मम्मी जी , आप ही करिए अपनी बेटी के बेटे का काम , मुझसे कोई उम्मीद मत रखिए , आखिर इसकी नानी आप हैं , फिर क्यूं कब से चिल्ला रही हैं कि शिविन के लिए टिफिन बना दो , शिविन आपका नातिन हैं तो आप ही टिफिन बना लिजिए उसका झल्ला कर बोली राखी अपनी सास कुसुम जी से !!
कुसुम जी बोली – बहू यह कैसी बातें कर रही हो , आखिर ऐसा भी क्या हो गया ?? ऐसा कौन सा पहाड़ टूट पड़ा अगर मैंने शिविन का टिफिन बनाने तुम्हें बोल दिया !! मेरी बेटी काव्या ने अपने बेटे शिविन को थोडे दिनों के लिए अपने मायके क्या भेजा , तुमसे तो एक बच्चा भी सहन नहीं हो रहा , बच्चे के लिए ऐसी बातें बोलती हो आने दो आज मेरे बेटे को !!
मम्मी जी , शिविन को आए लगभग एक साल होने आया हैं और एक साल कुछ दिन नहीं होते और हां सही कह रही हैं आप आने दीजिए आपके बेटे गौरव को आज घर , उन्हें भी तो पता चले कि मैं ऐसा सब क्यों बोल रही हुं ??
गौरव जैसे ही घर आया , कुसुम जी रोते हुए बोली – बेटा , तेरी पत्नी को तो तेरे बहन के बच्चे से इतनी दिक्कत हो रही हैं कि आज बम जैसे फट पड़ी हैं मुझ पर !! कहती हैं आप ही संभालिए अपने नातिन को , मुझसे कोई लेना देना नहीं आपके नातिन का !! आज तो सुबह इसने शिविन का टिफिन तक रेडी नहीं किया , बोलती है आप ही बनाइए इसका टिफिन , भला ऐसे कोई करता हैं क्या गौरव , तेरी पत्नी के तो पर निकल आए हैं !!
गौरव को भी यह सुनकर गुस्सा आ गया और वह बोला – राखी , यह सब मैं क्या सुन रहा हुं , यह क्या तरीका हैं मेरी मां से बात करने का और शिविन सिर्फ मां का नातिन हैं क्या , तुम्हारा कुछ नहीं लगता क्या वह ??
गौरव , सही तो कहा हैं मैंने वैसे भी मैं तो पराए घर से आई हुं , मेरा क्या लेना देना तुम्हारे परिवार से राखी बेफिक्री से बोली !!
यह सुन कुसुम जी फिर से बोली देखा बेटा कैसे बात कर रही है तुम्हारी पत्नी , अभी यही शब्द मेरे मुँह से निकले होते कि यह पराए घर से आई हैं तो हंगामा मचा दिया होता तेरी पत्नी ने लेकिन आज तो खुद बेबाकी से अपने मुँह से बोल रही हैं कि वह पराए घर से आई हैं ताकि शिविन की जिम्मेदारी से इसका पीछा छूट जाए !!
गौरव राखी को डांट ही रहा था कि उसकी बहन काव्या घर आ गई क्योंकि कुसुम जी ने उसे भी फोन पर सब बता दिया था !!
आते ही काव्या भी राखी पर बरस पड़ी – भाभी , इतना भारी पड़ गया क्या मेरा बेटा शिविन आप पर कि इतना ड्रामा मचा दिया आपने घर में !! मेरे ससुराल में इतने ज्यादा लोग ना होते तो कभी शिविन को यहां नहीं रहने देती मैं , लेकिन पुरे दिन घर के काम करके थक जाती हुं इसलिए शिविन को यहां मायके छोड़ दिया था, आपकी शादी को अभी एक साल ही हुआ हैं और आपने तो मेरे बेटे के नाम पर घर की शांती भंग कर दी !! मुझे क्या पता था कि यहां मेरी भाभी को मेरे बच्चे का खाना भारी पड़ जाएगा कहते हुए काव्या भी रोने लगी !!
कुसुम जी रोते हुए बोली – काव्या , इस घर में अपने दिन पुरे हुए बेटी , तु शिविन को यहां से ले जा और मुझे भी कोई वृद्धाश्रम छोड़ दे , गौरव को तो अपनी पत्नी के साथ रहना ही पड़ेगा , इसके पास तो कोई चारा नहीं हैं !!
गौरव बोला – खुश हो गई होगी राखी अब तो तुम , इस घर में कलह का वातावरण पैदा करके कलेजे में ठंडक पड़ गई होगी तुम्हारे !! बिचारी मेरी मां और बहन को रुलाकर आत्मा तृप्त हो गई होगी तुम्हारी हैं ना !! यह सब तुम्हारा ही किया धरा हैं जो आज यह दोनों रो रहे हैं !!
राखी ने नीचे टी- पॉय पर पड़ा कुसुम जी का मोबाईल उठाया और बोली तुम्हारी मां और बहन के यह घडियाली आंसू उन्हें ही मुबारक हो , आज तुम्हें भी पता चल जाएगा कि यह सब कुछ किसका किया धरा हैं , यह सासू मां का फोन आज खुलासा कर देगा कि यह दोनों कितनी सही हैं बोलकर राखी ने फोन की रिकार्डिंग ऑन कर दी जिसमें काव्या कुसुम जी से कह रही थी मम्मी , मेरे शिविन का अच्छे से ध्यान रखना , मैंने तुम्हारे भरोसे ही मेरे बेटे को वहां छोड़ा हैं , वैसे भी भाभी तो पराए घर से आई हैं , उस पर तो मुझे बिल्कुल भी विश्वास नहीं हैं !! मेरे बेटे के लिए उसके दिल में भला क्यों प्यार होगा , खुन का रिश्ता तो शिविन का आपसे जुड़ा हुआ हैं इसलिए मुझे विश्वास हैं आपसे ज्यादा मेरे बेटे का कोई नहीं कर पाएगा !!
