घर और ऑफिस का काम निपटाते निपटाते सौम्या बहुत थक जाती |घर में सहायक थे पर वो काम कर के चले जाते और घर में छोटे छोटे काम भी बहुत हो जाते और साथ ही दो बच्चों की जिम्मेदारी भी थी, उसने अपनी सास को कुछ दिन के लिए आने को कहा, तो उन्होंने कहा यहां मुझ पर भी जिम्मेदारी है ऐसे में मैं कैसे आ पाऊँगी? एक काम करती हूँ
गाँव में कोई मिलता है तो उसे कुछ दिन के लिए तेरे पास भेज देती हूँ, और उसके पास गाँव से दस साल की मीनू आ गई उसकी मदद के लिए |
आज थकी हारी सौम्या ऑफिस से घर लौटी तो उसकी दोनों बेटियाँ टीवी देखने में मगन थी उसने अपनी नौकरानी को आवाज दी पानी के दस वर्षीय मीनू पानी का गिलास ले आई.मीनू उसकी बड़ी बेटी पीयू की हमउम्र थी. बाकी सारे काम के लिए भी सहायक थे जो आते और अपना काम कर के चले जाते
मीनू को उसने घर के छोटे मोटे काम के लिए अपने पास रख लिया था और सोसाइटी में ये बताया था कि वो उसके दूर के गरीब रिश्तेदार की बेटी है, यहाँ लेकर आई हूँ कि दो अक्षर पढ़ लिख जाएगी सौम्या के पति अमित की विशेष कृपा रहती मीनू पर अक्सर अपने बच्चों के साथ-साथ वो उसके लिए भी कभी चॉकलेट कभी
आइसक्रीम लाते और कभी-कभी पास में बैठा कर पढ़ाते भी सब कुछ अच्छा चल रहा था मीनू भी खुश थी यहाँ आकर हर समय उसके चेहरे पर मुस्कान खेलती रहती. सौम्या को कुछ दिन के लिए ऑफिशियल काम के लिए बाहर जाना था वह सबको जरूरी हिदायतें देकर चली गयी.
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दो दिन बाद
ओह, पापा इस तरह प्यार करने में तो सच में बहुत दर्द होता है छोड़ दो मुझे अब, पापा शब्द सुनते ही अमित सकते में आ गया और उसने जल्दी से कमरे की लाइट जलायी. घुप्प अँधेरा कमरा दूधिया रोशनी से नहा उठा. घबराते हुए उसने पीयू से पूछा बेटा तुम यहाँ कैसे? ये तो मीनू का कमरा है न? हाँ पापा,
मैंने ही मीनू को आज अपने कमरे में सुलाया और उसकी जगह मैं सो गयी. पर क्यों बेटा? रमित ने नजरें झुकाए पूछा.क्योंकि मीनू मुझे चिढ़ा रही थी कि तुम्हारे पापा तुम लोगों से ज्यादा मुझे प्यार करते हैं, तुम्हें तो सिर्फ गाल पर प्यार करते हैं पर मुझे तो हर रात पूरे कपड़े हटा कर हर जगह प्यार करते हैं और जब मैं दर्द से रोने लगती हूँ
तो मुझे चॉकलेट देते हैं और बोलते हैं कि तू मेरी सबसे ज्यादा रानी बेटी है न इसलिए तुझे प्यार करता हूँ तो थोड़ा दर्द होता है. पापा बोलो न क्या सच में मीनू आपकी रानी बेटी है मैं नहीं?अमित की खुद से भी नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी. दूसरे की बेटी को खिलौना समझ कर खेलने वाले ने आज अनजाने में अपनी ही बेटी को अपना खिलौना बना लिया था|
सुरभि शर्मा