अरे काजल तुमने कुछ सुना क्या दीदी,भाई अपना फ्लैट बेच रहे हैं अच्छा आंचल ने कहा।पर क्यों, फ्लैट बेच देंगे तो फिर कहां रहेंगे।कितनी मुश्किल से तो यहां वहां से इनसे उनसे उधार लेकर तो फ्लैट खरीदा था अब बेच रहे हैं ।आंचल ने बड़ी बहन काजल से कहा। तुम्हें किसने बताया दी,अरे खुद भाई ने ही बताया।पर ये तो ठीक नहीं कर रहे हैं । क्या फिर कभी खरीद पाएंगे फ्लैट।जिस तरह
से आज जमीन जायदाद की कीमत बढ़ रही है कितना मुश्किल हो गया है कुछ प्रापर्टी खरीदना।अरे कम से कम रहने के लिए सिर के ऊपर छत तो है । बेटा भी कुछ ज्यादा कमा नहीं पाता। जैसे तैसे तो भइया ने फ्लैट खरीदा था। फिर भी हम लोग क्या कर सकते हैं जैसे उनकी मर्जी होगी और जैसा भाभी सलाह देंगी वैसा ही करेंगे ।इस तरह से दोनों बहनें आपस में बात चीत कर रही थी।
मदन जी दो भाई और दो बहन थे वे माता पिता के साथ अपने गृहनगर जौनपुर में रहते थे।घर में बिजनेस चलता था जिसे बड़े भाई और पिता जी मिलकर चलाते थे।मदन जी पढ़ें लिखे थे। वनारस से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। लेकिन नौकरी नहीं करते थे चूंकि घर में बिजनेस था तो
पिता ने कहा घर में अच्छा बिजनेस चलता है इसी में हाथ बढ़ाओ और काम को और बढ़ाओ । वैसे भी आदमी कम पड़ते हैं तो घर का ही आदमी काम करें बाहर से फिर क्यों बुलाया जाए । फिर मदन जी भी बिजनेस मे हाथ बंटाने लगे । वैसे भी उस समय नौकरी को कम अच्छा समझा जाता था।
लेकिन जब मदन की शादी हुई तो तो उनकी पत्नी किरण ससुराल में सबके साथ नहीं रहना चाहती थी ।वो चाहती थी कि मदन के साथ कहीं अलग रहे। किरण अपने मायके के पास घर लेकर रहना चाहती थी। लेकिन कोई नौकरी तो थी नहीं मदन के पास तो किस बूते पर अलग रहते। ऐसे ही कई साल बीत गए।और पिताजी भी इस दुनिया से चले गए।अब दोनों भाइयों और देवरानी
जेठानी में खींच तान शुरू हो गई।इधर मदन के भी दो बच्चे हो गए एक बेटा और एक बेटी।बड़े भाई के तीन बेटे थे।अब घर में रोज रोज झगड़े होने लगे तो दोनों भाइयों ने अलग-अलग रहने का मन बना लिया।किरण तो आखिर चाह भी यही रही थी बहुत दिनों से।सारी सम्पत्ति का बंटवारा हो गया। मदन ने अपनी सारी प्रापर्टी बेचकर नकद पैसा उठा लिया। और उसी के सहारे पर अपने ससुराल कानपुर में एक किराए का मकान लेकर रहने लगे।
किरण के पांच भाई और चार बहने थी सभी अच्छा काम करते थे, और सबके पास खूब पैसा था ।और सबके पास बंगला गाड़ी था।मदन किराए के मकान में रहते थे ।और जो प्रॉपर्टी बेचकर पैसा लाए थे उसी से घर चलता था। मदन को सालों के सिफारिश कहीं नौकरी मिल गई थी पंद्रह हजार की ।बच्चे बड़े हो गए थे ।पढ़ाई लिखाई का भी खर्च बढ़ गया था।यहां किरण जी अपने
भाइयों और बहनों की अय्याशी देखती तो खूब पैसा खर्च करने की ज़िद करती लेकिन मदन के पास इतना था ही नहीं। उनके भाई बहन जैसा करते हैं वह भी चाहती है हमेशा हम भी वैसे ही खर्च करे। इस बीच मदन जी थोड़ा शेयर बाजार का भी काम करने लगे थे थोड़ा उससे भी पैसा आने लगा ।
लेकिन बच्चों के पढ़ाई लिखाई में ध्यान न देकर किरण बस दिखावे के लिए साड़ी जेवर और फालतू दिखावे में खर्च करती रहती थी।ढेर सारे भाई बहन थे तो कहीं न कहीं कुछ होता रहता था या किसी न किसी बच्चे की शादी होती रहती थी तो देने लेने का खर्च और साड़ी कपड़ों का खर्च कुछ ज्यादा ही हो जाता । क्योंकि एक बार एक शादी में जो कपड़े पहन लिए फिर दोबारा नहीं पहने जाएंगे।
आज किरण की भतीजी की शादी है। किरण के भाई सब पैसे वाले हैं तो सबसे मंहगे होटल से शादी की ।ये देखकर किरण भी कहने लगी मैं भी अपनी बेटी की शादी इसी होटल से करूंगी। वहां बैठे किरण के सब भाई बहन दबी जुबान में बातें करने लगे कि किरण को देखो कह
रही है कि अपनी बेटी की शादी इसी होटल से करेगी।अरे पता है कितनी महंगी होटल है और इतना पैसा है उनके पास।एक मकान तक तो खरीद न पाए इतने सालों में अभी तक किराए के मकान में रह रहे हैं । भाभियां मज़ाक बना रही थी किरण का।अरे पहले मकान के बारे में सोचना चाहिए कि दिखावे की जिंदगी जीना चाहिए।