कुसुम जी बोली – तेरी भाभी पर तो मुझे भी बिल्कुल विश्वास नहीं हैं , तु फिक्र मत कर शिविन मेरी छत्रछाया में बिल्कुल सुरक्षित हैं , मैं उसका पुरा ध्यान रखती हुं !! तेरी भाभी को तो बस जो काम मैं बता देती हुं वह कर देती हैं !! उस पराए घर की लड़की से क्या उम्मीद करना ??
राखी रिर्काडिंग बंद करके बोली – गौरव आज एक साल से शिविन हमारे घर पर हैं और मैं रोज सुबह पाँच बजे उठकर उसका टिफिन तैयार करती हुं फिर उसे तैयार करके स्कूल भेजती हुं , शिविन के खाने पीने का पुरा ध्यान रखती हुं , उसको पढाई भी करवाती हुं फिर भी तुम्हारी मां और बहन की बाते सुनो कैसी बातें करती हैं मेरे खिलाफ ?? मैं पराए घर से आई हुई हुं मगर मैंने शिविन को एक साल से अपने बेटे की तरह प्यार से रखा हैं मगर सासू मां और ननद रानी को तो फिर भी मुझ पर विश्वास ही नही हैं !!
कभी भी मम्मी जी पर काव्या दी का फोन आता तो वह फोन लेकर सीधे अपने कमरे में चली जाती , मेरे सामने कभी बात नहीं करती इसलिए मुझे बहुत उत्सुकता हुई कि आखिर यह मां बेटी क्या बातें करते हैं और मैंने उनके फोन में रिकार्डिंग ऑन कर दी !!
अब तुम्हीं बताओ गौरव क्या मैं गलत कह रही हुं जब काव्या दी को मुझ पर विश्वास ही नहीं हैं क्योंकि मैं पराए घर से आई हुं तो मैं क्यों शिविन के लिए वह सब कुछ करूं जो मैं अब तक करती आई हुं और मम्मी जी ही तो अब तक शिविन का पुरा ध्यान रख रही हैं तो उन्हें ही रखने दो !! फिर अब मैं क्यों रोज उसका टिफिन बनाऊं , उसको पढ़ाऊं , उसका ध्यान रखूं बताओ मैं कहां गलत हुं !!
गौरव बोला – काव्या और मम्मी आप दोनों से यह उम्मीद नहीं थी , अब तक राखी ने शिविन के लिए इतना सब कुछ किया है मगर आप दोनों के ऐसे व्यवहार ने राखी का दिल छलनी कर दिया हैं इसलिए मैं भी राखी का ही साथ दूंगा , अब आप दोनों को जो करना हैं वह कर सकती हैं क्योंकि आज मैं भी यह जान गया कि एक बहू कितना भी कर ले मगर फिर भी ससुराल वाले उससे खुश नहीं होते !!
राखी बोली – गौरव , सबसे बड़ी बात तो तुम्हें अब तक पता ही नही हैं कि दीदी ने शिविन को एक साल से यहां क्यों रखा हैं ?? अगर शिविन वहां उनके साथ रहेगा तो उन्हें भी सुबह पाँच बजे शिविन के लिए टिफिन बनाने उठना पड़ेगा और उपर से काव्या दी को अपने जेठ जी के दोनों बच्चों का भी टिफिन बनाना पड़ेगा इसलिए उन्होंने शिविन को अपने मायके भेज दिया ताकि वे खुद वहां ससुराल में सुबह सात बजे आराम से उठ पाए और यहां भाभी के पाँच बजे उठने पर भी भाभी के खिलाफ मां बेटी पंचायती करे !!
गौरव यह सब सुनकर अपनी बहन पर शर्म महसूस कर रहा था और बहन की करनी धरनी में साथ देने वाली अपनी मां पर भी उसे हैरानी महसूस हो रही थी !!
अब तो काव्या वैसे भी शिविन को यहां रहने नहीं दे सकती थी , वह मन ही मन सोच रही थी कि काश !! उसने मां से फोन पर भाभी की बुराई ना की होती तो आज यह सब ना होता , वैसे भी कुसुम जी से तो घर का कुछ काम नहीं होता था , सुबह पाँच बजे उठकर शिविन का टिफिन तैयार उसकी भाभी राखी करती थी , वह शिविन को अपने बेटे की तरह प्यार करती थी मगर काव्या ने सब अपने ही हाथो से बिगाड़ दिया था और अब कुसुम जी भी काव्या का साथ नहीं दे सकती थी !!
उन दोनों को अपने किए का पश्च्चाताप था मगर अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत वैसा हाल हो गया था दोनों का !!
दोस्तों , कभी कभी कुछ लोग अपने ही हाथों से अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मार देते हैं !! एक लड़की जो अपने ससुराल वालों के लिए इतना करती हैं उसे अगर ससुराल वाले इस बात का श्रेय दे दे तो वह ओर दिलो जान से उस घर के लिए करती हैं मगर उसे बदले में फिर भी अगर अपमान ही मिले तो वह ससुराल वालो के लिए करना ही छोड़ देती है !!
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आपकी सहेली
स्वाती जैंन