लिव इन रिलेशन – शिव कुमारी शुक्ला

सुबह के नौ बजे थे अंजु और  रोहन अभी भी अलसाये बेडरूम में पड़े थे।एक दूसरे का साथ छोड़ कर उठने की इच्छा ही नहीं हो रही थी। तभी डोरवेल बजी।अंजु उठी दरवाजा खोलने के लिए ।

रोहन बोला यार ये सुबह सुबह ही कौन आ गया रंग में भंग डालने।

अंजु देखती हूं कहती दरवाजा खोलने चली दी।

दरवाजा खोलते ही उसके होश उड़ गए सामान के साथ मम्मी दरवाजे पर खड़ी थीं 

बमुश्किल उसके मुंह से निकला मम्मी आप और यहां।

क्यों मैं यहां नहीं आ सकती अपनी बेटी से मिलने।

वह तो ठीक है पर आपने खबर तो कर दी होती यूं अचानक।

खबर करके आती तो अपनी बेटी को सरप्राइज कैसे देती। पर मुझे ऐसा क्यों लग रहा है मेरे आने से तू खुश नहीं हुई।ये तूने क्या हालत बना रखी है। अभी तक कॉलेज जाने के लिए तैयार नहीं हुई।

मम्मी वो मैं आज*****आगे के शब्द खो गये।

ये क्या हकला रही है बता न क्या बात है और ये कपड़े, जूते किसके पडे हैं। क्या कोई और भी रहता है तेरे संग।

नहीं तो ये तो मेरे एक दोस्त के हैं वह भूल गया था।

 खड़ी -खडी ही सारी बातें करती रहेगी कि मुझसे गले भी मिलेगी कितने दिन हो गए तुझे देखे बहुत याद आ रही थी सो चल दी और आ गई तेरे पास।कब से तेरे पापा से कह रही थी कि अंजु की बहुत याद आ रही है चलो मिल आएं पर उन्हें तो ऑफिस के काम से छुट्टी मिले तब न। आखिर मेरे से नहीं रहा गया तो अकेली ही आ गई।

वह तो ठीक है मम्मी पर फोन करके तो आतीं।

क्यों तुझे मेरे आने से क्या परेशानी हो गई जो मैं किसी पूर्व सूचना के आ गई,जा जल्दी से पानी ला बहुत प्यास लगी है।

अभी वह मुड़ी ही थी कि रोहन यह कहते हुए ऐसा कौन आ गया मेरी जान जो तुम वहीं चिपक कर रह गईं ,वहीं आ गया।

अनजान महिला और बैग, सूटकेस देखकर वह चौंक गया। बोला अंजु ये अंजान बुढ़िया कौन है जो मुंह उठाकर हमारे यहां सुबह सुबह ही चली आई। क्या तुम इसे जानती हो।

अंजु,रोहन तमीज से बोलो ये मेरी मम्मी हैं और मुझसे मिलने आईं हैं।

किसने बुलाया इसे तुमने।

नहीं स्वयं ही मिलने आ गईं वो मैं गई नहीं थी न बहुत दिनों से ।

इसे पता होना चाहिए कि इसकी बेटी जवान है खुश होगी अपने यार के साथ दखल देने क्यों चली आई।

अंजु ये कौन है और ऐसे कैसे बात कर रहा है।

मम्मी वो मेरा दोस्त है मिलने आया था।

दोस्त है तो बोलने की भी तमीज नहीं है ऐसे दोस्त तूने बना रखे हैं।

मिलने नहीं आया था बुढ़िया इसी के साथ 

इसी मकान में रहता हूं।

अंजु -रोहन तुम अभी बाहर जाओ बाद  में आना।

क्यों जाऊं मेरा घर है यहीं रहूंगा।

अंजु ये सब क्या है। तुझे पढ़ने भेजा था कि यह सब करने। पहले तो यह बता कि तूने होस्टल क्यों छोड़ा और छोड़ा तो हमें क्यों नहीं बताया। पता है मैं तो सीधी तेरे होस्टल ही गई थी वहां जाकर तेरी सहेली ने बताया कि तूने यहां मकान ले लिया है।उसीने पता बताया तो मुश्किल से ढूंढते -ढूंढते यहां आई। मैं तो तुझे सरप्राइज देने 

आई थी किन्तु यहां आकर तो मैं खुद ही सरप्राइज हो गई। ये सब क्या चल रहा है और कितने दिनों से। तूने पढ़ाई-लिखाई छोड़ दी क्या। अरे तूझे यही सब करना था तो हमसे कह देती कि मैं पढ़ना नहीं चाहती तो हम कर देते तेरी शादी।पर ये सब तेरे पापा को पता चलेगा तो क्या होगा। 

पता चलेगा तो क्या होगा अरे बुढ़िया हम जवान हैं बालीग हैं साथ में रहेंगे और क्या, रोहन जो चुप चाप सब बातें सुन रहा था बोला।

