगी नहीं सौतेली मां हों”
” ऐसी बात नहीं है सीमा मां मेरी सगी मां हैं तुम तो कुछ भी सोचती रहती हो वह निशा के लिए इसलिए खुश हैं क्योंकि इस शादी से निशा को नई जिंदगी मिल रही है और कोई बात नहीं है तुम मुझे बहुत प्यार करती हो इसलिए हर किसी पर शक कर रही हो” मधु ने मुस्कुराने की कोशिश करते हुए कहा जब की उसकी उदासी उसके चेहरे पर साफ़ दिखाई दे रही थी।
” मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा है” डाक्टर रेखा ने भी मुंह बनाकर कहा
” ऐसा कुछ नहीं है अच्छा उधर देखो शादी हो गई है अब हमें दुल्हा दुल्हन को लेकर घर चलना चाहिए वहां सभी इंतजार कर रहे होंगे” मधु ने कहा और सुरेश के पास जाकर बोली ” सुरेश यहां शादी का कार्यक्रम सम्पन्न हो गया है अब चलो घर चलते हैं”
थोड़ी देर बाद सभी कार में बैठकर घर की ओर निकल गए लगभग एक घंटे के बाद गाड़ी सुरेश के घर के बाहर खड़ी थी क्योंकि घर का गेट बंद था मधु ने गाड़ी से उतर कर घर का गेट खोला सबसे पहले दुल्हा दुल्हन की गाड़ी घर के अन्दर दाखिल हुई।
सुरेश ने सहारा देकर निशा को गाड़ी से बाहर निकाला वह दोनों घर की तरफ़ बढ़े निशा ने सोचा था कि,उसकी सासू मां उसकी आरती करके गृहप्रवेश करवाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ निशा मन मसोस कर रह गई।
सभी हाल में आकर सोफे पर बैठ गए तब निशा की मां ने ममता जी से कहा ” समधन जी आपने अपनी बहू का गृहप्रवेश नहीं करवाया निशा की पहली शादी है उसके भी कुछ अरमान रहें होंगे”
” समधन जी मैं अपनी बहू का गृहप्रवेश करवा चुकी हूं दोबारा ऐसा करने का मुझे कोई शौक नहीं है और अगर निशा को अपने सभी अरमान पूरे करने थे तो उसे किसी और के आशियाने में आग नहीं लगानी चाहिए थी दूसरी बात किसी कुंवारे लड़के से शादी करनी चाहिए थी अब आप कहेंगी की मुझे निशा की सुहागसेज भी सजवानी चाहिए” ममता जी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा।
निशा की मां सकपका गई उन्होंने जल्दी से कहा” नहीं समधन जी मेरे कहने का मतलब वह नहीं है मैं एक मां हूं इसलिए निशा के लिए ऐसा सोचने लगी अब वह आपकी बहू है आप जैसा चाहें वैसा करें मैं कौन होती हूं सलाह देने वाली”
” यही आपके लिए ठीक होगा और आज ही आप पति पत्नी यहां से चले जाइए मैं आपको और बर्दाश्त नहीं कर सकती” ममता जी ने गम्भीर लहज़े में कहा।
मधु ने ममता जी से कुछ कहना चाहा पर ममता ने मधु की एक नहीं सुनी मधु के मातापिता ने वहां से जाने में ही अपनी भलाई समझी ममता जी अपने कमरे में चली गई मधु भी अपने कमरे में आकर बिस्तर पर बैठ गई सीमा मंदिर से ही अपनी मौसी के घर चली गई थी और डॉ रेखा मंदिर से ही अपने घर के लिए रवाना हो गई थीं।
सुरेश ने निशा को उसके कमरे में छोड़ा और मधु के पास आ गया मधु ने सुरेश को अपने कमरे में देखकर कहा ” सुरेश जी आज से आप इस कमरे में नहीं निशा के साथ उसके कमरे में रहेंगे क्योंकि उसे मानसिक आघात लगा है जिसे आप ही दूर कर सकते हैं मुझे विश्वास है आप मेरी बात ठुकराएंगे नहीं”
” मधु मैंने निशा से शादी तुम्हारे कहने पर की है क्योंकि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं और तुम्हें दुखी नहीं देख सकता पर अब मुझे निशा के साथ रहने के लिए बाध्य न करो प्लीज़” सुरेश ने विनती करते हुए कहा
” आप समझते क्यों नहीं निशा मां बनने वाली है उसे मोहन ने धोखा दिया है अब उस घाव पर मरहम आप ही लगा सकते हैं अगर आप उसके साथ नहीं रहेंगे तो वह दोबारा आत्महत्या करने की कोशिश कर सकती हैं तो इस शादी का कोई मतलब नहीं रह जाएगा इसलिए आपका निशा के नज़दीक रहना ही ठीक होगा जब बच्चा हो जाएगा तब की तब देखेंगे क्या करना है” मधु ने गम्भीर लहज़े में कहा
” ठीक है जैसा तुम चाहो” इतना कहकर सुरेश मधु के कमरे से बाहर निकल गया•••••• और मधु दिल ❤️ पर पत्थर रखकर अपने पति को किसी और के पास जाते हुए देखती रही•••
क्रमशः
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश