“मम्मी!आप शीना की बातों पर उदास मत हुआ करें,उसका तो काम ही है कहना ,उसे तो अपनी जुबान पर कंट्रोल ही नहीं है”!विकास ने मां उषा को समझाया!
उषा के पति मनोज के गुजर जाने के बाद उनका बेटा विकास उन्हें अपने साथ लंदन ले आया था।
बहू शीना को अपने और विकास के बीच किसी तीसरे का आ जाना बिलकुल भी नहीं सुहाया!
ब्याह के बाद ही उसने अपने पिता की सिफारिश से विकास को लंदन में आकर जाॅब करने की सलाह दी थी!यह सोचकर कि विकास अपने घरवालों से जितना दूर रहेगा उतना ही वह शीना के करीब हो जाऐगा!
उषा जी से तो शीना शुरू से ही नाखुश थी क्योंकि विकास का अपनी मां के साथ कुछ ज्यादा ही लगाव था!ब्याह के बाद ही जब शीना ने देखा कि विकास और उषा जी एक दूसरे का बहुत ध्यान रखते है ,दोनो एक दूसरे की छोटी से छोटी पसंद नापसंद का ख्याल रखते है !
शीना को उन दोनों की नजदीकियां नागवार गुजरती!वह भूल गई कि मां मां ही होती है पत्नि पत्नि! शादी के पहले उषा जी ही विकास की हर जरूरत का ख्याल रखती थी!उसने शुरू से ही उषा जी को अपना दुश्मन समझा!हालांकि यह उषा जी के बेटे का घर था पर उषा को हर वक्त यही महसूस होता कि वह शीना के घर एक अनचाहा मेहमान है!
वे लंदन आ तो गई पर उन्हें बहुत याद आता अपना खुला-खुला घर,छोटा सा बगीचा पुरानी काम वाली बंतो उसके बच्चे जो दादी-दादी कहते हर वक्त टाॅफी-चाकलेट और बिस्कुट के लालच में उसके आसपास मंडराते रहते थे,उसका छोटा मोटा काम खुशी-खुशी करते।
पति मनोज के साथ पहले नौकरी में फिर रिटायर्मेंट के बाद वे दोनों अपने सीधे-साधे जीवन में खुश थे।
विकास और दो छोटी बेटियों की शादी रिटायर्मेंट के पहले ही करके वे अपनी जिम्मेवारियों से फारिग होकर पेंशन में अच्छे से गुजारा कर रहे थे।
कभी-कभार बेटियां और बच्चे छुट्टियों मे आ जाते तो उनकी बैट्री चार्ज हो जाती उनके जाने के बाद फिर अपनी पुरानी दिनचर्या में लौट आते।विकास दूर था और बहू शीना को ससुराल आना पसंद नहीं था इसलिए वो कभी-कभार ही आ पाता।
फिर एक दिन अचानक दिल का दौरा पड़ने से उषा के पति मनोज
चल बसे!
उषा ने मनोज के एकाएक जाने से खुद को बड़ी मुश्किल से संभाला।
उसने वहीं इंडिया में अपने घर में ही रहने का फैसला लिया पर विकास उसे अकेले छोड़ने को तैयार नहीं हुआ वह उसे यह कहकर अपने साथ लंदन ले गया कि कुछ हो गया तो वह काम छोड़कर बार-बार भाग कर नहीं आ सकता।
घर बंद कर चाबियां बंतो के हवाले कर बसी -बसाई गृहस्थी छोड़ जो उसने तिनका-तिनका कर के जोड़ी थी पति की जाने कितनी खट्टी-मीठी यादों की गठरी बांधे उषा सात समुंदर पार विकास के घर चली आई।
लंदन आकर उषा हर संभव घर के काम में हाथ बंटाने की कोशिश करती पर शीना को पसंद नहीं था कि उषा उसकी गृहस्थी में दखल दे!
उषा कभी विकास की फरमाइश पर उसकी पसंद का कुछ पका भी देती तो शीना यह कहकर विकास को खाने नहीं देती कि वेट बढ़ जाएगा!
