“ये बंधन कच्चे धागों का नहीं है – समिता बडियाल : Moral Stories in Hindi

माँ , इस बार आप राखी पर मामा के घर नहीं जाओगे , अभिषेक ने अपनी माँ सुशीला जी से कहा। सुशीला जी बोलीं , बेटा अभि , ये रिश्ते बहुत नाज़ुक होते हैं , एक बार बिखर गए तो बिखर गए। फिर जितना भी संभालो , नहीं संभलते। अभिषेक माँ का हाथ पकड़ कर … Read more

यह सिर्फ़ कच्चे धागों का बंधन नहीं है – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सुबह के सात बज रहे थे. शादी के मंडप में गेंदे और गुलाब की भीनी ख़ुशबू तैर रही थी. अर्जुन और प्रिया एक नई ज़िंदगी की शुरुआत करने के लिए बैठे थे. अर्जुन की पहली पत्नी की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, जिसके बाद वह अपने बेटे नमन के साथ अकेला रह … Read more

एक हाथ से ताली नहीं बजती – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

आहाना का दिल ढोल-नगाड़ों की गूँज में भी अपनी धड़कनों को महसूस कर रहा था. यह धड़कनें ख़ुशी की नहीं, बल्कि एक गहरे डर और पश्चाताप का था. मखमली लाल लहंगे और भारी-भरकम गहनों में सजी, वह किसी कठपुतली की तरह मंडप में बैठी थी. पंडित मंत्र पढ़ रहे थे और हवन की अग्नि जल … Read more

काश मैं भी अदृश्य हो पाती -अर्चना कोहली “अर्चि” : Moral Stories in Hindi

रात को मिस्टर इंडिया चलचित्र देखकर विनीता के मन में बार-बार ये विचार चल रहे थे, काश मेरे अंदर भी अदृश्य होने की शक्ति होती तो कितना मज़ा आता! मनमर्जी से कुछ भी करो। कोई रोक-टोक नहीं। जब मन करे, अदृश्य होकर कहीं पर भी चले जाओ। न टिकट खरीदने का चक्कर और न ही … Read more

समाधान मिल गया –  अर्चना कोहली ‘अर्चि’ :

 Moral Stories in Hindi  “व्हाट ए सरप्राइस। इतने दिन बाद मुझसे मिलने की फुरसत मिली।” मनीषा ने नित्या से बनावटी गुस्से से कहा।  “नाराज मत हो, बस कुछ व्यस्त थी। आज सबकी छुट्टी थी तो सोचा, कुछ देर के लिए मिल आऊँ। तू बता जिंदगी कैसे चल रही है और दिव्यांश और दिव्या कैसे हैं?” … Read more

कठोर कदम – श्वेता अग्रवाल :

Moral Stories in Hindi “मम्मा! मेरा हेडफोन कहाँ है?” कृष्णा चिल्ला रहा था। उसने पूरा कमरा अस्त-व्यस्त कर दिया था। तभी उसकी आवाज सुनकर माँ नीरा वहाँ आईं और बोलीं – “क्या हुआ कृष्णा? इतना शोर क्यों मचा रखा है?” “ओह मम्मा! कितनी बार कहा है कि मुझे ‘कृष्णा’ मत बुलाया करो,  ‘कृष’ बुलाओ, पर … Read more

सच्ची मित्रता – शुभ्रा बैनर्जी :

 Moral Stories in Hindi “सुमन देखो तो,कौन आया है?”अपने कमरे में ऑफिस जाने के लिए तैयार होते हुए सुधाकर जी ने पत्नी से कहा। सुमन थोड़ी ही देर में हड़बड़ाते हुए आई ,और कहा”सुनिए जी, जल्दी से बिस्तर पर सो जाइए।ऑफिस थोड़ी देर बाद चले जाइयेगा।मधुकर के मां-बाप आएं  हैं।वही पुराना राग अलाप रहें हैं।अब … Read more

बेटी की सच्ची विदाई -लतिका पल्लवी :

 Moral Stories in Hindi मामी, भूख लग रही है। जाओ, जाकर माँ से नाश्ता माँग कर खा लो। अभी नाश्ता कहा बना है? आप तो अभी सोकर उठ रही है फिर नाश्ता कौन बनाएगा? मामी आपकी तबियत ठीक नहीं है क्या? आप इतनी देर तक क्यों सो रही थी? क्यों, तुम्हारी माँ भी तो अभी … Read more

कठोर कदम – डॉ० मनीषा भारद्वाज :

 Moral Stories in Hindi दिल्ली की उमस भरी एक शाम थी। आकाश के कमरे में सन्नाटा गहरा रहा था, सिर्फ टेबल फैन की घूर्णन और पिता सुधीर सक्सेना के सख्त कदमों की आवाज़ गूंज रही थी। सुधीर के चेहरे पर उस अंकगणित की कॉपी को लेकर कठोरता थी जिसमें लाल स्याही से भरे गोल-गोल अंक … Read more

कठोर कदम – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सुमित्रा देवी के लिए ज़िंदगी का मतलब था—अपने इकलौते बेटे विक्रम की खुशियाँ. पति की मृत्यु के बाद उन्होंने खुद को पूरी तरह से बेटे की परवरिश में समर्पित कर दिया था. उनका घर छोटा था, लेकिन उन्होंने अपने प्यार और सख्त अनुशासन से विक्रम को एक संस्कारी और मेहनती इंसान बनाया था. विक्रम बचपन … Read more

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