बुढ़ी आंखें सब पहचानती है !! – स्वाती जैन

अर्जुन ,  कुछ सीखो तुम्हारे दोनों बड़े भाईय़ों से, राजीव पढ़- लिखकर नौकरी पर लग गया और आनंद की भी बस पढ़ाई पुरी होने को हैं और एक तुम हो जिसे बस एक्टिंग का भूत सवार हैं , गुस्से में बोले हरिशंकर जी !! अर्जुन बोला- पापा, पढ़ाई में मन नहीं लगता हैं मेरा, मैं एक्टिंग में कैरियर बनाना चाहता हूँ !!

अर्जुन की माँ लाजवंती जी बोली- अर्जुन,  कुछ नहीं रखा बेटा एक्टिंग की दुनिया में , आज तेरे बड़े भाईयों को देख, कितना नाम हैं समाज में ,  कल पड़ोस की सारी औरतें मुझसे बोल रही थी भाभी जी आपके दोनों बेटों से कहो हमारे बच्चों को भी सिखाएं कि पढ़ाई में ध्यान कैसे लगाएं ?? अर्जुन यह सब सुन चुप हो गया ।।

अर्जुन , हमेशा माँ- पापा से दोनों भाइयों की तारीफें सुनता और मन मसोस कर रह जाता , वह उन दोनों की तरह पढ़ने में होशियार जो नहीं था !! घर में जल्द ही दो बड़ी खुशखबरियों ने दस्तक दी, बड़े भाई राजीव की शादी फिक्स हो गई और आनंद की नौकरी लग गई !! राजीव की शादी में अर्जुन की नजर उसकी होनेवाली भाभी पुनम की बहन अल्का पर पड़ी , सुंदर, सुशील अल्का अर्जुन को पहली नजर में भा गई !!

पुरी शादी में अर्जुन अल्का को ही देखता रहा , उसकी प्यारी सी मुस्कान अर्जुन की जिंदगी में उजाला फैलाने के लिए काफी थी !! पुनम घर की बड़ी बहु बनकर आ गई !! पुनम ने घर , रसोई सब कुछ संभाल लिया !! पुनम जैसी बहु पाकर लाजवंती जी बहुत खुश थी !!

अब घर में दूसरे बेटे आनंद की शादी की बात होने लगी !! आनंद को अपने साथ काम करने वाली आयशा से प्यार था , उसने घर में बताया हरिशंकर जी पुराने ख्याल वाले थे पहले तो ना – नुकुर की मगर बेटे की जिद मान गए !! आयशा और आनंद की शादी हो गई !! आयशा नौकरी करने वाली , घर में भी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली मार्डन लड़की थी और साथ- साथ घर भी अच्छे से मैनेज कर लेती थी !!

लाजवंती जी दोऩों बहुओं को बहुत प्यार देती औैर बहुए भी उन्हें मान सम्मान देती !! एक दिन लाजवंती जी हरिशंकर जी से बोली – आयशा नौकरी भी करती हैं घर भी संभालती हैं, कितनी होशियार लड़की मिली हैं हमें !! यह बात पुनम ने सुन ली , वह सोचने लगी मैं दिनभर इन लोगों की सेवा करती हूं यह नहीं दिखता इन लोगों को !! दूसरी तरफ आयशा आनंद से कहती जो मान सम्मान पुनम भाभी का हैं

इस घर में , वह मुझे कभी नहीं मिला आनंद , पुनम को तुम्हारे माता- पिता बेटा कहकर बुलाते हैं मगर मैं तो बस काम होने पर याद आती हूं सबको !! इस तरह जेठानी देवरानी में धीरे धीरे प्यार खत्म हो रहा था !! एक दिन आनंद और आयशा ऑफिस की एक पार्टी में जा रहे थे और पुनम कब से घर के काम निपटा रही थी , लाजवंती जी पुनम से बातें कर रही थी !! आयशा मारे जलन के बोल पड़ी – भाभी , घर  के काम करने से आप सभी की प्रिय तो बन जाएगी

मगर पैसा कमाने में अलग ही सुकुन हैं !! यह सुनकर पुनम को इतना गुस्सा आया कि वह चीखकर बोली – ऑफिस जाकर घर को भूल जाना आसान हैं , मगर पुरे दिन घर के कामों को करना कठिन हैं समझी !! बहस इतनी बढ़. गर्ई कि आनंद और आयशा पार्टी में तक नहीं जा पाए और पुनम औैर राजीव का भी मूड़ खराब हो गया !! आयशा और आनंद ने एक रात में इस घर से अलग होने का फैसला कर लिया

