आज भी तुम कुछ नहीं बोलोगे।मेरे साथ अगर तुम ही मेरे हमसफर होते हुए भी ऐसे धोखा दोगे तो फिर मैं किस पे भरोसा करूंगी। आज भी याद है मुझे जब शादी कर के आई थी। छोटे शहर सतना से महानगर दिल्ली । सोचा था दिल्ली तो दिलवालों की होती है।लेकिन कहां पता था कि दिल्ली के कुछ लोगों की सोच अभी भी पुराने जमाने में ही अटकी हुई हैं।
कॉलेज में थी तो वूमेन सशक्तिकरण पे घंटों डिबेट कर लेते थे लेकिन तब यह नहीं पता था कि खुद जब इस स्थिति को झेलेंगे तब कहां चला जायेगा वो जोश ,वो उमंग,वो हिम्मत।
एक बच्ची खोने के बाद अब दूसरी पे आंच नहीं आने दूंगी ।यह फैसला मैने कर लिया है।अब तुम मेरा साथ बड़ो के सामने दो या नहीं यह तुम्हे तै करना है।
तभी नंद की आवाज आई,”अनु, तुम तैयार हो गई। अल्ट्रासाउंड में देर नहीं करनी है। चलो जल्दी। फिर जो रिपोर्ट आयेगी तो उसके हिसाब से डिसाइड करने में और प्रोसीजर करने में भी टाइम लग जायेगा। पिछली बार समझाया था पूजा दिल से करना ।गांव की वैद्य की दवाई नियम से खाना लेकिन चार शब्द पढ़ के तुम्हे हम गवार लगने लगते हैं।एक बार भुगत के अब तो अकल आ गई होगी।सब दवाई नियम से खाएं थीं ना।गांव में जो पड़ोसी की बहु है ,उसके तीन लड़के उस दवाई से हुए हैं।और भी बहुत लोगों ने दवाई ले के बेटा पैदा किया लेकिन भगवान हमारी ही परीक्षा लेता है”।
मैं बाहर आ के बोली,”दीदी , मैं कोई टेस्ट नहीं करवाऊंगी।अगर यह आप लोगों पे बोझ है तो मैं इस घर को छोड़ के चली जाऊंगी।लेकिन मैं अब कोई भी आंच अपनी कोख पे नहीं आने दूंगी”।
दीदी चिख के बोलीं,”यह क्या कह रही हो अनु।कल रात तक तो तुम ठीक थीं । तुम लोगों के भले के लिए कर रही हूं सब।और तुम उल्टा बोल रही हो।
तैयार हो जल्दी।देर हो जायेगी “।
तभी अनिल की आवाज आई,”अनु मेरे साथ जायेगी दीदी, हमारे डाक्टर पे ।आपके साथ नहीं।जो भी होगा , मैं देख लूंगा ।पिछली बार तुम लोगों की बातों में आ के मैने गलत फैसला कर लिया था लेकिन इस बार मैं अपनी हमसफर का साथ नहीं छोडूंगा”।
मेरी आंखों में आसूं देख के अनिल घबड़ा गए ।”अनु,क्या हुआ तुम रो क्यों रही हो ।तुम डरो नहीं। कुछ गलत नहीं होने दूंगा मैं हमारे साथ।”
मैने कहा, ” मैने सोचा नहीं था की आप मेरा साथ देंगे। यह तो खुशी के आंसू है”। कह के मैं अनिल के सीने से लग गई।
गीतांजलि भारद्वाज
#हमसफर