अरे बहू ये क्या कर रही हो?? तुमने तो विवाह के चार दिन बाद ही साड़ी छोड़कर सलवार कमीज अपने बदन पर डाल लिया है। अब तुम्हें ये याद रखना होगा,तुम अपने मायके में नहीं ससुराल में हो। न जाने आजकल की लड़कियों को क्या हो गया है। जो तनिक भी नहीं सोचती है।
अरे हमारे जमाने में तो मजाल है। जो सर का पल्लू भी हट जाए । हमने तो अपना सारा जीवन संस्कार और लिहाज के साथ रहकर निकाल दिया । साड़ी तो सदा पहने ही रहते थे।
इसी तरह बडबडाते हुए वह अपनी नव विवाहित बहू बेली की और देखने लगी।
कपिल जी अपनी पत्नी रेखा जी को इस तरह बडबडाते हुए देखकर समझाते हुए बोल पड़े। देखो तुम्हें इस तरह अपनी नव विवाहित बहू के लिए नहीं कहना चाहिए। वह अभी इस घर में नई-नई है, रही बात पुराने जमाने की तो उस वक्त का दौर अलग था और आज का दौर बहुत अलग है।
तुम्हारी बहू ने सलवार कमीज बदन पर डाली है, तो यह तुम कैसे कह सकती हो कि वह संस्कारी नहीं है, उसे लिहाज नहीं है, सिर्फ कपड़ों को देखकर हम किसी के संस्कारी होने का आकलन नहीं कर सकते।
देखो अभी उसे सिर्फ हमारे घर में चार दिन हुए हैं। मैं तो कहता हूं। तुम अपनी बहू को इतना प्यार दो कि वह चार दिन क्यों चालीस वर्ष तुम्हारे साथ हंसी खुशी रहने को मजबूर हो जाए।
बहू की हर सुबह तुम्हारे आशीर्वाद से शुरू हो और हर शाम तुम्हारे आशीर्वाद पे ही खत्म हो।
पति कपिल जी की बात सुनते ही रेखा जी तुरंत बोल उठी।
अजी आप परिवार की बड़ी औरतों को कहां जानते हो । वो सब तो जैसे ही बहू बेली को सलवार कमीज में देखेगी,तो न जाने मुझे कितनी बातें सुनाएगी और फिर मोहल्ले की औरतें भी तो है ।वह फिर क्यों पीछे रहेगी। उन्हें भी तो मौका मिल जाएगा।
कपिल जी रेखा जी की बात सुनते ही फिर बोल उठे।
देखो लोगों का क्या है। वह तो कुछ ना कुछ कहते ही रहेंगे मगर तुम लोगों के लिए अपनी बहू को तो अनदेखा नहीं कर सकती। जिसके साथ तुम्हें पूरी जिंदगी गुजारनी है ।
जरा सोचो आज अगर तुम इस तरह का व्यवहार उसके साथ करती हो। उसकी नजरों में तुम्हारा क्या सम्मान रह जाएगा। अरे छोड़ो लोगों की बातें । कुछ तो लोग कहेंगे। कहने दो उन्हें। और हां तुम्हारी बहु मायके में है या ससुराल में ये याद रखना छोड़कर बल्कि ये याद रखे कि दोनों घर के लोग उसके अपने हैं, तो शायद ज्यादा बेहतर होगा ।
पति कपिल जी की बातें सुनकर रेखा जी अपनी नजरें झुकाते हुए बोल उठी। मैं आपकी बातें बहुत अच्छी तरह समझ गई हूं।
मुझे लोगों की फिक्र छोड़कर अपनी बहू की फिक्र करनी चाहिए।
मैं आपसे वादा करती हूं। मैं अपनी बहू को इतना प्यार दूंगी कि वो मेरे बिना रह ही नहीं पाएगी और हां मेरी बहू सलवार कमीज पहने या साड़ी। ये उसकी मर्जी, आखिर ये घर उसका भी तो है।
ये हुई ना सही बात और अब जाओ अपनी बहू के पास, उसे दुलार दो और कहो कुछ देर पहले जो कहा । उसे भूल जाए और इस आंगन में खूब खुश रहें कहते हुए कपिल जी ने चैन की सांस ली।
स्वरचित
सीमा सिंघी
गोलाघाट असम