कर्मों का आईना – ज्योति आहूजा

निधि बचपन से ही अलग स्वभाव की थी। घर में सब सहज थे, पर उसे बहुत-सी बातें खटकतीं। पापा खाना खाकर इतनी जोर से डकार लेते कि पूरा घर गूंज जाता, दादी खर्राटों से रात भर जगातीं, और उसका भाई तो जैसे छींक का कारखाना ही था। न जाने कैसी एलर्जी थी कि हर थोड़ी … Read more

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