नताशा और उसका परिवार अभी अभी नयी सोसाइटी में शिफ्ट हुआ था ।
इसी सोसाइटी में उसकी कजन मधु रहती थी।
जिस कारण उसे शिफ्ट होने में .. नए दोस्त बनाने में कोई मुश्किल नहीं आयी।
मधु की ही सहेली नीलम उसकी भी अच्छी दोस्त बन गयी।
तीनों की दोस्ती सोसायटी में जल्दी ही मशहूर हो गयी।
तीनों एक दूजे की दुःख सुख की साथी बन गयी .. .. खुशी हो या गम ..साथ रहेंगे हमेशा हम… पर उनका रिश्ता चलने लगा … यहा तक उनके परिवार भी आपस में घुल-मिल मिल गए।
नताशा – नीलम और मधु से.- “यार, रात सोसाइटी में एक नयी फॅमिली शिफ्ट हुई है।
पता है.. उनके सामान से लगता है ..बहुत अमीर है। “
नीलम हसते हुए – “अच्छा …ऐसा क्या सामान था… जो तुझे उनकी अमीरी का एहसास हो गया।”
मधु चुटकी लेते हुए.. “बता बता.. क्या सामान था।”
नताशा.. “क्या सफेद रंग के सोफ़े थे .. फ्रिज भी अलमारी जैसा…. डायनिंग टेबल तो पूछो ही मत ….
बेड भी इतने शानदार थे कि .. देखते ही आंखे पलक झपकना बंद करदे ।”
नीलम- “अच्छा तुझे रात में सब दिख गया क्या…?”
मधु- ” ये सब सामान तो पैक होगा ना… फिर तुझे कैसे पता ..?”
नताशा.- “अरे! मेरे साहमने ही सारा सामान खुला ना…..
दोनों हैरानी से…तुम्हारे साहमने
नताशा-“.. मेरे सामने…
जब वो शिफ्ट हुए तो मैं चाय पानी पूछ्ने उनके घर चली गई ..
फिर वही मिसेस धनराज से बातें करने लगी ।”
मधु “मिसेज धनराज कौन?”
नताशा .-“हमारी नयी सहेली..
मैंने तुम दोनों के बारे में भी बताया उन्हें .. ब्लकि हमारे ग्रूप में शामिल होने को बोला।”
मधु- “यार, हम तीनों खुश है ना .. किसी और की क्या जरुरत। “
नीलम- ” नताशा, मधु सही कह रही है ।
पता नहीं कैसी नेचर होगी उनकी।”
नताशा .. “तुमने मुझे भी अपना दोस्त माना ना… उसे भी बना लेते है ना.. बहुत अमीर है ..कुछ सीखने को मिलेगा ।”
मधु .. “अमीर है तो घमंडी भी होगीं।”
नताशा …. “अरे नहीं .. मुझे अच्छी लगी .. ऐसा करते है तुम पहले मिलों… फिर देखा लेना… दोस्ती करनी है या नहीं।”
नीलम- “हम्म, ये ठीक रहेगा।”
शाम को वो लोग मिसेज धनराज से मिली… जो उन्हें ठीक ठीक लगी .. पर नताशा का मन रखने के लिए उससे दोस्ती करनी पडी।
..
कुछ ही दिनों में दोनों को पता चल गया कि मिसेज धनराज हर बात में पैसे का रौब जमाती है ..
और दिखावा भी करती है.. . जरूरत से ज्यादा अंहकारी भी है।
उसकी बात ना मानने पे अपनी अमीरी का रौब झाड़ने लगती है।
जल्दी ही उन्हें अहसास हुआ कि वो दोस्ती के क़ाबिल नहीं…
पर नताशा को कौन समझाये .. वो तो उसके… ना ना उसके पैसे की.. उसके स्टेटस की… दीवानी हो चुकी थी।
नताशा के कारण ये दोनों मिसेज धनराज को झेल रहीं थीं।
लेकिन इधर कुछ दिनों से नताशा ने मधु और नीलम से मिलना-झुलना कम कर दिया।
नीलम मधु से – “यार, क्या हुआ आज कल नताशा मिलती ही नहीं।”
मधु- “हां, चल उसके घर मिलने चलते है ।”
जब वो गयी तो देखा नताशा घर नहीं है…
बच्चों ने बताया कि वो धनराज आंटी के घर है …
जैसे ही वो मुड़ी देखा नताशा पीछे खाड़ी थी ।
मधु अरे आज कल कहाँ रहती हों … मिलती ही नही… चल आ सैर पर चले …
नताशा अनमने से .. “नहीं तुम जाओ … मैं अभीं मिसेज धनराज के साथ जिम होकर आई हूँ।”
नीलम- “तुम दोनो अकेले चली गई .. हमे बुला लेती चारो चलते।”
नताशा वो बस ऐसे ही .. एकदम से प्रोग्राम बना …
बस वो आयी ओर मैं उनके साथ चल दी .
