“ऐसी हीरोइन… जिसे दूसरे कॉलेज का हीरो उड़ाकर ले गया।” , रिया ने जानबूझकर ताना मारते हुए विपुल की ओर देखा।
विपुल के चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान थी, मगर उसकी आँखों में चोट साफ़ झलक रही थी।
वो चाहकर भी पलटकर कुछ नहीं बोला… बस गहरी साँस लेकर नज़रें झुका लीं।
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विपुल की मुस्कान सिर्फ़ बाहरी थी, जैसे अपने जज़्बात छुपाने के लिए बनाई गई कोई ढाल। शब्दों से जवाब देने के बजाय उसने ख़ामोशी को ही अपना सहारा बना लिया।
दूसरे, उसे भीतर से इतना तो यक़ीन था कि वक़्त हर ज़ख़्म को धीरे-धीरे भर देता है— बस धैर्य चाहिए, और एक उम्मीद कि कल आज से बेहतर होगा।
वक़्त भी धीरे-धीरे पंख लगाकर उड़ चला था। शुरुआती रैगिंग, हँसी-मज़ाक, दोस्ती के रंग और बीच-बीच में बनते-बिगड़ते रिश्ते… सब मिलकर मानो एक नई कहानी बुन रहे थे।
किसी ने पहली बार अपने दिल की बात कही, किसी ने पहली बार ‘ना’ सुनी। किसी को दोस्ती में प्यार मिला, तो किसी को प्यार में अधूरी कसक।
क्लासरूम की खिड़कियों से झाँकते सपनों की मंज़िलें अब बदलने लगी थीं। सभी अपने भविष्य को लेकर भी जागरूक होने शुरू हो गए थे।
एक दिन हॉल से बाहर निकलते समय अचानक कशिश ने विपुल का रास्ता रोक लिया।
“विपुल… तुम जानते हो, मैं तुम्हें कितना पसंद करती हूँ। मज़ाक में तो बहुत बार कहा, लेकिन आज… मैं साफ़-साफ़ कहना चाहती हूँ—I like you।” आज उसकी आँखों में वह चंचल चमक नहीं थी, बल्कि एक सच्चाई की झलक थी।
विपुल पल भर के लिए चुप रह गया। फिर मुस्कुराते हुए बोला —
“कशिश, तुम्हें पता है न… बचपन से अपने साथ एक नाम सुनता आ रहा था। जब उसे अपने कॉलेज में देखा तो दिमाग उसी दिशा में चल पड़ा। पर अब नहीं… कुछ वक्त चाहिए इन सब से निकलने के लिए। “
“वैसे भी अभी पूरी ज़िंदगी पड़ी है … फ़िलहाल मेरा असली इश्क़ मेरा करियर है। ” कह वो मुस्कुरा दिया।
उसका जवाब भले ही टालने वाला था, लेकिन उसमें सच्चाई थी। कशिश समझ गयी थी कि “कूल विपुल” सिर्फ़ मज़ाकिया ही नहीं, बल्कि अपने लक्ष्य के लिए गंभीर भी है।
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इधर, कुछ दिन बाद शाम को सुमि, विकास और सुमन घर के पास वाले पार्क में बैठे थे । हल्की ठंडी हवा बह रही थी और आसमान पर ढलते सूरज की सुनहरी रोशनी बिखरी थी।
सुमन ने मुस्कुराते हुए कहा— “मुझे ख़ुशी है कि हम तीनों एक साथ हैं। इस भीड़-भाड़ वाले सफ़र में दोस्त हमेशा पास रहें, यही सबसे बड़ी राहत है।”
सुमि ने धीमे स्वर में कहा— “शायद अब हमें अपनी सारी ऊर्जा अपने करियर पर लगानी चाहिए। दोस्ती बनी रहे, पर मंज़िलें भी हमें बुला रही हैं। ”
विकास ने सहमति में सिर हिलाया— “बिलकुल। IAS की तैयारी आसान नहीं है… और तुम दोनों भी बहुत आगे जाना है। हमें अब भावनाओं से ज़्यादा अपने भविष्य को प्राथमिकता देनी होगी।”
सुमन हल्की-सी हँसी के साथ बोली— “हाँ, और मैं भी अब अपनी फ़ैशन डिज़ाइनिंग में ही खो जाऊँगी। दिल की बातें बहुत हो गईं… अब सपनों की बारी है।”
“विकास… शायद हमारा ज़्यादा मिलना हमें हमारे फोकस से थोड़ा हटा सकता है।” सुमि ने हिचकिचाते हुए कहा।
विकास ने उसकी बात सुनी, पर तुरंत जवाब नहीं दिया। उसके चेहरे पर सोच की एक लकीर-सी उभर आई।
सुमन ने माहौल हल्का करने के लिए बात पकड़ी और हँसते हुए बोली— “कहना तो मैं भी यही चाहती थी, पर मुझे लगा कहीं तुम दोनों अन्यथा न ले लो। और फिर ये मजनू…”
उसने विकास की ओर इशारा किया—
“आजकल तो पूरा दिन वैसे ही खराब कर देता है। कभी किताबों में खोया रहता है और कभी सपनों में… ।”
विकास मुस्कुराकर बोला— “अरे भई, मैं मजनू नहीं…”
फिर शरारत से सुमि की तरफ़ गहराई से देखते हुए बोला—
“बस इन मैडम की वजह से दिल की धड़कन पहले से तेज़ होने लगी है। किताबों में बस इनकी ही शक्ल नज़र आती है।”
सुमि झेंपते हुए तुरंत बोली— “बस-बस, समझ गए हम दोनों … तुम सच में मजनू के साथ-साथ बदतमीज़ भी होते जा रहे हो।”
सुमन हँसी रोक न पाई— “वाह, क्या बात है! अब तो हमारी सुमि भी शरमाने लगी है।
विकास ने मुस्कुराकर दोनों की ओर देखा और धीमे स्वर में कहा—
“मज़ाक अपनी जगह है, पर सच कहूँ तो… सुमन तुम्हारी दोस्ती और सुमि का साथ ही मेरी सबसे बड़ी ताक़त है। चाहे IAS बनूँ या न बनूँ, इतना यक़ीन है कि ये दोस्ती ज़िंदगी भर रहेगी।”
सुमि ने तुरंत भौंहें चढ़ाते हुए — “बस-बस, अब ज़्यादा भावुक मत बनो। और हाँ… याद रखना, शादी तो तुमसे मैं तभी करूंगी जब तुम IAS बन जाओगे। समझे तुम?”
