मन मार कर जीना भी कोई जीना होता है । – बीना शर्मा

रघुनाथ जी कई दिनों से देख रहे थे उनके बेटे रजत की पत्नी माधुरी पिछले कई दिनों से बेहद उदास रहती थी हर पल कुछ ना कुछ गुनगुनाने वाली बात बात पर खिल खिलाने वाली

माधुरी आजकल बेहद खामोश रहती थी। माधुरी का उदास चेहरा देखकर रघुनाथ जी बेहद दुखी थे। महीने भर पहले ही माधुरी उनके घर में रजत की दुल्हन बन कर आई थी।

माधुरी का एक ही शौक था गीत और भजन गाने का जब भी वह घर में कोई काम करती काम करने के साथ-साथ वह अपनी पसंद का गीत गुनगुनाती रहती थी जिसे सुनकर रघुनाथ जी और उनकी पत्नी जानकी बेहद खुश होते थे उन्हें अपनी बहू का हर पल गुनगुनाना और खुश रहना बेहद अच्छा लगता था

अपनी बहू को खुश देखकर उन्हें ऐसा लगता था जैसे उनके घर का कोना-कोना खुशियों से महक उठा हो परंतु, ना जाने ऐसा क्या हुआ की माधुरी कई दिनों से गुनगुनाती नहीं थी बस चुपचाप खामोश रहकर उदास मन से अपना काम करती रहती थी रघुनाथ जी अभी माधुरी के बारे में सोच ही रहे थे कि उसी वक्त रजत बैट बॉल लेकर बाहर की तरफ जा रहा था

रजत को क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था वह बचपन से ही अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलता था जब तक वह अपने दोस्तों के साथ दिन में एक बार क्रिकेट ना खेल लेता उसके दिल को सुकून ना मिलता था शादी होने के बाद भी उसका यह शौक बरकरार था।

रघुनाथ जी ने रजत को अपने पास बुलाकर पूछा- क्या तुम्हारा माधुरी के साथ कुछ झगड़ा हुआ जो माधुरी इतनी उदास उदास है।

यह सुनकर रजत बोला” नहीं पापा मेरे साथ माधुरी का कोई झगड़ा नहीं हुआ मैंने तो बस उससे इतना ही कहा था कि तुम हर वक्त गाना क्यों गाती रहती हो? कभी तो अपना मुंह बंद कर लिया करो तुम्हारा इस तरह हर वक्त गाना मुझे अच्छा नहीं लगता”।

एक दिन मेरे कुछ दोस्त घर आए थे उस वक्त माधुरी रसोई में उनके लिए नाश्ता बनाते वक्त भी गाना गा रही थी तब मेरे दोस्त उसका मजाक उड़ाते हुए बोले “यार तुम्हारी बीवी तो नॉनस्टॉप म्यूजिक है हर वक्त गाती ही रहती है क्या यह कभी चुप नहीं रहती”?

अरे नई नई बहू का इस तरह से सबके सामने गाना अच्छा नहीं लगता। अपने दोस्त की बात सुनकर मुझे उस वक्त बेहद बुरा लगा था तब मैंने माधुरी से कहा “यार कभी-कभी तो अपना मुंह बंद कर लिया करो “।जब देखो गाती ही रहती हो तुम्हें शर्म नहीं आती

इस तरह सबके सामने गाते हुए यह सुनकर माधुरी खामोश हो गई थी उस दिन के बाद से उसने गाना गुनगुनाना बंद कर दिया। अच्छा हुआ पापा जो उसने गाना बंद कर दिया अब मेरे दोस्त उसका मजाक तो नहीं उड़ाएंगे।

रजत की बात सुनकर रघुनाथ जी बोले “आज के बाद तुम अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने नहीं जाओगे आज से तुम्हारा क्रिकेट खेलना बंद”। अपने पापा के मुख से ऐसे शब्द सुनकर रजत आश्चर्य से बोला “पापा आप यह क्या कह रहे हो”?

आप जानते हो ना क्रिकेट मेरा जीवन है मेरा जुनून है यदि मैंने क्रिकेट खेलना छोड़ दिया तो फिर मैं खुश कैसे रहूंगा? यह मेरा बचपन का शौक है यदि मैंने क्रिकेट खेलना छोड़ दिया तो मेरा जीना मुश्किल हो जाएगा।

तब रघुनाथ जी बोले” जिस तरह क्रिकेट तुम्हारा शौक है उसी तरह से गीत गुनगुनाना भी तो माधुरी का शौक है यदि किसी से उसका शौक छीन लिया जाए तो

उसका मन मर जाता है किसी काम में मन नहीं लगता और दिल हमेशा उदास उदास सा रहने लगता है मन मार कर जीना भी कोई जीना होता है तुमने अपने बारे में तो सोच लिया परंतु ,माधुरी के बारे में सोचा कि वह अपने मन को मार कर कैसे जी रही होगी?

बेटा जिस घर की बहू  खुशी से खिलखिलाती हैं गीत गुनगुनाती हैं उनके घर में हमेशा अन्नपूर्णा और लक्ष्मी का वास होता है जिस घर की बहू दुखी रहने लगती है उस घर से लक्ष्मी रूठ कर चली जाती है यदि तुम्हारे दोस्तों को माधुरी का गुनगुनाना पसंद नहीं आता तो उनसे कह देना कि वे यहां ना आए

जो लोग किसी को खुश होते हुए देखकर चिढ़ते हो ऐसे लोगों की सोच बेहद छोटी होती है अपने पापा की बात सुनकर रजत को अपनी गलती का एहसास हो गया था

वह अपने पापा से बोला “पापा मुझे माफ कर दो मैं आज के बाद माधुरी को कभी भी गीत गुनगुनाने से नहीं रोकूंगा मैं भूल गया था जैसे मुझे क्रिकेट खेलने का शौक है वैसे ही माधुरी का भी तो गुनगुनाने का शौक होगा।

रजत को शर्मिंदा देखकर रघुनाथ जी बोले “माफी मुझसे नहीं बहू से माफी मांगो क्योंकि तुमने उसका दिल दुखाया है यह सुनकर रजत रसोई में गया वहां माधुरी खामोशी से खाना बना रही थी तब रजत ने अपने दोनों कान पकड़ते  हुए माधुरी से कहा “मुझे माफ कर दो

अब मैं तुम्हें गुनगुनाने से बिल्कुल नहीं रोकूंगा दोस्तों के बहकावे में आकर मैं बहक गया था आज के बाद मैं तुम्हारा दिल कभी नहीं दुखाऊंगा सच कहूं तो तुम्हारा उदास चेहरा देखकर मेरा दिल भी उदास हो जाता है

“प्लीज फिर से कोई गीत गुनगुनाओ ना” अपने पति के मुख से फिर से गुनगुनाने की खुशखबरी पाकर माधुरी के नेत्र भर आए थे वह सजल नेत्रों से गुनगुनाने लगी “तेरा मेरा साथ रहे, तेरा मेरा साथ रहे” इतना प्यारा गीत सुनकर रजत ने प्यार से माधुरी को गले से लगा लिया था वह मन ही मन सोच रहा था कितना बड़ा मूर्ख था मैं जो अपने दोस्तों की बातों में आकर माधुरी का दिल तोड़ दिया।

आज वह भी अपनी पत्नी के साथ खुशी से गीत गाने लगा था अपने बेटे बहू को इस तरह मस्ती में गाते हुए देखकर रघुनाथ जी भी मुस्कुराने लगे थे आज बहू को खुश देख कर उन्हें लग रहा था जैसे उनके घर की खुशियां फिर से वापस आ गई हो।

दोस्तों आज भी हमारे समाज में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी खुशियों से कम दूसरे लोगों को खुश देखकर ज्यादा चिढ़ते हैं ऐसे लोगों की सोच बेहद घटिया होती है जो किसी को गुनगुनाते देखकर भी दुखी होते हैं ऐसे लोगों की सोच बदलनी चाहिए क्योंकि खुश रहना कोई जुर्म नहीं है इंसान का अधिकार है।

लेखिका : बीना शर्मा

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