‘‘सुनो जी, जब तुम्हारे रिटायरमेंट का वक्त आएगा ना उसके पहले ही हम अपना घर बनाएँगे और हाँ हम अपना घर अपने हिसाब से बनायेंगे…जिसकी दीवारों पर सजी एक -एक ईंट हमारे प्यार की गवाही दें….हम बच्चों के हिसाब से कुछ भी नहीं करेंगे….जो करेंगे अपने लिए सोच समझकर।”तनु ने पति विवेक से कहा
‘‘ आज शाम की चाय के साथ इतनी बड़ी बड़ी बातें क्यों कर रही हो? बच्चों ने कुछ कहा क्या तुमसे? रुको पूछता हूं उनसे ऐसा क्या कहा उनलोगो ने तुम्हें? अभी तो दोनों बच्चे पढ़ाई ही कर रहे तनु ,फिर ऐसी बातें क्यों कर रही हो? क्या चल रहा है तुम्हारे मन में बताओ तो सही।”विवेक ने तनु के माथे पर उभर आई चिंता की लकीरें देख कर पूछा
विवेक समझ गए कल की बातों की गहरी छाप तनु के दिल पर छप चुकी है।
‘‘कल कपूर दम्पत्ति से मिलकर मेरा मन बहुत व्यथित हो गया विवेक…सोच रही हूं क्या फायदा ऐसी ज़िन्दगी का जिसमें खुशी ही न हो…मैं ठीक से घर ही नहीं देख पाई, क्या वो एजेंट कल फिर हमें उनका घर दिखा देगा?‘“ तनु विवेक से पूछी
‘‘ मैं बात कर के बता दूँगा ….पर कल को तुम अकेली चली जाना घर देखने मेरे लिए थोड़ा मुश्किल होगा…कल ज़रूरी मीटिंग है मुझे अटैंड करना होगा।”विवेक समझ गए घर एक बहाना है तनु फिर उन अंकल आँटी को मिलने जाना चाहती है
विवेक के तबादले के बाद तनु और विवेक कम्पनी के गेस्ट हाउस में रहते हुए चंडीगढ़ में रहने के लिए घर तलाश कर रही थी।
एंजेट उन्हें एक से एक घर दिखा रहे थे पर तनु को एक भी घर उसके पसंद का नहीं मिल रहा था। ऐसे ही घूमते घूमते वो कपूर विला देखने गए।
बाहर से आलिशान घर को देखकर एकबारगी तनु का मन किया यही रह जाए पर…. वो उपर वाले तल्ले को देख नहीं पाए जो उन्हें किराए पर मिलने वाला था।
‘‘ आपलोग आए हैं तो नीचे का घर देख लो , बिल्कुल वैसा ही उपर भी बनाया है…वो कपूर साहब की तबियत ठीक रहती तो वो दिखा देते, पता नहीं चाभियां कहाँ रखी है….वो अभी दवा लेकर सो गए नही तो उठा देती।”मिसेज़ कपूर ने कहा
‘‘ कोई बात नहीं, आपको एतराज नहीं हो तो आप अपना घर ही दिखा दे, हमें एक रफ आइडिया मिल जाएगा।”विवेक ने कहा
तनु विवेक मिसेज कपूर के साथ जब घर के अंदर गए तो..घर की चीजें देखकर नजर ही नहीं हटा पा रहे थे…सब कुछ करीने से रखा हुआ, एक से एक शो पीसेज, फर्नीचर भी शायद विदेशी ही था।
‘‘ ये सब मेरे बेटे करण ने अपनी पसंद से ला कर सजाया है…बेटे की पसंद से हमने पूरा घर सजा दिया है…बहुत शौक है उसको एंटीक चीजों का…घर भर दिया उसने….उपर वाले तल्ले को उसने अपने लिए बनाया है वो तो और भी खूबसूरत बना हुआ है…पर हम दोनों ज्यादा सीढियां चढ़ नहीं सकते इसलिए नीचे ही रहते हैं।”मिसेज़ कपूर रौ में बेटे की तारीफ करती हुई बोली
‘‘ सच में सब बहुत सुन्दर है, आपके कितने बच्चे हैं और कहां रहते है?‘तनु ने पूछा
‘‘ एक ही इकलौता बेटा है हमारा ,वो कनाडा में परिवार के साथ रहता है, साल में एक बार परिवार के साथ आता है ,इधर दो साल से आया भी नहीं है।” मिसेज कपूर थोड़ी उदास होकर बोली
तनु विवेक ने पूरा घर एक नजर देखा और निकलने लगें
‘‘ आपको घर पसंद आया ना? जो भी होगा बलविंदर (एजेंट) को बता दीजियेगा।”मिसेज़ ज कपूर ने कहा
‘‘ जी,घर पसंद आया, जो भी होगा हम बता देंगे।”विवेक ने कहा
‘‘ विवेक इतना बड़ा घर इनका, सब बेटे की पसंद से बना हुआ, जिसके लिए बनाया वो ही साथ नहीं रहता, बताओ ऐसे घर में कोई खुश कैसे रह सकता? वैसे घर बहुत अच्छा है बच्चों को भी पसंद आ जाएगा, होगा तो कल फाइनल कर देंगे।”तनु ने रास्ते में विवेक से कहा
दूसरे दिन विवेक ने तनु से कहा वो जाकर घर देख सकती है।
तनु अकेले ही कपूर विला पहुंच गई।
आज दोनो बाहर ही लॉन में मिल गए।
‘‘आओ आज आपको उपर का घर दिखा दूँ…एजेंट ने फोन कर दिया था तो हमने चाभियां खोजकर रखी है।’’मिसेज कपूर ने कहा
