बुढ़ापे की लाठी एक बहू ही होती है !! – स्वाती जैंन

नहीं नहीं कामिनी , तुम जितनी सीधी- सादी समझती हो उतनी सीधी नहीं हैं मेरी बहू , अरे बड़ी चंट हैं वह , अब जो घर में रहता हैं वहीं जानता हैं , हम तो सारे भेद जानते हैं उसके मगर अब अगल बगल वालो से क्या बातें करना वह भी अपने ही घर की बात , हरे राम !! सुषमा जी अपनी पडोसन कामिनी से बोली !!

उतने में बहु रागिनी बाहर बरामदे में आकर बोली – मम्मी जी खान तैयार हैं , आ जाईए अंदर खाना परोस देती हुं बोलकर रागिनी अंदर चली गई !!

पड़ोसन कामिनी भी सोचने लगी इतनी अच्छी बहू मिली हैं सुषमा जी को मगर मजाल कभी बहू की तारीफ उनके मुंह से निकल जाए उल्टा पुरे दिन आस पडोस में बहु की बुराई करती रहती हैं !!

घर में जाकर सुषमा जी ने जैसे ही पहला निवाला मुंह में डाला बोली – बहू , अब तो चुल्हा चौका तूने संभाल लिया हैं वर्ना मेरे हाथ का खाने के लिए साहिल तरस जाता था , तुझे अभी बहुत कुछ सीखना हैं पर कोई बात नहीं धीरे धीरे मैं तुझे सब सीखा दूंगी !!

रागिनी मुस्कुराते हुए बोली – मम्मी जी मैं तो चाहती हुं कि आप मुझे सब काम में आपकी तरह निपुण कर दें ताकि साहिल मुझसे हमेशा खुश रहे !!

सुषमा जी रागिनी के हर काम में नुक्स निकाल ही देती मगर अच्छे स्वभाव के कारण रागिनी सब कुछ बहुत हल्के में लेती और कोशिश करती कि अगली बार वह ओर बेहतर काम करें ताकि सुषमा जी उससे खुश हो जाए पर वह दिन कभी ना आया उल्टा सुषमा जी रागिनी को अब दूसरो के सामने भी जलील करने लगी थी , जबकि ससुर जी हीराचंदजी और साहिल रागिनी की खुब सराहना करते क्योंकि वे जानते थे रागिनी जैसी बहुएं मिलना आज के समय में बहुत मुश्किल हैं !!

साहिल का ज्यादातर समय ऑफिस में गुजरता !! घर में सास – ससुर के खाने से लेकर दवाईयों तक का ध्यान रागिनी रखती , उनकी हर छोटी मोटी जरूरते रागिनी पुरी करती !!

रागिनी पुजा पाठ वाली और एक सीधी सादी घरेलू महिला थी जो हर हाल में अपने परिवार को खुश देखना चाहती थी बस मगर उसके सब्र का बांध तब टूटा जब उसने आस पडोस वालो से अपने बारे में सास दवारा की गई इतनी सारी बुराई सुनी , उसने सब कुछ जब साहिल को बताया तो साहिल भी उल्टा उसे ही डांटने लगा कि वह उसकी मां के बारे में कुछ गलत ना बोले !!

सुषमा जी हमेशा अपनी बेटी शीतल की तारीफ करती जबकि शीतल उनसे कोसो दूर रहती थी और अपने पास रह रही बहू की हमेशा बुराई जबकि रागिनी ने सभी रिश्तों को हमेशा दिल से निभाया था !!

आज सुबह अचानक रागिनी पर फोन आया कि उसके पापा की तबीयत बहुत खराब हैं तो उसे जल्दी मायके जाना पड़ेगा , रागिनी ने आव देखा ना ताव वह अपने मायके चली गई , घर के बाकी लोग सोए हुए थे इसलिए उसने सिर्फ साहिल को यह बात बताई थी !!

रागिनी के जाते ही सारा काम सुषमा जी पर पड़ गया , उन्हें रागिनी पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि वह ऐसे बिना बताए मायके कैसे जा सकती हैं , वे साहिल से बोली बहु को जल्दी बुला दे वापस मुझसे यह सब काम नहीं होने वाले अब इस उम्र में !!

साहिल बोला – मां अभी उसे लौटने में दस दिन तो लगेंगे ही क्योंकि उसके पापा जब तक पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते वह नहीं आ पाएगी !!

