मां के आंसू – खुशी : Moral Stories in Hindi

राधा और मोहन दोनो पति पत्नी थे।घर में सास शीला देवरानी गीता,देवर महेश थे।मोहन एक छोटी सी नौकरी करता था और  महेश बैंक में तो महेश की माली हालत महेश से अच्छी थी।इसी बात का गीता को घमंड भी था।राधा और मोहन का एक बेटा था नितिन और महेश और गीता के दो बच्चे थे।अमन … Read more

आत्मसम्मान की जीत – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

मीरा की उंगलियाँ चाय के खाली कप को घूमा रही थीं, जैसे उसका जीवन बार-बार उसी खालीपन के चक्कर में घूम रहा हो। सास का कर्कश स्वर अभी भी कानों में गूंज रहा था, “अरे, तू चुपचाप सहन क्यों नहीं कर लेती? घर की शांति के लिए थोड़ा समझौता तो हर औरत को करना पड़ता … Read more

निर्मोही – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 तन्वी स्टेशन पर बैठी थी ,अभी ट्रेन आई नहीं ,पापा कमलेश तन्वी के सामनों को ठीक करने के बहाने अपनी गीली आंखों को चुपके से पोंछ ले रहे थे ,तन्वी समझ रही थी पिता को उसका बिछोह दुख दे रहा ,उसने तो मना किया था पर पापा ने कहा था ,”तेरे सामने भविष्य पड़ा है … Read more

“पत्थरदिल” – पूजा शर्मा : Moral Stories in Hindi

तुम्हारे पापा पत्थर दिल इंसान नहीं है बेटा, अगर तुम्हें तुम्हारी गलत बातों के लिए रोकते टोकते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह तुमसे प्यार नहीं करते। तुम ही उन्हें नहीं समझोगे तो वे बिल्कुल टूट जाएंगे। तुम दोनों भाई बहनों ने न जाने क्यों अपने मन में उनकी छवि ऐसी बना … Read more

पत्थर दिल –  उषा वेंकटेसन : Moral Stories in Hindi

सावित्री सर नीचा करके अपने घर गई। शाम का समय था। बच्चे खेल रहे थे और कुछ लेडीज बेंच पर बैठ कर बातों कर रही थी।. उसे देख कर वह लोग बिल्डिंग के कोने में जाकर फुसफुसा ने लगीं। तेजी से सावित्री सीढ़ियां चढ़कर घर के अंदर गई। बेटे को मिली? कैसा है? क्या बोला? … Read more

अफसोस – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

दादी मां आप छोटे को ले आइए तब तक मैं घर के छोटे मोटे काम निपटा लेती हूं… गौरी ने दादी किशोरी देवी को कहा और काम मे लग गई। काम से फ्री होकर सोचा मां से बात कर लूं शायद मां घर लौट आये। मां प्लीज इस बार लौट आइए न हम हम दोनो … Read more

मां की ममता – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

शादी को पाँच साल हो गए थे, पर  मीना को कोई बच्चा नहीं हुआ था। हर तरह का इलाज करवा कर हार मान चुकी थी। अब उसने अपनी तकदीर भगवान पर छोड़ दी थी। इन्हीं दिनों उसके देवर की शादी हो गई। संयोग से देवरानी शादी के तुरंत बाद गर्भवती हो गई और जुड़वां बेटों … Read more

 टूटी डोर से बुना आकाश – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

सायंकाल की लालिमा घर की खिड़की पर पिघल रही थी, जैसे नीरजा के जीवन का सुख पिघल गया था। विकास का सूटकेस, वह हरा-भरा पौधा जिसे वह प्यार से सींचती थी, और बैंक पासबुक – सब गायब थे। एक साधारण सा व्हाट्सएप मैसेज छोड़ गया था वह: -“माफ़ करना, नीरजा। ज़िंदगी कभी-कभी गलत मोड़ ले … Read more

आँसू बन गए मोती – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

उस दिन भी सूरज ऐसे ही तप रहा था, जैसे धरती से बैर हो। अर्जुन की छोटी सी झोंपड़ी में भीषण गर्मी के साथ एक और आग धधक रही थी – मां की लगातार बढ़ती खांसी। हर खांसी के साथ उसका कमजोर शरीर ऐसे कांपता, मानो पतली डाली पर झूल रहा कोई पत्ता हो। अर्जुन, … Read more

आँचल पसारना – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

सुबह की ठंडी हवा में बारिश की सोंधी गंध घुली हुई थी। सड़कें भीगी थीं, चमकती हुई। रामकिशन अपना पुराना ऑटो-रिक्शा चलाते हुए स्टेशन की ओर बढ़ रहा था। उसकी आँखें थकी हुई थीं, पर चेहरे पर एक जिद्दी संकल्प था। आज अस्पताल में पत्नी माया का आखिरी इलाज था। बिल चुकाना था। जेब में … Read more

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