एक मां की चुप्पी को उसकी कमजोरी मत समझना – स्वाती जैंन

दरवाजे की बेल बजी वैसे ही तान्या बोली -लो आ गई तुम्हारी मां पार्क से , आज ऐसी डांट लगाना रोहित कि तुम्हारी मां पार्क जाना ही भूल जाए !!

रोहित ने दरवाजा खोला और यशोदा जी से बोला – मां यह बार – बार पार्क घूमने क्यों चली जाती हो ?? घर में कितने काम पड़े हैं !! तान्या ऑफिस भी जाती हैं , वह अकेले क्या – क्या करेगी ?? तान्या ने ऑफिस से आकर देखा तो आपने बाथरूम में पड़े कपड़े भी नहीं धोए हैं !!

यशोदा जी बोली – बेटा , आज तबीयत थोड़ी ठीक नहीं लग रही थी , सुबह से सर भी दर्द हो रहा हैं !!

रोहित तेज आवाज में बोला – लगता हैं अब तान्या को ऑफिस का काम छोड़कर आपकी सेवा करनी पड़ेगी !!

यशोदा जी धीमी आवाज में बोली सेवा नहीं मांगी बेटा , बस थोड़ा अपनापन मांगा हैं !!

यशोदा जी की तबीयत ठीक नहीं थी , वे अपने कमरे में जाकर आराम करने लगी !! नींद यशोदा जी की आंखों से कोसो दूर थी उन्हें आज सुबह का वाक्या याद आ गया , जब वे बैठे बैठे आटा गूंथ रही थी , तान्या तेजी से रसोई में घुसी और धुले हुए बर्तनों की टोकरी में से अपना और रोहित का टिफिन निकालने लगी ताकि ऑफिस में ले जाने के लिए टिफिन भर सके , उतने में यशोदा जी बोली तान्या तुम जरा खड़ी ही हो तो गैस पर चढ़ाई हुई सब्जी में नमक डाल देना , मेरे हाथ आटे वाले हैं !!

तान्या तुनक कर बोली – आप बस बैठे बैठे हुक्म दीजिए ,सुबह सवेरे 

कम काम होते हैं क्या जो खाना  बनाने में भी मैं आपकी मदद करूं , एक तो यहां ऑफिस जाने में देर होती रहती है और आप खाना भी टाईम पर नहीं बना रही हैं !!

यशोदा जी बोली – रोज तो समय पर ही बन जाता हैं खाना , आज हाथों में थोड़ी कपकपाहट हो रही थी इसलिए देर हो गई !! 

तान्या फिर गुस्से में बोली – आपको तो कभी हाथ में दर्द तो कभी पैर में दर्द , कभी पीठ में तो कभी सिर में दर्द , आपका तो रोज का हैं !! नहीं होते आपसे घर के काम तो रहने दीजिए , हर बात में बस बहाने या शिकायतें मत कीजिए !!

यशोदा जी धीरे से बोली – शिकायत तो अपनों से ही होती हैं ना क्योंकि उम्मीदें भी तो अपनो से ही होती हैं !!

 तान्या फिर एक अलग अंदाज में बोली उम्मीद !! हमारे जमाने में तो ऐसा होता था , हमारे जमाने में तो वैसा होता था ऐसी बातें कर के आप हमसे भी वहीं उम्मीद करती हैं मांजी मगर आप भूल जाती हैं कि जमाना बदल गया हैं !! हम लोग आपकी तरह नहीं जी सकते समझी ……

यशोदा जी ने हॉल में टँगी राजेश जी की तस्वीर देखी , उनकी आंखों में नमी उतर आई और वह धीरे से फुसफुसाकर बोली – सही कहती हो तान्या तुम , तुम लोग हमारी तरह जी भी नहीं सकते , हम लोगों ने तो दूसरो के लिए खुद को भुला दिया था !!

 तान्या को यशोदा जी की आवाज सुनाई नहीं दी हालांकि यशोदा जी चाहती भी नहीं थी कि तान्या सुने क्योंकि वे नहीं चाहती थी कि तान्या घर में फिर से कलह का वातावरण पैदा कर दे , वैसे भी तान्या बात बात में कलह की शुरुवात कर देती जबकि यशोदा जी बहुत शांत स्वभावी महिला थी !! यशोदा जी का बहुत बार घर में दम घुटता था इसलिए वे कभी कभी पार्क घूमने चली जाती थी वहां उनकी ही उम्र की सरिता जी उनकी अच्छी सहेली बन चुकी थी , घर में तो बेटा- बहू किसी को यशोदा जी से बात करने की फुर्सत ही नहीं थी इसलिए वे सुबह- शाम पार्क आ जाया करती, वहां सरिता जी से बात करके उनका मन हल्का हो जाता और उन्हें सुकुन भी मिलता !!

