फूल चुभे कांटे बन – भाग 11 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  मधु की बात सुनकर हाल में सन्नाटा छा गया ममता और तारा चाची को छोड़कर सभी के चेहरे पर खुशी दिखाई देने लगी सुरेश और निशा ने जल्दी से अपने चेहरे के भावों को छुपा लिया निशा उदासी का नाटक करते हुए बोली ” दीदी यह आप क्या कह रही हैं मैं अपने स्वार्थ के लिए आपको दुःख नहीं दे सकती मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए ” 

  ” निशा तू मेरे जीवन में दुख नहीं खुशियां लेकर आएगी तेरे आने से मुझे भी मां कहकर बुलाने वाला आ जाएगा अहसान मैं नहीं तुम मुझ पर करोगी मेरी बहन ” मधु ने मुस्कुराते की कोशिश करते हुए कहा

  ” मधु बेटी तेरा यह अहसान हम कभी नहीं भूलेंगे तुमने हमें समाज में ऱुसुवा होने से बचा लिया” मधु की मां ने मधु से कहा

  मधु ने कोई जवाब नहीं दिया वह पत्थर बनी खड़ी रही उसके मन में कुछ दरक गया था जबसे सुरेश ने निशा से शादी करने के लिए मौन सहमति दे दी थी उसने कोई विरोध नहीं किया यह बात मधु को अन्दर तक चुभ गई जिसकी चुभन इतनी गहरी थी की उस पीड़ा के कारण मधु की आंखों में आसूं छलक आए जिसे मधु ने बहुत मुश्किल से बाहर आने से रोका।

  ” बहू तुम यह ठीक नहीं कर रही हो जिस बहन के लिए तुम इतना बड़ा त्याग कर रही हो वही कल तुम्हारे त्याग को भूल जाएगी और तुम्हारे पति को अपने वश में करके तुमसे दूर कर देगी तुम्हारी बहन देखने में मासूम है जबकि यह बहुत ही चालाक लड़की है अभी भी समय है अपना निर्णय बदल दो सुरेश बिना तुम्हारी इज़ाजत के कानूनी रूप से शादी नहीं कर सकता मेरी बात मानो इतनी बड़ी बेवकूफी न करो बेटा ” ममता जी ने दुखी होकर कहा

  ” मां जी अगर मैं सिर्फ़ अपने बारे में सोचूंगी तो मेरी बहन और मातापिता के सामने एक ही रास्ता रह जाएगा वह होगी मौत अगर मेरे बलिदान से तीन लोगों को जीवनदान मिल जाए तो यह सौदा मंहगा नहीं है और मां पिताजी कह रहें हैं की बच्चे के जन्म के बाद  निशा इनको तलाक़ दे देगी और यहां से चली जाएगी तब सब ठीक हो जाएगा मुझे पति और बच्चा दोनों मिल जाएंगे मां जी पहले राजा महाराजा भी तो कई शादियां करते थे ” मधु ने मुस्कुराते हुए कहा जब की उसके दिल ❤️ के दर्द को ममता जी साफ़ उसके चेहरे पर देख रहीं थीं।

  ” बहूरानी यह जो तुम कर रही हो यह प्यार नहीं पागलपन है शादी हो जाने के बाद तुम्हारी बहन यहां से कभी नहीं जाएगी यहीं तुम्हारी छाती पर मूंग दलेगी तुम देखना इसे इतनी भोली समझने की भूल न करो मुझे तो यह सब तुम्हारी बहन और मातापिता की चाल लग रही है जिसमें तुम फंस गई हो” तारा चाची ने गुस्से में कहा उनके चेहरे पर निशा और उसके मातापिता के लिए नफ़रत के भाव थे।

  ” तारा चाची आप अपनी सीमा पार कर रही हैं” निशा ने गुस्से में कहा

  ” निशा अभी तुम इस घर की बहू नहीं बनी हो इसलिए तारा से इस तरह की बात करने का अधिकार तुम्हें नहीं है और उसने कुछ ग़लत तो कहा नहीं तो फिर क्यों तुम्हें मिर्ची लग गई और वैसे भी मेरे अलावा तारा से कोई भी ऊंची आवाज़ में बात नहीं कर सकता इस बात को हमेशा याद रखना वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा” ममता जी ने गम्भीर लहज़े में निशा से कहा

  ममता जी की बात सुनकर निशा घबरा गई उसने जल्दी से कहा ” मुझे माफ़ कर दीजिए मां जी” 

” माफ़ी मुझसे नहीं तारा से मांगों” ममता ने कठोर शब्दों में कहा 

  ” मुझे माफ़ कर दीजिए तारा चाची ” निशा ने हाथ जोड़कर कहा

  ” मुझसे माफ़ी मांगने की जरूरत नहीं है मैं तुम्हें कभी माफ़ कर ही नहीं पाऊंगी इसलिए नहीं की तुमने मेरा अपमान किया है बल्कि इसलिए तुमने अपनी देवी जैसी बहन के साथ छल किया है मैं तो यही कहूंगी कोई कुछ भी कहे की तुम मोहन से प्यार करती थीं मेरा मन यह बात मानने को तैयार नहीं है यह बच्चा मोहन का नहीं है”

तारा चाची ने नफ़रत से निशा को देखते हुए कहा और वहां से चली गई।

  तारा की बात सुनकर जहां सुरेश, निशा और उसके मातापिता के चेहरे सफेद पड़ गए वहीं मधु और ममता के चेहरे पर आश्चर्यचकित करने वाले भाव दिखाई देने लगे।

  मधु की मां निशा को अपने साथ लेकर निशा के कमरे की ओर चली गई  निशा के पिता जी भी उनके पीछे हो लिए सुरेश कुछ देर वहां खड़ा रहा फिर वह भी अपने कमरे में चला गया।

  मधु वहीं सोफे पर बैठ गई उसके चेहरे को देखकर ऐसा लग रहा था कि, जैसे किसी ने उसका सब कुछ लुट लिया हो उसे चुपचाप बैठे देखकर ममता और तारा उसके पास आकर बैठ गई ममता ने लम्बी सांस लेते हुए कहा ” बहू अब दुःखी क्यों हो रही हो यह दुःख तो तुमने खुद मोल लिया है अब पछतावा कैसा अभी भी समय है अगर तुम चाहो तो यह सब रोक सकती हो” 

  ” नहीं मां जी मैंने फ़ैसला कर लिया है मैं निशा की मौत बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी निशा की जिंदगी बचाने का यही एक तरीका है इसलिए मुझे अपने दिल ❤️ को समझाना ही होगा” मधु ने दर्द भरी आवाज़ में कहा।

  ” बहूरानी मैं अभी भी यही कहूंगी कि,आप ग़लत औरत का साथ दे रही हैं हमें लगता है कि,यह सब सुरेश बेटवा से शादी करने के लिए निशा कर रही है” तारा चाची ने गुस्से में कहा

  ” चाची मेरी बहन ऐसा नहीं करेंगी वह खुद एक धोखा खाई हुई औरत है वह मुझे क्या धोखा देगी आप देखना जब उसका बच्चा पैदा हो जाएगा तो वह खुद यहां से चली जाएगी तब आप ही निशा की तारीफ करेंगी” मधु ने दर्द भरी मुस्कुराहट के साथ कहा

  ” भगवान करे तुम्हारी बात सच साबित हो जाए तुम्हारा विश्वास जीत जाए और मेरा विश्वास हार जाए••••• पर मैं जानती हूं ऐसा होगा नहीं••••तारा चाची ने गम्भीर लहज़े में कहा•••••

क्रमशः

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश 

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