अपनी बेटी का दुख -गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi  

रसोई घर में झूठे बर्तनों के ढेर के आगे शुभांगी को आज मां की बहुत याद आ रही थी।आज अगर उसकी मां होती तो क्या उसकी तबीयत खराब होने पर भी उससे घर के काम करवाती।सास और मां में फर्क तो होता है ना..अगर सास भी मां बन जाए तो मां को कौन याद करे..यही … Read more

“स्वाति मेरा टिफिन तैयार है क्या”- एकता बिश्नोई : Moral Stories in Hindi

“माँ मेरा नाश्ता लगा दो, मुझे कॉलेज को देर हो रही है।”“मम्मी मेरी यूनिफॉर्म कहाँ रख दी आपने? मिल नहीं रही है  ढूंँढ कर दे दो जरा …।”“बहू एक गिलास पानी देना…दवा खानी है मुझे।”ये उसकी दिनचर्या के वे शब्द  थे जो स्वाति रोज सुनती थी पर पलट कर इनका कोई उत्तर नहीं दे पाती … Read more

संकीर्ण मनोवृत्ति का ज़हर – रत्नापांडे

मिश्रा जी का परिवार तीन पीढ़ियों के इर्द-गिर्द घूमता, रिश्तों की बारीकियों को समझता हुआ एक सामान्य परिवार था। जिसमें सब कुछ बिल्कुल वैसा ही था जैसा आम तौर पर होता है। लड़ना-झगड़ना, प्यार सब कुछ था। सास-बहू के बीच तकरार भी वैसी ही थी जैसी अधिकांश परिवारों में रोजमर्रा की जिंदगी में होती रहती … Read more

सुखमय जीवन – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

——————– खाना परोस कर टाठी पति की ओर सरकाती हुई बेना  हांकते हुए बोली सुनिये ना अब तो बिट्टू की नौकरी भी लग गई तो अब  बिआह करे में काहे की देर ।अरे देख लो कोई सुघड़ लड़की और उसके हाथ पीले कर दो। आखिर कब तक अपने से रोटी बनाई खाई। अधिकतर  तो होटले … Read more

आत्म सम्मान – रत्ना पांडे : Moral Stories in Hindi

रोज-रोज अपने आत्म सम्मान पर चोट सहन करती उर्मिला अपने मन में सोच रही थी कि आख़िर क्यों वह अपने आत्म सम्मान को प्रतिदिन तार-तार होने देती है? क्यों बात-बात पर ताने सुनती है? क्या इस परिवार के लोगों को सम्मान देना सिर्फ़ उसका कर्तव्य है? क्या उनका कर्तव्य कुछ नहीं जो उसे उसके परिवार … Read more

तिरस्कार कब तक – सुनीता माथुर : Moral Stories in Hindi

सुनैना को लगा कब तक तिरस्कर, अपमान और बेज्जती, सहन करनी पड़ेगी!— आखिर मेरा कसूर क्या है? मैंने अपने बच्चे को पढ़ा लिखा कर बड़ा किया और इतने संघर्ष के बाद भी उसकी  पसंद की शादी की जब तक पति जिंदा थे अपने बेटे आकाश को अच्छी परवरिश दी बेटे की नौकरी भी अच्छी लग … Read more

प्रत्यागमन – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

बिपाशा क्या कर रही हो..? यह करने से पहले मुझसे पूछा होता, लवली भाभी बोली।  भाभी यह छोटे-मोटे काम के लिए आपसे क्या पूछना.. अपना घर है, इसलिए मैं खुद ही कर रही हूंँ। नहीं बिपाशा दीदी ..! कौन सामान कहांँ रखना है यह तुम अपनी पसंद से नहीं मुझसे पूछ कर ही रखोगी..? “भाभी … Read more

 बहू, मैं यहां मुफ़्त का नहीं खाती हूं। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

मम्मी जी, मेरे ऑफिस जाने का समय हो रहा है, आप यश को दूध पिला देना और कूकर में उसके लिए थोड़ी सी खिचड़ी चढ़ा देना, और हां यश दोपहर को जब सोकर उठे तो ओरेंज जूस भी बना देना, उसमें बर्फ मत डालना, नहीं तो गला पकड़ लेगा और नियति जब स्कूल से आयें … Read more

 सम्मान की सूखी रोटी – नीलम शर्मा : Moral Stories in Hindi

अमन अभी-अभी ऑफिस से आकर खड़ा ही हुआ था, कि उसके पांच साल के बेटे अनमोल ने पूछा। पापा आप चॉकलेट नहीं लाये। सॉरी बेटा मुझे थोड़ी देर हो रही थी। तो मै भूल गया। मैं अभी लेकर आता हूंँ। अरे क्या आप भी रहने दीजिए एक दिन। अरे नहीं मैं अभी आता हूंँ। तुम … Read more

 बहू भी इंसान है : विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

      “ सुनो जी, अब तो अभि की शादी कर ही देनी चाहिए, तीस का होने वाला है” रेवती ने पति नवेंदु को जूस का गिलास पकड़ाते हुए कहा। “ अरे भई, मैनें कब मना किया, मेरे गले में तो यह ढ़ोल बाईस की उम्र में ही बांध दिया गया था, नवेदुं ने चुटकी लेते हुए … Read more

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