इत्ती सी बात – लतिका श्रीवास्तव

शहर की व्यस्ततम सड़क। भारी ट्रैफिक ।आवाजाही का शोर।ग्रीन सिग्नल की प्रतीक्षा में कतारबद्ध खड़ी गाड़ियां।आज कुछ ज्यादा ही भीड़ थी। अनुराग का धैर्य समाप्ति पर था।उसका इंटरव्यू था ।टाइम पर पहुंचना कितना बहुमूल्य था आज समझ में आ रहा था उसे। कार की स्टीयरिंग में ठहरे हाथ उतावले हो रहे थे।सिग्नल के परमिशन की राह ताकती उसकी आँखें अब बेचैन हो रहीं थीं।

तभी पीछे से एक बाइक सवार कार के सामने आ गया।

अपनी कार जल्दी निकालने की बेसब्री में बाइक देख अनुराग #आपे से बाहर हो गया।विंडो कांच नीचे कर उस बाइक सवार को डांटने लगा।

हेलमेट और ट्रैफिक शोर में बाइक सवार के कान बहरे हो चुके थे।

कार से नीचे उतर कर अनुराग उस बाइक सवार के पास पहुंच गया।”मेरी कार पहले निकलेगी अपनी बाइक हटाओ” भड़क उठा वह।

मुझे बहुत जल्दी है मैं नहीं हटूंगा आप भी साथ में निकाल लेना बाइक सवार भी अडिग था।

अनुराग उसके साथ हाथा पाई करने को उतारू हो गया।

तभी ग्रीन सिग्नल हो गया और बाइक सवार बाइक स्टार्ट कर फुर्ती से रवाना हो गया।

अब तो आपे से बाहर अनुराग आग बबूला हो गया।सड़क पर खड़े होकर अपशब्द बोलने लगा।इसी सब में जब तक अपनी कार में बैठ कर कार स्टार्ट करता तब तक पीछे लगी कई गाड़ियां सपाटे से आगे निकलती चली गई।जब तक अनुराग ट्रैफिक के बीच जगह बना कर कार निकाल पाता फिर से रेड सिग्नल हो गया ।

विवश फिर से कार में बैठ ग्रीन सिग्नल का इंतजार करता अनुराग सोच रहा था काश इत्ती सी बात पर वह बाइक सवार पर आपे से बाहर ना हुआ होता धैर्य से अपनी बारी आने पर शांति पूर्वक कार निकाल लेता तो अभी तक इंटरव्यू टाइम पर पहुंच गया होता!!

लतिका श्रीवास्तव 

मुहावरा आधारित लघुकथा#

आपे से बाहर होना#लघु कथा

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