सुबह की पहली किरण खिड़की से झांक रही थी , यशोदा जी ने जैसे तैसे ओखें खोली , अहिस्ता से उठी , सर में अभी भी हल्का हल्का दर्द था , शरीर में भी थकान थी मगर फिर भी उठकर वे रसोई की तरफ बढ़ गई , चाय के भगोने में पानी डाला , पुरानी चायपत्ती का डब्बा खोलकर चायपत्ती डाली , चाय के उबाल के साथ उनकी पुरानी यादें भी उबाल लेने लगी !! 

राजेश जी कहते – यशोदा , तुम जब रसोई में होती हो ,पुरे घर में जैसे जान होती हैं , तुम एक दिन के लिए भी कहीं जाती हो तो यह घर मुझे काँटने को दौड़ता हैं !!

 यशोदा जी सोच रही थी राजेश जी उन्हें क्यूं अकेला छोड़ चले गए ?? आज उन्हें यह घर , यह रसोई सब बेजान सी लग रही थी , घर में दम घुटने लगा था , उतने में दनदनाते कदमों से तान्या आई और बोली – माँजी , यह क्या हैं ?? आज फिर चाय बनाने में इतनी देर हो गई आपको और हां यह मत कहिएगा अब कि सर दर्द था , कमर दर्द थी , सुबह- सुबह आपका यह ड्रामा सुनकर पुरा दिन खराब जाता हैं मेरा !!

यशोदा जी धीरे से बोली – उम्र का असर हैं तान्या, शरीर थक जाता हैं पर कोशिश तो कर ही रही हुं !!

तान्या बड़बड़ाने लगी – कोशिश से घर नहीं चलता मांजी , काम से चलता हैं !! आज रविवार था बेटा – बहू घर पर ही थे !!

दोपहर में सभी लोग खाने की मेज पर बैठे थे तभी तान्या बोली – रोहित , आज चावल थोड़े ज्यादा बन गए हैं और रोटियां कम हैं !!

रोहित बोला – कोई बात नहीं डार्लिंग जो हैं दे दो !!

तान्या ने यशोदा जी की थाली में ज्यादा चावल , एक रोटी और दाल डाल दी !! यशोदा जी बोली – बेटा , मुझे चावल से एलर्जी हैं , मुझे रोटी दे दो , चावल तुम खा लेना !! रोहित तमतमाकर बोला – मां तान्या को भी चावल नहीं पसंद , जो प्लेट में हैं चुपचाप वहीं खा लो !! यशोदा जी की आंखें नम हो गई और चुपचाप खाना खाकर यशोदा जी अपने कमरे में आ गई और फिर पुरे दिन खांसी और बदन दर्द से झुंझती रही गगर बेटे- बहू में से किसी ने पलटकर ना देखा !!

रात भर नींद भी नहीं आई इसलिए वे दूसरे दिन पार्क चली गई ताकि थोड़ी ताजी हवा मिले मगर घर में तान्या ने रोहित को फिर से भड़काना शुरू कर दिया रोहित तुम्हारी मां को दिनभर पार्क में गप्पे लड़ाना हैं बस , उनसे घर का कुछ काम नहीं होता अब भला बताओ मैं कैसे मैनेज करूं सब, और इसका अंजाम यह हुआ कि जैसे ही यशोदा जी घर आई रोहित गुस्से में बोला – माँ क्या जरूरत थी बाहर पार्क में जाने की ?? तुम्हारे कारण रोज झगड़े हो रहे हैं !! यशोदा जी बोली मैं तुम्हारी मां हुं बेटा कोई नौकरानी नहीं !! पत्नी की बातों में आए हुए रोहित ने यशोदा जी  को गाल पर एक थपपड़ जड़ दिया !! यशोदा जी की आँखो से आंसू टपक पड़े और उनके पैरो तले जमीन खिसक गई क्योंकि यह थप्पड़ सिर्फ उनके गाल पर नहीं पड़ा था बल्कि उनके आत्मसम्मान पर पड़ा था !! थपपड़ खाकर चुपचाप यशोदा जी अपने कमरे में जाकर सो गई , उनकी आंखों से झरझर आंसू बहे जा रहे थे और उनके मन में एक ही सवाल गूंज रहा था क्या इसी दिन के लिए मैंने बेटा पैदा किया था ?? फिर राजेश जी की तस्वीर देखकर बोली – अगर आप जिंदा होते तो यह सब देख पाते ?? बाहर सन्नाटा था मगर उनके अंदर एक तूफान जन्म ले चुका था !! अब या तो वह खुद को खो देंगी या खुद को पा लेंगी !!

