उम्र 65 घुटनों में दर्द कहां तक वह भागदौड़ कर सकती थी अपने और अपने पति के लिए खाना बनाते बनाते सरला देवी मन ही मन यही सोच रही थी जिस उम्र में औरतें आराम से बैठकर खाना खाती हैं उस उम्र में वह अभी घर का सारा काम करती थी।
कितने चाव से उसने अपने बेटे अमित का विवाह किया था कि उसकी बहू मोनिका आकर उसका घर संभाल लेगी और वह आराम से अपनी जिंदगी के कुछ पल अपने पति के साथ गुजारेगी परंतु,
उसकी बहू मोनिका सिर्फ अपने पति और बच्चों के लिए ही खाना बनाती थी जब सरला देवी मोनिका से उसके लिए भी खाना बनाने को कहती तो वह उनके लिए खाना बनाने से साफ इंकार कर देती थी ।
यह देख कर उसके ससुर भी बहुत दुखी होते थे जब वे मोनिका से काम करने में अपनी सास की मदद करने को कहते तो मोनिका अपनी सास की मदद करने से साफ इंकार कर देती थी वह सिर्फ अपने कमरे की साफ सफाई करती थी।
पूरे घर की सफाई उसकी सास सरला ही करती थी अपनी पत्नी को घर में अकेला काम करते देखकर कई बार उसके पति संजय भी अपनी पत्नी का काम में हाथ बंटाने लग जाते थे ।
एक दिन जब सरला देवी घर में झाड़ू लगा रही थी तो उसी दौरान मोनिका के पापा मोनिका से मिलने उनके घर आए तो उस वक्त मोनिका ड्राइंग रूम में बैठकर टीवी देख रही थी जब उन्होंने मोनिका की सास को घर में काम करते हुए और अपनी बेटी को आराम से टीवी देखते हुए
देखा तो उन्होंने मोनिका से कहा बेटा -तुम्हें शर्म नहीं आती इस तरह बैठते हुए तुम्हारी सास काम कर रही है और तुम आराम से बैठ कर टीवी देख रही हो”? देखना एक दिन यह समय तुम्हारी जिंदगी में भी आएगा।
इनके घुटने में इतना दर्द रहता है फिर भी तुम इनसे इतना काम करा रही हो क्या मैंने यही संस्कार दिए थे तुम्हें ?मैंने तुम्हारी शादी के वक्त तुम्हें समझाया था ससुराल में जाकर अपने सास-ससुर की सेवा करना परंतु,
यहां तो तुम आराम से बैठ कर अपनी सास से अपनी सेवा करवा रही हो। आज जो सुलूक तुम अपनी सास के साथ कर रही हो यह सब देख कर तुम्हारे बच्चे भी एक दिन तुम्हारे साथ यही सुलूक करेंगे।
अपने पापा की बात सुनकर मोनिका शर्म से पानी पानी हो गई थी वह अपने पापा के सामने अपनी सास से हाथ जोड़कर बोली “मम्मी जी मुझे माफ कर दो’। मैं आज के बाद आपसे कोई काम नहीं करवाऊंगी आज पापा ने मेरी आंखें खोल दी।
मैं आज के बाद आपकी मन लगाकर सेवा करूंगी ।मोनिका की आंखों में पश्चाताप के भाव देखकर सरला देवी ने मोनिका को माफ करके अपने गले से लगा लिया था।
यह देख कर मोनिका के पापा बोले “बेटी माता- पिता भगवान का दूसरा रूप होते हैं इनकी सेवा करने से भगवान हमारे जीवन में सुख शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं। अब कभी भी मुझे शिकायत का मौका ना देना।
मोनिका के पापा को इस तरह मोनिका को समझाते देख कर सरला देवी की आंख भर आई थी क्योंकि मोनिका के पापा ने उनका दर्द समझा था उन्होंने मोनिका के पापा को आभार व्यक्त करते हुए कहा” समधी जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जो आपने मेरा दर्द समझा
और मोनिका को इतनी अच्छी तरह से समझाया तब मोनिका के पापा हंसते हुए बोले” समधन जी इस उम्र में मेरा और आपका दर्द एक जैसा है यदि मैं अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा और संस्कार नहीं दूंगा तो फिर मैं अच्छे संस्कार वाली बहू कहां से पाऊंगा ।
संसार का यही नियम है जो जैसा करता है वह वैसा भरता है आज यदि मेरी बेटी तुम्हारी सेवा नहीं करेगी तो फिर मैं अपनी बहू से कैसे उम्मीद करूंगा कि वह मेरी सेवा करें”। अपने समधी के मुंह से ऐसे शब्द सुनकर सरला देवी खुश हो गई थी।
दोस्तों यह संसार जैसी करनी वैसी भरनी की तर्ज पर चलता है उम्मीद करती हूं आपको मेरी लिखी कहानी जरूर पसंद आएगी यदि इसमें कोई गलती हो तो मुझे कमेंट करके जरूर बताना आयुर्वेदिक पसंद आए तो लाइक और शेयर जरूर करना।
लेखिका : बीना शर्मा