तनु उनके साथ उपर जाने लगी।
मि. कपूर नीचे ही लॉन में बैठे थे।
उपर का घर भी वाकई सपनो के महल जैसा था बस थोड़ी रंगाई पुताई करने से बिल्कुल नए जैसा हो जाए।
‘‘पिछले महीने ही खाली हुआ है, अकेले रहते हैं तो ज्यादा काम नहीं करवा पाते, बेटा वही से एजेंट को बोल कर सब काम करवाता रहता है…हमें वक्त पर पैसे मिलते रहते, जिन्दगी कट रही है हमारी।”हल्की मुस्कान के पीछे के दर्द को छिपाने की कोशिश करती मिसेज कपूर ने कहा
‘‘ आंटी , इतना अच्छा घर , एक से एक सुन्दर चीजों से सजा हुआ घर , सब आपके बेटे की पसंद का है इस घर में, पर जिसके लिए यह घर बना वो ही इस घर में नहीं, आपने एक भी चीज इस घर में अपनी पसंद का क्यों नहीं किया? क्या आप और अंकल खुश हैं?‘‘ तनु ने मिसेज कपूर को सहारा देते हुए नीचे सीढ़ियों पर उतरते हुए पूछा
मिसेज कपूर तनु को देखने लगी,‘‘ बेटा, खुश नहीं दिख रहे हैं क्या?‘‘
‘‘आँटी सवाल मैंने किया है आप जवाब देना चाहे तो दे नहीं तो कोई बात नही।‘‘ दोनों बातचीत करते हुए नीचे आ गए
‘‘ घर पसंद आया?‘‘मि. कपूर ने देखते ही पूछा
‘‘ जी अंकल जी आपका मकान वाकई सुंदर है किसको पसंद नहीं आयेगा पर ये मकान जैसा लग रहा, घर जैसा नहीं।‘‘ तनु ने सपाट लहजे में कहा
दोनों एक बारगी ऐसा सुन कर चौंक गए।
‘‘ मतलब‘‘ दोनों एक स्वर में पूछे
‘‘ आप दोनों पहले ये बताये क्या आप खुश हैं इस घर में?‘‘ तनु ने सवाल किया
‘‘ बेटा सच कहें तो बेटे के बिना खुश कैसे रह सकते हैं…हमने सब उसकी पसंद का किया ताकि वो यहाँ खुशी से हमारे साथ रहे पर उसे तो विदेश में रहना था…. ‘‘ मिसेज कपूर दुःखी हो कर बोली
तनु ने देखा मि. कपूर अपनी पत्नी के हाथ को प्यार से पकड़ कर अपने होने का एहसास करवा रहे थे मानो कह रहे हो कोई बात नही मैं हूँ ना तुम्हारे साथ।
‘‘ आंटी मैं आपके मकान में रहने आ रही हूं , अगले सप्ताह हम आ जाएगे। बस उपर थोड़ी सफाई और रंग रोगन करवा दीजिएगा…अगर आपको कोई प्रॉब्लम होगी तो हमें बता दीजिएगा…हम करवा लेंगे…सच कहूँ मैं आपके सुन्दर मकान को देखकर नहीं आ रही आँटी, मुझे आपके साथ रहना ताकि हमें दूर रहकर भी बड़ो का साथ मिल सके और हम आपको थोड़ी खुशी दे सकें…मेरे भी दो बच्चे हैं वो अभी साथ नहीं आए हैं….वो आ जाएंगे तो संभवतः हम मकान को घर में तब्दील कर सकेंगे ।”तनु ने कहा
वो जानती थी अंजान लोगों के साथ अपनापन आसान नहीं होता पर वो तो उसका स्वभाव ही ऐसा है की वो गैरो को भी अपना बना ले।
अगले सप्ताह तनु विवेक बच्चों के साथ रहने आ गए।
अंकल आंटी बच्चों को देखकर बहुत खुश नजर आ रहे थे…शायद हम से पहले जो भी रह कर गए वो अकेले ही रहते होंगे, तभी आंटी ने हँसते हुए अंकल को छेड़ते हुए कहा था,‘‘ देखिए कपूर जी अब बच्चे घर में आए हैं कुछ टूटा फूटा तो मुझे कुछ नहीं कहिएगा ।”
‘‘ कोई बात नहीं बच्चों टूटने से डर नहीं लगता अब तो प्यार से डर लगता ना जाने कितने दिन किसके साथ मिलेगा।”मि.कपूर बच्चों के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोले
बच्चों ने भी उन्हें प्यार से जी एम और जी एफ बोलना शुरू कर दिया था।
कपूर दम्पत्ति अब खुश रहने लगे थे।
तनु कोशिश करती की वो इन बुजुर्ग दम्पत्ति के अकेलेपन को दूर कर सकें जो बेटे की पसंद वाले मकान को संभालने में लगे हैं।
तनु कपूर दम्पत्ति के घर बस उनको खुशी देने संग रहने आ गई पर मन में यह बात बिठा ली थी कि जब भी रिटायरमेंट के बाद अपने घर में रहने जाएगी वहां पसंद अपनी रखेगी। बच्चों का क्या है नौकरी कही करेंगे कुछ दिनों के लिए आयेंगे रहना तो विवेक और मुझे है साथ में है तो घर भी अपनी पसंद का होगा जहां ख़ुशियाँ हो यादें हो और विरह की कोई जगह नहीं।
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धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
# रिटायरमेंट