मम्मी, रोज़ – रोज़ यहाँ नुमाइश लगाने की ज़रूरत नहीं है । मैं अपनी सहेली के घर जा रही हूँ , फ़ोन मत करना । मैं नहीं आऊँगी फिर मत कहना कि तुम्हारी बेइज़्ज़ती हो गई ।
सोना …. सुन तो सही , बहुत अच्छा खाते- पीते घर का लड़का है, सरकारी नौकरी है ।
सुन लिया मैंने , आप मेरी बात क्यों नहीं सुनती ? मम्मी! मैं किसी मिडिल क्लास फ़ैमिली में शादी करके बंधी बँधाई सैलरी के साथ गुज़ारा करना नहीं चाहती । मैं किसी एन० आर० आई० से ही शादी करूँगी । अगर आप ऐसा रिश्ता नहीं ढूँढ सकते तो बता दो ना मुझे, मैं खुद ढूँढ लूँगी ।
सोना ! क्या हो गया है तुम्हारी बुद्धि को ? एन० आर० आई० में कौन से हीरे जवाहरात जड़े होते हैं? यहाँ भी अच्छे लड़कों की कमी नहीं है ।
ये सब घिसी पिटी बातें मुझे मत बताइए प्लीज़ ।
इतना कहकर महिमा की बेटी सोना अपना बैग उठाकर चली गई । उसके जाते ही महिमा ने अपनी छोटी बहन गंगा को फ़ोन करके कहा—-
गंगा! सोना इस रिश्ते के लिए नहीं मान रही है । अब आजकल के बच्चों के साथ ज़बरदस्ती भी नहीं की जा सकती । तुम्हीं बताओ कि मैं क्या करूँ?
ठीक है दीदी! मैं फ़ोन करके कुछ बहाना बनाकर उन्हें मना कर दूँगी । जब लड़की ही राज़ी नहीं तो आने का फ़ायदा भी क्या है ।वैसे रिश्ता बहुत अच्छा था ।
गंगा की बात सुनकर महिमा ने गहरी साँस लेते हुए फ़ोन रख दिया लेकिन वे समझाने के सिवा क्या कर सकती थीं । उन्हें याद आया कि जब से अमेरिका में रहने वाली देवरानी दो महीने यहाँ रहकर गई है तभी से बड़ी बेटी सोना का व्यवहार ही अचानक बदल गया था । वह बात-बात पर चिढ़ उठती थी । एक दिन तो सोना ने हद कर दी थी । जब परीक्षा में बेहद कम नंबर आने पर पिता ने पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहा तो वह तुनकते हुए बोली—-
आपने फ़र्स्ट क्लास लाकर कौन सा तीर मार लिया था? आपसे अच्छे तो चाचा है , दिमाग़ से काम लिया और अमीर घराने की लड़की से शादी करके अमेरिका जा बसे । आज देखो …..उनका परिवार ऐश कर रहा है और हम एक- एक चीज़ का हिसाब लगाकर चलते हैं ।
बेटी के मुँह से ऐसी बातें सुनकर महिमा का मुँह खुला का खुला रह गया ।
देवराज अपनी क़ाबिलियत के बल पर अमेरिका गया था ना कि उसने इरादतन वहाँ जाने के लिए शादी की थी । अगर पूरी सच्चाई पता नहीं होती तो चुप रहना चाहिए ।
महिमा ने उसी समय सोच लिया कि इससे पहले सोना की ज़ुबान ओर खुले , उस के हाथ पीले कर देने चाहिए।पर सोना ने यह अनोखी शर्त लगा दी । अब कहाँ से एन० आर० आई० लड़का ढूँढे ?
बहुत कोशिश करने पर भी जब सोना अपनी ज़िद पर अड़ी रही तो एक दिन महिमा ने ग़ुस्से में कह दिया—-
जिस किसी से तुझे करनी होगी , बता देना लेकिन उसके बाद कोई भी ऊँच- नीच होने पर हम ज़िम्मेदार नहीं होंगे ।
तक़रीबन दो महीने बाद ही सोना ने महिमा को कहा—
मम्मी…. वो जालंधर वाली आँटी है ना….. जो पीछे वाली गली में पार्लर चलाती थी , उन्हीं के मामा का लड़का है । कनाडा में सैटल है उनका पूरा परिवार । मैं पिछले हफ़्ते उनके पार्लर गई थी तो तभी वो आँटी पूछ रही थी कि कोई तुम्हारी सहेली हो और एन० आर०आई० से शादी करना चाहती हो तो बताना ।
और तूने कह दिया कि हाँ मैं ही वह लड़की हूँ ?
अरे, नहीं मम्मी….. पहले मैंने पूरा पूछा कि लड़का क्या काम करता है, घर में कौन- कौन है….
सोना ! तूने तो जीते जी अपने माँ- बाप को मार डाला? ये सब काम तो माता-पिता का होता है ।
शादी तो मुझे करनी है मम्मी । आप की मानूँ तो आप तो मुझे किसी के साथ भी चलता कर देंगी और फिर मेरे भाग्य का लिखा कहकर अपना पल्ला झाड़ लेंगी । अच्छा…. इन बातों को छोड़ो । सुनो , लड़के का इंपोर्ट- एक्सपोर्ट का बिज़नेस है । खुद की कोठी है वहाँ…. इकलौता लड़का है । जालंधर में भी बहुत जायदाद है । आप पार्लर वाली आँटी से मिल लो ना ….