नीलम- “हम्म”
चल मधु चलते हैं।
दोनो ने महसूस किया की नताशा पूरे तरीक़े से मिसेस धनराज क़े रंग में रंग चुकीं है और उसकी तरह अहंकारी भीं हो गयीं ।
जब भी वो चारो मिलती धनराज नीलम और मधु के ऊपर कमेन्ट करती .. कभी पहनावे कों लेकर .. कभी रहन सहन पर.. कभी किसी बात पर तो कभी किसी बात पर .. जिसमें नताशा भी उनके साथ लग जाती ..
नतीज़ा ये हुआ की मधु ओर नीलम अब खुद ही इन दोनों से कटने लगी.. नताशा की दोस्ती मधु और नीलम से खत्म हो गयीं।
एक दिन नीलम और मधु सोसाइटी में घूम रहीं थी .. तभी उन्होंने देखा एक बेंच पर नताशा की बेटी सोनू रो रही है ..
मधु.. “सोनू क्या हुआ .. रो क्युं रहीं हो?”
सोनू- मधु के गले लग गयी.. .. “मौसी, मम्मा बीमार है .. हॉस्पिटल में है .. कल रात से .. पापा भी वही है ।”
मधु ..क्या.. क्या हुआ…नताशा को?
“मौसी पता नहीं .. रात में मम्मा के पेट में दर्द हुआ … नहीं रूका तो पापा हास्पिटल ले गए।
पापा कह रहे है… कोई सर्जरी होगी।”
नीलम .. “तुम रो मत बेटा.. अभी हम बात करते है..
तुमने खाना खाया ।”
हां आंटी, पापा ने ऑर्डर कर दिया था.. सुबह वो खा लिया था….
मधु नताशा के पति को कॉल करती है..
जिससे पता चलता है कि नताशा को पथरी का दर्द उठा है.. और सर्जरी से वो निकाला जायगा।
आज सर्जरी होगी.. कल छुट्टी मिलेगी।
मधु ने नताशा के पति को आश्वासन दिया कि वो नताशा का ध्यान रखे .. बच्चों की चिंता ना करे …
बच्चों को खाना खिला .. उन्हें सुला कर अपने पति के पास छोड़ मधु नीलम के साथ नताशा से मिलने अस्पताल चली गई।
मधु- (नताशा के पति से).. “जीजा जी आप घर जा कर थोड़ा आराम करे ।
यहां नीलम देख लेगी ..
मैं भी आपके साथ चलती हूं.. आप खाना खा कर थोड़ा आराम कर आ जाना ।”
नीलम बोली- हां भैया .. आप कल रात से यहां हो .. इतना बेगाना कर दिया आपने हमें … बताया भी नहीं..
तभी नताशा रोने लगी….
नताशा- “मुझे माफ़ कर दो तुम दोनों…”
मिसेज धनराज से दोस्ती करके मुझमें भी अहंकार आ गया.. .. कल इन्होंने उसे कॉल किया पर वो बोली मैं अभी अपनी नींद ख़राब नहीं कर सकती…और फोन काट दिया ….
इन्होंने बोला भी आपको कॉल कर देता हुं….
पर किस मुँह से कहती .. बुला लो आप को…
…
अमीर दोस्त के अहंकार में हमारी दोस्ती का कत्ल जो कर बैठी थी मैं …
पर तुम इतना कुछ होते हुए .. आज यहां हो ..मेरे लिए ..
मधु तो मेरी कजन है .. उसका तो मान भी सकती हूं …पर नीलम तुम…
तुम भी यहां…
नीलम.. उसके आंसू पोछते हुए… पगली रो मत… मेरा रिश्ता तुम दोनों से दिल का है.. किसी अंहकार का नहीं … ना पैसे का… ना रुतबे का ..
समझी ..
मधु ओर नीलम मिल कर नताशा का हाथ थाम लेती है
और कहती है …
….
यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे….
रीतू गुप्ता
स्वरचित
विषय- रिश्ते अंहकार से नही त्याग और माफी से टिकते है