“By the way, I’m kashish “, वह लड़की मुस्कुरा कर बोली।
और मैं … इससे पहले कि विपुल खुद अपना नाम बताता, वह खिलखिलाती हुई बोली, “आप तो विपुल हो, मैं भी उसी भीड़ में थी जिसमें आपने सीनियर की ही रैगिंग कर दी थी । यह सुन कर विपुल मुस्कुरा दिया ।
6 फुट कद, गोरा चिट्टा, बोलती आँखें और स्टाइलिश बालों वाले विपुल को वैसे ही नज़रअंदाज करना बहुत मुश्किल था और आज …. क्योंकि कॉलेज का पहला दिन था, वह वैसे भी बहुत अच्छे से तैयार हो कर आया था । उसे क्या पता था कि कॉलेज में आते ही उसे हीरोपंति दिखानी पड़ जाएगी ।
क्लास रूम के अंदर बहुत सारे लड़के- लड़कियां थे । कशिश विपुल की साथ वाली सीट पर ही बैठ गयी थी । बाकी का दिन क्लास के लोगों से जान पहचान में निकल गया । कुल मिला कर अगर कहा जाए तो पूरा दिन सबकी जुबां पर “कूल विपुल” का ही नाम था ।
क्लास से बाहर निकलते जैसे ही विपुल की नज़र सुमि पर पड़ी, उसके होठों पर एक हल्की मुस्कान खेल उठी। फिर दूसरी तरफ मुँह करके वह क्लास से निकल गया ।
कुल मिला कर सुमि का दिन भी अच्छा निकला था । दिल में विपुल से मिलने की चाह थी, वह उसका धन्यवाद करना चाहती थी, पर… एक तो वह विपुल की क्लास न जानती थी और दूसरे जब उसने महेश से “आपकी बहन सुमि मुझे पसंद है” सुना था, उसके चेहरे की भाव वह चाह कर भी न भूल पा रही थी। न जाने क्यों उसे लग रहा था कि वह विपुल से पहले भी कहीं मिल चुकी है, पर बहुत याद करने पर भी उसे कुछ याद न आया।
उड़ कर पहुंच जाना चाहती थी वह अपने दोस्तों के पास ताकि उनको आज के दिन के बारे में बता सके। फिर याद आया कि बात करने की लिए अब उसके पास बस सुमन ही है क्योंकि बाकि लोग तो दिल्ली में हैं ही नहीं और विकास तो अपनी कोचिंग क्लासेज में इतना गुम है कि वह उनसे कभी कभार ही मिलता है ।
सुमि और सुमन रोज़ शाम को तकरीबन 6 :30 पर मिलते थे। जब तक दोनों एक दूसरे को दिल की बात न बता देतीं थीं, उन्हें अधूरेपन का एहसास होता रहता था । बस एक सच्चाई जो सुमन ने सुमि से छुपाई थी वह यह थी कि उसके मन में विकास को लेकर कुछ अलग फीलिंग्स आ रही हैं । पहले तो जब सभी दोस्त इकठ्ठे होते थे, वो विकास से मिल लेती थी । पर अब विकास के पढ़ाई में अत्याधिक बिजी हो जाने की कारण, सुमन के दिल का इक कोना रीता हो गया था ।
शाम को सुमन से मिलते ही सुमि का चेहरा खुशी से चमक उठा। वह कॉलेज में हुई छोटी-छोटी घटनाएँ, नए दोस्तों की बातें और क्लासरूम की हँसी-मज़ाक सुमन को बताती जा रही थी।
बार बार विपुल के नाम का जिक्र आने पर सुमन ने हँसते हुए कहा, “”क्या बात है, कॉलेज की पहले ही दिन विपुल के रंग में रंग गई ? “
“हद है यार, मैंने ऐसा कुछ कब कहा। क्या तुझसे नार्मल बात भी नहीं कर सकती ?” नाराजगी दिखाती हुई सुमि बोली ।
अरे नहीं! दरअसल इतने सालों में मैंने तेरे मुँह से कभी किसी लड़के की इतनी तारीफ नहीं सुनी,” सुमन ने हल्की हँसी के साथ कहा, “बस इसलिए बोल दिया।”
सुमि उसकी बात अनसुना करते हुए बोली , “यार ! पर मुझे विपुल बहुत ही जाना पहचाना सा लग रहा था। जैसे मैं उसे पहले से ही पहचानती हूँ ।”
