भव्य समारोह हो रहा था।चाक चौबंद व्यवस्था थी।पूरे शामियाने में तिल रखने की जगह नहीं थी।
शहर के नवनियुक्त युवा कलेक्टर का आगमन होने ही वाला था। पुलिस की गाड़ियां सुरक्षा की दृष्टि से तैनात खड़ी थीं।
शहर के नामचीन कॉलेज का वार्षिकोत्सव कार्यक्रम था।इस बार कार्यक्रम प्रभारी प्रोफेसर राजन थे जो बहुत गंभीर और समर्पित व्यक्तित्व और कृतित्व के लिए विख्यात थे।
कॉलेज के वार्षिकोत्सव में मुख्य अतिथि को चुनना और आमंत्रित करना सर्वाधिक महत्व की बात मानी जाती थी।
मुख्य अतिथि ऐसा व्यक्तित्व हो जिसका चरित्र और कृतत्व विद्यार्थियों के लिए प्रेरक और अनुकरणीय हो।
कॉलेज की प्रतिष्ठा प्रचार उससे जुड़ा रहता था।
मीटिंग में जब प्रोफेसर राजन ने मुख्य अतिथि के नाम की घोषणा गुप्त रखी तो नेता गिरी वाले कुछ शिक्षकों ने विरोध किया और अपनी अपनी पहचान के मंत्रियों को बुलाने और उनसे खासा अनुदान दिलवाने के दावे भी प्रस्तुत किए ।
“सर मुझ पर भरोसा रखिए मैं अपने इस शिक्षा संस्थान की प्रतिष्ठा पर बट्टा नहीं लगने दूंगा लेकिन मुख्य अतिथि कौन होगा इस बात का खुलासा उसी दिन होगा यह मेरी तरफ से सरप्राइस रहेगा प्राचार्य जी से अनुरोध कर राजन ने अपनी बात समाप्त कर दी थी।
राजन सर की अपने निर्णय पर दृढ़ता देख किसी की एक ना चली सब मन मसोस कर रह गए।
कलेक्टर महोदय का आगमन होते ही सभी की जिज्ञासा का अंत हो गया था ।
ये था राजन सर का सरप्राइस !! कलेक्टर महोदय को मुख्य अतिथि बनाना था राजन को ,…तो इसमें छिपाने वाली कौन सी बात थी।हम कौन सा भांजी मार देते।कुछ काम होगा राजन का कलेक्टर से तभी मुख्य अतिथि बना कर अनुगृहित कर रहे हैं प्रोफेसर विमल ने स्वागत के लिए ट्रे में रखी पुष्प माला उठाते हुए सिद्धार्थ जी से फुसफुसा कर कहा।
पुष्पहार और पुष्प गुच्छ हाथों में आतुर हो उठे।कलेक्टर महोदय सबका अभिवादन बहुत विनम्रता से स्वीकारते जा रहे थे।पंक्तिबद्ध खड़े वालंटियर्स बैंड की धुन पर उन्हें विशाल सज्जित मंच की ओर ले जा रहे थे।
प्रोफेसर राजन माइक पर थे।
“स्वागत करता हूं हमारे इस शिक्षा के प्रांगण में युवा जुझारू जिला कलेक्टर महोदय का।विनम्र अनुरोध है स्वागत कर्ताओं से कि स्वागत की कड़ी आज के समारोह के मुख्य अतिथि के आगमन के बाद ही आरंभ की जाए।”
स्वागत के लिए तत्पर पुष्पमालाएं थम सी गई पुष्पगुच्छ फिर से बाट जोहने लगे।प्रज्वलन को आतुर दीपक की बाती विस्मित हो मंचासीन कलेक्टर को और फिर प्रोफेसर को देखने लगी।
उपस्थित सभी भौचक्के थे आखिर कलेक्टर महोदय के अलावा और कौन मुख्य अतिथि की योग्यता रख सकता है।प्राचार्य सहमे अंदाज में राजन जी को प्रश्नवाचक नजरों से देख रहे थे” क्या मेरी नौकरी डुबवाओगे इतनी जनता के बीच कॉलेज की प्रतिष्ठा की किरकिरी करने पर क्यों उतारू हो..!!अब कौन सा मुख्य अतिथि..जब कलेक्टर महोदय आ चुके हों…!!
प्रोफेसर राजन शांत और सहज थे। माइक पर फिर से उनकी आवाज गूंजने लगी..
“हमारे आज के मुख्य अतिथि का आगमन हो चुका है।कृपया अपने स्थान पर खड़े होकर जोरदार तालियों से उनका स्वागत और सम्मान करें…!
