करवट बदल ली – कंचन श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आज अपने पत्नी के चेहरे को देखकर उसके दर्द  को महसूस कर रहा । हो भी क्यों ना  ये वही है जो हर वक़्त गुस्से में रहती थी ,ज़िद्दी ऐसी कि किसी की कोई बात न सुनी,हर वक़्त घर का माहौल खराब किये रहती थी ।कुल मिला के इसको हर किसी से कोई ना कोई शिकायत रहती , जिसकी वजह से ये

चिड़चिड़ी सी हो गई थी।अरे! हमें तो वो दिन भी याद है जब इसकी डर से आफिस से लेट आया करते, बात उन दिनों की है जब ये नई- नई ब्याह के आई थी , दूसरे दिन पूरा घर आराम से खाना

खाकर सो रहा था और ये महारानी घर की सफाई में लग गई थी ,शाम को जब सब उठे तो देखा पूरा घर व्यवस्थित रखा हुआ था सब तो नही पर जितना समझ में आया उस हिसाब से  सारी चीजें अपनी अपनी जगह पर थी।सब बड़े खुश  कि चलो नई बहू ने आते ही घर संभाल लिया।

सब तारीफ़ो के पुल बांध ही रहे थे कि इतने में मुहल्ले की कुछ औरते मुंह दिखाई की रस्म के लिए आईं,वे बैठी ही थी कि उनकी नज़रे चारों ओर घूम गई और सब कुछ व्यवस्थित देखकर बोली ,भाभी जी लग ही नही रहा कि शादी का घर है बड़ी जल्दी सब कुछ समेट लिया।

इस पर मम्मी बोली सब नई बहू का कमाल है भाई, हम सब तो खाना खा के सो गए थे यही है जिन्होंने सब व्यवस्थित कर दिया।

इस पर राखी बोली भाई बढ़िया है आते ही सब कुछ संभाल लिया।इतना सुनकर वो मुस्कुराई और भीतर चली गई। इतने में रेखा पानी और कुछ मीठा लेके हाज़िर हुई।उसे देख वे लोग बोली ,भाभी जी

अब इनके भी हाथ पीले कर ही दो पढ़ाई तो पूरी ही हो गई है ये सुन सुनीता मुस्कुराई और हां हां अब इन्हीं की बारी है,कहते हुए बोली जा भाभी से कह दे तैयार होके आ जाये।खैर मुंह दिखाई की रस्म पूरी हुई और सब अपने अपने घर चली गई।फिर उसने सारा नाश्ता समेटा और बर्तन किचन मैं रख दिया।वो भी धो धा कर।

जिसे देख सुनिता तो फूली नही समाईं।कि चलो घर संवारने सजाने वाली कोई आ गई।

धीरे धीरे उसने सब कुछ संभाल लिया।ये कह लो कि पहले तो लोग कुछ काम करते भी थे पर  अब बिल्कुल नही।जिसकी वजह से पहले तो ये कुछ नही बोलती थी पर कुछ महीनों में थोड़ी कहा सुनी होने लगी  और धीरे धीरे ये तूल पकड़ कर  झगड़े में तबदील हो गया।

और फिर पूरे घर का माहौल खराब रहने लगा।वजह ये कि बच्चे भी उसी तरह रहने लगे जैसे घर वाले जिसकी वजह से हमेशा चिढ़ी चिढ़ी सी रहती। यही चिढ इसकी बीमारी का कारण बन गया आये दिन बीमार रहने लगी वो भी छोटी मोटी नही बी.पी,शूगर और कैलेस्ट्रोल जैसी बीमारी से ग्रसित हो गई

फिर एक दिन इसे हाट अटैक भी आया।और इस हार्ट अटैक ने इसको पूरी तरह से बदल दिया वो ये कि हमेशा चीखने चिल्लाने वाली अब एक दम चुप रहने लगी।और सच कहूं तो ये चुप्पी किसी को अखरे ना अखरे मुझे अखरने लगी ,फिर मैंने एक दिन हिम्मत करके पूछा

सुनों तुम अचानक से इतनी बदल कैसे गई

तो वो बोली – हम बेवकूफ़ थे जो चीखते थे आखिर क्या हुआ, कुछ भी तो नही बदला सब अपनी तरह से तब भी जी रहे थे और आज भी जी रहे हैं हां वो बात अलग है कि हम भले तमाम बीमारियों से ग्रसित हो गए।

इतना कह कर मुंह घुमा कर करवट बदल ली और मैं बच्चों द्वारा फैलाये सामान को खिसियाते हुए तीसरी बार समेटने के लिए उठा क्योंकि अभी कई दिनों से वो बिस्तर पर है वो भी चुप रह कर जिस  दर्द को मैं घर समेटते हुए महसूस कर रहा हूं।

 स्वरचित मौलिक अप्रकाशित रचना 

कंचन श्रीवास्तव आरज़ू प्रयागराज

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