सुबह हुई तो दर्द ओर गहरा हो चुका था शरीर का भी और मन का भी !! सुबह पार्क गई जहां सहेली सरिता मिली !! सरिता देखते ही भांप गई और बोली यशोदा क्या हुआ हैं ?? तुम्हारी आंखें क्यों सुजी हुई हैं ?? यशोदा ने सारी आपबीती बता दी !! सरिता ने उसका हाथ पकड़ा और कहा यशोदा , अब यह चुप्पी खत्म करो , कब तक सहती रहोगी ?? आज बेटा थप्पड़ मार रहा हैं कल घर से निकाल देगा !!

यशोदा ने भी हिम्मत जुटाई जैसे ही घर पहुंची तान्या चिल्लाकर बोली आ गई पार्क जाकर , अब तो आप कुछ काम की नहीं रही !! काम की ना काज की , दुश्मन अनाज की !! रोहित भी पीछे से आकर बोला माँ आप सचमुच ढीट हो गई हो !!

यशोदा जी के दिल पर एक ओर गहरी चोट लगी !! वे अपने कमरे में गई , रोते हुए उन्होंने अपने कमरे में आखिरी बार नजर दौड़ाई , राजेश जी की अलमारी , उनकी लकड़ी की कुर्सी और वह माला जिसे राजेश जी हर पुजा में पहनते थे !! रात का सन्नाटा गहरा हो चुका था , बेटा- बहू अपने कमरे में सो रहे थे !! यशोदा जी ने अपना पुराना बैग निकाला , दो जोड़ी कपड़े , कुछ दवाईयां और राजेश की तस्वीर बैग में डाली और चल पड़ी !! कुछ दिन सरिता ने उन्हें अपने घर में आश्रय दिया फिर बगल वाली सोसायटी में उन्होंने अपने लिए छोटा सा कमरा भाड़े पर ले लिया !! राजेश जी की पेंशन से वह अपना महिने का खर्च निकाल लेती !! सरिता का साथ पाकर उन्होंने आचार और पापड़ का बिजनेस भी खोल दिया , उनका मुस्कुराता चेहरा सभी को खुब भाता !! अब कुछ लोग उनसे सलाह लेने आते तो कुछ सामान खरीदने ! दूसरी तरफ यशोदा जी के घर से चले जाने के बाद रोहित और तान्या में खुब कलह होने लगी !! यशोदा जी की वजह से घर में खाना बना मिलता , घर में सफाई मिलती और भी बहुत से छोटे छोटे काम किए हुए मिलते क्योंकि यशोदा जी उस घर की धरोहर थी !! एक रोज यशोदा जी के दरवाजे पर दस्तक हुई , दरवाजा खोला तो सामने रोहित खड़ा था !! थकी आंखें , बिखरे बाल , मुरझाया चेहरा !! यशोदा जी को देखते ही वह मां के पैरो में गिर पड़ा और बोला – मां मैंने जो गलती की हैं उसका पश्च्चाताप मुझे रात में सोने नहीं देता !! मां मुझे माफ कर दो !! यशोदा जी रोहित को उठाते हुए बोली – एक मां कभी अपने बच्चो से नफरत नहीं कर सकती !! रोहित बोला आप घर चलो मां , आपके होने से ही वह घर घर लगता हैं मां ,मैं और तान्या आपको सिर आंखों पर बैठाकर रखेंगे !!

यशोदा जी बोली – अब मैं पहले वाली यशोदा नहीं रही बेटा , बहुत मुश्किल से मैंने अपने लिए जीना सीखा हैं और अब यह सुकुन भरी जिंदगी छोड़कर मैं कहीं नहीं जाना चाहती !! मां का दिल तो दरिया हैं मगर कभी उसकी चुप्पी को उसकी कमजोरी मत समझना !! रोहित इतना सा मुँह लेकर रह गया !!

दोस्तों , माता – पिता हमारी जड़े हैं ,हमारी नींव हैं !! जो जड़ो को काटता हैं वह कभी फलता- फूलता नहीं हैं और जो उनका सम्मान करता हैं वह सचमुच ऊँचाईयों को छुता हैं !!

आपकी क्या राय हैं ?? कमेंट करिएगा !!

आपकी सहेली

स्वाती जैंन

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