सुमि की इस बात पर सुमन ने हँसते हुए गाना गाना शुरू कर दिया , “जन्म जन्म का साथ है हमारा तुम्हारा… ” और सुमि जैसे ही उसे मारने को हुई तो वो गंभीर स्वर में बोली, “मज़ाक नहीं, पर कल जब तुम उससे मिलेगी और ……और फिर…… धीरे – धीरे तुम्हारी मुलाकातें शुरू हो जाएँगी … हो जाएँगी, तब उससे पिछले जन्म का रिश्ता भी पूछ लेना, ” कहते हुए वह खिलखिलाते हुए भागने लगी और सुमि उसके पीछे भागी।
फिर दोनों हँसते हुए एक बेंच पर बैठ गयीं।
कुछ देर रुक कर सुमन गंभीर हो कर बोली “सुन, तुझे पता है विकास ने इंद्र वाले ग्रुप से पंगा ले लिया है ? “
“पर क्यों ?, ” सुमि वजह जानने को उतावली थी।
“यार, बात यह है कि इंद्र तेरे बारे में कुछ गलत बोल रहा था,” सुमन ने धीरे से कहा, आँखों में हल्की चिंता थी, “तो विकास उसको धमका कर आ गया ।”
“हम्म्म, विकास है ही ऐसा । सबकी बहुत फ़िक्र करता है” सुमि अपने दोस्त पर गर्व करते हुए बोली ।
“तेरी तो कुछ ज्यादा ही” सुमन के मन में हल्की चुभन थी।
” शैतान का नाम लो और शैतान हाज़िर…, देख सामने से आ रहा है विकास, ” सुमि खिलखिलाते हुए बोली ।
“आज कैसे समय मिल गया?” हाय- हेलो का जबाब देते हुए सुमन विकास से बोली ।
“बस कोचिंग से इधर ही सीधे आ रहा हूँ । सोचा सुमि से पूछ लूँ कि इसका कॉलेज का पहला दिन कैसा रहा ।” चेहरे पर सौम्य सी मुस्कुराहट लिए विकास बोला।
सुमि की आँखों में हल्की झिझक थी। वह अपनी खुशी को दबाने की कोशिश करती हुई बोली, “अरे, कुछ खास नहीं… बस क्लास और नए लोगों से मिलना हुआ।”
विकास ने मुस्कुराते हुए कहा, “हम्म्म… नए लोगों से? तो कोई तेरी तारीफ करने वाला भी मिला?” उसकी आँखों में शरारत थी, लेकिन टोन नरम और दोस्ताना था।
“अरे इसे बताती क्यों नहीं कि पहले ही दिन तुझे तेरा हीरो मिल गया है।” सुमन ने चहक कर बताया। वह सुमि की आँखों में झाँक रही थी, जैसे किसी राज़ को जानने की कोशिश कर रही हो।
प्रश्न भरी निगाहों से विकास ने सुमि को देखा ।
सुमि का दिल धड़क रहा था कि पता नहीं विकास क्या समझे, फिर बोली, “अरे, कुछ खास नहीं… ” कह उसने पूरा रैगिंग वाला वाकया विकास को सुना दिया , सुमन भी साथ ही साथ अपने एक्सपर्ट कमैंट्स भी देती जा रही थी।
सुमि को महसूस हो रहा था कि विकास लगातार उसके चेहरे को देख रहा है, उसके एक्सप्रेशंस को नोट कर रहा है और उसकी हर कही और अनकही बात को भी समझने की कोशिश भी रहा है।
विकास की आँखों में हल्की चिंता की लहर थी। “यह सब तो कॉलेज में चलता ही रहता है, बस लोगों से दोस्ती ध्यान से करना । सब तुम्हारी तरह मासूम नहीं होते।” कह कर उसने बात खत्म कर दी।
सुमि की नजरें कुछ देर के लिए विकास के चेहरे पर टिक गईं। उसकी नज़रों में सुमि को लेकर चिंता, प्यार और थोड़ी सी जलन झलक रही थी। मानो वह उसे कॉलेज के नए दोस्तों को लेकर सचेत करना चाहता हो, पर डर रहा हो कि किस हक़ से वह ये सब कहे… आखिर वह तो बस एक दोस्त ही था।
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अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’
क्रमशः…..