बच्चे भी सब समझते है – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi
विभा अपने कमरे में बेचैन होकर इधर-उधर घूम रही थी। जैसे-जैसे समय व्यतीत हो रहा था, उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। कभी सोचती — आज शाम ही नहीं होता, कभी सोचती — रमेश ऑफिस से कहीं टूर पर चले जाते तो अच्छा रहता। उसकी सोच पर कोई लगाम ही नहीं था। कुछ-कुछ सोच रही … Read more