झूठे दिखावे से जिंदगी नहीं चलती – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

भाभी जी अपनी क्राकरी दे दीजिए मेरी सहेलियां आ रहीं हैं । गीता का ये आए दिन का धंधा था। उसकी मांगे और दिखावे की जिंदगी से पड़ोसी रमा परेशान हो चुकी थी।कई बार तो उसने उसे समझाने की कोशिश भी किया कि,” गीता हमारे पास जो है उसी में संतुष्ट रहना चाहिए ना की दूसरों की चीजों को मांग कर झूठा दिखावा करना चाहिए।”

भाभी जी!” मेरे रिश्तेदार और सहेलियों के घर बहुत आलीशान हैं और उनको हमारी हैसियत पर हमेशा हंसते हुए देखा है मैंने। राकेश को कितनी बार समझाया की इमानदारी को लेकर क्या करेंगे हम लोग,जब हमें समाज में इज्जत ही नहीं मिलती।हर इंसान उसी से रिश्ता रखना चाहता है जो उसके बराबरी का हो” गीता उदास हो कर बोली।

” पर गीता अगर लोग मुझसे मेरी हैसियत से रिश्ता रखना चाहते हैं तो उस रिश्ते का कोई वजूद ही नहीं है। रिश्ते में अमीरी – गरीबी नहीं देखनी चाहिए। आखिर हम कहां तक अपनी जिंदगी की लगाम दूसरों के हांथ में सौंपते रहेंगे।एक तरफ राकेश भाईसाहब अपने काम के प्रति कितने ईमानदार हैं और सम्मान से सिर ऊंचा करके चलते हैं वहीं दूसरी तरफ तुम्हारी जिंदगी बाहरी दिखावे की आड़ में ही चलती है ” रमा ने समझाते हुए कहा लेकिन गीता ने क्राकरी ली और जल्दी से घर पहुंच गई क्योंकि उसे बहुत  लोगों के हिसाब से तैयारी करनी थी।

किराने की दुकान पर भी उधारी मांगने चल दी। पहले तो उसने गुस्सा किया कि बहन जी पहले पुराना हिसाब चुकता करिए तभी दूसरा सामान दूंगा।

आज घर में दसों व्यंजन बनाए जा रहे थे।घर का रंग रूप ही बदल गया था। गीता ने गले में सोने की जंजीर और सिफान की साड़ी डाल कर तैयार थी मेहमानों के स्वागत में।

किटी पार्टी थी सभी सहेलियां आने लगी थी और सभी ऊपर से नीचे तक गीता को देखतीं फिर घर को। तभी नीला पूछ बैठी कि ,” क्राकरी कहां से ली? बड़ी अच्छी है।”

अरे!” क्या बताऊं हमारे ये तो कहते हैं की स्टील के सारे बर्तन हटा दो, लेकिन मैं ही मना करती हूं की आजकल की बाईयों का कहां आदत है। तोड़ डालेंगी एक ही बार में” गीता बड़े शान से अपने मुंह मियां मिट्ठू बनी जा रही थी।

नीला और सुशीला एक दूसरे को आंखों ही आंखों में इशारा करके मुस्कुरा रहीं थीं क्योंकि सभी जानते थे की गीता के घर की स्थिति सामान्य ही है ना जाने क्यों वो सभी की बराबरी करने के चक्कर में पड़ती है।

खूब मस्ती किया सभी ने और खाना भी स्वादिष्ट बना था सभी ने आंनद उठाया। नीला प्लेट उठा कर रखने ही जा रहीं थी की प्लेट हांथ से फिसल गया और टूट गया।

गीता के होश उड़ गए कि सेट खराब हो गया रमा भाभी की क्राकरी का।वो कहां से नया लाकर उन्हें देगी। गीता की आंखों में आंसू साफ़ – साफ दिखाई दे रहा था। उसने जमीन से कांच उठाया और सभी के सामने सामान्य बनने की कोशिश करने लगी लेकिन उसका मन बेचैन हो गया था।