बेटा-बहू दोनों काम पर जाते इसलिए घर का अकेलापन बहुत खलता ।
दिन तो कट जाता पर रात को पति के साथ बिताया समय,अपना घर,बंतो-बच्चे-पड़ोसी बारी बारी आकर मन के दरवाजे पर दस्तक देते।
एक अजीब सी बेचैनी उषा को अक्सर हताहत करती।
अपार्टमेंट के पास में एक छोटा सा पार्क जिसमें सुबह कुछ रिटायर लोग वाॅक करने आते शाम को बच्चे भी खेलते। लंदन की ठंड के मारे लोग-बाग घर से कम निकलते।उस दिन बड़े दिनों के बाद उषा का धूप में बैठने का मन किया ,वो बाहर निकल कर पार्क में पड़ी बेंच पर बैठ गई,कुछ देर बाद सर पर कैप लगाऐ ओवर कोट और मफलर लगाऐ मास्क पहने एक बुजूर्ग आए और बेंच के खाली हिस्से की तरफ इशारा करते हुए बैठ गए।
उषा सकपका एक तरफ सिकुड़ सी गई ।
“उई” पहचाना मुझे?उन्होने कैप और मास्क हटा कर पूछा?
जिस की आवाज सुन कर,जिस की सूरत देखकर उषा के मन की तितलियां एक साथ उड़ने लगतीं थीं ,बरसों बाद उसकी आवाज सुनकर आज भी उषा के गाल लाल हो उठे।”उई “नाम से तो उसे बस सुरेश ही पुकारा करता था।
उषा को एक बार विश्वास ही नहीं हुआ कि कभी बरसों बाद यूं इतनी दूर कभी सुरेश से मुलाकात होगी।
उषा और सुरेश एक ही काॅलेज में पढ़ते थे! मन ही मन एक दूसरे को चाहते भी थे पर मुहब्बत का इज़हार कर पाते उससे पहले सुरेश दुबई चला गया! दोनो के रास्ते अलग हो गए।
“कैसे हो,यहाँ कैसे?उषा ने फीकी सी हंसी से पूछा!
सुरेश ने बताया पत्नि के देहांत के बाद अकेला रह जाता इसलिए बेटी टीना यहाँ ले आई।
सुरेश- और तुम बताओ यहाँ कब से हो?
उषा-मैं भी इनके जाने के बाद बेटे के साथ अभी आई हूँ।
फिर दोनों बीते जमाने का कभी ना खत्म होने वाला पुलिंदा खोल कर बैठ गए। पता नहीं चला कब पेड़ों के साऐ लंबे हो गए और शाम गहराने लगी।
फिर दोनों शाम पांच बजे आकर बेंच पर बैठते पुरानी यादें ताजा करते!
कभी कभी पास के कैफे में काॅफी पी लिया करते!
इतवार को सुरेश की बेटी टीना ने विकास, शीना और उषा जी को लंच के लिए घर बुलाया! विकास देखकर बहुत खुश हुआ कि किसी परिचित के आने से मम्मी का अकेलापन कुछ दूर हुआ। अब कम से कम उन्हें हर वक्त शीना की जली कटी बातें तो सुननी नहीं पडेंगी!
पर शीना को सुरेश को देखकर कुछ अच्छा नहीं लगा!
उषा और सुरेश के चेहरे की खुशी देखकर शीना के शैतानी दिमाग में शक का कीड़ा रेंगने लगा!
उनके जाने के बाद शीना ने विकास को कहा”सुनो!आजतक तो मम्मी जी हर वक्त मुंह लटकाए घूमती थीं उनकी शक्ल देखकर मुझे तो बड़ी कोफ्त होती थी!जब से आई थी घर में जैसे मातम परसा था!आज सुरेश अंकल के आने से ऐसा क्या हो गया कि वे इतना हंस बोल रहीं हैं!
आखिर ये सुरेश महाशय हैं कौन?