आज किरण की बेटी की शादी है और दिखावे के लिए उसी महंगे होटल से शादी कर रही है ।और मदन जी भी क्या करें ससुराल वालों की देखा देखी वो भी ओखली में सिर देने को तैयार हो गए । हां इतना पैसा आया कहां से तो शेयर बाजार से इस समय कुछ अच्छा पैसा बना लिया है ।
लेकिन उस पैसे को संभाल कर खर्च करो यदि आ गया है तो इस तरह से दिखावे में क्यों मरे जा रहे हो। पच्चीस लाख लगा कर शादी कर डाली बेटी की । संतोष क्या मिला बराबरी से ससुराल वालों के कर दिया।बेटे को भी ढंग से पढ़ा नहीं पाए इग्नू से पढ़ाई कर ली जिससे उसको कहीं भी ढंग से नौकरी
नहीं मिल पाई ।और आखिरी में मकान मालिक ने भी एक दिन मकान खाली करने का नोटिस पकड़ा दिया।अब दूसरा घर देखने की मुहिम शुरू हो गई।एक अच्छी सोसायटी में इतना महंगा फ्लैट का किराया कि दम ही निकल गया।
अब सब इस समय सलाह देने लगे कि बेटी की शादी में दिखावे में इतना पैसा क्यों खर्च कर दिया ।उस समय कुछ जुगाड़ करके एक मकान ही खरीद लेते तो ज्यादा अच्छा था। लेकिन नहीं दिखावा करना था। कहीं किराए पर घर नहीं मिल रहा था मिल भी रहा था तो बस ग्यारह महीने को उसके बाद किराया बढ़ाओ या खाली करो। बहुत परेशानी हो गई। फिर छोटे साले के कोई मित्र
अपना फ्लैट बेचे रहे थे तो कुछ सस्ते में बिक रहा था और पैसा भी थोड़ा थोड़ा करके दे सकते थे । लेकिन उसको भी खरीदने के लिए 60 लाख चाहिए और थोड़ा अपने हिसाब से ठीक ठाक कराने के पैसे अलग और रजिस्ट्री कराने के अलग। फिर पच्चीस लाख अपने आपसे और किसी से दो लाख तो किसी से पांच लाख लेकर किसी तरह फ्लैट खरीदा गया।
इस बीच बेटे की भी शादी हो गई थी। बेटा कुछ करता तो था नहीं ऐसे ही छोटा मोटा बिजनेस करता था।और फिर उसके भी दो बच्चे हो गए ।अब बहू बेटे और नाती पोते सबका खर्चा मदन जी के ऊपर औंधे मुंह गिर पड़ा था।आज किरण जी मदन जी से बोली सुनो जी क्यों न डाइंग
रूम में एक एसी लगवा लें हमारे मायके वाले आते हैं तो गर्मी में बैठाना अच्छा नहीं लगता ,मदन जी बोले कूलर तो लगा है ,अरे कूलर में कौन बैठता है सब एसी वाले हैं ।तो मदन जी ने किरण को डांट दिया, कि एक एसी बहू बेटे के कमरे में लगा है और एक एसी हम लोगों के कमरे में लगा है ,एक और
लगवा लें तो कितना बिजली का बिल भरेंगे दिमाग नहीं है क्या तुम्हारे। अपने भाई बहनों को देखकर तुम्हारा भी दिमाग खराब रहता है। क्या कहे खुद भी तो समझदारी दिखानी चाहिए । ऐसे दिखावे से तो जिंदगी नहीं चलती।अब शेयर बाजार भी कुछ अच्छा नहीं दे रहा है । परेशान हैं ।
अब खर्चे तो अपनी जगह बराबर बने ही रहते हैं ।अब बेटे को भी कुछ काम आगे बढ़ाने को पैसा चाहिए।अब घर में पैसा है नहीं । बेटा ही कुछ अच्छा कर रहा होता तो आज ऐसी स्थिति न होती ।
अब बेटे और पत्नी किरण का मदन जी पर दबाव है कि फ्लैट बेचे दिया जाए बेचने मैं कुछ ज्यादा पैसा तो मिलेगा ही ।बैक में जमा कर देंगे और एक अच्छी सोसायटी में फ्लैट ले लेते हैं किराए का और बेटे को भी कुछ काम करने को पैसा मिल जाएगा।सब ख्याली पुलाव पक रहा है।आज जब बात मदद जी
ने अपनी बहन काजल से की तो ये सब बताया।तो बहन थोड़ा परेशान हो गई क्योंकि भाई अपनी सारी परेशानी और कैसी परिस्थितियां हैं सब बताते रहते हैं ।बहन ने मना किया नहीं भइया ऐसा न करें । लेकिन बहन के कहने से क्या होता है जो भाभी और बेटा कहेगा वहीं तो होगा। बेटा कुछ अच्छा करता होता तो कुछ उम्मीद थी लेकिन वो तो खुद भी पापा के भरोसे पर बैठा है ।
दोस्तों इस तरह की स्थिति अक्सर घरों में देखी जाती है जहां लोग दिखावे में ही पूरी जिंदगी गुजार देते हैं । प्लीज़ ऐसा न करें अपनी परिस्थितियों को देखकर ही कोई फैसला ले इसी में बेहतरी होती है । दिखावे की जिंदगी न जिएं।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
4 सितंबर