फूल चुभे कांटे बन – भाग 1- डॉ कंचन शुक्ला :

उत्तराखंड का एक छोटा सा पहाड़ी कस्बा जो चारों ओर से प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा एक पाॅश इलाके में एक खूबसूरत सा घर जो चारो ओर से पेड़ पौधों से घिरा हुआ था उस घर का गार्डन बहुत ही सुन्दर था जहां विभिन्न प्रकार के फ़ूल खिले हुए थे जिसमें ग़ुलाब ज्यादा थे हम यह भी कह सकते हैं कि,उस घर के गार्डन में विभिन्न प्रकार और विभिन्न रंगों के ग़ुलाब थे गार्डन के एक किनारे झूला पड़ा हुआ था दूसरी तरह पत्थर की बेंच बनी थी बीच में बेंच की कुर्सियां और एक मेज़ रखी हुई थी।

  मधुलिका वहीं गार्डन में बैठी चाय की चुस्कियां ले रही थी मौसम में गुलाबी ठंडक थी मंदमंद बयार बह रही थी हरसिंगार के फूलों की खुशबू से वातावरण महक रहा था हरसिंगार के पेड़ के नीचे फूलों की सफ़ेद चादर सी बिछी हुई थी।

  चाय खत्म करके मधुरिमा गार्डन में टहलने लगी वहां का अद्वितीय सौंदर्य उसके मन को मोह रहा था उस सौंदर्य से प्रभावित होकर मधुलिका गुनगुनाने गई उसकी आवाज़ इतनी मधुर थी जैसे किसी ने सितार के तारों को छेड़ दिया हो।

  ” मधु तुम लिखने के साथ साथ गाती भी इतना मधुर हो मुझे नहीं मालूम था” तभी मधु को अपने पड़ोस में रहने वाली सीमा भाभी की आवाज सुनाई दी।

  ” आइए भाभी जी बैठिए  कभी कभी थोड़ा बहुत गुनगुना लेती हूं बस” मधु ने बैठते हुए मुस्कुराकर कहा

  ” तुम बहुत अच्छा गाती हो तुम अपनी कविताओं का आडियो क्यों नहीं बना लेती और इसे अपना कोई पेज़ बनाकर उसमें डालो लोग तुम्हारी कविताएं सुनेंगे पढ़ने से ज्यादा लोग सुनना पसंद करते हैं” सीमा ने मधु को सलाह दी

फिर इधर उधर की बातें होती रहीं तभी सीमा के घर में काम करने वाली पुष्पा वहां आ गई पुष्पा को  देखकर सीमा और मधु दोनों चौंक गईं क्योंकि पुष्पा की आंखें सूजी हुई थी जैसे वह रात भर रोती रही हो उसके बाल बिखरे हुए थे चेहरे पर चोट के निशान थे पुष्पा वहीं जमीन पर बैठ गई उसको देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह अपना सब कुछ हार कर आईं हो।

  ” पुष्पा तुम्हें क्या हुआ तुम्हारी यह हालत किसने बनाई?” सीमा ने घबराकर पुष्पा से पूछा

  पुष्पा कुछ नहीं बोली बस शून्य में ताकती रही जैसे वह वहां थी ही नहीं पुष्पा की हालत देखकर मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा उसके चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर आई उसे पुष्पा की हालत देखकर कुछ अपने अतीत की बातें याद आने लगी जब ऐसी ही सर्द सुबह थी जिसने उससे उसका सब कुछ छिन लिया था और उसके जीवन में अंगारे भर दिए थे उसके बाद कितनी ही सर्द रातें और दिन आए और चले गए पर उसके मन की आग को ठंडा नहीं कर सकें।

  “पुष्पा तुम कुछ बोलती क्यों नहीं क्या हुआ है तुम्हें”  तभी सीमा की आवाज सुनकर मधु अतीत से वर्तमान में वापस लौट आई उसने देखा सीमा पुष्पा को कंधे से झकझोरते हुए उससे पूछं रही थी। पहले तो पुष्पा कुछ नहीं बोली फिर सीमा को देखकर फूटफूट कर रो पड़ी सीमा ने उसे रोने दिया मधु ने अंदर से पानी मंगवाया और पुष्पा को दिया पानी पीने के बाद वह थोड़ा नार्मल हुई तब सीमा ने उससे फिर पूछा तब उसने बहुत दर्द भरी आवाज़ में कहा ” जानती हैं भाभी जी मेरी ही बहन ने मेरे मर्द से शादी कर ली है” यह कहते कहते उसकी आवाज भर्रा गई पुष्पा की बात सुनकर मधु अन्दर तक कांप गई मधु को कुछ ऐसा ही अंदेशा हो रहा था क्योंकि पुष्पा उसे अकसर मिल जाती थी और उससे कहती ” भाभी  हमने सुना है कि,आप कहानियां लिखतीं हैं” तब मधु ने हंसते हुए कहा ” हां लिखतीं तो हूं पर तू क्यों पूंछ रही है क्या मेरी कहानियां पढ़ना चाहती हो”?

