गलत सलाह से माँ द्वारा बचाव – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

फोन की आवाज़ से महक की नींद खुली। वह उठकर फोन उठाने ही वाली थी कि तभी उसकी बेटी ने फोन उठा लिया। फोन उसकी बारह वर्षीय बेटी स्वीटी की दोस्त सोनम का था। यह जानकर महक ने फिर से आँखें मूँद ली तभी उसे सुनाई दिया की उसकी बेटी कह रही है

कि सोनम तुम मेरे घर आओ। स्वीटी ने कहा कि कल मैं तुम्हारे घर आई थी तो आज तुम मेरे घर आ जाओ, वैसे भी माँ सो रही है तो मैं कैसे तुम्हारे घर जा सकती हूँ। इस पर सोनम ने जवाब दिया “नहीं! मैं तुम्हारे घर नहीं आऊँगी

क्योंकि तुम्हारी माँ हमे न फोन चलाने देती है और न ही टीवी देखने देती है, बस कहती है कि तुम दोनों साथ मिलकर कोई गेम खेलो। तुम मेरे घर आती हो तो हम सब कुछ कर पाते हैं और हम कितना इन्जॉय करते हैं। इसीलिए बेहतर यही होगा कि तुम अपनी माँ को कहो कि सोनम की माँ

कहीं गई हुई हैं और वो अपनी दादी को अकेले नहीं छोड़ सकती है इसलिए तुम्हें ही आना होगा। यही सबसे बेहतर प्लान होगा।” इस पर स्वीटी ने कहा कि मैं अपनी माँ से ऐसे झूठ कैसे बोल सकती हूँ, ये तो सही बात नहीं है। सोनम ने फिर जवाब दिया “अरे तू भी न, भले ही तू झूठ बोलेगी लेकिन ये भी तो सोच कि फिर हम कितना मज़ा कर सकते हैं।” स्वीटी ने कहा ” अच्छा चल ठीक है,

मैं माँ को उठाती हूँ फिर उनसे बात करती हूँ। महक यह सब सुन रही थी और वह सुन कर एकदम दंग थी कि बच्चियाँ इस तरह से झूठ बोलना सीख रहीं है। अभी स्वीटी महक को उठाने और झूठ बोलने के बारे में सोच ही रही थी कि तभी महक ने उठकर कहा ” स्वीटी तुम तैयार हो जाओ

तुम्हें सोनम के घर पहुँचा देती हूँ, मुझे भी कहीं बाहर जाना है। स्वीटी मन ही मन बहुत खुश हुई कि अब उसे झूठ बोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दोनों साथ-साथ सोनम के घर पँहुचे। वहाँ जाकर महक ने सोनम की माँ से मुलाकात की और इनका सब प्लान बता दिया। यह सुन कर सोनम की माँ ने

अपनी परेशानी व्यक्त करते हुए कहा कि क्या बताऊँ मैं आपको, मैं दिन भर यहाँ ऑफिस के काम में लगी रहती हूँ लैपटॉप लिए हुए उतने में सोनम मेरा फोन चुपके से ले लेती है और मुझे पता ही नहीं चल पाता है। सोनम की माँ महक से इसका उपाय सोचने को कहती है। दोनों अपने बच्चों की बेहतरी के लिए कोई उपाय सोच रहे होते है कि तभी टीवी पर कार्टून चलने लगता है

जिसमें बच्चे पार्क जाकर रंग-रंग खेल रहे होते हैं। यह देख कर महक के मन मे एक बहुत अच्छा ख्याल आता है। महक तुरंत जाकर सोनम और स्वीटी से पूछती है कि आज उसने किस रंग की कुर्ती पहनी है। महक की कुर्ती थोड़ी नीली और थोड़े हरे रंग की थी। इस पर सोनम और स्वीटी, दोनों ही दो अलग-अलग रंग बताती है

और सोच में डूब जाती हैं। महक उन्हें बताती है कि दुनिया में ऐसे कई रंग है जो प्राइमेरी रंग नहीं है इसलिए उन्हें देखना और समझना पड़ता है। ये सुन कर वह दोनों काफी उत्साहित होकर कहती है कि ऐसी कौन सी जगह है जहां हमे अलग-अलग रंग देखने को मिलेंगे?

महक के पास ये अच्छा मौका था, उसने इसका फायदा उठाते हुए कहा ” तुम्हें प्रकृति में सभी रंग देखने को मिलेंगे, जो की फोन या टीवी में नहीं देखने को मिल पाते हैं। यह सुन कर सोनम और स्वीटी ने पूछा कि प्रकृति को कैसे देख सकते है? महक ने जवाब दिया “पार्क बच्चों, पार्क।

स्वीटी और सोनम महक से पार्क जाकर रंग ढूँढने वाला गेम खेलने को कहतीं है। सोनम की माँ ये सब सुन रही होती हैं

और मन ही मन महक की इस प्लान पर मुस्कुरा देती हैं। दोनों माँ अपनी बच्चियों को पार्क लेकर जाती हैं और फिर एक- दूसरे से कहती हैं कि अब से जब जिसको समय मिलेगा वो दोनों बच्चों को पार्क लेकर जाएंगी ताकि बच्चें फोन टीवी 

जैसी चीजों का इस्तेमाल कम से कम करें और एक स्वास्थ जीवन जिए।

मुहावरा: उल्टी पट्टी पढ़ाना

लतिका पल्लवी

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