और वे लोग दूसरे ही दिन घर छोड़कर चले गए !! हरिशंकर जी और लाजवंती जी के दिल पर तो मानो छूरियां ही चल गई थी मगर अब वे लोग कर भी क्या सकते थे ?? पुनम मन ही मन बहुत खुश हो गई और सोचने लगी अच्छा हुआ बला टली !! अब घर में पुनम अपना ही शासन चलाती मगर लाजवंती जी कुछ नहीं कहती थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी की एक बेटा तो घर छोड़कर चला गया, दूसरा भी कहीं चला ना जाए !!

अर्जुन भी अब जिंदगी को लेकर सिरियस हो चुका था, उसने एक्टिंग छोड़कर एक नौकरी ज्वाइन कर ली थी पर बहुत छोटी नौकरी थी इसलिए हरिशंकर जी और लाजवंती जी उतने खुश नहीं थे , दोनों बड़े बेटे बहुत ज्यादा कमाते थे इस वजह से हरिशंकर जी की उम्मीदें अर्जुन से भी थोड़ी ज्यादा थी !! दूसरी तरफ पुनम ने अब घर में पहले जैसा काम करना बंद कर दिया था,

अब वह लाजवंती जी से भी काम में बराबर हाथ बंटवाती !! लाजवंती जी दिनभर थक सी जाती मगर घर में शांती बनाए रखने वह कुछ कहती नहीं थी !! आज जब लाजवंती जी ने बेटे अर्जुन से शादी करने कहा तो अर्जुन ने अपनी पसंद पुनम भाभी की बहन अल्का को बताया !! लाजवंती जी अपनी बहू पुनम से बोली अर्जुन को अल्का पसंद हैं , अगर तुम बात चलाओ पुनम ।। पुनम तपाक से बोली- मम्मी जी, मेरी बहन के लिए घर में सरकारी नौकरी वाला लड़का ढूंढा जा रहा हैं ,

अल्का सुंदर और पढी- लिखी लड़की हैं , उसे लड़कों की कमी नहीं हैं जो अर्जुन भैया से शादी करें , अर्जुन ने भी सब सुन लिया !! उसे बहुत बुरा लगा क्योंकि जिसे वह पसंद करता था, उसके लिए उसे कम आंका गया !! अर्जुन का अब किसी से शादी करने का मन नहीं था , वह एकदम चुप सा हो गया था ।। पुनम आयशा के फोटो देखकर सोचती आयशा जाइंट फैमिली से निकलकर कितनी खुश हैं , घूमने जा सकती हैं , अपनी पसंद का खाना , कपड़े सब कर सकती हैं !!

पुनम अब राजीव पर घर से अलग होने का दबाव बनाने लगी , शुरू शुरू में राजीव ना नुकुर करता रहता फिर उसने अपने लिए एक फ्लैट देख लिया , फ्लैट में शिफ्ट होने से एक दिन पहले उसने घर में बताया , फिर एक बार हरिशंकर जी और लाजवंती जी आंखों में आंसू लिए रह गए !! अब घर में बस तीन लोग रह गए थे , हरिशंकर जी के दोस्त चुन्नीलालजी ने अपनी बेटी मोनिका का रिश्ता अर्जुन के लिए भेजा !

अर्जुन शादी नहीं करना चाहता था मगर लाजवंती जी बोली- बेटा , आज  हम हैं मगर कल हम नहीं रहेंग़ें तब तुम्हारा क्या होगा ?? मां के आंसुओं से अर्जुन का दिल पसीज गया और उसने मोनिका से शादी की हां कर दी ! मोनिका सुलझी हुर्ई , सभ्य , संस्कारी लड़की थी !!

अर्जुन से शादी के बाद उसने लाजवंती जी से कहा – मम्मी जी , आपने बहुत काम किया हैं , अब मैं आ गई हूं, अब आप आराम किजिए !! हरिशंकर जी और लाजवंती जी दोऩों का पुरा ध्यान रखती मोनिका !! दोनों वृद्घ दंपती बहुत खुश थे ऐसी बहु पाकर !!

