गृहणी की भी उम्र बढ़ती है – लतिका पल्लवी

सुनाइ नहीं दे रहा है? कब से डोरबेल बज रहा है।कहाँ हो खोलना नहीं है?सुन रही हूँ।आ ही रही हूँ। मुकुंद जी की बात को सुनकर उनकी पत्नी कालिंदी जी नें जबाब देते हुए दरवाजा खोला। दरवाज़े पर पड़ोस के वर्मा जी खडे थे।

उन्हें देखकर कालिंदी जी नें कहाँ आइये भाई साहब अंदर आइये. वर्मा जी नें कहाँ अभी नहीं भाभी जी आप मुकुंद भाई को बुला दीजिये।हमें अभी पेंशन ऑफिस जाना है।वर्मा जी की आवाज सुनकर मुकुंद जी बाहर आए और आकर कहाँ आइये वर्मा जी आइये,

फिर कालिंदी जी से कहा जाओ भाई दो कप चाय बनाकर लाओ। वर्मा जी नें कहा नहीं चाय की जरूरत नहीं हमें देर हो रही है।भाभी जी आप इनकी बात नहीं सुनिए चाय रहने दीजिए। वर्मा जी नें लाख मना किया पर मुकुंद जी नहीं माने। कालिंदी जी नें चाय बनाया फिर पीकर दोनों पेंशन ऑफिस चले गए।

उनके जाने के बाद कालिंदी जी लंच बनाने मे बीजी हो गईं। लंच मे उन्होंने दाल चावल और एक सूखी सब्जी बनाई। लंच देखते ही मुकुंद जी नें कहा यह क्या है?आजकल रोज़ ही तुम एक सब्जी बनाकर परोस देती हो। रसेदार सब्जी तो कितने दिनों से दोपहर मे बन ही नहीं रहा है।

साग खाए तो लग रहा है एक जमाना हो गया। खाने मे मीन मेख निकालते हुए किसी तरह से उन्होंने खाना खाया। कालिंदी जी चुपचाप सब सुनते हुए खाती रही फिर वे सारे बर्तन समेटकर रसोई मे चली गईं।

खाना खाकर मुकुंद जी आराम करने चले गए पर कालिंदी जी को आराम कहाँ? अभी बाई आएगी बर्तन चौका करने, तो उसके साथ लगकर सारे काम करवाने है। ध्यान नहीं दो तो कामवाली जैसे तैसे काम करके चली जाती है।कामवाली के जाने के बाद कालिंदी जी आराम करने के लिए गईं।

जैसे ही उनकी आँख लगी मोबाईल की घंटी घनघनाने लगी।अभी उठकर उठाती ही कि तभी पतिदेव की आवाज सुनाई दी। मोबाईल कब से बज रहा है उठाती क्यों नहीं हो? पूरी नींद खराब हो गईं। यह भी नहीं सोचना है

कि आदमी सोया है तो झट से उठा ले,लेकिन नहीं जब तक मेरी नींद टूट नहीं जाती तब तक फोन बजता ही रहेगा।कालिंदी जी नें पति के बोलने भुनभूनाने को नजरअंदाज करते हुए आकर मोबाईल उठाया।देखा उनकी ननद का मिस्ड कॉल था।

उन्होंने कॉल लगाया उधर से ननद नें मज़ाक करते हुए कहा क्यों भाभी भैया आने नहीं दे रहे थे? दूसरी पारी का हनीमून मन रहा है। भाई आपलोगो के तो मज़े हो गए, बच्चे तो बाहर ही है, भैया भी रिटायर होकर दिनभर घर मे ही रहते होंगे तो बस दोनों दिनभर रोमांस लड़ाओ।

एकदम सही कह रही हो दीदी हनीमून तो मन ही रहा है पर तुम्हारे भैया तो रिटायर होकर बूढ़े हो गए है पर मै तो दिन ब दिन जवान हो रही हूँ कम से कम तुम्हारे भैया को ऐसा ही लगता है।इस हनीमून का तो जो लुफ्त मै उठा रही हूँ वह मै ही जानती हूँ।छोड़ो हमारी बात आज तुम्हे कैसे नन्दोई जी से फुरसत हो गईं

जो मुझे कॉल कर लिया।कालिंदी जी नें भी मज़ाक का जबाब मज़ाक मे ही दिया।अब बूढ़ी हो गईं तो क्या हुआ, हूँ तो ननद ही भाई भाभी का हनीमून तो सहा नहीं जाएगा, इसीलिए कबाब मे हड्डी बनने के लिए आ रही हूँ।यही बताने के लिए फोन की थी।

कल सुबह दस बजे पहुँचूँगी।भैया को स्टेशन भेज दीजिएगा,मुक्ता जी नें हँसते हुए भाभी से कहा।अच्छा है तुम आकर अपनी आँखो से देख ही लो मेरे मज़े। वैसे तुम्हारे भैया तो बूढ़े हो गए है सुबह सुबह तैयार नहीं हो पाएंगे।हाँ, तुम्हे लाने के लिए ड्राइवर को भेज दूंगी, कालिंदी जी नें जबाब दिया। दस बजे सुबह होता है?