उसका इतना कहना ही था कि विकास और सुमन ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे। सुमि को तभी एहसास हुआ कि उसके मुँह से निकली बात कितनी बड़ी थी। चेहरे पर लाली छा गई और शरमाकर वह वहाँ से भागने लगी।
विकास ने शरारत से उसका हाथ पकड़ लिया— “अरे-अरे, भाग क्यों रही हो? चाहो तो आज ही सगाई कर लेते हैं ।”
सुमि ने झटके से छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन संतुलन बिगड़ गया और वह सीधे विकास के ऊपर गिर पड़ी। दोनों की आँखें एक पल के लिए आमने-सामने टिक गईं।
सुमि का चेहरा और भी लाल हो गया। उसके दिल की धड़कन इतनी तेज़ थी कि उसे लगा विकास तक भी उसकी आवाज़ पहुँच रही होगी। विकास की आँखों में शरारत तो थी ही, पर कहीं गहराई में एक अपनापन भी झलक रहा था। सुमि झेंपकर तुरंत उठ खड़ी हुई और मुँह फेर लिया।
विकास हँसते हुए बोला— “ठीक है मैडम, आपकी शर्त मान ली। अब देखना… IAS भी बनूँगा और शादी भी तुमसे ही करूंगा।”
सुमि ने उसकी ओर पलटकर देखा तो उसकी आँखों में मज़ाक से ज़्यादा एक अजीब-सी गंभीरता थी।
सुमन पास खड़ी यह सब देख रही थी। हँसते-हँसते उसका बुरा हाल हो गया। आँसू पोंछते हुए बोली—
“ओ माय गॉड! ये सीन तो सीधा किसी रोमांटिक मूवी का है। “
फिर नाटकीय अंदाज़ में हाथ जोड़कर कहा— “बस-बस, प्लीज़! अब मैं चलती हूँ , क्योंकि मैं कबाब में हड्डी नहीं बनना चाहती।
उसकी बात सुनकर सुमि ने झेंपते हुए कहा— “तुम भी न, सुमन!”
सुमन मुस्कुराते हुए बोली— “अरे मज़ाक नहीं, रियलिटी है। मन कर रहा है कि तुम्हारी यह IAS लव स्टोरी किसी को ज़रूर बताऊँ। पर मुसीबत यह है कि अभी हम तीनों के अलावा यहाँ कोई है ही नहीं।”
तीनों फिर से खिलखिला कर हँस पड़े।
सुमि को जैसे अचानक कुछ याद आया — “कोई बात नहीं सुमन, आशीष भी जल्दी ही इधर आ रहा है।”
सुमन चौंकी— “आशीष? सच में? कब?”
विकास बोला— “जल्दी ही। कह रहा था कि हम सबको बहुत मिस करता है।”
सुमन की आँखों में चमक आ गई। “हाँ… कितना मज़ा किया था हमने साथ। उम्मीद है कि हमारी दोस्ती अब भी वैसी ही रहेगी।”
“बिलकुल,” विकास ने सिर हिलाया। विकास ने इशारे से सुमि को भी चुप करा दिया था—
मानो कह रहा हो कि आशीष की फीलिंग्स, आशीष को ही बताने दो। कुछ बातें वक्त और सही मौके के लिए छोड़ देनी चाहिए।
ख़ैर, शाम ढलने लगी थी। हल्की-सी हवा और ढलते सूरज की सुनहरी किरणें तीनों के चेहरों पर पड़ रही थीं।
अब सिर्फ़ घर लौटना ही नहीं था, बल्कि एक वादा भी निभाना था—
कि वे अपनी मस्ती और उलझनों को पीछे छोड़कर, अब पढ़ाई और सपनों पर ध्यान देंगे… ताकि आने वाला कल उनकी मेहनत का इनाम बन सके।
ज़िंदगी की नई शुरुआत सबके सामने थी।
और उनकी किस्मत में भी यही लिखा था— कि यह कहानी यहीं नहीं थमेगी… बल्कि कुछ सालों बाद, जब सपने हक़ीक़त बनेंगे और रिश्ते नए मोड़ पर आएँगे … … …
तो शायद यही किस्मत उन्हें फिर से एक नई कहानी लिखने के लिए मिलाएगी।
अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’
फ़िलहाल के लिए समाप्त