अंजु ये क्या बोल रहा है।इसे बड़ों से बात करने की तमीज नहीं है। इसके संस्कार

देखें हैं।ये है तेरी पसंद। तेरी मां से बदतमीजी से बोल रहा है और तू चुप है।

कहां खो गई मेरी बेटी जो अपनी मां का सम्मान करती थी। आज उसी के सामने कोई उसे अपमानित कर रहा है और तू चुप है। क्या नाम है तुम्हारा, रोहन तुम चुपचाप यहां से निकल जाओ। मैं अपनी बेटी के घर आई हूं मुझे उससे बात करने दो।

ये घर अकेली तेरी बेटी का नहीं है मेरा भी है जो करना है मेरे सामने करो मैं कहीं नहीं जाने वाला।

अब तो उनकी सहनशक्ति जवाब दे गई। उन्होंने एक जोरदार थप्पड़ अंजू के लगाया बोल क्या तूने इससे शादी कर ली। ये अपना अधिकार कैसे जमा रहा है। लगभग उसे झकझोरते हुए रेणु जी (मम्मी ) ने पूछा बोलती क्यों नहीं कुछ। कुछ तो बता जो मुझे बात पता चले।

वह रोते हुए बोली बस मम्मी हम लिव इन रिलेशन में ऐसे ही साथ रहते हैं।

घर का किराया एवं अन्य खर्च कैसे करते हो।

किराया मैं देती हूं।सामान का पैसा आधा आधा देते हैं कारण यह गरीब घर से है सो ज्यादा नहीं दे सकता।

तू तो बहुत अमीर घर से है।हम कैसे तुझे पढ़ाई के लिए पैसे भेजते थे उस पर चार महिने से तू कभी किसी बहाने से, कभी कोई जरूरत बताकर ज्यादा पैसे मंगवा रही थी। पता है वो पैसे हम अपनी और तेरे छोटे भाई बहन की जरूरतों को अनदेखा कर भेजते थे।

तूने सोचा कभी कि पापा पैसे कैसे भैजते होंगे, और तू पढ़ाई-लिखाई छोड़ यहां अय्याशी कर रही है। वाह बेटी वाह  खूब अच्छा सिला दिया तूने हमारे प्यार का। हमारे विश्वास को तोड़कर रख दिया ।अब सबको क्या मुंह दिखाएगी।

मम्मी हम आपस में बहुत प्यार करते हैं और रोहन का कहना है कि दो साल बाद हमारी पढ़ाई पूरी हो जाएगी फिर हम शादी कर लेंगे।

तू प्यार में अंधी हो गई है। तुझे रोहन की बात पर भरोसा है तो सुन सच्चा प्यार करने वाला कभी ग़लत राह नहीं दिखाता।वह तुझे होस्टल से निकाल यहां अपने साथ गलत तरीके से नहीं रखता।

तू इसके बारे में जानती कितना है,जो इसने दिखाया वैसा ही सब्जबाग तूने देखा। अगर सच्चा होता तो तुझे मां बाप को धोखा देना नहीं सिखाता।असल में वे समझ  गईं थीं गलत लड़के चक्कर में फंस चुकी है अतः जितनी जल्दी जैसे भी हो यहां से निकलना है।

बहुत बोल दी बुढ़िया अब चलती बन यहां से।

रोहन तुम ऐसे कैसे मेरी मम्मी से बोल रहे हो। इज्जत से पेश आओ वे तुमसे बड़ीं हैं।

सुन ले कितना खानदानी, संस्कारी लड़का है जो बड़ों की इज्जत करना नहीं जानता वह तेरी क्या इज्जत करेगा इसके साथ तेरा भविष्य मुझे दिख रहा है या तो तू घऱों 

में जूठे बर्तन मांजती फिरेगी या यह तुझे कहीं बेंच देगा।या फिर उससे भी बद्तर तेरी हालत होने वाली है कि तेरे टुकड़े या तो फ्रिज में रखे मिलेंगे या सूटकेस में।या फिर तू कहीं तंदूर में भून रही होगी। आंखें खोल चेत जाऔर अभी के अभी मेरे साथ घर चल।

आप इसे ऐसे कैसे ले जा सकती हैं ।हम प्यार करते हैं साथ रहते हैं क्या बुराई है आजकल तो इसे कानूनी मंजूरी भी मिल गई है।

हां बेटा मिल गई होगी कानूनी मान्यता पर हम अपनी बेटी को मंजूरी नहीं दे रहे हैं सो अब तुम अपना रास्ता देखो और हम अपना। अंजु उठ अपना सामान उठा और यदि जीवित रहना चाहती है तो अभी के अभी चल यहां से।