अर्जुन भी मोनिका जैसी लडकी पाकर पुराना सब भूल चुका था , सभी लोग सुख चैन से जिंदगी व्यतीत कर रहे थे कि एक रोज लाजवंती जी को पैरालिसिस का अटैक आ गया और वे बिस्तर में पड़ गर्ई । मोनिका दिन- रात उनकी सेवा में लग गई । पुनम और आयशा अपने अपने पतियों के साथ दो- तीन दिन के लिए आते और कुछ ना कुछ बहाना बनाकर वापस चले जाते !! लाजवंती जी की बूढ़ी आंखों को सब दिखता था !!

एक रोज वह भगवान को प्यारी हो गई । उनके वियोग में हरिशंकर जी आधे हो गए !! उन्होंने सोचा थोड़े दिन दोनों बड़े बेटों के यहां रहने चला जाता हूं । हरिशंकर जी ने राजीव को फोन किया तो वह बोला पापा हमारे यहां लिफ्ट बंद हैं , आप उपर अटके ही रह जाएंगें , आनंद बोला मैं और आयशा गोवा घूमने  जा रहे हैं !! मोनिका हरिशंकर जी की दवाईय़ों और खाने पीने का पुरा ध्यान रखती पर लाजवंती जी के बिना हरिशंकर जी का कहीं मन ही नहीं लग रहा था ,

नतीजा यह हुआ कि एक रात वह ऐसे सोए कि फिर कभी उठे नहीं !! आज उनका चौथा था , किसी ने पूछा बाबुजी की तस्वीर कहां लगानी हैं ?? राजीव बोला यहीं मां के बगल में लगा दो ! आनंद और राजीव भोजन की व्यवस्था और आने जाने वाले मेहमानों का ध्यान रखने में लगे थे जबकि अर्जुन चुपचाप माँ- पिताजी की तस्वीर के पास बैठा था , दोनों भाईयों का दिखावा देख उसका मन आहत था ।

सभी मेहमाऩों के चले जाने के बाद सिर्फ घर के लोग बचे थे !! राजीव और आनंद ने अर्जुन को बुलाया और बोले – समय आ गया हैं कि पिताजी के यह घर का बंटवारा कर लिया जाए !! अर्जुन बोला- भैया पापा ने एक रात मुझे कमरे में बुलाया था और दस्तखत करके यह घर मेरे नाम पर कर दिया था !! राजीव बोला मक्कार तूने जरूर पापा को अपने बहकावे में लेकर घर अपने नाम पर करवा दिया होगा आनंद बोला – भैया , इसने हम लोग़ो से गद्दारी की हैं हम यहां नहीं रहते

बस इसी बात का फायदा उठाया हैं इसने अर्जुन बोला भैया , पापा के जीते जी आप लोगों ने उन्हें अपने घर तक नहीं बुलाया और अब उनके मरने के बाद उनका घर हड़पने आ गए !! मुझे तो कुछ चाहिए भी नहीं था मगर पापा नहीं माने, बोले जिसने मेरी औैर लाजवंती की सेवा की हैं वह तु और मोनिका हैं !! पुनम और आयशा कहां चुप रहने वाले थे, वह लोग भी बोली – अच्छा जी मोनिका उनकी फेवरेट बहू थी हमें तो पता ही नहीं था ,

हमें पता हैं यह सब तुम दोनों पति – पत्नी की साजिश हैं !! उतने में एक जाना- पहचाना चेहरा उनके सामने आया , एडवोकेट जितेन्द्र सिंघवी जिन्होंने कहा – सही कह रहा हैं अर्जुन , हृरिशंकर जी ने मुझे बुलाकर सारे कागजात मेरे पास जमा किए थे । तुम्हारी मां लाजवंती जी और हरिशंकर जी ने मिलकर फैसला किया था कि यह घर , जमीन जायदाद सब अर्जुन को दे दिया जाए उसने और उसकी पत्नी ने दोंनों को तब संभाला जब उन्हें बच्चों की सबसे ज्यादा जरूरत  थी ।।

राजीव और आनंद इतना सा मुँह लेकर रह गए थे, जाते जाते उनके माता पिता ने भी अपने दिल के दरवाजे दोनों बेटों के लिए बंद कर दिए थे, जैसे पहले दोनों बेटों ने अपने घर के दरवाजे बंद किए थे !! दोस्तों , आंखें जितनी बूढ़ी होती जाती हैं , उतनी अनुभवी होती जाती हैं !!  वे पहचानती हैं असली और दिखावटी रिश्तों को तभी तो सही फैसला करती हैं !! 

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आपकी सहेली स्वाती जैन

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