महिमा ने अपने पति से इस बारे में ज़िक्र किया और बुझे मन से बेटी की इच्छा के अनुसार आँटी से मिलने चले गए ।
सोना ! हमें कुछ भी ठीक नहीं लग रहा था । उस औरत की आँखों और चेहरे से साफ़ ज़ाहिर था कि वह सिर्फ़ झूठ बोल रही है । जिस तरह से वो हमारे सामने बड़ी- बड़ी बातें बना रही थी उससे तो ऐसा लगता है कि उसके मामा का लड़का किसी रियासत का महाराजा हैं । झूठे दिखावे से ज़िंदगी नहीं चलती।
जब महिमा बेटी को समझा- समझाकर थक चुकी तो एक दिन पति के सामने रोती हुई बोली—
लगता है कि चाहते हुए भी हम अपनी बेटी को खाई में गिरने से नहीं बचा पाएँगे?
महिमा… तुमने तो बड़ी जल्दी हार मान ली । बस दो- चार दिन की बात ओर है ।
मतलब ?
मतलब यह है कि या तो सोना का रिश्ता कर देंगे या उसके सामने सबूत के साथ सच्चाई रखेंगे ।
आज पति की बातें सुनकर महिमा की जान में जान आई वरना उसे तो लगने लगा था कि शायद पति ने भी घुटने टेक दिए हैं । उसके चौथे ही दिन बाद सुबह किसी से फ़ोन पर बात करते-करते पति के चेहरे की रौनक़ देखकर महिमा समझ गई कि कोई अच्छी ख़बर है । या तो वह कनाडा वाला लड़का अच्छा है या फ्रोड । या तो सोना की मुराद पूरी हो जाएगी या उसके दिमाग़ से एन० आर० आई० का नशा उतर जाएगा ।
फ़ोन रखने के बाद पति ने महिमा को बताया कि उन्होंने अपने एक पुराने परिचित के माध्यम से आँटी के बताए लड़के की खोजबीन की तो पता चला कि वो तो एक दलाल है जो पंजाब के बहुत से लोगों को यह झाँसा देकर पैसे लूट चुका है कि उसका कनाडा में बिज़नेस है और उन लोगों को भी नौकरी देगा। आजकल किसी केस में फँसकर जेल में बंद है । सबूत के तौर पर उसने बहुत से फ़ोटो और लोकल समाचारपत्र में प्रकाशित ख़बरों की कटिंग की फ़ोटो भी व्हाटसएप्प के ज़रिए भेजी थी ।
शायद सोना माता-पिता की बात को तो इंकार भी कर देती पर सबूत के तौर पर भेजे गए फ़ोटो को देखकर वह कुछ न कह सकी और वहाँ से उठकर चुपचाप अंदर चली गई ।
क़रीब एक महीने के बाद जब महिमा ने एक बार फिर से सोना को कहा कि एक लड़का उससे मिलने आ रहा है तो सोना ने माँ से कहा—
मम्मी! प्लीज़ मैं अभी शादी नहीं करना चाहती । मैं पढ़ाई पूरी करके थोड़ी मैच्योर होना चाहती हूँ ताकि अपने साथ- साथ अपनी छोटी बहन के लिए भी सही फ़ैसला ले सकूँ । मम्मी, मैं पापा की तरह शांत और समझदार बनना चाहती हूँ ।
बेटी की इच्छा सुनकर महिमा उस समय चुप रही । अगले दिन जब वह पति से इस बारे में बात करना चाहती थी तो उसके बोलने से पहले ही उसके पति ने कहा—
महिमा, मुझे लगता है कि हम सोना की शादी में जल्दबाज़ी कर रहे हैं । पहले उसे पढ़ाई पूरी करके अपने पैरों पर खड़े होने का मौक़ा देना चाहिए । शिक्षा केवल नौकरी के लिए ही नहीं होती , शिक्षा से आत्मविश्वास, निर्णय- क्षमता और दूरदर्शिता का विकास होता है ।
बस एक दिन सोना ने कठिन परिश्रम से अपनी मंज़िल पा ली और अमेरिका से एम०बी० ए० की डिग्री लेकर वहीं की एक अच्छी कंपनी में कार्यरत हो गई । जिस दिन सोना ने माता-पिता को पासपोर्ट बनवाने के लिए कहा तो महिमा और उनके पति ने कहा—
बेटा , तुम्हारी शादी अपने घर में ही होगी । पासपोर्ट अप्लाई कर दो पर कोर्ट मैरिज से पहले विवाह पूरे रीति- रिवाजों के साथ संपन्न होगा ।
जी पापा , जैसी आपकी इच्छा ।
सोना का फ़ोन रखने के बाद महिमा बोली —
पता नहीं, किससे शादी कर रही है?
अब बेफ़िक्री से रहो । हमारी सोना आग में तपकर कुदंन बन चुकी है । कल आराम से बात कर लेना । और हाँ महिमा, अभी उसने सिर्फ़ विवाह करने का मन बनाया है , आख़िरी फ़ैसला हमारी इजाज़त के बिना हरगिज़ नहीं करेगी ।
आज महिमा को केवल अपनी बेटी, अपनी परवरिश पर ही नहीं, अपने पति पर भी बहुत गर्व हो रहा था । सचमुच सोना अपने पापा की तरह शांत और समझदार बन गई थी ।
एन ० आर० आई० # झूठे दिखावे से ज़िंदगी नहीं चलती । #
करुणा मालिक