पर मम्मी मेरा कॉलेज।

बहुत हो गई पढ़ाई बाद में सोचेंगे क्या करना है अभी तू चल बस।

रोहन बहुत ही चालाक और क्रिमिनल टाइप लड़का था।वह किसी भी कीमत पर अंजु को अपने हाथ से निकलने नहीं देना चाहता था सो उसने कुछ नम्र होते हुए कहा आंटी इसे यहीं रहने दो अब आपसे और ज्यादा पैसे नहीं मंगवाएगी। मैं अपने घर से मंगवा लूंगा।हम बहुत प्यार करते हैं एक दूसरे से ।प्लीज़ हमें जुदा ना करें।

जब प्यार करने की और साथ रहने की उम्र हो जाए और कमाने योग्य हो जाओ  तब  आ जाना हम खुशी-खुशी तुम्हारे साथ विदा कर देंगे।

आंटी मेरी बात मान जाओ नहीं तो मैं पुलिस को बुला लूंगा।हम बालिग हैंआप हमारा कुछ नहीं बिगाड सकतीं।

 बुला ले देखती हूं कौन मुझे रोकता है।देख क्या रही है उठा सामान दो-तीन थप्पड़ और मारे। बेशर्म अब भी कोई कमी रह गई है जो सोच रही है।

उन्होंने आगे बढ़ उसके कपड़े बैग में डालेऔर अपना सामान ले उसका हाथ पकड़ लगभग घसीटते हुए उसे बाहर ले गईं और एक आटो में बैठ स्टेशन की ओर रवाना हो गईं । वहां उन्हें जो ट्रेन उनके शहर की ओर जाने वाली मिली उसी में सामान्य वोगी का टिकट ले सवार हो गईं।

उन्होंने तीसरे स्टेशन का ही टिकट कराया था ताकि इस स्थान को जल्द से जल्द छोड़ सकें। उन्हें भय था कि रोहन कहीं स्टेशन आकर बखेड़ा खडा न कर दे।वह उन्हें बदमाश किस्म का लड़का लगा। क्या पता वह अपने अन्य साथियों को लेकर आ जाए ।इस अनजान शहर में वे अकेली क्या करतीं।

गाडी के चलने के बाद घर तक का टिकट आनलाइन बुक करवाया।जिस गाडी में बैठीं थीं उसने उन्हें रात बारह बजे स्टेशन पहुंचा दिया और वहां से उनके घर को जाने वाली गाड़ी सुबह चार बजे जाती थी अतः चार घंटे वेटिंग रूम में ही एक कोने में छिपी बैठी रहीं। सुबह गाड़ी में बैठने के बाद ही उनकी सांस मे सांस आईं।

घर पहुंचीं तब छोटे बच्चे तो स्कूल गए हुए थे। पति को सब बताया । उन्होंने भी अपना माथा पीट लिया और रूंधे कंठ से बस इतना ही बोले अंजु हमारे प्यार में, हमारी परवरिश में बेटा क्या कमी रह गई थी जो तूने इतना खतरनाक कदम उठाया।

अभी तेरे पढ़ने -लिखने की उम्र थी न कि यह सब करने की। हमारा प्यार क्या तुझे कम लगा जो उस आवारा की बातों में आ गई।वो तो तेरी मम्मी की जिद थी कि एक बार जाकर आंखों से देख कर तो आएं कि लड़की क्या कर रही है। मुझे तो तुम पर इतना भरोसा था कि मैं मना करता था।

क्या देखना अपनी बेटी है कुछ गलत नहीं करेगी। किन्तु वह जिद करके चली गईं तो तुझे इतनी बड़ी मुसीबत से बचा लाईं वर्ना क्या होता तेरा यह सोच कर ही रुह कांप जाती है।

पापा न जाने उसने क्या जादू कर दिया कि जो वह कहता मुझे वही सच लगता और मैं उसकी बातों में आ गई।

बेटा ये इस उम्र का आकर्षण होता है कोई प्रेम वेम नहीं होता तुम जैसी भोली , मासूम लड़कियों को ये फंसा लेते हैं और फिर धीरे-धीरे उनका ब्रेनवाश कर अपने कब्जे में कर लेते हैं और फिर धीरे-धीरे गलत काम करवाते हैं कोई शादी वादी नहीं करते।

जब इच्छा हो छोड़कर भाग जाते हैं खामियाजा हमेशा लड़की को ही भुगतना पड़ता है चाहे नारकीय जीवन जीकर या फिर अपनी जान गंवा कर। भगवान का शुक्र है कि मम्मी समय पर पहुंच गईं।

पापा अब ऐसी गल्ती कभी नहीं करूंगी इस बार मुझे माफ़ कर दो। अब मैं किसी के बहकावे में नहीं आऊंगी।

पापा उसके सिर पर हाथ रखते बोले ईश्वर तुझे सद्बुद्धि दे जो तू सही ग़लत में अंतर करना समझ सके।

शिव कुमारी शुक्ला 

जोधपुर राजस्थान 

15-9-25

स्व रचित एवं अप्रकाशित 

विषय***लेखिका बोनस प्रोग्राम 

लिव इन रिलेशन 

 पंचम  कहानी

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