आज पहले दिन ही बहू के बिना सुषमा जी की हालत खराब हो रही थी , दस दिन सोचके उन्हें तो चक्कर ही आने लग गए !!

अब काम तो जैसे तैसे करना ही था , किसी तरह दस दिन निकल गए और रागिनी वापस आ गई !!

अब सुषमा जी की जान में जान आई जैसे ही रागिनी वापस आई उन्होंने किचन में जाना बंद कर दिया और फिर से सारे काम रागिनी पर डाल दिए !!

दो दिन बाद साहिल रागिनी को लेकर उसके मायके पहुंचा और उसके पिताजी की हालत देखकर बोला – रागिनी तुम कुछ दिन यहां ओर रुक जाओ , वहां मां संभाल लेगी !!

साहिल के इस फैसले पर रागिनी को आश्चर्य हुआ पर साहिल की अनुमति मिलने पर वह मायके रुक गई !! जब साहिल शाम को घर पहुंचा तो सुषमा जी बोली – अरे , रागिनी कहां हैं ??

साहिल बोला – मां उसके पिताजी को उसकी जरूरत हैं इसलिए वह दो दिन बाद आएगी , तुम बोलो तुमने खाने में क्या बनाया हैं ?? जल्दी जल्दी खाना लगा लो , बहुत भुख लगी हैं !!

अरे , मैंने तो कुछ खाना नहीं बनाया , मैंने सोचा था रागिनी आकर बनाएगी खाना सुषमा जी बोली !!

साहिल बोला – चलो कोई बात नहीं , मैं खाना आर्डर कर देता हुं !!

हां कर दे , तेरे पिताजी भी कब से भूखे बैठे हैं सुषमा जी बैठे बैठे बोली , फिर रसोई से एक कप चाय बनाकर ले आई और साहिल के हाथ में देकर बोली – ले बेटा , तब तक तू चाय पी ले !!

साहिल सोचने लगा – रागिनी सच कहती है , सफर से थककर आकर कम से कम तुम्हें तो मां के हाथ की चाय तो नसीब होती हैं , मुझे तो सीधे रसोई में घुसना होता है और सभी के लिए चाय , खाना सब बनाना होता हैं !!

साहिल रसोई में गया तो देखा सिंक में बर्तनों का ढेर पड़ा हैं सहिल बोला – मां इतने सारे बर्तन जमा हो गए हैं !!

सुषमा जी बोली – हां रागिनी आती तो कर देती , सुबह से बर्तन जमा कर रखे थे मगर रागिनी तो मायके ही रूक गई , अब मुझे कल शोभा बाई को फोन करके बुलाना पड़ेगा !! यह रागिनी भी ना , थोड़ा तो समझना चाहिए था उसे कि यहां ससुराल में कितना काम होता हैं , रुक गई मैडम मायके में !!

बस मां , बहुत हो गया अब मैं रागिनी के खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुनूंगा , उसने आप लोगों की हमेशा से बहुत सेवा की हैं और अब तक करती आ रही हैं मगर फिर भी आपने उसे तानो और बुराईयों के अलावा कुछ नहीं दिया इसलिए आज मैं उसे जानबुझकर मायके छोड़ आया ताकि आपको उसकी कमी का अहसास करवा पाऊं !! क्या बहू सिर्फ इन्हीं कामों के लिए हैं ?? उसका कोई वजूद नहीं और मां यह मत भूलो बुढ़ापे में ना बेटा काम आएगा ना बेटी काम आएगी , बुढ़ापे की लाठी एक बहू ही होती हैं इसलिए वक्त रहते उसकी कद्र कर लो वर्ना फिर कहती फिरोगी कि मेरा बेटा भी बहू का हो गया !!

साहिल की बातें सुन सुषमा जी थोड़ी अंचभित थी !!

सुषमा जी पूरी तरह तो नहीं सुधरी मगर एक बात उन्हें समझ आ गई थी कि बुढ़ापे की लाठी एक बहू ही होती है !!

दोस्तों , आपका क्या कहना हैं बुढ़ापे की लाठी कौन होता हैं ?? इस कहानी पर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे तथा ऐसी ही कहानियां पढ़ने के लिए हमारे पेज को फॉलो जरूर करें !!

धन्यवाद !!

आपकी सखी

स्वाती जैंन

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