आश्चर्य से मुक्ता जी नें पूछा। अब आ ही रही हो तो देख ही लोगी क्या होता है क्या नहीं, कालिंदी जी नें कहा। थोड़ी देर इधर उधर की बात करके कालिंदी जी नें फोन रख दिया। तभी मुकुंद जी आए और बोले किसका फोन है तब से लगी पड़ी हो चाय नाश्ता नहीं बनाना है क्या?

बना रही हूँ आप ही की बहन का फोन था।कल आ रही है।कालिंदी जी नें कहा। मुक्ता आ रही है, पर किसलिए? अब मै उनसे यह पूछती क्या? कालिंदी जी नें उनके अटपटे सवाल को सुनकर कहा।अरे नहीं मै तो ऐसे ही कह रहा था।अच्छा ही है घर मे थोड़ी रौनक हो जाएगी। हाँ और मेरी शामत।क्यों ऐसा क्यों कह रही हो? मुक्ता से तुम्हे क्या परेशानी है।मुक्ता से नहीं आपसे परेशानी है।

किसी के आते ही आपको तो मुझे दिनभर परेशान करने का मौका मिल जाता है। खाना तो खुद होता है पर दूसरे का नाम लेकर मुझसे बनवाते हो कालिंदी जी नें हँस कर जबाब दिया।सुबह ड्राइवर स्टेशन जाकर मुक्ता जी को ले आया।

दोनों ननद भाभी प्रेम से मिली भेटी।फिर मुक्ता जी नें पूछा भैया कहाँ है? नहाने गए है।अभी आश्चर्य से पूछा।तुम्हारे आने का सुनकर अभी गए नहीं तो पता नहीं अभी और कितनी देर करते।पहले तो तुम्हारे भैया सुबह ऑफिस चले जाते थे तो मै थोड़ा दिन मे आराम भी कर लेती थी पर आजकल तो उनका कोई टाईम टेबल ही नहीं है. कब नहाएंगे, कब खाएंगे, कुछ निश्चित नहीं है।

कुछ भी कहने पर कहेंगे की अरे भाई पूरी जिंदगी तो भाग दौड़ मे ही बीत गईं।अब रिटायरमेंट के बाद तो थोड़ा चैन से जीने दो। जाओ जाकर चाय बनाकर लाओ। तुम्हारे भैया तो काम करते थे तो रिटायर हो गए,

पर मै तो उनके अनुसार शायद और जवान हो गईं उनकी अतिरिक्त सेवा टहल के लिए। मै तो किसी ऑफिस मे काम करती नहीं थी तो भला कैसे रिटायर हो सकती हूँ?कालिंदी जी नें मुक्ता जी को हँसते हुए बताया। कालिंदी जी नें बात भले ही हँसते हुए कही हो पर उन बातो मे उनका दर्द साफ सुनाई दे रहा था, जिसे उनकी ननद नें साफ -साफ सुना और कहा हूँ,

लगता है अब मुझे ही भैया से बात करनी होंगी। मै आई तो दो दिनों के लिए थी, पर अब भाभी तुम्हारी समस्या सुलझा कर ही जाउंगी। दो ही दिन के लिए, ऐसा तो सही नहीं है दीदी कालिंदी जी नें उनकी बात सुनकर कहा।

मेरी ननद की बेटी की शादी है। लड़के वाले गाँव मे बारात लेकर जाने को तैयार नहीं थे इसलिए उनलोगो नें यही पर विवाह भवन बुक करके शादी करने का प्रोग्राम बनाया है। उसी शादी मे शामिल होने के लिए हमलोग आए है। उन्होंने आपलोगो को भी निमंत्रित किया है।

मेरे नन्दोई जी भैया को कॉल करेंगे पर मुझसे भी आपसे आग्रह करने को कहा है।मुक्ता जी की भांजी का विवाह हो गया।मुक्ता जी के पति चले गए पर मुक्ता जी रुक गईं। उन्होंने दो दिनों तक स्थिति का आंकलन किया और पाया कि भैया एक मिनट भी भाभी को आराम नहीं करने देते है।