सभी के जाने के बाद वो समझ ही नहीं पा रही थी कि वो रमा भाभी से क्या कहेगी और कैसे भरपाई करेगी।उसे खुद पर ही गुस्सा आ रहा था कि जो कुछ उसके पास था उसमें ही काम चलाना चाहिए था। आज दिखावे के चक्कर में एक मुसीबत में फंस गई थी। कहां सोचा था कि किटी के पैसों से उधारी चुकानी है और घर के कामों में भी चाहिए थे पैसे और अब सामने एक नई मुसीबत खड़ी थी। सबसे ज्यादा उसको ये बात खाए जा रही थी कि वो कैसे कहेगी रमा भाभी को।

रात भर नींद नहीं आई थी, बिस्तर पर उलट पलट करती रही थी। सुबह रमेश ने पूछा,” गीता तबीयत तो ठीक है ना? मैं देख रहा हूं तुम कल से ठीक नहीं लग रही हो”।

गीता ने आंखों से आंसू पोंछते हुए कहा जी,” बहुत बड़ी गड़बड़ी हो गई है मुझसे।कल किटी पार्टी के लिए रमा भाभी से कुछ बर्तन लाई थी। उसमें से एक प्लेट टूट गई मेरी सहेली से। मैं समझ नहीं पा रही हूं की क्या करूं?”

गीता!” मैंने तुम्हें हमेशा से कहा कि जितनी चादर हो उतने ही पैर पसारने चाहिए लेकिन तुम ना जाने क्या दिखाना और बताना चाहती हो? हम जो हैं तो हैं… हमें क्यों किसी की बराबरी करनी चाहिए ” रमेश गुस्से में बोला।

” आपको क्या? यहां सोसायटी में लोग कितना मजाक बनाते हैं और कोई कहीं मुझे बुलाना ही नहीं चाहता है। आखिर मैं क्यों ऐसी जिंदगी जींऊ जहां मुझे इसलिए सम्मान नहीं मिलता कि मैं उनकी हैसियत की बराबरी नहीं कर सकती हूं।”

“गीता सम्मान अगर दौलतमंद होने से मिलती है तो वो क्षणिक ही है।हमारा सम्मान से रहना, अच्छा इंसान होना ही असल मायने में दौलत है।हम दूसरों की नकल कब तक करते रहेंगे और कहां तक। इसका अंत नहीं है और तुम्हें ये बात समझनी होगी।ऐसे रिश्तों से दूर रहो जिनके पीछे तुम भाग रही हो।”

“रमा भाभी के नुकसान की भरपाई करो और कभी भी झूठी शान के लिए अब कुछ भी नहीं करना ” रमेश ने समझाया।

भाभी,” बहुत बड़ी ग़लती हो गई है” रमा ने आंसू पोंछते हुए कहा।

” क्या हुआ गीता? रमा ने बैठाते हुए कहा।

” भाभी एक प्लेट टूट गई है आप मुझसे पैसे ले लीजिए।”

” पागल हो क्या? मुझसे भी टूट सकती थी गीता।”

” भाभी मैं आप से माफी मांगती हूं आज के बाद कभी भी कुछ नहीं लूंगी और मुझे समझ में आ गया है कि जो मेरे पास है उसी में मुझे रहना है।”

” सही कहा गीता तुमने…हम पड़ोसी हैं, जरूरत पड़ने पर एक दूसरे के काम भी आना चाहिए। इसमें कोई बुराई नहीं है पर दिखावा करना अच्छा नहीं है। हमसे संबंध रखने वाले को  हमारी हैसियत को समझना होगा।”

“सही कहा भाभी…अब मेरा मन हल्का हो गया है क्योंकि मुझे सबक मिल गया है कि दूसरे की चीजों का कितना टेंशन होता है। मैं कल रात से सोई नहीं हूं। यही सोच कर के आपने कितने विश्वास से मुझे दिया था और मैं संभाल नहीं पाई।”

“चलो देर से ही सही तुम्हें बात समझ में तो आ गई। “

गीता ने मन ही फैसला ले लिया था कि दिखावे से जिंदगी नहीं चलती है हकीकत को अपनाना जरूरी है।

                                प्रतिमा श्रीवास्तव

                                नोएडा यूपी  

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