और विकास के बताने पर कि वे मम्मी के साथ पढ़ते थे!शीना ताली बजाकर बोली “अब समझी!अच्छा तो ये मम्मी जी के एक्स बाॅयफ्रेंड हैं!तभी मैं कहूं मम्मी जी का चेहरा गुलाब सा क्यूं खिल रहा!हां भई पहला पहला प्यार जो था!”
पर ये तो इतने हैंडसम हैं अच्छी नौकरी में थे दोनों ने शादी क्यों नहीं की?”
विकास को गुस्सा तो बहुत आया पर चुप रहा यह सोचकर कि शीना की ऊटपटांग बातें अगर उषा जी के कान में पड़ गईं तो उनका मन कितना दुखी होगा!
वह सोचने लगा ये तो अच्छा है कि यहाँ लंदन में एक विधवा और एक अकेले मर्द की दोस्ती का गलत मतलब नहीं निकालते जैसे हमारे यहाँ इंडिया में तो कानाफूसी शुरू हो जाती है।
बाहर वालों की क्या कहें जब घर में ही छींटाकशी करने वाले बैठे हों!
उषा जी किसी दिन जरा ठीक से तैयार हो लेतीं तो शीना अपने व्यंग बाण चलाए बिना चैन न पाती!वह विकास को सुनाती”इतना सजने संवरने का शौक है तो सुरेश जी से ब्याह क्यों नहीं कर लेती!हमारी भी जान छूट जाएगी!
“मुझे तो शर्म आती है अभी कल ही सामने वाली मिसेज शर्मा कह रही थी !तेरी सास के तो मजे हो गए लंदन आते ही नया बाॅयफ्रेंड फांस लिया!कल देखा था पार्क में दोनों कैसे हंस हंस कर बातें कर रहे थे!”
“मम्मी जी अपना नहीं तो कम से कम हमारा ही ख्याल कर लें !आखिर हमें तो इन्ही लोगों के साथ यहीं रहना है!”शीना मुँह सिकोड़कर बोली”!
विकास सोचने लगा भले ही ये लोग आकर लंदन में बस गए हों पर मानसिकता वही दकियानूसी ही रहेगी!वह शीना के साथ बहस कर उसके मुंह नहीं लगना चाहता था इसलिए चुप रहा!
विकास और सुरेश की बेटी ने देखा कि उनके मां-बाप का अकेलापन दूर हो रहा है सुरेश और उषा एक दूसरे को पहले से जानते हैं तो उन्होने उनके रिश्ते को एक नये बंधन में बंध कर एक साथ ज़िन्दगी गुजारने की सलाह दी !उन्होंने सोचा इस तरह शीना की रोज रोज की बकबक से छुटकारा भी मिल जाएगा!
पर उषा और सुरेश ने एक दम मना कर दिया यह कहकर कि उनका रिश्ता गंगा की तरह एकदम पवित्र है वे दोनो उसे कोई नाम देकर उसका अपमान नहीं करना चाहते, वे दोनों उन दिवंगत आत्माओं को तकलीफ नहीं दे सकते जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।
सुरेश और उषा ने कहा अपनी किस्मत का सुख हमें मिल चुका है!
हम दोनों भले ही विवाह बंधन में न बंध पाऐ हों पर जो भी जीवन साथी मिला उसने हमें पूरा प्रेम,समर्पण और सुख दिया!हमें जिन्दगी से कोई गिला या शिकवा शिकायत नहीं है!
हमारे पास गुजरे जमाने की मीठी यादें हैं!
तुम लोगों को कोई तकलीफ़ या ऐतराज हो तो बताओ ! हम अपने अपने घर इंडिया चले जाऐंगे।
दोनों बच्चों ने एक स्वर में कहा”हमें किसी की परवाह नहीं है ,लोग तो कुछ न कुछ कहते ही रहेंगे उनका तो काम ही है कहना!”आप लोग बिना औरों की परवाह किये जैसे रहना चाहें रहें पर वापस जाने की बिल्कुल भी ना सोचें!
सुनकर शीना का तो मुंह ही उतर गया!
कुमुद मोहन
स्वरचित-मौलिक