इंतजाम – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

“क्या है राघव बेटा? मुझे सोने दो ना” क्यों नींद में परेशान कर रहे हो मुझे ? मीरा सुबह के समय नींद में बडबडाते हुए बोली दरअसल मीरा गहरी नींद में सोई हुई थी तब उसे ऐसे लग रहा था जैसे कोई उसे नींद से जगाने के लिए उसके बालों को प्यार से सुलझा रहा हो जब उसने पास में देखा तो उसके

बिस्तर के पास कोई नहीं था उसके पति आलोक और बेटा राघव आराम से  कमरे में सो रहे थे तभी उसने ध्यान से सुना उसके मोबाइल की घंटी बज रही थी मोबाइल पर उसकी पड़ोसन मधु का नंबर आ रहा था  कुछ समय पहले  उसके पति मानव का ऑफिस से लौटते वक्त एक गाड़ी से एक्सीडेंट हो

गया था तब उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपने पति का अच्छे अस्पताल में इलाज करवा सके जब उसने मीरा से अपने पति के इलाज के लिए पैसों की मदद मांगी तब मीरा ने उसे तुरंत ₹50000 दे दिए थे। 

    कुछ दिनों के बाद जब उसका पति ठीक होकर घर वापस आया और फिर से काम पर  जाने लगा तो उसकी माली  हालत में कुछ सुधार होने लगा था जिसे देखकर एक दिन जब किसी काम के लिए मीरा को पैसों की जरूरत पड़ने पर मीरा ने मधु से अपने पैसे वापस मांगे तो  मधु उससे पैसे देने से

इनकार करते हुए बोली” मैंने तुझ से पैसे कब लिए थे?” तु मुझे बदनाम करने के लिए कोई झूठी साजिश रच रही है” तब मधु की बात सुनकर मीरा  बहुत दुखी हुई थी उसने मधु को समझाने की बहुत कोशिश की “कि मैं तुझे बदनाम करने की कोई साजिश नहीं रच रही बल्कि अपने पैसे वापस

मांग रही हूं” परंतु, मधु ने उसकी बात मानने से साफ इनकार कर दिया और झूठ बोलते हुए कहा” मैंने तुझ से पैसे लिए ही नहीं” तब मधु की बात सुनकर मीरा ने सब कुछ भगवान पर छोड़ते हुए फोन रख दिया था।

    एक बार मीरा की सहेली ने मीरा को अपने घर लड्डू गोपाल के जन्मोत्सव का निमंत्रण दिया जब मीरा अपनी सहेली के घर गई तो वहां लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव देखकर वह बहुत खुश हुई और मन ही मन हाथ जोड़कर कान्हा से प्रार्थना करते हुए बोली “अबकी बार मैं भी वृंदावन से लड्डू गोपाल

लेकर आऊंगी और उसका जन्मोत्सव मनाऊंगी” तब कान्हा की उस पर ऐसी कृपा हुई की अगले दिन ही उसके भाई का फोन उसके पास वृंदावन चलने के लिए आया भाई का फोन सुनकर वह खुशी-खुशी उनके साथ वृंदावन गई और वहां से लड्डू गोपाल लेकर आई और विधि विधान से उसने

एक ज्ञानी पंडित से प्राण प्रतिष्ठा करवा कर उन्हें अपने मंदिर में स्थापित कर दिया फिर बड़े मनोयोग से वह हर रोज उनकी पूजा अर्चना करने लगी जब उसे पूजा करते-करते एक वर्ष बीत गया तो जो संकल्प उसने अपनी सहेली के यहां मन ही मन लिया था कि मैं भी कान्हा का जन्मोत्सव ऐसे ही

मनाऊंगी उसे याद आ गया था तब कान्हा का जन्मोत्सव मनाने के लिए उसने अपने पति आलोक  से पैसों की मांग की तो वह पैसे देने में असमर्थता व्यक्त करते हुए बोले कि “मेरे पास जो भी पैसे थे वह घर के राशन और बच्चों के कॉलेज में एडमिशन के दौरान खत्म हो गए अब तो कान्हा ही हमारी कुछ मदद कर सकते हैं।” 

  उसके पति उससे कभी भी झूठ नहीं बोलते थे तब पति की मजबूरी को समझते हुए वह खामोश हो गई थी और मन ही मन कान्हा से प्रार्थना करते हुए बोली” हे कान्हा यदि मैंने सच्चे मन से तुम्हारी भक्ति करी है तो मुझ पर आपकी ऐसी कृपा हो जाए की आपका जन्मोत्सव में धूमधाम से बना सकूं।”

        मीरा की निस्वार्थ प्रार्थना को लड्डू गोपाल ने स्वीकार कर लिया था जिसके फलस्वरुप मधु जिसने मीरा से ₹50000 उधार लेकर उसे देने से इनकार कर दिया था और उस पर उसे बदनाम करने की साजिश का आरोप  तक लगा दिया था लड्डू गोपाल की कृपा से मधु का हृदय परिवर्तन हो

गया था जब उसने फोन उठाया तो मधु  बोली”बहन मुझ से गलती हो गई थी जो मैंने तुझ से पैसे उधार लेकर तुझे देने से इनकार कर दिया और तुझ पर मुझे बदनाम करने की साजिश रचने का आरोप लगा दिया मुझे माफ कर दो मैं आज ही तुम्हारे पैसे वापस करती हूं मैं अभी-अभी तुम्हारे पैसे लेकर तुम्हारे घर आती हूं।”

       मधु की बात सुनकर मीरा के नेत्र सजल हो गए थे वह समझ गई थी कि उसे नींद से जगाने वाला कोई और नहीं उसके आराध्य लड्डू गोपाल ही थे जो बार-बार उसके बाल सहलाकर उसे इशारा कर

रहे थे की फोन बज रहा है और पैसे का इंतजाम भी हो गया है। थोड़ी देर में ही मधु पैसे लेकर उसके घर आ गई थी और  मीरा से माफी मांग कर उसे पैसे वापस करके अपने घर चली गई थी।

       मीरा  हाथ में पैसे लेकर सीधे लड्डू गोपाल के पास गई और हाथ जोड़कर उनका धन्यवाद करते हुए बोली “है लड्डू गोपाल इतनी कृपा बरसा कर तुमने मुझको अपना  परम भक्त बना दिया अब मैं तुम्हारा जन्मोत्सव  धूमधाम से मनाऊंगी।” फिर प्रभु को साष्टांग प्रणाम करके वह उनके जन्मदिन को धूमधाम से मनाने के लिए तैयारी करने लगी थी।

साजिश
लेखिका : बीना शर्मा 

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