उद्घोषणा होते ही उपस्थित जनसमुदाय तेजी से चारों तरफ देखने लगा।
सहसा मुख्य द्वार पर दो छात्रा वालंटियर्स एक अधेड़ उम्र की महिला को सम्भाल कर लाते दिखाई पड़े।
बेहद मामूली सूती साड़ी सीधे पल्ले में,अधपका खिचड़ी केशविन्यास,साधारण सी चप्पलों से झांकते खुरदुरे पैर,मोटा काजल दोनों आंखों में लगाए निहायत ही अनपढ़ गंवार सी थी वह महिला..!
कौतूहल पराकाष्ठा पर पहुंच चुका था।कानाफूसी करती अस्फूट आवाजें स्पष्ट विरोध और हिकारत अभिव्यक्त करने लगीं थीं।
वह महिला भारी भीड़ देख अपनी साड़ी का पल्लू बार बार सिर पर रख रही थी जो हर बार गिर जाता था।बहुत सहमते हुए नजर नहीं उठा पा रही थी।
ये किस गंवार औरत को पकड़ लाए अपने राजन महोदय प्रोफेसर विमल ने हिकारत से मुंह बनाते हुए दाहिनी ओर बैठे सिद्धार्थ जी से कहा।
क्या इसे ही आज के इस गरिमामय कार्यक्रम का मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे हैं।यह तो ठेठ अंगूठा छाप महिला दिख रही है जिसे ठीक से पहनने चलने का सलीका नहीं है वह हमारे विद्यार्थियों को दो शब्द क्या बोल पाएगी! मुख्य अतिथि तो वह हो जिसे कम से कम ओजस्वी वक्तव्य देना आता हो सिद्धार्थ जी बोल ही रहे थे कि सहसा मंच की ओर आती वह महिला लड़खड़ा गई जब तक बगल में खड़ी वालंटियर्स समझ पाते सम्भाल पाते तभी सबने देखा मंच पर आसीन कलेक्टर महोदय नीचे उतर दौड़ते हुए आए और लपक कर उस महिला को अपने दोनों हाथों में सम्भाल लिया और अपने सफेद झक्क सूट या उसके खुरदुरे हाथ पैरों की परवाह ना करते हुए लगभग गोद में ही उठा लिया और सीधे मंच पर लेकर आ गए।
तेज होती कानाफूसी और कोलाहल के मध्य स्वयं कलेक्टर की आवाज माइक पर गूंज उठी
प्रिय विद्यार्थियों आज जिस व्यक्ति को कलेक्टर के रूप में सामने देख तुम सब प्रभावित हो रहे हो जिसका स्वागत और जयकार करने को यहां उपस्थित आप सभी बेताब हो रहे हैं वह ऐसा बन ही नहीं पाता अगर मेरी मां नहीं होती।
जी हां साथियों आज मैं बेहद गर्व से यह बताना चाहता हूँ कि यह # #गंवार सी दिखने वाली महिला मेरी मां है जिसने ना जाने कितने कष्टों प्रयत्नों और त्याग करके मुझे इस योग्य बनाया है ।यह मेरी प्रेरणा स्रोत है।आप सबके लिए अनुकरणीय है।
इसके पहनावे या अशिक्षा पर मत जाइए।स्वयं अशिक्षित होकर भी इसने मेरे लिए शिक्षा के सारे द्वार खोल दिए इससे बड़ी शिक्षा की बात और कौन सी होगी।स्वयं इस साधारण से गंवारू से पहनावे में रह कर इसने मुझे सभ्यता संस्कार और समर्पण का जो पहनावा पहनाया उसके सामने दुनिया के कीमती परिधान तुच्छ हैं।यह गंवार नहीं दुनिया की सबसे सभ्य सबसे शिक्षित और सबसे बुद्धिमान महिला है।फिर भी यदि आपको मैं ज्यादा प्रभावशाली और यह गंवार दिखती है तो आप सब भी गंवार की ही श्रेणी में आयेंगे।
आज के इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि यही गंवार औरत है जो मेरी मां है और आज इनका सबसे पहले स्वागत करने का सौभाग्य भी मेरा ही होगा प्रोफेसर राजन आपके आज के मुख्य अतिथि का स्वागत है लाइए पुष्पहार मुझे दीजिए कहते हुए कलेक्टर ने भावविभूत हो हार अपनी मां को पहना दिया तो मां ने आल्हादित हो बेटे को गले से लगा लिया।
मुख्य अतिथि जिंदाबाद कलेक्टर सर जिंदाबाद के हर्षित जयघोष और तुमुल करतल ध्वनि से विशाल शामियाना गुंजायमान हो गया था।पुष्पगुच्छ और पुष्पहार मुख्य अतिथि को अर्पित होने लगे थे।मां के कांपते हाथों से प्रज्वलित होता दीपक अपने सौभाग्य पर इतराता ज्यादा उजाला फैलाने लगा था।
एक बार फिर प्रोफेसर राजन के चयन पर प्राचार्य सहित सभी शिक्षक नतमस्तक थे।