  ” नहीं भाभी हमें पढ़ना लिखना नहीं आता हम तो इसलिए पूंछ रहे थे की आप हमारी प्रेम कहानी भी लिख दो” पुष्पा ने शरमा कर कहा

  ” तो क्या तुमने प्रेम विवाह किया है”? मधु ने हंसते हुए पूछा था

  ” हां भाभी हमने प्रेम विवाह किया है वह भी घर से भागकर पहले तो हमारे घर वालें बहुत नाराज़ रहे पर अब सब ठीक हो गया है जानती हैं क्यों”? पुष्पा ने शरमा कर कहा

  ” मुझे कैसे पता चलेगा तुम ही बता दो” मधु ने हंसते हुए पूछा

“भाभी जी हमार मर्द हमें बहुत प्यार करत है कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाता हमें रानी की तरह रखता है सीमा भाभी के घर काम तो हम अपनी मर्ज़ी से करते हैं मेरा मर्द कहता है कि, तुम्हें काम करने की जरूरत नहीं है” यह सभी बातें पुष्पा ने मधु को बताई थीं तब मधु ने हंसते हुए कहा था ठीक है हम तुम्हारी प्रेम कहानी जरूर लिखेंगे।

आज उसी पुष्पा के चेहरे पर चोट के निशान हैं आंखों में दर्द सिमटा हुआ है जिन आंखों में हमेशा प्यार का सागर लहराता रहता था। पुष्पा की हालत देखकर मधु समझ गई थी कि, पुष्पा के शरीर पर कम दिल पर बहुत गहरे घाव लगे हैं पर वह अपने मन को समझाने की कोशिश कर रही थी कि,हो सकता है यह उसका वहम हो पर अब बात स्पष्ट हो गई थी पुष्पा के दिल में नश्तर उसके अपने प्रेमी पति ने चुभोया था।

  ” क्या कह रही है तू तेरा पति तो तुम्हें बहुत प्यार करता था फिर उसने ऐसा कैसे किया और तेरी बहन जिसे तूने अपने घर में रखा उसके लिए इतना कुछ किया उसकी हर इच्छा को पूरा किया वह तुम्हारे साथ ऐसा कैसे कर सकती है उसे विवाह करने के लिए कोई और लड़का नहीं मिला जो उसने तेरा घर उजाड़ दिया” सीमा ने गुस्से में कहा

  ” भाभी मैंने तो दोनों पर आंख बंद करके विश्वास किया था पर उन दोनों ने मेरी ही पीठ में छूरा घोंप दिया” पुष्पा ने दर्द भरी आवाज़ में कहा

  ” तूने अपने आदमी और बहन से पूछा नहीं की उन लोगों ने तेरे साथ ऐसा क्यों किया”? सीमा ने गुस्से में कहा

  ” पूछा था भाभी जी दोनों से पूछा था पर जो जबाव मिला उसे सुनकर कलेजा फट गया जानती हैं भाभी मेरे पति ने क्या कहा उसने कहा ” अब तुम जवान नहीं रहीं तुम्हारे साथ वह मज़ा नहीं आता जो तेरी बहन के साथ आता है तू अब बूढ़ी हो गई है मुझे जवान औरत चाहिए इसलिए मैंने तेरी बहन से शादी की है। और मेरी बहन ने मुझसे कहा तुम अपने पति को वह सुख नहीं दे पाती हो जो वह चाहता है वह सुख मैं उसे देती हूं इसलिए अब तेरा मर्द मुझसे प्यार करता है। भाभी आप लोग तो पढ़ी लिखी हैं आप लोगों को ज्यादा पता होगा क्या प्यार भी जवान और बूढ़ा होता है ? “

पुष्पा की बात सुनकर मधु और सीमा एक दूसरे का मुंह देखने लगी क्योंकि पुष्पा ने बहुत ही सच्चा पर कड़वा प्रश्न किया था जिसका जवाब उन दोनों के पास नहीं था••••••

क्रमशः

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश 

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