रूबी अपने स्कूल से लौटकर आई तो एक अलग ही आत्मविश्वास और चमक उसके चेहरे पर थी और हो भी क्यों न आख़िर आज उसे उसके जीवन में पहली बार खुद की मेहनत से कमाए हुए रुपये जो मिले थे। आज उसको पढ़ाते हुए एक महीना पूरा हो गया था और उसके हाथ मे उसकी सैलरी थी।उसने आते ही ये खुशी सबसे पहले अपने पति से साझा की फिर अपने बच्चों और सास ससुर को भी
बताया।सासूमाँ ने कहा,”रूबी सबसे पहले भगवान को प्रसाद चढ़ाने और दान पुण्य के लिए रुपये निकाल देना फिर खर्च करना। रूबी ने सास की बात सुनकर वैसा ही किया।रूबी के पति तरुण ये देख रहे थे कि रूबी खुश तो है पर कुछ परेशान भी है। कोई ऐसी बात उसको परेशान कर रही है जो
वो किसी से कह नहीं पा रही है।शाम को जब रूबी कमरे में आई तो तरुण ने रूबी से पूछा,”क्या बात है रूबी तुम कुछ उलझन में लग रही हो? सब ठीक तो है न,स्कूल में किसी से कोई टेंशन हो गयी क्या या फिर कोई और बात???”रूबी को बड़ी तसल्ली हुई कि बिना कुछ कहे तरुण ने उसकी
उलझन को पढ़ लिया पर ऐसा पहली बार नही था कि तरुण ने रूबी की परेशानी को समझने की कोशिश की थी,वो हमेशा ही एक समझदार और अच्छा जीवनसाथी साबित हुआ था।रूबी पुरानी यादों में खोकर ये सोचने लगी कि कैसे कॉलेज की पढ़ाई पूरी करते ही 21 साल की कम उम्र में ही उसकी
शादी हो गयी थी। फिर अगले साल ही बेटा आर्यान्श इस दुनिया मे आ गया और रूबी सब कुछ भूलकर उसकी परवरिश और घर संभालने में लग गई। उसकी नौकरी करने की ललक शांत होकर मन के एक कोने में दब गई।जब आर्यान्श 6 साल का हुआ तो फिर वो एक प्यारे से बेटे राजवीर की
माँ बन गई और फिर उसका सारा समय दोनों बच्चों और परिवार में बंट कर रह गया। खुद के लिए सोचने का वक़्त ही नही था उसके पास। सास भी अब उतना हाथ नही बंटा पाती थीं तो रूबी के ऊपर बच्चो की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी के साथ साथ घर का भी सारा काम था।तरुण बेशक कुछ कहते नही थे पर मन ही मन महसूस करते थे कि रूबी ने अपनी नौकरी करने की इच्छा को मन मे मार दिया है
और वो पूरे दिन उसके परिवार के लिए समर्पित थी।एक दिन तरुण ने रूबी से उसकी सारी मार्कशीट और पहचान पत्र मांगे।रूबी ने पूंछा तो बोले कि,”तुम्हारा बीएड का फ़ॉर्म भरना है और साथ ही कुछ किताबें लाकर दीं कि तैयारी शुरू कर दो।”रूबी को सोचने समझने का मौका ही नही मिला और
उसने इसी ऊहापोह के बीच थोड़ी बहुत पढ़ाई शुरू कर दी और प्रवेश परीक्षा दी,अच्छी रैंक आयी और कॉलेज में दाखिले के बाद भी वो असमंजस में ही रही कि दो बच्चों की पढ़ाई और घर के काम के साथ कैसे वो पढ़ाई करेगी पर एक बार फिर तरुण ने उसका उत्साहवर्धन किया और हर तरह से
साथ दिया परिणामस्वरूप रूबी ने अच्छे अंको से बीएड उत्तीर्ण किया और एक अच्छे प्राइवेट स्कूल में नौकरी लग गई।आज शादी के 14 सालों बाद उसके हाथ मे उसकी कमाई है।तभी तरुण ने फिर से उसकी उदासी का कारण पूंछा और रूबी विचारों की तंद्रा से बाहर आई और बोली,”कुछ नही तरुण
मैं बस ये सोच रही थी कि मेरी पहली कमाई पर किसका हक होना चाहिए और ऐसा मैं इसलिए सोच रही हूं क्योंकि मैं शादी से पहले से सोंचती थी कि जब भी नौकरी करूँगी तो अपने दादा,दादी,मम्मी,पापा,दीदी और भैया के लिए ज़रूर कुछ न कुछ करूँगी।”तरुण बोले,” तो इसमें परेशानी वाली कौन सी बात है तुम एक दम सही सोच रही हो।”रूबी ने कहा,”पर मेरा ये सपना कभी सच न हो पाता अगर आप मेरा इतना साथ न देते तो इस हिसाब से मेरी कमाई पर पहला हक तो
आपका है न।”तरुण रूबी के मासूम से जवाब पर हंसते हुए बोले,”पगली अगर तुम्हारे मम्मी पापा ने तुम्हे शुरू से इतने अच्छे स्कूल और कॉलेज में न पढ़ाया होता और तुम्हारे भैया तुम्हे अलग-अलग
जगह ट्यूशन लेकर न आते जाते तो मैं ये आगे का साथ कैसे दे पाता।”तरुण का जवाब सुनकर रूबी भावविभोर हो गयी। उसकी आँखों से भावनाएं आंसू के रूप में बाहर आ गईं और वो खुद को धन्य
मान रही थी तरुण जैसा जीवनसाथी पाकर।तभी तरुण अपने मम्मी पापा के सामने रूबी की दुविधा रखते हुए बोले कि,”मम्मी पापा जब मेरी नौकरी लगी थी तो पहली तनख्वाह मैने आपके हाथ पर लाकर रखी थी क्योंकि मैं जो कुछ भी बना हूं वो आपकी बदौलत था और है । मैं चूंकि लड़का हूँ तो
आज भी अपनी तन्ख्वाह आपसे बांटने में मुझे संतुष्टि होती है क्योंकि ये मेरा कर्तव्य है।”तरुण की बात सुनकर उसके पापा बोले कि,”बेटा सही कह रहा है तू पर कोई बात है क्या?”तरुण बोले,”आपकी बहू को बहुत पहले से लगता है कि उसकी पहली कमाई पर उसके माता पिता का हक होना चाहिए पर
साथ ही इनको ये भी लग रहा है कि हम लोग कहीं इस बात का बुरा न मान जाएं।”ये सुनते ही तरुण की माँ बोलीं,” बेटा रूबी,अब तुम सोचना छोड़ो ऐसा करो पहली कमाई तुम्हारे पहले मम्मी पापा की…और तुम्हारी दूसरी कमाई तुम्हारे दूसरे मम्मी पापा की..यानी हमारी…और तुम्हारी आगे की
कमाई तुम्हारे बच्चों की….अब चिंता छोड़ो और बढ़िया सी अदरक वाली चाय पिलाओ।।।।रूबी ने
हाथ जोड़कर ईश्वर का धन्यवाद किया जो उन्होंने इतना प्यार करने वाला पति और समझदार परिवार दिया।
मेरी पहली कमाई का हकदार कौन….. ??????
-सिन्नी पाण्डेय