जब मर्जी कह देते चाय बनाओ तो कभी पकौड़े तल दो मुक्ता को पसंद है तो कभी कुछ तो कभी कुछ काम भाभी को बोलते ही रहते थे। वे जब आराम कर रहे होते तब कामवाली आ जाती और उसके जाते ही भैया जग जाते तो फिर भाभी के लिए कोई ना कोई काम तैयार रहता।

एकदिन बात करते करते मुक्ता जी नें भाई से कहा भैया एक बात पूछू। हाँ, पूछ ना इसके लिए आज्ञा लेने की क्या जरूरत पड़ गईं भाई नें कहा।नहीं ऐसे ही पूछ ली।अच्छा भैया भाभी आपसे कितने वर्ष छोटी है? यही कोई दो वर्ष भाई नें जबाब दिया। आपको रिटायर हुए कितने दिन हुए? दो वर्ष के आसपास फिर भाई नें कहा।

अच्छा तो इस हिसाब से भाभी इस वर्ष रिटायर होंगी? तेरी भाभी रिटायर होंगी! तेरी भाभी जॉब ही कहाँ करती है जो रिटायर होंगी? भाई नें हँसते हुए कहा। क्यों भैया जो जॉब नहीं करता उसकी उम्र नहीं बढ़ती है क्या? अब मुकुंद जी नें बात को सीरियस लिया और पूछा तुम कहना क्या चाहती है? यही की भाभी भी बूढ़ी हो रही है।

उन्हें भी आराम की जरूरत है, पर तुमने तो अपने रिटायरमेंट के बाद भाभी का काम और भी बढ़ा दिया है। मानती हूँ कि तुम घर के काम नहीं कर सकते। इस उम्र मे सीखना सम्भव भी नहीं है पर दरवाजा तो खोल ही सकते हो,जो सारे काम छोड़ कर भाभी खोलने आती है।

खाना नहीं बना सकते पर उसे डायनिंग टेबल तक लाने मे भाभी की मदद तो कर ही सकते हो। ऐसे ही छोटे मोटे कामों मे भाभी की मदद कर दिया करोगे तो भाभी को कितना आराम हो जाएगा। अपना काम जैसे तौलिया लेकर बाथरूम मे जाना या वहाँ से निकल कर उसे सूखने के लिए तार पर डाल देने का काम तो कर ही सकते हो।

और सबसे बड़ी बात बुढ़ापे मे ही टाईम टेबल का ख्याल रखना ज्यादा जरूरी होता है। ऐसे अस्त व्यस्त जिंदगी जिओगे तो हजाओ बीमारी पकड़ लेगी। सुबह उठो, मार्निग वॉक पर दोनों चले जाओ, आकर भाभी चाय बनाए तबतक तुम सत्तू घोल सकते हो, फिर नहाओ धोओ, नाश्ता करो. इसतरह से जिंदगी आसान बन जाएगी, नहीं तो बाद मे बड़ी परेशानी होंगी।

कुछ समझ भी आ रहा है तुम्हे कि मै ऐसे ही बकबक किये जा रही हूँ, मुक्ता जी नें भाई को चुप देखकर पूछा। कुछ तो समझ आ ही गया। मै तो एकदम से भूल ही गया था कि मेरे साथ कालिंदी की भी उम्र बढ़ रही है। तुमने याद दिला कर मेरे उपर बहुत बड़ा एहसान किया नहीं तो पता चलता दोनों पति पत्नी बीमार होकर अस्पताल मे पड़े है।

अब से तुम्हारे कहे एक एक बात पर अमल करूंगा। मुकुंद जी नें अपनी बहन का आभार मानते हुए उनसे वादा किया। कालिंदी जी चाय लेकर आई और रखते हुए कहा दोनों भाई बहन मे क्या बात हो रही है ज़रा मै भी तो सुनु। बस भाभी आपके हनीमून का प्लान बन रहा है।

धत तु भी ना कुछ भी बोलती है।यह भी नहीं देखती कि सामने कौन है शर्माते हुए कालिंदी जी नें कहा। देखो तो बुढ़ापे मे भी कैसे गालो पर लाली आ गईं। सही कह रही हूँ। मै कल जा रही हूँ पर तुम्हारे रिटायरमेंट का मज़ा लूटने का इंतजाम कर दी हूँ।

विषय —रिटायरमेंट 

लतिका पल्लवी 

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